1पौलुस कहेस, “भाई लोगन अउर बाप क नाई भले मनइयन, मोका आपन बचाव मँ अब जउन कछू कहइ क बाटइ, ओका सुना।”
1“बंधूनो व वडीलजनांनो, “मी माझ्या बचावासाठी जे काही सांगतो ते ऐका.”
2उ पचे जब ओका इब्रनी भाखा मँ बोलत भए सुनेन तउ उ पचे जिआदा सांत होइ गएऩ। फिन पौलुस बोला,
2जेव्हा लोकांनी पौलाला हिब्रू भोषत बोलताना ऐकले तेव्हा ते अधिकच शांत झाले. पौल म्हणाला,
3“मइँ एक यहूदी मनई हउँ। सिलिकिया क तरसुस सहर मँ जनम भवा रहा अउर मइँ इहइ सहर मँ पाला पोसा जाइके बाढ़ गएउँ रहा ह। गमलिएल क गोड़वा प बइठिके हमरे पूर्वजन क व्यवस्था क मुताबिक बड़ी कड़ाई स मोर सिच्छा भइ। परमेस्सर बरे मइँ जिआदा धुन लगावत रहेंउँ। फुरे वइसे ही जइसे आज तू पचे अहा।
3“मी एक यहूदी आहे. आणि किलिकीया प्रांतातील तार्स येथे माझा जन्म झाला. परंतु याच शहरात मी लहानाचा मोठा झालो, आपल्या पूर्वजांच्या नियमांचे सविस्तर शिक्षण मी गमालीएल यांच्या पायाजवळ बसून घेतले. जसे तुम्ही आज देवाविषयीच्या आवेशाने भरलेल आहात तसाच मी देखील देवाविषयीच्या आवेशाने भरलेला होतो.
4इ ईसू के पंथ क मनइयन क मइँ ऍतना सताएँउ ह कि ओनकइ परान तलक उड़ि गएऩ। मइँ पुरूसन अउर स्त्रियन क बंदी बनएउँ ह अउर जेलिया मँ धाँध दिहेउँ।
4या मार्गाचा (ख्रिस्ती चळवळीचा) पुरस्कार करणाऱ्यांचा मी त्यांच्या मरणापर्यंत छळ केला. मी स्त्री व पुरुषांना अटक करुन तुंरुंगात टाकले.
5खुद महायाजक अउ बुजुर्ग यहूदी नेतन क समूचइ सभा ऍका सिद्ध कइ सकत ह। मइँ दमिस्क मँ ऍनकइ भाइयन क नाउँ चिट्ठी भी लिहेउँ ह अउर इ पंथ क हुवाँ रहइ वालन क धइके बंदी क रूप मँ यरुसलेम लइ आवइ बरे मइँ गवा भी रहे रहा ताकि ओनका सजा दीन्ह जाइ सकइ।
5याची मुख्य याजक व धर्मसभेचे सर्व वडीलजन साक्ष देतील. त्यांच्याकडून दिमिष्कातील त्यांच्या बंधुजनांच्या नावाने मी पत्रे घेतली. आणि तेथे ह्या मार्गांचे (ख्रिस्ती) जे लोक होते, त्यांना कैदी म्हणून यरुशलेमास घेऊन येणार होतो, यसाठी की त्यांना शिक्षा व्हावी.
6“फिन अइसा भवा कि मइँ जब जात्रा करत करत दमिस्क क लगे पहोंचा तउ लग भग दुपहरिया क समइ अकास स एकाएक एक जोर क प्रकास चारिहुँ कइँती फइला।
6“तेव्ह? असे झाले की, मी प्रवास करीत दिमिष्क शहराजवळ आलो असताना दुपारच्या वेळी माइयाभोवती आकाशातून लख्ख प्रकाश पडला.
7मइँ भुइयाँ प भहराइ गवा। तबहिं मइँ एक अवाज सुनेउँ जउन मोसे कहत रही, ‘साउल’ ओ साउल! तू मोका काहे सतावत अहा?’
7मी जमिनीवर पडलो. आणि मी एक वाणी माइयाशी बोलताना ऐकली, ʅशौला, शौला, माझा छळ तू का करतोस?
8तब मइँ जवाबे मँ कहेउँ, ‘पर्भू, तू कउन अहा?’ उ मोसे कहेस, ‘मइँ अहइ नासरी ईसू अहउँ जेका तू सतावत बाट्या।’
8मी उत्तर दिले, ‘प्रभु, तू कोण आहेस?’ तो मला म्हणाला, ʅतू ज्याचा छळ करीत आहेस तो नासरेथचा येशू मी आहे.’
9जउन मोरे संग रहेन, उ सबइ भी उ प्रकास निहारेन मुला उ बाणी क जउन मोका गोहराए रहा, उ पचे समुझि नाहीं पाएन।
9जे माझ्यााबरोबर होते त्यांनी प्रकाश पाहिला, पण जो आवाज माझ्याशी बोतल होता तो त्यांना ऐकू आला नाही.
10मइँ पूछेउँ, ‘पर्भू, मइँ का कररुँ?’ एह पइ पर्भू मोसे कहेस, ‘खड़ाहुवा, अउर दमिस्क क चला जा। हुवाँ तोहका सब कछू बताइ दीन्ह जाइ, जेका करइ बरे तोहका मुकर्रर कीन्ह गवा बा।’
10मी म्हणालो, ‘प्रभु मी काय करु?’ आणि प्रभु मला म्हणाला, ‘ऊठ आणि दिमिष्कात जा. तेथे तुला जे काम नेमून देण्यात आले आहे ते सांगण्यात येईल.
11काहेकि मइँ उ जोरदार प्रकास स कछू लखि नाहीं पाएउँ रहा, तउ मोर संगी मोर हथवा धइके मोका लइ चलेन अउर मइँ दमिस्क पहोंचि गएउँ।
11त्या प्रकाशामुळे मला काही दिसेनासे झाले. तेव्हा माइया सोबत्यांनी मला हाताला धरुन नेले आणि मी दिमिष्कला पोहोंचलो.
12“हुवाँ हनन्याह नाउँ क एक मनई रहा। उ व्यवस्था क पालन करइवाला भगत रहा। हुवाँ क बसइया सबहिं यहूदियन क संग ओकर मेलजोल रहा।
12“नियमशास्त्राचे भक्तिभावाने पालन करणारा हनन्या नावाचा एक मनुष्य होता. तेथे राहणारे सर्व यहूदी त्याच्याबद्दल चांगले बोलत.
13उ मोरे लगे आवा अअउ मोरे नगिचे खड़ा होइके बोला, ‘भाई साऊल, फिन स लखइ लगा!’ अउर उहइ छिन मइँ ओका लखइ क जोग्य होइ गवा।
13तो माइयाकडे आला, आणि माइयाजवळ उभा राहून तो म्हणाला, ‘बंधु शौल, तू पुन्हा पाहू लागशील!’ आणि त्याच घटकेला मला दिसू लागले.
14उ कहेस, ‘हमरे पूर्वजन क परमेस्सर तोहका चुनि लिहे अहइ कि तू ओकर इच्छा क परखा, ओकरे धरम क सरूप प लखा अउर ओकर बाणी सुना।
14तो म्हणाला, ‘आपल्या पूर्वजांच्या (वाडवडिलांच्या) देवाने तुला निवडले आहे, यासाठी की त्याची इच्छा तुला कळावी. त्या धार्मिकाला तू पहावेस. आणि त्याच्या तोंडचे शब्द तुला ऐकायला मिळावेत.
15काहेकि तू जउन लख्या ह अउर जउन सुन्या ह, ओकरे बरे सबहिं मनइयन क समन्वा तू ओकर साच्छी होब्या।
15कारण तू जे काही पाहिलेस आणि ऐकलेस, याविषयी तू त्याचा सर्वांसमोर साक्षीदार होशील.
16यह बरे अब तू केकर बाट जोहत बाट्या, खड़ा होइ जा बपतिस्मा ग्रहण करा अउर ओकर नाउँ क गोहरावत भए आपन पाप क धोइ डावा।’
16मग आता, कशाची वाट पाहतोस? ऊठ, आणि बाप्तिस्मा घे व तुझी पाप धुवून टाक. येशूवर विश्वास ठेवून हे कर.’
17“फिन अइसा भवा कि जब मइँ यरुसलेम लौटिके मंदिर मँ पराथना करत रहेउँ तबहिं मोर समाधि लग गइ
17“मग असे झाले की, जेव्हा मी यरुशलेमला परत आलो, आणि मंदिरात प्रार्थना करीत होतो, तेव्हा मला दृष्टान्त झाला.
18अउर मइँ लखेउँ कि ईसू मोसे कहत अहइ, ‘हाली! करा अउर फउरन यरुसलेम स बाहेर जा काहेकि मोरे बारे मँ उ पचे तोहार साच्छी न मनिहीं।’
18मी येशूला पाहिले, आणि येशू मला म्हणाला, ‘घाई कर! यरुशलेम ताबडतोब सोड! येथील लोक माझ्याविषयीचे सत्य स्वीकारणार नाहीत.’
19तउ मइँ कहेउँ, ‘पर्भू इ लोग तउ जानत हीं, कि तोह प बिसवास करइया मनइयन क बंदी बनवत भए अउर पीटत भए मइँ यहूदी आराधनालय मँ टहरत फिरा हउँ।
19पण मी म्हणालो, ‘प्रभु जे लोक तुझ्यावर विश्वास ठेवीत होते, त्यांना अटक करुन मारण्यासाठी मी जात असे, हे या लोकांना माहीत आहे.
20अउर तउ अउर जब तोहार साच्छी स्तिफनुस क रकत बहावा जात रहा, तब भी मइँ आपन समर्थन देत भए हुवँइ खड़ा रहेउ। जउन ओकर कतल किहे रहेन, मइँ ओनकइ ओढ़ना क रखवाली करत रहेउँ।’
20आणि जेव्हा तुझा साक्षीदार स्तेफन याचे रक्त सांडले तेव्हा तेथे उभा राहून मी त्याला संमति दर्शवीत होतो. आणि ज्या लोकांनी स्तेफनाला मारले त्यांचे कपडे मी राखीत होतो.’
21फिन उ मोसे बोला, ‘तू जा, काहेकि गैर यहूदियन क बीच दूर-दूर ताई पठउब।”‘
21तेव्हा प्रभु मला म्हणाला, ‘जा! मी तुला दूरवरच्या यहूदीतर विदेशी लोकांकडे पाठवीन.”‘
22इ बात तलक उ पचे सुनत रहेन फिन ऊँच अवाजे मँ चिल्लाइ उठेन, “अइसे मनइयन क धरती स अजाद करा। इ जिअइ क जोग्य नाहीं बा।”
22येथपर्यंत यहूदी लोकांनी पौलाचे बोलणे ऐकले मग ते मोठमोठ्याने ओरडून म्हणू लागले, “अशा मनुष्याल पृथ्वीवरुन नाहीसे केले पाहिजे! तो जिवंत राहण्याच्या लायकीचा नाही!’
23उ पचे जब चिचियात रहेन अउर आपन ओढ़ना क उतारि उतारिके लोकावत रहेन अउर अकासे मँ धूरि उछारत रहेन,
23ते मोठमोठ्याने ओरडत होते. आपल्या अंगावरील कपडे काढून फेकीत होते, आणि हवेत धूळ उधळीत होते. हे पाहून सरदाराने पौलाला किल्ल्यात नेण्याची आज्ञा केली.
24तबहिं सेनानायक आदेस दिहेस कि पौलुस क जेले मँ लइ जावा जाइ। उ कहेस कि कोड़ा स मारि मारिके ओसे बकरवावा जाइ ताकि मनइयन क पता लागि कि ओह पइ मनइयन क चिचियाइ क कारण का बाटइ।
24त्याने शिपायांना सांगितले, पौलाला चाबकाने मारा. अशा प्रकारे हे लोक पौलाविरुद्ध का ओरड करीत आहेत हे सरादाराला जाणून घ्यायचे होते.
25मुला जब उ पचे ओका कोड़ा मारइ बरे बाँधत रहेन तबहिं हुवा खड़ा भवा फऊजीनायक स पौलु स कहेस, “कउऩो रोमी नागरिक क, जउन अपराधी न पावा गवा होइ, कोड़ा लगाउब का ओका नीक बा?”
25परंतु जेव्हा पौलाला चाबकाने मारण्यासाठी बाहेर काढले, तेव्हा पौल जवळ उभ्या असलेल्या शताधिपतीला म्हणाला, “ज्याच्यामध्ये काही अपराध आढळत नाही अशा रोमी नागरिकाला तुमचे हे चाबकाचे मारणे कायदेशीर ठरते काय?”
26फउजीनायक इ सुनिके सेनानायक क निअरे गवा अउर बोला, “इ आप का करत अहइँ?” काहेकि इ तउ रोमी नागरिक अहइ!”
26जेव्हा शताधिपतीने हे ऐकले तेव्हा तो सरदाराकडे गेला आणि म्हणाला, “तुम्ही काय करीत आहात? तो मनुष्य तर रोमी नागरिक आहे.”
27“ऍह पइ सेनानायक ओकरे लगे आइके पूछेस, “मोका बतावा, का तू रोमी नागरिक अहा?” पौलुस जवाब दिहेस, “हाँ।”
27सरदार पौलाकडे आला व म्हणाला, “मला सांग, तू रोमी नागरिक आहेस काय?” पौल म्हणाला, “होय.”
28ऍह पइ सेनानायक जवाब दिहेस, “इ नागरिकता पावइ बरे मोका तउ ढेर का धन खर्च करइ पड़ा रहा।” पौलुस कहेस, “मुला मइँ तउ जनम स रोमी नागरिक हउँ।”
28शताधिपती म्हणाला, “रोमी नागरिकत्व मिळ विण्यासाठी मला पुष्कळ पैसे द्यावे लागले.” पौल म्हणाला, “मी जन्मत:च रोमी नागरिक आहे.”
29तउ उ पचे जउन ओसे पुछताछ करत रहेन, तुरंत पाछे हटि गएऩ अउर सेनापति भी इ समुझिके कि उ एक रोमी नागरिक अहइ अउर उ ओका बंदी बनाए अहइ, बहोत डेराइ गवा।
29जे लोक त्याला प्रश्न विचारणार होते, ते ताबडतोब मागे सरकले. सरदार घाबरला, कारण त्याने पौलाला बांधले होते. व पौल हा रोमी नागरिक होता. त्यामुळे तो घाबरला.
30काहेकि उ सेनानायक इ बात क ठीकठीक पता लगावइ चाहत रहा कि यहूदियन पौलुस प जुर्म काहे लगाएन, यह बरे उ दूसर दिन बंधन खोल दिहेस। फिन मुख्ययाजक अउर सबन त सर्वोच्च यहूदी महासभा क बोलाइ पठएन अउर पौलुस क ओनकइ समन्वा लाइके खड़ा कइ दिहेस। पौलुस यहूदी महासभा प टकटकी लगाइके निहारत।
30दुसऱ्या दिवशी यहूदी लोक पौलावर नेमके कशामुळे दोष ठेवीत होते हे समजून घेण्यासाठी सरदाराने त्याला मोकळे सोडले. मग त्याने मुख्य याजक व धर्मसभेचे सभासद यांना एकत्र जमण्याची आज्ञा केली, मग त्याने पौलाला आणून त्यांच्यापुढे उभे केले.