1बहोत स मनई हमरे बीच होइजाइ वाली घाटना क ब्यौरा लिखइ क कोसिस करेन ह।
1पुष्कळ लोकांनी आमच्यामध्ये घडलेल्या ऐतिहासिक घटनांची नोंद करण्याचा प्रयत्न केला.
2उहइ बातन हमका उ सबइ मनइयन क जरिये जान पड़िन जउन उ पचे सुरुआत स घटत देखेन अउर जउन सुसमासार क प्रचार करत रहेन।
2त्यांनी त्याच गोष्टी लिहिल्या ज्या आम्हांला काही इतर लोकांकडून समजल्या होत्या-या लोकांनी त्या गोष्टी सुरुवातीपासून पाहिल्या होत्या आणि देवाचा संदेश लोकांना सांगून त्याची सेवा केली होती.
3हे मान्यवर थियुफिलुस! काहेकि मइँ सुरुआत स सब कछू होसियारी स पढ़ेउँ ह। एह बरे मोका इ नीक जान पड़त ह कि तोहरे बरे एक ठु एक क बाद एक एक घटना क लिखेउँ।
3थियफिला महाराज, सुरुवातीपासून या सगळ्या गोष्टींचा काळजीपूर्वक अभ्यास मी केला आहे, म्हणून मला असे वाटले की, या सर्व घटनांविषयी आपणांला व्यवस्थित माहिती लिहावी.
4जेसे तू सब इन बातन क बेफिकिर होइके जान ल्या जउन तोहका सिखाइ ग अहइँ।
4हे मी यासाठी लिहित आहे की, जे काही तुम्हांला शिकविण्यात आले ते खरे आहे, हे तुम्हांला समजावे.
5उ समइया मँ जब यहूदिया प हेरोदेस क राज्य रहा। हुवाँ जकरयाह नाउँ क एक याजक रहत रहा। जउन याजकन क अबिय्याह दल क रहा अउर ओकर पत्नी इलीसिबा हारून बंस क रही।
5यहूदीयाचा राजा हेरोद याच्या दिवसांत, जखऱ्या नावाचा एक याजक होता. तो अबीयाच्या याजककुळातील होता. त्याला एक पत्नी होती, ती अहरोनाच्या वंशातील कन्यांपैकी होती. तिचे नाव अलीशिबा होते.
6उ दुइनउँ परमेस्सर क निगाह मँ धर्मी रहेन। उ पचे बिना कउनो दोख क पर्भू क सबइ हुकुमन अउर बिधानन क पालन करत रहेन।
6दोघेही देवाच्या दृष्टीने धार्मिक होते आणि प्रभूच्या आज्ञा व विधी पाळण्यात काटेकोर होते.
7मुला ओनके कउनो संतान नाहीं रही, काहेकि इलीसिबा बाँझ रही अउर उ दुइनउँ बहोत बुढ़वा होइ ग रहेन।
7परंतु त्यांना मूल नव्हते कारण अलीशिबा वांझ होती. आणि शिवाय दोघेही फार म्हातारे झाले होते.
8जब जकरयाह क आपन दले क मन्दिर मँ याजक क काम खातिर बारी आइ, अउर उ परमेस्सर क समन्वा आराधना बरे हाजिर भवा।
8जेव्हा जख जखऱ्याच्या गटाची मंदिरात सेवा करण्याची वेळ आली आणि त्यावेळी तो तेथे देवाचा याजक म्हणून सेवा करीत होता,
9तउ याजकन मँ चली भइ रीति रिवाजे क तरह पर्ची डाइके ओका चुना गवा कि उ पर्भू क मन्दिर जाइके धूप जरावइ।
9याजकांच्या प्रथेप्रमाणे संमदिरात देवापुढे धूप जाळण्यासाठी चिठ्ठ्या टाकून त्याची निवड करण्यात आली.
10जब धूप जरावइ क समइ आइ तउ बाहेर ऍकट्ठा भवा मनई पराथना करत रहेन।
10जेव्हा धूप जाळण्याच्या वेळी सर्वजण बाहेर जमून प्रार्थना करीत होते,
11उहइ समइया जकरयाह क समन्वा एक ठु पर्भू का दूत परगट भवा। उ दूत धूप क वेदी क दाहिन कइँती खड़ा रहा।
11तेव्हा देवाच्या दूताने त्याला दर्शन दिले. देवदूत धूप जाळण्याच्या वेदीच्या उजव्या बाजूला उभा होता.
12जकरयाह जइसे उ दूत क निहारेस तउ उ घबराइ गवा अउर डर जइसे ओका जकड़ि लिहस।
12जेव्हा जखऱ्याने त्याला पाहिले तेव्हा तो अस्वस्थ झाला, आणि त्याला भीति वाटली.
13फिन सरगदूत ओसे कहेस, “जकरयाह जिन डेराअ, तोहार पराथना सुनि लीन्ह गइ अहइ। एह बरे तोहार पत्नी इलीसिबा एक बेटवा क जनम देई, अउर तू ओकर नाउँ यूहन्ना धर्या।
13देवदूत त्याला म्हणाला, “जखऱ्या, भिऊ नको, कारण तुझी प्रार्थना ऐकण्यात आली आहे, आणि तुझी पत्नी अलीशिबा इजपासून तुला मुलगा होईल. तू त्याचे नाव योहान ठेव.
14उ तोहका आनंद अउर खुसी देइ, साथे ओकरे जनम स अउर भी बहोत स मनइयन क खुसी होई।
14तो तुला आनंद आणि सुख देईल. त्याचा जन्म होईल तेव्हा पुष्कळ लोक आनंदित होतील.
15काहेकि उ पर्भू क निगाहे मँ महान होई। उ कबहुँ कउनो दाखरस या कउनो मदिरा क न पिई। आपन जन्म स पवित्तर आतिमा स भरपूर होई।
15देवाच्या दृष्टीने तो महान होईल. त्याने कोणतेही कडक पेय किंवा मद्य पिऊ नये. आणि तो आईच्या गर्भात असल्यापासूनच पवित्र आत्म्याने भरलेला असेल.
16उ इस्राएल क बहोतन मनइयन क ओनकइ पर्भू परमेस्सर कइँती लौटइ बरे फेरी।
16आणि तो पुष्कळ इस्राएल लोकांना प्रभु त्यांचा देव याच्याकडे वळविण्यास कारणीभूत ठरेल.
17उ एलिय्याह क आतिमा अउर सामर्थ मँ होइके परभू क अगवा अगवा चली। उ बापन क हिरदय ओनके संताने कइँती मोड़ देइ अउर आज्ञा न मानइवालन क मने क बदल देइ जेहसे उ पचे धर्मी मनइयन क नाई सोचइ लागइ। इ सबइ, उ मनइयन क पर्भू बरे तइयार करइ क करी।”
17योहान स्वत: देवापुढे चालेल, तो एलीयाप्रमाणे समर्थ होईल. एलीयाला जो आत्मा होता, तोच त्याला असेल. तो वडिलांची अंत:करणे त्याच्या मुलांकडे वळवील. आज्ञा न मानणाऱ्यांना तो धार्मिकतेकडे नेईल. प्रभुसाठी लोकांना तयार करण्यासाठी तो या गोष्टी करील.”
18तबहीं जकरयाह दूत स कहेस, “मइँ इ कइसे जान लेउँ कि इ सच अहइ? काहेकि मइँ एक बुढ़वा हउँ अउर मोर पत्नी बुढ़िया होइ ग अहइ।”
18मग जखऱ्या देवदूताला म्हणाला, “हे खरे आहे हे मला कसे समजेल? कारण मी वृद्ध मनुष्य आहे, आणि माझी पत्नीसुद्धा वृद्ध झाली आहे.”
19तबहिं सरगदूत जवाब देत ओसे कहेस, “मइँ जिब्राईल हउँ। मइँ उहइ हउँ जउन परमेस्सर क अगवा खड़ा रहत हउँ। मोका तोसे बात करइ अउर इ सुसमाचार क बतावइ बरे पठवा ग अहइ।
19आणि देवदूताने उत्तर दिले. तो म्हणाला, “मी गब्रीएल आहे. मी देवाच्या समक्षतेमध्ये उभा राहतो. आणि मला तुझ्याशी बोलायला व तुला ही सुवार्ता सांगायला पाठविण्यात आले आहे.
20मुला देखा, काहेकि तू मोरे सब्दन प, जउन निस्चित समइ क आइ प सच सिद्ध होइहीं, बिसवास नाहीं किहा, यह बरे तू गूँगा होइ जाब्या अउर उ दिना तलक नाहीं बोल पउब्या जबहिं ताई इ घटित न होइ जाइ।”
20पण हे लक्षात ठेव, तू मुका राहशील. हे घडेपर्यंत तुला बोलता येणार नाही. कारण माझे शब्द जे योग्य वेळी खरे ठरणार आहेत त्या माझ्या शब्दांवर तू विश्वास ठेवला नाहीस.”
21ओहर बाहेर मनई जकरयाह क इंतजार करत रहेन। ओकना अचरज भवा कि उ ऍतनी देर मन्दिर मँ काहे ठहर गवा।
21लोक जखऱ्याची वाट पाहत होते, आणि तो मंदिरात इतका वेळ का राहिला याचे त्यांना नवल वाटत होते.
22फिन जब उ बाहेर आवा अहइ तउ उ ओनसे बोल नाहीं पावत रहा। ओनका इ लाग कि जइसे मन्दिर क भीतर कउनो दर्सन होइ गवा अहइ। उ गूँगा होइ ग अउर सिरिफ इसारा करत रहा।
22जेव्हा तो बाहेर आला तेव्हा त्याला त्यांच्याशी बोलता येईना. मग त्यांना जाणीव झाली की, मंदिरात त्याने दृष्टान्त पाहिला आहे. तो त्यांना खुणा करीत होता परंतु बोलू शकत नव्हता.
23अउर फिन अइसा भवा कि जब ओकर आराधना क काम होइ गवा तउ जकरयाह वापस आपन घर लौटि गवा।
23मग असे झाले की, त्याच्या सेवेचा कालावधि संपल्यानंतर तो घरी गेला.
24थोड़े दिना बाद ओकर पत्नी इलीसिवा गर्भवती भइ। पाँच महीना तलक उ सबन स अलगइ रही। उ कहेस,
24काही काळानंतर त्याची पत्नी अलीशिबा गरोदर राहिली. आणि पाच महिने तिने स्वत: एकांतवास पत्करला. ती म्हणाली,
25“अब आखिर मँ जाइके इ तरह पर्भू मोर मदद करेस ह। मनइयन क बीच मोर लाज राखइ बरे उ मोर सुधि लिहस ह।”
25“शेवटी आता प्रभुने मला या मार्गाने मदत केली आहे. लोकांमध्ये माझी लाज राखण्यासाठी त्याने माझी पुष्कळ काळजी घेतली.”
26[This verse may not be a part of this translation]
26अलीशिबाच्या सहाव्या महिन्यात, देवाने गब्रीएल दूताला गालीलातील नासरेथ गावी पाठविले.
27[This verse may not be a part of this translation]
27योसेफ नावाच्या मनुष्याशी ज्या कुमारीची मागणी झाली होती, तिच्याकडे गब्रीएलाला पाठविण्यात आले. योसेफ हा दाविदाच्या घराण्यातील होता. तिचे नाव मरीया होते.
28जिब्राईल ओकरे लगे आइ अउर कहेस, “तोह पइ अनुग्रह भइ अहइ, तोहार जय होइ। पर्भू तोहरे संग बा।”
28गब्रीएल तिच्याकडे आला आणि म्हणाला, “अभिवादन! तुझ्यावर कृपा झालेली आहे. प्रभु तुझ्याबरोबर आहे.”
29इ बचन सुनिके उ बहोत घबरान, उ सोच मँ पड़ि गइ, “एकर का अरथ होइ सकत ह”
29परंतु या शब्दांनी ती अस्वस्थ झाली, आणि या अभिवादनाचा अर्थ काय असावा याचे ती नवल करु लागली.
30तब सरगदूत ओसे कहेस, “मरियम तू जिन डेराअ, तोसे परमेस्सर खुस अहइ।
30देवदूत तिला म्हणाला, “मरीये, भिऊ नकोस, देवाने तुझ्यावर कृपा केली आहे.
31सुना! तू गोड़वा स भारी होब्या अउर एक पूत क जनम देबू अउर ओकर नाउँ ईसू रखबिउ।
31ऐक! तू गरोदर राहशील, आणि तुला मुलगा होईल, त्याचे नाव तू येशू ठेव.
32उ महान होई अउर उ सबन त सर्वोच्च (परमेस्सर) क पूत कहवावा जाई। पर्भू परमेस्सर ओका ओकरे बाप दाऊद क सिंहासन दइ देई।
32तो महान होईल व त्याला सर्वोच्य देवाचा पुत्र म्हणतील. आणि प्रभु देव त्याला त्याचा पिता दावीद याचे सिंहासन देईल.
33उ अनन्त समइया ताई याकूब क घराने प राज करी। ओकर राज्य क नास कबहुँ न होई।”
33याकोबाच्या घराण्यावर सर्वकाळासाठी तो सत्ता चालवील त्याच्या राज्याचा कधीही अंत होणार नाही.”
34एह पइ मरियम सरगदूत स कहेस, “इ सच कइसे होइ सकत ह काहेकि मइँ तउ अबहँू कुँवारी हउँ।”
34तेव्हा मरीया दूताला म्हणाली, “मी कुमारी असल्याने हे असे कसे घडेल?”
35जवाबे मँ सरगदूत ओसे कहेस, “तोहरे लगे पवित्तर आतिमा आई अउर सर्वोच्च (परमेस्सर) क सक्ती तोहका आपन परिछाहीं मँ लइ लेई। इ तरह उ जनम लेइवाला पवित्तर पूत परमेस्सर क पूत कहवावा जाई।
35देवदूत तिला म्हणाला, “पवित्र आत्मा तुझ्यावर येईल, आणि सर्वोच्च देवाचे सामर्थ्य तुझ्यावर सावली करील. आणि म्हणून जे पवित्र बाळ जन्मास येईल, त्याला देवाचा पुत्र म्हणतील.
36अउर इ भी सुनि ल्या कि तोहरे कुनबा क इलीसिबा क कुनबे मँ बुढ़ौती क गरभ मँ एक बेटवा अहइ अउर ओकरे कोखी क इ छठा महीना चलत बा। लोग कहत रहेन कि उ बाँझ वा!
36आणि याकडे लक्ष दे: तुझी नातेवाईक अलीशिबा जरी वांझ असली तरी तीसुद्धा गरोदर आहे व तिच्या पोटी पुत्र आहे. आणि ज्या स्त्रीला ते म्हणाले की तुला मूल होणार नाही तिला आता सहावा महिना आहे!
37मुला परमेस्सर बरे कछू न होइ सकइ, अइसा नाहीं!”
37कारण देवाला कोणतीही गोष्ट अशक्य नाही.”
38मरियम कहेस, “मइँ पर्भू क दासी हउँ जइसा तू मोरे बरे कह्या ह, वइसा ही होइ!” अउर तब उ सरगदूत ओकरे लगे स चला गवा।
38मरीया म्हणाली, “मी प्रभूची दासी आहे, आपण म्हणालात तसे माझ्याबाबतीत घडो.” मग देवदूत तिला सोडून गेला.
39उहइ समइया मरियम तइयार होइके यहूदिया क पहाड़ी पहँटा मँ बसा एक ठु सहर क फउरन चली गइ।
39त्याच वेळी मरीया तयार झाली आणि लगेच यहूदीयाच्या डोंगराळ भागातील एका गावी गेली.
40फिन उ जकरयाह क घरे गइ अउर उ इलीसिबा क अभिवादन किहेस।
40तिने जखर्ऱ्याच्या घरात प्रवेश केला आणि अलीशिबेला अभिवादन केले.
41इ भवा कि जबइ इलीसिबा मरियम क अभिवादन सुनेस तउ जउन बचवा ओकरे पेटवा मँ रहा, उछरि गवा अउर इलीसिबा पवित्तर आतिमा स सराबोर होइ गइ।
41आणि असे झाले की, जेव्हा अलीशिबेने मरीयेचे अभिवादन ऐकले तेव्हा तिच्या पोटातील बालकाने उडी मारली. आणि अलीशिबा पवित्र आत्म्याने भरुन गेली.
42ऊँची आवाजे मँ चिल्लात भइ उ कहेस, “तू स्त्रियन मँ सबते जिआदा बड़भागी अहा अउर जउने बचवा क तू जनम देबू उ धन्य बा।
42ती मोठ्या आवाजात बोलली, “सर्व स्त्रियांमध्ये तू अधिक धन्य आहेस, तुझ्या पोटचे फळ धन्य आहे.
43मुला इ ऍतनी बड़ी बात मोरे संग काहे घटि गई कि मोरे पर्भू क महतारी मोरे नियरे आइ।
43परंतु माझ्या बाबतीत अशी कोणती गोष्ट घडली की माझ्या प्रभूच्या आईने माझ्याकडे यावे?
44काहेकि तोहरे पैलगी क सब्द जइसेन मोरे कनवा मँ आइ, मोरे पेटवा मँ बचवा खुसी स उछरि गवा।
44कारण तुझ्या अभिवादनाचा आवाज माझ्या कानी पडताक्षणीच, माझ्या पोटातील बाळाने आनंदाने उडी घेतली.
45तू धन्य अहा जउन इ बिसवास किहेस कि पर्भू जउन कछू कहेस उ होइके रही।”
45प्रभूने तुला ज्या गोष्टी घडतील असे सांगितले त्यावर तू विश्वास ठेवलास म्हणून तू धन्य आहेस.”
46तबहीं मरियम कहेस,
46आणि मरीया म्हणाली,
47मोर प्रान पर्भू (परमेस्सर) क स्तुति करत ह: मोर आतिमा मोरे उद्धारकर्ता परमेस्सर मँ खुस भइ।
47“माझा आत्मा प्रभूची स्तुति करतो;माझा आत्मा माझ्या तारणाऱ्या देवामध्ये आनंद करतो.
48उ आपन दीन दास की बिटिया क सुधि लिहेस अउर अब हाँ आजु क बाद सबहिं मोका धन्य कइहीं।
48कारण त्याने त्याच्या नम्र दासीची काळजी वाहिली, होय, येथून पुढे सर्व लोक मला धन्य म्हणतील.
49काहेकि उ सक्तीवाला मोरे बरे बड़कवा कारज किहेस ह। ओकर नाउँ पवित्तर अहइ।
49कारण सर्वमसर्थाने माझ्यासाठी महान कृत्ये केली आहेत, त्याचे नाव पवित्र आहे.
50जउन ओसे डेरात हीं उ ओन पइ पीढ़ी दर पीढ़ी दाया करत ह।
50जे त्याचे भय धरतात, त्यांच्यावर तो पिढ्यानपिढ्या दया करतो.
51उ आपन बाँहन क सक्ती देखाइस। उ घमंडी मनइयन क ओनके डींग हाँकइवालन क बिचारन क छितराइ दिहेस।
51त्याने आपल्या बाहूंनी आपले सामर्थ्य दाखविले; गर्विष्ठ लोकांना त्यांच्या बढाईखोर विचारांसह विखरुन टाकले आहे.
52उ राजन क सिंहासने स तरखाले उतार दिहस। दीनन क ऊँचा उठाएस।
52सत्ताधीशांना त्याने त्यांच्या सिंहासनावरुन खाली आणले आहे, आणि नम्र जनांना त्याने उंच केले आहे.
53उ भुखान मनइयन क नीक चीजे स भरपूर कइ देई अउर धनी लोगन क निकारि देई।
53त्याने भुकेलेल्यांना उत्तम पदार्थांनी समाधान दिले आहे. श्रीमंत लोकांना त्याने रिकामे पाठविले आहे.
54उ आपन सेवकन इस्राएलियन क दाया कइर आवा अउर हमरे पूर्वजन क बचन क मुताबिक।
54त्याचा सेवक जो इस्राएल याला मदत करण्यास तो आला आहे.
55ओका इब्राहीम अउर ओकर संताने प सदा दाया देखॉवइ क याद रही।”
55त्याने आपल्या पूर्वजांना जे अभिवचन दिले होते त्याप्रमाणे अब्राहाम व त्याच्या वंशजांवर दया करण्याचे तो लक्षात ठेवतो.”
56मरियम कउनो तीन महीने ताई इलीसिबा क संग ठहरी रही अउर फिन आपन घरवा लौटि आइ।
56मरीया अलीशिबेबरोबर तीन महीने राहिली, आणि मग ती तिच्या घरी परत गेली.
57फिन इलीसिबा क बचवा पइदा करइ क समइ आइ अउर ओकरे एक बेटवा पइदा भवा।
57अलीशिबेला तिचे मूल होण्याची वेळ आली, तेव्हा तिने एका मुलाला जन्म दिला.
58जब ओकर पड़ोसी अउर ओकर नातेदार सुनेन कि पर्भू ओह प दाया देखाइस ह तउ सबइ साथे मिलिके खुसी मनाएन।
58तिच्या शेजाऱ्यांनी व नातेवाईकांनी ऐकले की, देवाने तिच्यावर मोठी कृपा केली आहे, ते तिच्या आनंदात सहभागी झाले.
59अउर फिन अइसा भवा कि अठवें दिन बचवा क खतना खातिर मनइयन हुवाँ आएन। उ पचे ओकरे बाप क नाउँ क मुताविक ओकर नाउँ जकरयाह धरइ जात हरेन,
59मग असे झाले की, आठव्या दिवशी मुलाची सुंता करण्यासाठी ते आले, ते, त्याच्या बापाचे जे नाव होते तेच म्हणजे जखऱ्या नाव ठेवणार होते.
60“तबहीं ओकरे महतारी बोल पड़ी, “नाहीं एकर नाउँ यूहन्ना रखा जाब अहइ।”
60पण त्याची आई म्हणाली, “नाही, त्याला योहान असे म्हणावे.”
61तब उ पचे ओहसे बोलेन, “तोहरे कउनो भी नातेदार का इ नाउँ नाहीं बा।”
61ते तिला म्हणाले, “तुझ्या कोणत्याच नातेवाईकाचे नाव ते नाही.”
62अउर फिन उ पचे इसारन मँ ओकरे बाप स पूछेन, “उ ओका का नाउँ देइ चाहत ह”
62नंतर त्यांनी त्याच्या वडिलांना खुणेने विचारले, “त्याला कोणते नाव ठेवायचे आहे?”
63एह प जकरयाह ओनसे एक ठु तख्ती माँगेस अउर लिखेस, “एकर नाउँ अहइ यूहन्ना।” एह पइ उ सबइ अचरजे मँ पड़ि गएन।
63त्याने लिहिण्यासाठी पाटी मागितली आणि लिहिले, “त्याचे नाव योहान आहे.” त्या सर्वांना खूपच आश्चर्य वाटले.
64तबहीं फउरन ओकर मुँह खुलि गवा अउर ओकर बाका फूटि गवा। उ बोलइ लाग अउर परमेस्सर क स्तुति करइ लाग।
64लगेच त्याचे तोंड उघडले आणि त्याची जीभ मोकळी झाली, आणि तो बोलू लागला व देवाची स्तुति करु लागला.
65ऍहसे सबइ पड़ोसी डेराइ गएन अउर यहूदिया क समूचइ पहाड़ी पहँटा मँ मनइयन ऍकरे बारे मँ बतियाई लागेन।
65सर्व शेजारी भयभीत झाले आणि यहूदीयाच्या सर्व डोंगराळ प्रदेशात लोक या सर्व गोष्टींबद्दल बोलत होते.
66जउन कउनो भी इ बात सुनेस, अचरजे मँ पड़िके कहइ लागेन, “इ गदेला का बनी?” काहेकि पर्भू क हाथ ओह प अहइ।
66ज्या कोणी हे ऐकले त्या प्रत्येकाने याविषयी नवल केले, ते म्हणाले, “हे मूल पुढे कोण होणार आहे?” कारण देवाचा वरदहस्त त्यांच्यावर होता.
67तब ओकर बाप जकरयाह पवित्तर आतिमा स सराबोर होइ गवा अउर उ भविस्सवाणी किहेस:
67मग त्याचा पिता जखऱ्या पवित्र आत्म्याने भरला गेला, त्याने भविष्यवाणी केली; तो म्हणाला,
68“इस्राएल क पर्भू परमेस्सर क आसीस होइ काहेकि उ आपन मनइयन क मदद बरे आवा अउर ओनका आजाद कराएस।
68प्रभु, इस्राएलाचा देव धन्यवादित असो, कारण तो त्याच्या लोकांना मदत करण्यास, व त्यांना मुक्त करण्यास आला आहे.
69उ हमरे बरे आपन सेवक दाऊद क परिवार स एक उद्धारकर्ता दिहस।
69त्याने आमच्यासाठी आपला सेवक दाविद याच्या घराण्यातून आम्हांला सामर्थ्यशाली तारणारा दिला आहे.
70जइसा कि उ बहोत पहिले आपन पवित्त नबी स वचन देवॉएस।
70देव म्हणाला की, मी असे करीन त्याच्या पवित्र भविष्यवाद्यांकरवी तो हे बोलला व ते फार वर्षां पूर्वी होऊन गेले.
71उ हमका हमार दुस्मनन स अउर ओन सब क हथवन स, जउन हम स घिना करत रहेन, हमका छोड़ावइ क वचन दिहस।
71जे आमचे शत्रु आहेत व जे आमचा द्वेष करतात त्यांच्यापासून मुक्त करण्याचे अभिवचन त्याने आम्हांला दिले.
72हमरे पूर्वजन प दाया देखावइ क अउर आपन पवित्तर बचन क याद रखइ क।
72आमच्या पूर्वजांवर दया दाखविण्यासाठी तो हे करणार आहे. व त्यांच्याशी केलेला पवित्र करार लक्षात ठेवण्यासाठी तो आमचे रक्षण करणार आहे.
73ओकर बचन रहा एक उ सपथ जउन हमरे पूर्वजन इब्राहीम क संग लीन्ह गइ रहिन,
73हा करार एक शपथ होती, जी त्याने आमचा पूर्वज अब्राहाम याच्याशी घेतली
74कि हमार दुस्मनन क हथवन स हमार छुटकारा अउर बेडर क पर्भू क सेवा करइ क हुकुम दीन।
74ती अशी की, तो आम्हांला शत्रुच्या सामर्थ्यापासून मुक्त करील, अशासाठी की, आम्ही त्याची सेवा निर्भयपणे करु शकू.
75अउर आपन जिन्नगी भर हर रोज ओकरे समन्वा हम पचे पवित्तर अउर धर्मी रहि सकी।
75त्याची अशी इच्छा होती की, आम्ही त्याच्यासमोर धार्मिकतेने व पवित्रतेने आमच्या आयुष्याचे सर्व दिवस जगावे.
76“हे बालक! अब तू सर्वोच्च (परमेस्सर) क बड़ा नबी कहा जाइ काहेकि तू पर्भू क अगवा अगवा चलिके ओकरे बरे राह तइयार करी।
76“मुला, आता तुला सर्वोच्च देवाचा संदेष्टा म्हणातील. प्रभूच्या येण्यासाठी लोकांना तयार करण्यासाठी तू त्याच्या (प्रभु) पुढे चालशील.
77अउर ओकरे मनइयन स कही कि ओनके पापन क छमा स उ ओनके लोगन क उद्धार का गियान देबा।
77कारण तू प्रभूसमोर, त्याचा मार्ग तयार करण्यासाठी आणि पापक्षमा मिळून तुमचे तारण होईल हे त्याच्या लोकांना सांगण्यासाठी पुढे जाशील.
78हमरे परमेस्सर क नरम अनुग्रह स एक नवा दिन क भोर हम पइ ऊपर स उतरी।
78कारण देवाच्या हळुवार करुणेमुळे स्वर्गीय दिवासाची पहाट उजाडेल व मरणाच्या दाट छायेत जे जगत आहेत त्यांच्यावर प्रकाशेल.
79ओन प चमकइ बरे जउन मउत क गहरी छाया मँ जिअत अहइँ काहेकि हमरे गोड़वन सांति क राहे प सीधा जाइँ।”
79आणि शांतीच्या मार्गावर आमच्या पावलांना मार्गदर्शन करील.”
80इ तरह उ लरिका बाढ़इ लाग अउर ओकर आतिमा मजबूत स मजबूत होइ लाग। उ मनइयन मँ परगट होइ स पहिले निर्जन जगहिया मँ रहत रहा।
80अशा रीतीने तिचा मुलगा मोठा होत गेला आणि आत्म्यात सामर्थ्यशाली झाला. इस्राएल लोकांना प्रगट होण्याच्या दिवसापर्यंत तो अरण्यात राहिला.