Awadhi: NT

Marathi

Acts

7

1फिन महायाजक कहेस, “का इ बात अइसे ही अहइ?”
1प्रमुख याजक स्तेफनाला म्हणाला, “हे सर्व खरे आहे काय?”
2उ जवाब दिहस, “भाइयो, अउर बाप क समान बुजुर्गन, मोर बात सुना। हारान मँ बसइ स पहिले अबहिं जब हमार बाप इब्राहीम मेसोपोटामिया मँ रहा, तउ महिमा वाला परमेस्सर ओका दर्सन दिहेस
2स्तेफनाने उत्तर दिले, “माझ्या यहूदी वडीलजनांनो आणि बंधूंनो, माझे ऐका. आपला पिता (पूर्वज) अब्राहाम मेसोपोटेमिया येथे असताना आपल्या गौरवी देवाने त्याला दर्शन दिले. हे तो हारान येथे राहण्यापूर्वी घडले होते.
3अउर कहेस, ‘आपन देस अउर आपन रिस्तेदारन क तजिके तू उ धरती प चला जा, जेका तोहॅका मइँ देखॅउब।’
3देव अब्राहामाला म्हणाला, ‘तुझा देश व तुझे नातेवाईक सोड. आणि मी दाखवीन त्या देशात जा!’
4“तउ उ कसदियन क धरती क तजिके हारान मँ बसि गवा जहाँ ते ओकरे पिता क मउत क पाछे परमेस्सर ओका इ देस मँ आवइ क न्योतेस जहाँ तू पचे अबहिं रहत बाट्या।
4म्हणून अब्राहामाने आपले वतन खास्द्यांचा देश सोडला आणि तो हारान येथे राहू लागला. अब्राहामाच्या वडिलांच्या मृत्यूनंतर देवाने त्याला या ठिकाणी पाठविले, जेथे आता तुम्ही राहत आहात.
5परमेस्सर हियाँ ओका हेबानामा मँ कछू नाहीं दिहस, डग भइ धरती भी नाहीं। तउ भी ओकरे कउनो पूत नाहीं रहा फिन परमेस्सर ओसे प्रतिग्या किहेस इ देस उ ओका अउर ओकरे बंसज क ओकरी दौलत क तरह देइ।
5परंतु देवाने अब्राहामाला या जमिनीतील काही दिले नाही. देवाने यातील एक पाऊल ठेवण्या इतकी सुध्दा जमीन त्याला दिली नाही. परंतु देवाने त्याला अभिवचन दिले की भविष्यात तो त्याला ही जमीन देईल. व त्याच्या मुलांनाही देईल. अब्राहामाला संतान होण्यापूर्वी हे घडले.
6“परमेस्सर ओसे इ भी कहेस, ‘तोहार बंसज कहूँ विदेस मँ परदेसी होइके रइहीं अउर चार सौ बरिस ताई ओका नउकर बनइके, ओनके संग बहोत बुरा बर्ताव कीन्ह जाइ।’
6देव त्याला म्हणाला, ‘तुझी संतती उपरी होईल. ते दुसऱ्या देशात राहतील. तेथील लोक तुइयावंशजांना गुलाम बनवितील आणि त्यांना चारशे वर्षे वाईट रीतीने वागवतील.
7परमेस्सर कहेस, ‘दास बनइवइवाली उ राष्ट्र क मइँ सजा देब अउर ऍकरे पाछे उ पचे देस स बाहेर आइ जइहीं अउर इ स्थान प मोर सेवा करिहीं।’
7परंतु जो देश त्यांना गुलाम बनवील त्यांना मी शिक्षा देईन.’ देव असे सुद्धा म्हणाला, ‘त्या गोष्टी घडल्यानंतर, तुझे लोक त्या देशातून बाहेर येतील. मग तुझे लोक या ठिकाणी माझी उपासना करतील.’
8“परमेस्सर इब्राहीम क खतना क चीन्हा स करार किहेस। अउर उ इ तरह इसहाक क पिता बना। ओकरे जनम क पाछे अठएँ दिन उ ओकर खतना किहेस। फिन इसहाक स याकूब अउर याकूब स बारहु कुल क पहिला मनई पइदा भएऩ।
8देवाने अब्राहामाशी करार केला, या कराराचे चिन्ह होते सुंता. आणि म्हणून जेव्हा अब्राहामाला मुलगा झाला, तेव्हा अब्राहामाने आपल्या मुलाची, तो आठ दिवसांचा असताना, सुंता केली. त्याच्या मुलाचे नाव इसहाक होते. इसहाकानेसुद्धा आपला मुलगा याकोब याची सुंता केली. व याकोबाने आपल्या मुलांची सुंता केली, हे पुत्र नंतर बारा (पूर्वज) वडील झाले.
9“उ पचे पहिलउ मनइयन यूसुफ स जलन राखत रहेन। तउ उ पचे ओका मिस्र मँ दास बनवइ बरे बेंच दिहेन। मुला परमेस्सर ओनके संग रहा।
9“या वडिलांना (पूर्वजांना) योसेफाचा मत्सर वाटला. त्यांनी योसेफाला इजिप्तमध्ये एक गुलाम म्हणून विकले, परंतु योसेफाबरोबर देव होता.
10अउर उ ओका सबहिं मुसीबतन स बचाएस। परमेस्सर यूसुफ क गियान दिहेस अउर ओका इ जोग्ग बऩएस जेसे उ मिस्र क राजा फिरौन क अनुग्रह पात्र बन जाइ। फिरौन ओका मिस्र क राज्यपाल अउर आपन घर-बार क अधिकारी तैनात किहेस।
10योसेफावर तेथे खूप संकटे आली पण देवाने त्याला सर्व संकटांतून सोडविले, देवाने योसेफाला ज्ञान व शहाणपण दिले. त्यामुळे इजिप्तचा राजा, फारो, याची मर्जी योसेफाला संपादन करता आली. फारोने योसेफाला इजिप्त देशावर व त्याच्या घरावर अधिपती म्हणून नेमले.
11फिन समूचइ मिस्र अउर कनान देस मँ अकाल पड़ा अउर बड़ा संकट छाइ गवा। हमार पूर्वजन खाइ क कछू नाहीं पाइ सकेन।
11मग सर्व इजिप्त व कनान देशावर दुष्काळ पडला. आणि लोकांच्या दु:खाला अंत राहिला नाही. आमच्या पूर्वजांना अन्नधान्य मिळेनासे झाले.
12“जब याकूब सुनेस कि मिस्र मँ अनाज अहइ, तउ उ हमरे पूर्वजन क हुवाँ पठएस इ पहिला मौका रहा।
12जेव्हा याकोबाने ऐकले की, इजिप्त देशामध्ये धान्य आहे, त्याने आपल्या पूर्वजांना तिथे पाठविले, ही पहिली वेळ होती.
13ओनकइ दूसर जात्रा क मौका पइ यूसुक आपन भाइयन क बारे़ मँ बताएस अउर तब्बइ फिरौन क भी यूसुफ क परिवार क जानकारी मिली।
13ते दुसऱ्या वेळी आले तेव्हा योसेफाने आपली ओळख त्यांना करुन दिली. आणि फारो राजाला योसेफाच्या कुटुंबाची माहिती झाली.
14तउ यूसुक आपन पिता याकूब अउर परिवार क सबहि लोगन्क, जउऩ कुल मिलाइके पचहतन रहेन, बोलवाइ पठएस।
14मग योसेफाने काही लोकांना आपल्या वडिलांना, आणि त्याच्या कुटुंबातील पंच्याहतर लोकांना इजिप्त येथे. बोलावण्यासाठी पाठविले.
15तब याकूब मिस्र आइ गवा अउर उ हुवाँ वइसे ही प्राण तजेस जइसेन हमार पूर्वजन हुवाँ प्राण तजे रहेन।
15मग याकोब इजिप्त देशात गेला आणि तो व आपले पूर्वज तेथेच मरण पावले.
16ओनकइ ल्हास हुवाँ स सेकम लइ जावा गएन जहाँ ओनका मकबरा मँ दफनाइ दीन्ह गवा। इ उहइ मकबरा रहा जेका इब्राहीम हमोर क बेटहनन स कछू चान्दी दइके खरीदे रहा।
16नंतर त्यांचे मृतदेह शेखेमला नेण्यात आले व तेथेच त्यांना पुरण्यात आले. अब्राहामाने शेखेम येथे हामोराच्या पुत्रांना पुरेपूर मोबदला देऊन विकत घेतलेल्या कबरीत त्यांना पुरण्यात आले.
17“जब परमेस्सर क इब्राहीम क जउन बचन दिहे रहा, ओका पूरा होइ क समइ नगिचे आवा तउ मिस्र मँ हमरे मनइयन क गनती बहोत जिआदा होइ गइ।
17देवाने अब्राहामाला दिलेले वचन पुरे होण्याची वेळ जसजशी जवळ येऊ लागली, तसतशी इजिप्त देशातील आपल्या लोकांची संख्या वाढू लागली.
18आखिर मँ मिस्र प एक अइसे राजा क राज्य भवा जउऩ यूसुफ क नाहीं जानत रहा।
18शेवटी, ज्या राजाला योसेफाची माहिती नव्हती, असा राजा इजिप्तवर राज्य करु लागला.
19उ हमरे मनइयन क छलेस अउर उ हमरे पूर्वजन क निर्दय होइके मजबूर किहेस कि उ पचे आपन गदेलन क बाहेर मरइ क छोरि देइँ जेहसे उ सबइ जिन्दा न रहि पावइँ।
19त्या (नवीन) राजाने फार हुशारीने आपल्या लोकांचा फायदा घेतला. तो आपल्या लोकांशी फार निर्दयतेने वागू लागला, तो त्यांच्या बालकांना घराबाहेर टाकून देण्यास भाग पाडू लागला. ती बालके जिवंत राहू नयेत हा त्याचा हेतु होता.
20“उहइ समइ मूसा क जन्म भवा। उ बहोत सुन्नर लरिका रहा। उ तीन महीना भर आपन पिता क घर मँ पलत भवा बाढ़त रहा।
20त्या काळात मोशेचा जन्म झाला. आणि तो (देवाच्या नजरेत) फार सुंदर बालक होता. तीन महिन्यांपर्यंत त्याच्या वडिलांच्या घरात वाढला.
21फिन जब ओका बाहेर छोरि दीन्ह गवा तउ फिरौन क बिटिया ओका आपन बेटवा बनइके उठाइ लइ गइ। उ आपन बेटवा क नाई ओका पालेस पोसेस।
21आणि जेव्हा त्याला घराबाहेर ठेवण्यात आले तेव्हा फारोच्या कन्येने त्याला घेतले. तिने त्याला आपल्या मुलासारख वाढवल.
22मूसा क पूरंपूर मिस्रयन क ग्यान क सिच्छा दीन्ह गइ। ओकर सामर्थ बोलइ अउर कामे मँ दुइनउँ मँ रहा।
22इजिप्तच्या लोकांनी त्याला सर्व प्रकारच्या ज्ञानात सुशिक्षित केले. तसेच तो बोलण्यात व कृतीत भारदस्त झाला.
23“जब उ चालीस बरिस क भवा तउ उ इस्राएल क बंसज, आपन भाइयन क निअरे जाइके ठान लिहेस।
23“जेव्हा तो चाळीस वर्षांचा झाला, त्याने विचार केला की, आपले बांधव, जे यहूदी लोक त्यांना जाऊन भेटावे,
24तउ जब उ एक दाई लखेस कि ओऩमाँ स कउनो एक क संग बुरा व्यवहार कीन्ह जात अहइ तउ उ ओका बचाएस अउर मिस्री मनई क मारिके उ दलित मनई क कसर लिहेस।
24आणि जेव्हा त्याने आपल्या इस्राएली बांधवांपैकी एकाला वाईट वागविले जाताना पाहिले, तेव्हा त्याने त्या इजिप्तच्या रहिवाश्याला मारले, व आपल्या बांधवाची सुटका केली; छळ केला जाणाऱ्या यहूदी मनुष्याच्या वतीने त्याने बदला घेतला.
25उ सोचेस कि ओकर भाई बंधु जान जइहीं कि ओनका छोड़ावइ बरे परमेस्सर ओका बइपरत अहइ। मुला उ पचे ओका नाहीं समझ पाएन।
25देव त्याच्या हातून यहूदी लोकांची सुटका करीत आहे, हे यहूदी लोकांना कळेल असे मोशेला वाटले, परंतु त्यांना ते कळले नाही.
26“दुसरे दिना ओहमाँ स (ओकरे आपन मनइयन मँ स) जब कछू मनई झगड़त रहेन तउ उ ओनकइ निअरे पहोंचा अउर इ कहत भवा ओनमाँ बीच-बचाव करइ लाग, ‘तू पचे आपुस मँ भाई-भाई अहा! एक दूसर क संग बुरा बर्ताव काहे करत अहा?’
26दुसऱ्या दिवशी दोन यहूदी माणसे भांडण करताना मोशेने पाहिली, ते पाहून मोशे त्यांच्यात मध्यस्थी करु लागला. तो त्यांना म्हणाला, ‘पुरुषांनो, तुम्ही एकमेकांचे भाऊ आहात, तुम्ही एकमेकांशी का भांडत आहात?’
27मुला उ मनई जउन आपन पड़ोसी क संग झगड़त रहा, मूसा क धकियावत भवा कहेस, ‘तोहका हमार राजा अउर न्यायाधीस के बनएस?
27परंतु जो मनुष्य आपल्या शेजाऱ्याशी वाईट रीतीने वागत होता, त्याने मोशेला एका बाजूला सारुन म्हटले, ‘आमच्यावर अधिकार गाजवायला आणि आमचा न्यायनिवाडा करायला तुला कोणी नेमिले?
28जइसे काल्ह तू उ मिस्रि क हत्या कइ दिहे रहा, का तू वइसे ही मोका मारि डावा चाहत ह?
28काल तू त्या इजिप्तच्या माणसाला ठार मारलेस; तसाच माझाही जीव घेण्याचे तुइया मनात आहे का?’
29मूसा जब इ सुनेस तउ उ हुवाँ स चला गवा अउर मिदयान मँ एक पड़ोसी क रूप मँ रहइ लाग। हुवाँ ओकरे दुइ बेटवा भएन।
29‘जेव्हा मोशेने त्याला हे बोलताना ऐकले, तेव्हा तो इजिप्त सोडून पळून गेला. आणि मिद्यान्यांच्या देशात उपरी म्हणून राहू लागला आणि तेथेच त्याला दोन मुलगे झाले,
30“चालीस बरिस बीते क पाछे सिनाई पहाड़े क लगे रेगिस्तान मँ एक बरत भइ झाड़ी क लपट क बीच ओकरे समन्वा एक सरगदूत परगट भवा।
30चाळीस वर्षांनंतर मोशे सीनाय पर्वताजवळच्या वाळवंटात होता. एका जळणाऱ्या झुडपांत मोशेला देवदूताचे दर्शन झाले.
31मूसा जब इ लखेस तउ ओका अचरज भवा। जब अउर जिआदा नगिचे स लखइ बरे उ ओकरे लगे गवा तउ ओका पर्भू क बाणी सुनई पड़ी।
31जेव्हा मोशेने हे पाहिले तेव्हा तो आश्चर्यचकित झाला. नीट पाहता यावे म्हणून तो त्या जळत्या झुडपाजवळ गेला. मोशेने एक वाणी ऐकली, तो आवाज प्रभूचा होता.
32मइँ तोहरे पूर्वजन क परमेस्सर हउँ इब्राहीम, इसहाक अउर याकूब क परमेस्सर हउँ।’ डर स कँपकँपात भवा मूसा कछू निहारइ क हिम्मत नाहीं कइ पावत रहा।
32प्रभु म्हणाला, ‘मी तुझ्या वाडवडिलांचा देव आहे - अब्राहाम, इसहाक, याकोब यांचा देव आहे.’ मोशे भीतीने थरथर कापू लागला. डोळे वर करुन पाहण्याचे धाडस त्याला होईना.
33“तबहि पर्भू ओसे कहेस, ‘आपन गोड़वा क पनही उतार द्या काहेकि जउने ठउर प तू खड़ा अहा, उ पवित्तर भुइँया अहइ।
33देव त्याला म्हणाला, ‘तुझ्या पायातील वहाणा काढ! कारण ज्या जागेवर तू उभा आहेस ती जागा पवित्र आहे.
34मइँ मिस्र मँ आपन मनइयन क संग दुर्दसा क लखेउँ ह, परखेउँ ह। मइँ ओनका जोर स विलाप करत भवा सुनेउँ ह। ओनका अजाद करइ बरे नीचे उतरेउँ ह। आवा, अब मइँ तोहका मिस्र पठउब।’
34माझ्या लोकांचा इजिप्त देशात होणारा छळ मी पाहिला आहे. आणि त्यांचे विव्हळ्णे माझ्या कानी आले आहे. म्हणून त्यांची सुटका करण्यास मी खाली आलो आहे. आता ये, मी तुला परत इजिप्त देशाला पाठवीत आहे.’
35“इ उहइ मूसा अहइ जेका उ पचे इ कहत भवा नकारेन, ‘तोहका राजा अउर न्यायकर्ता कउन बनाएस ह?’ इ उहइ अहइ जेका परमेस्सर उ सरगदूत क जरिये, जउन ओकरे बरे झाड़ी मँ परगट भवा रहा, राजा अउर मुक्ति देइवाला होइ बरे पठएस।
35“मोशे हाच तो मनुष्य होता, ज्याला यहूदी लोकांनी नाकारले. ‘तुला कोणी आमच्यावर अधिकार गाजवायला आणि न्याय करायला निवडले आहे काय?’ असे ते त्याला म्हणाले. मोशे हाच मनुष्य आहे की ज्याला देवाने शासनकर्ता व तारणारा म्हणून पाठविले. देवाने मोशेला देवदूताच्या मदतीने पाठविले. याच देवदूताला मोशेने जळत्या झुडपात पाहिले होते.
36उ ओनका मिस्र क भुइँया अउर लाल सागर अउर रगिस्ताने मँ चालीस बरिस ताई बहुत अचरज कारजन करत भवा अउर अद्भुत चीन्हन दखॅावत भवा बाहेर निकारी लइ आवा।
36म्हणून मोशेने लोकांना बाहेर काढले. त्याने सामर्थ्यशाली कृत्ये व चमत्कार केले. मोशेने ह्या गोष्टी इजिप्तमध्ये, तांबड्या समुद्राजवळ, आणि वाळवंटात चाळीस वर्षे केल्या.
37“इ उहइ मूसा अहइ जउन इस्राएल क लोगन स कहे रहा, ‘तोहरे भाइयन मँ स ही तोहरे बरे परमेस्सर एक मोरे जइसा नबी पठइ।’
37हा तोच मोशे आहे, ज्याने यहूदी लोकांना असे म्हटले: ‘देव तुम्हाला एक भविष्यवादी देईल. तो भविष्यवादी तुमच्याच लोकांमधून येईल. तो माइयासारखाच भविष्यवादी असेल’
38इ उहइ अहइ जउन वीरान जगह मँ सभा क बीच हमार पूर्वजन अउर उ सरगदूत क साथे मौजूद रहा जउन सीनै पहाड़े प ओसे बात किहेस। मूसा परमेस्सर स जीवित बचन पाएस जउन हमका जिन्नगी देत हीं।
38जो अरण्यात यहूद्दांबरोबर होता, सीनाय पर्वतावर आपणाबरोबर बोलणाऱ्या देवदूताबरोबर व आपल्या वाडवडीलांबरोबर होता ज्याला आम्हास देण्यासठी जीवनदायी वचने मिळाली होती, तोच हा मोशे होय,
39“मुला हमार पूर्वजन ओका मानइ स इनकार कइ दिहेन। ऍतना ही नाहीं, उ पचे ओका नकार दिहन अउर आपन मने मँ फिन उ पचे मिस्र लौटि गएन।
39“परंतु आपले वाडवडील त्याचे ऐकायला तयार नव्हते. त्यांनी त्याचे ऐकले नाही. आणि त्यांनी त्याला नाकारले. त्यांची मने इजिप्त देशाकडे परत ओढ घेऊ लागली.
40उ पचे हारून स कहे रहेन, ‘हमरे बरे अइसे देवतन क बनावा जउन हम पचन्क राह सोझॉवइ। इ मूसा क बारे मँ जउऩ मिस्र स बाहेर निकारा गवा रहा, हम नाहीं जानित कि ओकरे संग का कछू घटा।’
40आपले वाडवडील अहरोनाला म्हणाले, ‘आमच्यापुढे चालतील असे देव आमच्यासाठी तयार कर. कारण इजिप्त देशातून काढून आम्हांला बाहेर घेऊन येणारा हा मोशे, त्याचे काय झाले हे आम्हांला माहीत नाही’.
41ओनही दिनन मँ उ पचे बछवा क तरह एक ठु मूरत गढ़ेन। उ मूरत प उ सबइ बलि चढ़ाएन। अउर जेका उ पचे आपन हाथे स चढ़ाएन, ओह पइ आनन्द मनावइ लागेन।
41त्यांनी याच काळात वासरासारखी दिसणारी एक मूर्ती तयार केली आणि त्या मूर्तीला अर्पणे सादर केली. आपल्या हातांनी घडविलेल्या या मूर्तीपुढे त्यांनी आनंदोत्सव साजरा केला!
42मुला परमेस्सर ओनसे मुँहना मोड़ि लिहस। उ सबन्क अकासे क ग्रह-नछत्र क आराधना करइ बरे छोड़ दीन्ह गवा। जइसा कि नबियन क किताबे मँ लिखा अहइ: ‘ओ इस्राएल क परिवारे क लोगो, का तू पसु बलि अउर दूसर बलि वीरान मँ मोका नाहीं चढ़ावत रहूया? चालीस बरिस तलक।
42पण देवाने त्या लोकांकडे पाठ फिरविली आणि आकाशातील समूहांची (तारे, नक्षत्र, अशा खोट्या देवांची) भक्ति करीत राहण्यासाठी मोकळे सोडले. कारण भविष्याद्यांच्या पुस्तकात असे लिहिले आहे:देव म्हणतो, ‘अहो यहूदी लोकांनो, तुम्ही वधलेल्या पशूंची अर्पणे मला आणली नाहीत, रानातील चाळीस वर्षांत.
43तू पचे मोलेक क तम्बू अउर आपन देक्ता रिफान क तारा भी आपन संग लइ गवा रहे। ओन मूरत क भी लइ गवा रहे। ओन मूरत क भी लइ गवा रहे जेनका तू पचे आराधना करइ बरे बनए रह्या। यह बरे मइँ तोहका बेबिलान स भी परे पठउब।’ आमोस 5:25-27
43तुम्ही तुमच्याबरोबर मोलेखासाठी तंबू (उपासनेचे स्थळ) आणि तुमचा देव रेफान यासाठी तान्यांच्या मूर्ती नेल्यात या मूर्ती तुम्ही केल्या यासाठी की तुम्हांला उपासना करता यावी म्हणून मी तुम्हांला दूर बाबेलोनपलीकडे पाठवीन’ आमोस 5:24-27
44“पवित्तर क तम्बू भी उ वीरान मँ हमरे पूर्वजन क संग रहा। इ तम्बू उहइ नमूने प भी बनवा ग रहा जइसा कि मूसा लखे रहा अउर जइसा कि मूसा स बात करवइया बनावइ बरे ओसे कहे रहा।
44“अरण्यात आपल्या वाडवडिलांच्या बरोबर साक्षीदाखल देवाचा तंबू होता. देवाने तो जसा बनविण्यास सांगितले त्याप्रमाणे व देवाने दाखविलेल्या नमुन्याप्रमाणे मोशेने तो बनविला.
45हमार पूर्वजन ओका पाइके तबहिं हुवाँ स आए रहेन जब यहोसू क अगुअइ मँ उ पचे उ राष्ट्रन स धरती लइ लिहे रहेन जेनका हमरे पूर्वजन क समन्वा परमेस्सर निकारिके खदेरे रहा। दाऊद क समइ तलक हुवाँ उ रहा।
45नंतर यहोशवाने आपल्या वाडवडिलांचे नेतृत्व करुन इतर देशांच्या जमिनी काबिज केल्या. ती राष्टे परमेश्वरानेे आमच्या पुढून घालविली. जेव्हा आपले लोक या नवीन प्रदेशात गेले तेव्हा हाच तंबू त्यांनी सोबत नेला. आमच्या लोकांना हा तंबू त्यांच्या वाडवडिलांकडून मिळाला व आपल्या पूर्वजांनी दावीदाच्या काळापर्यंत तो ठेवला.
46दाऊद परमेस्सर क अहुग्रह क आनन्द उठाएस। उ चाहत रहा कि उ याकूब क परमेस्सर बरे एक ठु मंदिर बनवाइ सकइ।
46दावीद देवाच्या मर्जीचा असल्याने, याकोबाच्या देवासाठी मंदीर बांधण्याची इच्छा त्याने दर्शविली.
47मुला उ सुलेमान ही रहा जउन ओकरे बरे मंदिर बनवाएस।
47परंतु देवाचे मंदिर शलमोनाने बांधले.
48“कछू भी होइ परम परमेस्सर हथवा स बना भवन मँ निवास नाहीं करत। जइसा कि नबी कहे अहइ:
48“कारण सर्वेच्च देव मनुष्यांनी त्यांच्या हातांनी बांधलेल्या घरात राहत नाही. भविष्यवादी असे लिहितात:
49‘प्रभू कहेस, सरग मोर सिंहासन अहइ धरती गोड़वा क चौकी बनी अहइ। कउने तरह क तू बनउब्या मोर घर? अहइ कहूँ अइसी जगह, जहाँ अराम पावउँ?
49‘प्रभु म्हणतो, स्वर्ग माझे सिंहासन आहे. पृथ्वी ही माझे पाय ठेवण्याचे आसन आहे. तुम्ही माइयासाठी कसले घर बांधू शकता? मला विश्रांती घेण्यासाठी दुसऱ्या ठिकाणाची गरज नाही.
50का सबहिं कछू इ, मोर बनवा नाहीं रहा हाथे का?”‘ यसायाह 66:1-2
50माझ्या हातांनी या सर्व गोष्टी केल्या नाहीत काय?’ यशया 66:1-2
51“अरे हठीले लोग बिना खतना क मन अउर कान वाले जिद्दी मनइयन, तू पचे सदा पवित्तर आतिमा क खिलाफत किहे ह। तू सबइ आपन पूर्वजन जइसा ही अहा!
51“तुम्ही जे ताठ मानेचे लोक आहात त्या तुमची मने व कान विदेशी लोकांसारखी असून तुम्ही नेहमीच पवित्र आत्म्याला आपल्या पूर्वजांप्रमाणेच नाकारीत आला आहात.
52का कउनो भी अइसा नबी रहा, जेका तोहार पूर्वजन नाहीं सताएन? उ पचे तउ ओनका मारि डाए रह्या। जउन बहोत पहिले स ही उ धर्मी (मसीह) क अवाई क एलान कइ दिहे रहेन, जेका अब तू धोखा दइके पकड़वाइ दिहा अउर मरवाइ डाया।
52तुमच्या वाडवडिलांनी छळ केला नाही, असा कोणी एखादा भविष्यवादी होऊन गेला काय? एक धार्मिक (रिव्रस्त) येणार अशी घोषणा करणाऱ्यांचा त्यांनी वध केला. आणि आता तर तुम्ही त्याचा ही (रिव्रस्ताचा) विश्वासघात व खून केलात.
53तू सबइ उहइ अहा जउन सरगदूतन क जरिये दीन्ह गवा व्यवस्था क तउ पाइ लिहा मुला ओह पइ चल्या नाहीं!”
53तुम्हीच लोक आहात, ज्यांना नियमशास्त्र मिळाले. देवाने हे नियमशास्त्र देवदूतांकरवी दिले. परंतु तुम्ही ते पाळीत नाही!”
54जब उ सबइ इ सुनेन तउ उ पचे किरोध स पगलाइ गएन अउर स्तिफनुस पर दाँत पीसइ लागेन।
54यहूदी लोकांनी स्तेफनाला हे बोलताला ऐकले व त्यांना फार राग आला, ते त्याच्याविरुद्ध दातओठ खाऊ लागले.
55मुला पवित्तर आतिमा स भरा स्तिफनुस सरगे कइँती लखत रहा। उ निहारेस परमेस्सर क महिमा क अउर परमेस्सर क दाहिन कइँती खड़ा भवा ईसू क।
55परंतु स्तेफन पवित्र आत्म्याने भरलेला होता. त्याने आपली नजर वर स्वर्गाकडे लावली. देवाचा गौरव त्याने पाहिला. त्याने येशूला देवाच्या उजवीकडे उभे असलेले पाहिले.
56तउ उ कहेस, “लखा! मइँ लखत हउँ कि सरग खुला भवा अहइ अउर मनई क पूत परमेस्सर क दाहिन कइँती खड़ा बा!”
56तो म्हणाला, “पहा! स्वर्ग उघडलेला मला दिसत आहे. व मी मनुष्याच्या पुत्राला देवाच्या उजवीकडे उभा असलेला पाहत आह!”
57एह पइ उ पचे चिचिआत भवा आपन कान ढाँपि लिहेन अउर फिन उ सबइ एक संग टूट पड़ेन।
57स्तेफनाचे हे शब्द ऐकून यहूदी मोठ्याने ओरडले. त्यांनी आपले कान स्वत;च्या हातांनी झाकून घेतले. नंतर ते सर्व मिळून स्तेफनावर धावून गेले.
58उ सबइ ओका घेरर्ावत भए सहर स बाहेर लइ गएन अउर ओहॅ पइ पाथर बरसावइ लागेन। तबहिं गवाह लोग आपन ओढ़ना उतारि के साऊल ऩाउँ क एक ठु जवान क गोड़े प धइ दिहेन।
58त्यानी स्तेफनाला धरुन ओढीत शहराच्या बाहेर नेले व त्याला दगडमार करु लागले. जे साक्षी होते, त्यांनी आपले कपडे शौल नावाच्या एका तरुण मनुष्यापाशी ठेवले होते.
59स्तिफनुस प जब स उ पचे पाथर बरसाउब सुरू किहेन, उ इ कहत भवा पराथना करत रहा, “पर्भू ईसू, मोर आतिमा क ग्रहण करा।”
59ते स्तेफनावर दगडमार करीत असताना तो मोठ्याने प्रार्थना करीत म्हणाला, “हे प्रभु येशू, माइया आत्म्याचा स्वीकार कर!”
60फिन उ घुटना क बल भइराइ गवाँ अउर ऊँचि अवाजे मँ चिल्लान, “पर्भू, इ पाप क ओनकइ खिलाफ जिन ल्या!” ऍतना कहिके उ हमेसा क नींद मँ सोइ गवा।
60नंतर स्तेफनाने आपले गुडघे टेकले व मोठ्याने ओरडून म्हणाला, “प्रभु, यांचे हे करणे त्यांच्या माथी पाप असे मानू नको!” असे बोलून त्याने प्राण सोडला.