1कुरनेलियुस नाउँ क एक मनई कैसरिया मँ रहा। उ फउज क उ दले क नायक रहा जेका इतालवी कहा जात रहा।
1कर्नेल्य नावाचा मनुष्य कैसरीयामध्ये राहत होता. तो इटलीक नावाच्या पलटणीन शताधिपती होता.
2उ परमेस्सर स डेरॅाइवाला भगत रहा अउर वइसा ही ओकर परिवार भी रहा। उ गरीबन क मदद करइ बरे दिल खोलिके दान देत रहा अउर हमेसा ही परमेस्सर क पराथना करत रहत रहा।
2कर्नेल्य हा धर्मशील असून आपल्या कुटुंबासह देवाचे भय बाळगणारा होता. तो गोरगरिबांना पुष्कळसा दानधर्म करीत असे आणि तो नेहमी देवाची प्रार्थना करीत असे.
3दिन क नवे पहर क नगिचे उ एक दर्सन मँ साफ साफ लखेस कि परमेस्सर क एक सरगदूत ओकरे लगे आवा ह अउर ओसे कहत ह, “कुरनेलियुस।”
3एके दिवशी दुपारी तीन वाजण्याच्या सुमारास, कर्नेल्याला दृष्टान्त झाला. त्याने तो स्पष्टपणे पाहिला. त्या दृष्टान्तात देवाचा एक दूत त्याच्याकडे आला आणि त्याला म्हणाला, “कर्नेल्या!”
4तउ कुरनेलियुस डेरात भवा सरगदूत कइँती लखत भवा बोला, “हे पर्भू, इ का अहइ?” सरगदूत ओसे कहेस, “तोहार पराथना अउर गरीब गुरबा क दिया भवा तोहार दान एक यादगार क रूप मँ तोहार याद दियावइ बरे परमेस्सर क लगे पहोंचा अहइँ।
4कर्नेल्य देवदूताकडे पाहू लागला. तो भयभीत झाला होता. “काय आहे, प्रभु?” देवदूत कर्नेल्याला म्हणाला, “देवाने तुझी प्रार्थना ऐकली आहे, ज्या गोष्टी तू गरीबांना दिल्या आहेत, त्या देवाने पाहिल्या आहेत. देवाला तुझी आठनण आहे.
5तउ कछू मनइयन क याफा पठवा अउर समौन नाउँ क एक मनई क, जउऩ पतरस कहा जात ह, हिआँ बोलॉइ ल्या।
5तू यापो गावी माणसे पाठीव आणि शिमोन नावाच्या माणसाला घेऊन ये, शिमोनाला पेत्र असे सुद्धा म्हणततात; तो
6उ समौन नाउँ क एक चमार क हिआँ रहत ह। ओकर घर समुदूदर क किनारे बा।”
6शिमोन नावाच्या चाभाराच्या घरी राहत आहे. त्याचे घर समुद्राजवळ आहे.”
7उ सरगदूत जउन ओसे बात करत रहा, जब चला गवा तउ उ आपन दुइ नउकरन अउर आपन खुद क सहायक लोगन मँ स एक भक्त सिपाही क बोलाएस
7कर्नेल्याशी बोलणे झाल्यावर देवदूत निघून गेला. नंतर कर्नेल्याने त्याचे दोन विश्वासू नोकर व एका धर्मशील शिपायाला बोलावून घेतले.
8अउर जउन कछू भवा रहा, ओनका सब कछू बताइके याफा पठइ दिहेस।
8कर्नेल्याने या तिघांना घडलेले सर्व काही सांगितले, आणि त्यांना यापोला पाठविले.
9अगले दिन जब उ पचे चलतइ चलत सहर क निचके पहोंचइ क ही रहेन, पतरस दुपहरिया मँ पराथना करइ छत्ते प चढ़ा।
9सऱ्या दिवशी ही माणसे यापो गावाजवळ आली, ती दूपारची वेळ होती. त्याच वेळी प्रार्थना करावयास पेत्र गच्चीवर गेला.
10ओका भूख लाग, तउ उ कछू खाइ चाहत रहा। उ पचे जब खइयाके तइया करत रहेन तउ ओकर समाधि लग गइ।
10पेत्राला भूक लागली होती. त्याला खायला पाहिजे होते. ते पेत्रासाठी जेवण करीत असता पेत्राला तंद्री लागली.
11अउर उ लखेस कि अकास खुलि गवा अहइ अउर एक बड़वार चद्दर जइसी चीज तरखाले उतरत बा। ओका चारिहुँ कइँती स धइके धरती प उतारा जात बा।
11आणि आपल्यासामोर आकाश उघडले असून चारही कोपऱ्यांना बांधून खाली सोडल्यामुळे मोठ्या चादरीसारखे काही तरी जमिनीवर येत आहे, असे त्याला दिसू लागले.
12ओह प हर तरह क पसु, धरती प रेंगइ वाला जीव-जंतु अउर अकासे क पंछी रहेन।
12त्या चादरीत वेगवेगळ्या प्रकारचे प्राणी होते. उदा. चालणारे, सरपटणारे, आकाशात उडणारे पक्षी त्यात होते.
13फिन एक अवाज ओसे कहेस, “पतरस उठ, मार अउर खा।”
13नंतर एक वाणी पेत्राने ऐकली, “पेत्रा, उठ; यापैकी कोणताही प्राणी मारुन खा.”
14पतरस कहेस, “पर्भू, फुरइ तउ नाहीं, काहेकि मइँ कबहुँ भी अपवित्तर या असुद्ध चीज क नाहीं खाएउँ ह।”
14पण पेत्र म्हणाला, “मी तसे कधीच करणार नाही, प्रभु! जे अशुद्ध व अपवित्र आहे असे कोणतेही अन्न मी अद्याप खाल्लेले नाही.”
15ऍह पइ ओनका दूसरी बार फिन अकासबाणी सुनाई दिहेस, “कउनो भी चीज क जेका परमेस्सर पवित्तर बनाए अहइ, ओनका तू ‘अपवित्तर’ न काह!”
15पण ती वाणी त्याला पुन्हा म्हणाली, “देवाने या गोष्टी शुद्ध केल्या आहेत. त्यांना अपवित्र म्हणू नकोस!”
16तीन दाई अइसा ही भवा अउर उ पूरी वस्तु फिन अकास मँ वापिस उठाइ लीन्ह गइ।
16असे तीन वेळा घडले. मग त्या सगळ्या गोष्टी वर स्वर्गामध्ये पुन्हा घेतल्या गेल्या.
17पतरस जउने दर्सन जेका लखे रहा क अरथ क बारे मँ दुबिधा करत रहा, कुरनेलियुस क पठए भए लोग दुआरे प ठाड़ भवा पूछत रहेन, “समौन क घर कहाँ बा?”
17पेत्र भयचकित होऊन या दृष्टान्ताचा अर्थ काय असावा याविषयी विचार करु लागला. ज्या लोकांना कर्नेल्याने पाठविले होते, त्यांना शिमोनाचे घर सापडले. ते दाराजवळ उभे होते.
18उ सबइ बाहेर गोहरावत भए पूछेन, “का पतरस कहा जाइवाला समौन मेहमान क रूप मँ हियँइ रूका अहइ।?”
18त्यांनी विचारले, “शिमोन पेत्र येथेच राहतो काय?”
19पतरस अबहिं उ दर्सन क बारे मँ सोचत ही रहा कि आतिमा ओसे कहेस, “सुना! तोहका तीन मनई हेरत अहइँ।
19पेत्र अजूनसुद्धा या दृष्टान्ताविषयीच विचार करीत होता. पण आत्मा त्याला म्हणाला, “ऐक, तीन माणसे तुला शोधीत आहेत.
20तउ खड़ा ह्वा, अउर तरखाले उतरिके बेझिझके चला जा, काहेकि ओऩका मइँ ही पठएउँ ह।”
20ऊठ आणि पायऱ्या उतरुन खाली जा, कारण मीच त्यांना पाठवले आहे. काही संशय न धरता त्यांच्याबरोबर जा.”
21इ तरह पतरस तरखाले उतरि आवा अउर ओन मनइयन स बोला, “मइँ उहइ अहउँ, जेका तू हेरत बाट्या। तू काहे आया ह?”
21मग पेत्र खाली त्या माणसांकडे गेला. तो म्हणाला, “तुम्ही ज्याचा शोध करीत आहात तो मीच आहे. तुम्ही येथे का आलात?”
22उ पचे बोलेन, “हम सबनक फऊजीनायक कुरनेलियुस पठएस ह। उ अच्छा मनई अहइ अउर सच्चे परमेस्सर क आराधना करत ह। यहूदी मनइयन मँ ओकर बहोत सम्मान अहइ। पवित्तर सरगदूत ओसे तोहका आपन घरे नेउतइ बरे कहे अहइ अउर जउन कछू कहइ ओका सुनइ बरे कहे अहइ।”
22ती माणसे म्हणाली, “एका पवित्र दूताने तुम्हांला आमंत्रित करण्याविषयी करण्याविषयी कर्नेल्याला सांगितले होते. कर्नेल्य हा शताधिपती आहे. तो चांगला धर्मशील मनुष्य आहे. तो देवाची उपासना करतो. सर्व यहूदी लोक त्याचा आदर करतात, तुम्हांला घरी बोलावून तुमचे शब्द ऐकावेत असे देवदूताने त्याला सांगितले आहे.”
23ऍह पइ पतरस ओका भितरे बोलाइ लिहस अउर ठहरइ क जगह दिहेस। फिन दूसर दिन तइयार होइके उ ओऩके संग चला गवा। अउर याफा क निवासी कछू अउर बंधु भी ओकरे संग होइ गएऩ।
23पेत्राने त्यांना आत बोलावून घेतले व रात्रभर मुक्काम करण्यास सांगितले. दुसऱ्या दिवशी पेत्र तयार झाला व त्या तीन मनुष्याबरोबर गेला. यापो येथील काही बंधुही पेत्राबरोबर गेले.
24दूसर दिन उ कैसरिया पहोंच गवा। हुवाँ आपन खास मित्र अउर नोतदार क बोलाइके कुरनेलियुस ओनका जोहत रहा।
24दुसऱ्या दिवशी पेत्र कैसरीया शहरात आला. कर्नेल्य त्याची वाट पाहत होता. त्याने आपले जवळचे मित्र व नातेवाईक यांनाही आपल्या घरी जमा केले होते.
25पतरस अब भीतर पहोंचा तउ कुरनेलियुस ओसे भेंटइ आवा। कुरनेलियुस श्रद्धा स ओकरे गोड़वा प गिरत भवा ओका प्रणाम किहेस।
25जेव्हा पेत्र आत गेला, तेव्हा कर्नेल्य त्याला भेटला. कर्नेल्याने पेत्राच्या पाया पडून आदराने त्याला अभिवादन केले.
26मुला ओका उठावत भवा पतरस बोला, “ठाड़ ह्वा! मइँ तउ खुद सिरिफ एक मनई हउँ।”
26पण पेत्र म्हणाला. “उभा राहा, मी तुझ्याासारखाच मनुष्य आहे.”
27फिन ओकरे संग बात करत करत उ भितरे चला गवा। अउर हुवाँ उ बहोत म मनइयन क बटोरेस।
27पेत्र त्याच्याशी बोलत घरात गेला आणि आतमध्ये बरेच लोक जमलेले त्याने पाहिले.
28उ ओनसे कहेस, “तू सबइ जानत ह कि एक यहूदी बरे गैर यहूदी जाति क मनई क संग कउनो सम्बंध रखब या ओकरे हियाँ जाब विधान क खिलाफ अहइ मुला तउ भी परमेस्सर मोका देखाएस ह कि मइँ कउनो भी मनई क ‘असुद्ध’ या ‘अपवित्तर’ न कहउँ।
28पेत्र त्या लोकांना म्हणाला, “तुम्ही हे जाणता की, यहूदी मनुष्याने इतर जातींच्या लोकांच्या घरी जाणे किंवा त्यांच्याशी संबंध ठेवणे हे यहूदी नियमाला धरुन नाही. पण देवाने मला दाखविले आहे की, मी इतर मनुष्यमात्राला ‘अशुद्ध’ किंवा ‘अपवित्र’ मानू नये.
29यह बरे मोका जब बोलावा गवा तउ मइँ बिना कउनो एतराज क आइ गएउँ। यह बरे मइँ तोहसे पूछत हउँ कि तू मोका काहे बरे बोलाया ह।”
29याच कारणासाठी जेव्हा हे लोक मला बोलावण्यास आले, तेव्हा मी त्यांच्याशी वाद घातला नाही. आता, कृपा करुन मला सांगा, तुम्ही मला येथे का बोलाविले?”
30ऍह पइ कुरनेलियुस कहेस, “चार दिन पहिले इहइ समइ दिन क नवें पहर (तीन बजे) मइँ आपन घरे मँ पराथना करत रहेउँ। एकाएक चमचमात ओढ़न मँ एक मनई मोरे समन्वा आइके खड़ा भवा।
30कर्नेल्य म्हणाला, “चार दिवसांपूर्वी, माझ्या घरांमध्ये मी प्रार्थना करीत होतो. बरोबर याच वेळेला म्हणजे दुपारचे तीन वाजता मी प्रार्थना करीत होतो. अचानक एक मनुष्य माझ्यासमोर उभा राहिला. त्याने लखलखीत, चमकदार कपडे घातले. होते.
31अउर बोला, ‘कुरनेलियुस! तोहार बिनती सुनि लीन्ह गइ अहइ अउर गरीब गुरबन क दीन्ह भवा तोहार दान परमेस्सर क समन्वा याद कीन्ह ग अहइँ।
31तो मनुष्य म्हणाला, ‘कर्नेल्या! देवाने तुझी प्रार्थना ऐकली आहे. गरीब लोकांना ज्या वस्तु तू दिल्या आहेत ते देवाने पाहिले आहे. देव तुझी आठवण करतो.
32यह बरे याफा पठइके पतरस कहावावइवाला समौन क बोलवाइके पठवा। उ समुद्दर क किनारे चमार समौन क घरे रूका बा।’
32म्हणून यापो या शहरी काही माणसे पाठव व शिमोन पेत्राला बोलावून घे. पेत्र हा शिमोन चांभाराच्या घरी राहत आहे. आणि त्याचे घर समुद्राच्या जवळ आहे.’
33यह बरे मइँ तुरंतहि तोहका बोलवावइ पठवा ह अउर हिआँ आवइ क कृपा कइके बहोत नीक किहा ह तउ अब पर्भू जउन कछू आग्या तोहका दिए अहइँ, उ सब कछू सुनइ बरे हम पचे हिआँ परमेस्सर क अगवा हाजिर अही।”
33तेव्हा मी लागलीच तुम्हांला निरोप पाठविला, तुम्ही येथे आलात ही तुमची मोठी कृपा आहे. तेव्हा आम्हांला जे काही सांगण्याची आज्ञा प्रभूने तुम्हांला दिली आहे, ते ऐकण्यासाठी आम्ही सर्व आता येथे देवासमोर जमलेले आहोत.”
34फिन पतरस बोलइ लाग अउर कहेस, “फुरइ अब मइँ समुझ गवा हउँ कि परमेस्सर कउनो भेद-भाव नाहीं राखत
34पेत्राने बोलायला सुरुवात केली: “मला आता हे खरोखर समजले आहे की, देवाला प्रत्येक मनुष्य सारखाच आहे.
35बल्कि हर जाति क कउऩो मनई जउन ओसे डेरात ह अउर नीक काम करत ह, उ ओका अपनावत ह।
35जो कोणी त्याची भक्ति करतो आणि योग्य ते करतो, त्याला देव स्वीकारतो, व्यक्ति कोणत्या देशाची आहे, हे महत्वाचे नाही.
36इहइ अहइ उ संदेसा जेका उ ईसू मसीह स सांति क सुसमाचार क उपदेस देत भवा इस्राएल क मनइयन क दिहे रहा। उ सबहिं का पर्भू अहइ।
36देव यहूदी लोकांशी बोलला. देवाने त्यांना सुवार्ता पाठविली की, येशू रिव्रस्ताद्धारे शांति जगात आली आहे. येशू सर्वांचा प्रभु आहे!
37“तू पचे उ बड़की घटना क जानत ह, जउन समूचइ यहूदिया मँ भइ रही। गलील स सुरू होइके यूहन्ना क जरिए बपतिस्मा दीन्ह जाए क पाछे जेकर प्रचार कीन्ह गवा रहा।
37सगळ्या यहूदा प्रांतात काय घडले हे तुम्हा सर्वांना माहीत आहे. त्याची सुरुवात योहानाने लोकांना बाप्तिस्म्याविषयी गालीलात जो संदेश दिला, त्याने झाली.
38तू सबइ नासरी ईसू क बारे मँ जानत ह कि परमेस्सर पवित्तर आतिमा स अउर सक्ती स ओकर अभिसेक कइसे किहे रहा अउर उत्तिम कारज करत भवा अउर ओन सब क जउऩ सइतान क बस मँ रहेन, नीक करत भवा चारिहुँ कइँती उ कइसे घूमत रहा। काहेकि परमेस्सर ओकरे संग रहा।
38नासरेथच्या येशूविषयी तुम्हांला माहिती आहे. देवाने त्याला पवित्र आत्मा व सामर्थ्य देऊन रिव्रस्त बनविले. येशू सगळीकडे लोकांच्यासाठी चांगल्या गोष्टी करीत गेला. जे लोक दुष्ट आत्म्याने पछाडले होते त्यांना येशूने बरे केले. त्यामुळे देव येशूबरोबर आहे हे दिसून आले.
39“अउर हम पचे सब बातन क साच्छी अही जेनका उ यहूदियन क पहँटा अउर यरूसलेम मँ किहे रहा। उ पचे ओका ही एक ठु लकड़ी के सलीब प टाँगिके मारि डाएन।
39येशूने संपूर्ण यहूदी प्रांतात आणि यरुशलेमात जे जे केले त्या सर्व गोष्टी आम्ही पाहिल्या आणि आम्ही त्याचे साक्षीदार आहोत. पण येशूला मारण्यात आले. लाकडाच्या वधस्तंभावर त्यांनी त्याला खिळले.
40मुला परमेस्सर तीसरे दिना ओका फिन स जिन्दा कइ दिहेस अउर ओका परगट कराएस।
40परंतु देवाने तिसऱ्या दिवशी त्याला जिवंत केले! देवाने येशूला लोकांना स्पष्ट पाहू दिले.
41सब मनइयन क समन्वा नाहीं मुला ओन साच्छियन क अगवा जउन परमेस्सर क हीला स पहिले ही चुन लीन्ह गएऩ। अरथ अहइ हमरे समन्वा जउन मर भएन मँ स जी जाए क पाछे ओकरे संग खाएन अउर पीएऩ।
41परंतु सर्वच माणासांनी येशूला पाहिले नाही. देवाने त्यांना अगोदरच साक्षीदार म्हणून निवडले होते. त्यांनीच त्याला पाहिले. ते साक्षीदार आम्ही आहोत! येशू मरणातून उठविला गेल्यानंतर आम्ही त्याच्याबरोबर अन्नपाणी सेवन केले.
42“उहइ हमका हुकुम दिहे अहइ कि हम लोगन क उपदेस देइँ अउर सिद्ध करइँ कि इ उहइ, अहइ जउन परमेस्सर क हीला स जिन्दा भएऩ अउर मरे भएऩ मँ स निआव करइवाला मुकर्रर कीन्ह गवा अहइ।
42येशूने आम्हांला लोकांना उपदेश करायला सांगितले. जिवंतांचा आणि मेलेल्यांचा न्याय करण्यासाठी देवाने त्याला आपल्याला आहे हे सांगण्यासाठी त्याने आम्हांला आज्ञा केली.
43सब नबी लोग ओकरे बारे मँ साच्छी दिहे अहइँ कि ओहमा बिसवास करइवाला हर मनई ओकरे नाउँ क हीला स पापन्क छमा पावत ह।”
43जो कोणी येशूवर विश्वास ठेवतो, त्याला क्षमा केली जाईल. येशूच्या नावामध्ये देव त्या व्यक्तिच्या पापांची क्षमा करील. सर्व संदेष्टे हे खरे आहे असे म्हणतात.”
44पतरस अबहिं इ बातन क करत ही रहा कि ओन सब प पवित्तर आतिमा उतरि आइ जउन सुसमाचार सुने रहेन।
44पेत्र हे बोलत असतानाच त्याचे बोलणे ऐकत बसलेल्या सर्व लोकांवर पवित्र आत्मा आला.
45काहेकि पवित्तर आतिमा क बरदान गैर यहूदी प उड़ेरा जात रहा, तउ पतरस क संग आए भए यहूदी अचरज मँ पड़ि गएऩ।
45यहूदी विश्वासाणारे जे पेत्राबरोबर आले होते, ते चकित झाले. यहूदी नसलेल्या लोकांवरसुद्धा पवित्र आत्मा ओतला गला, यामुळे ते चकित झाले.
46उ पचे किसिम किसिम क भाखा बोलत रहेन अउर परमेस्सर क स्तुति करत भए अनकत रहेन। तब पतरस बोला,
46आणि यहूदी नसलेल्या लोकांना निरनिराळ्या भाषा बोलताना आणि देवाची स्तुति करताना यहूदी लोकांनी पाहिले.
47“का कउनो इ मनइयन क बपतिस्मा देइ बरे, जल आसानी स देइ बरे मना कइ सकत ह? ऍनका भी वइसे ही पवित्तर आतिमा मिलि गवा ह, जइसेन हम पचन क।”
47मग पेत्र म्हणाला, “या लोकांना पाण्याने बाप्तिस्मा देण्यास आपण नकार देऊ शकत नाही, ज्याप्रमाणे आम्हांला मिळाला, त्याचप्रमाणे त्यांनाही पवित्र आत्मा मिळाला आहे.”
48इ तरह उ ईसू मसीह क नाउँ मँ ओनका बपतिस्मा देइ क हुकुम दिहेस। फिन पतरस स उ पचे पराथना किहेन कि कछू दिन ओनकइ संग ठहरइ।
48म्हणून पेत्राने कर्नेल्य, त्याचे नातेवाईक आणि मित्र यांना बाप्तिस्मा देण्याची आज्ञा केली. मग पेत्राने आणखी काही दिवस त्यांच्याबरोबर राहावे अशी त्या लोकांनी त्याला विनंति केली.