1ईसू मनइयन क जउन सुनावा चाहत रहा, ओका कहि चुकइ क पाछे उ कफरनहूम चला गवा।
1ज्या बोधकथा लोकांनी ऐकाव्यात असे त्याला वाटत होते त्या सांगण्याचे संपविल्यावर तो कफर्णहूमास गेला.
2हुवाँ एक फऊजी नायक रहा जेकर नउकर ऍतना बेरमिया रहा कि मरइ के नगीचे रहा। उ नउकर ओकर बहोत पियारा रहा।
2तेथे एक रोमी शताधिपती होता. त्याचा गुलाम इतका आजारी होता की, तो मरावयास टेकला होता. हा गुलाम त्या शताधिपतीचा फार आवडता होता.
3फऊजी नायक जब ईसू क बारे मँ सुनेस तउ उ कछू बुजुर्ग यहूदी नेतन क इ बिनती करइ क ओकरे लगे पठएस कि उ आइके ओकरे नउकर क प्राण बचाइ लेइ।
3जेव्हा शताधिपतीने येशूविषयी ऐकले तेव्हा त्याने काही यहूदी वडील जनांना त्याच्याकडे पाठविले, व अशी विनंति केली की, त्याने येऊन त्याच्या गुलामाला वाचवावे.
4जब उ पचे ईसू क नगीचे पहुँच गएन तउ उ सबइ सच्चे मने स बिनती करत भए कहेन, “उ इ जोग्ग अहइ कि तू ओकरे बरे अइसा करा।
4जेव्हा ते येशूकडे आले तेव्हा त्यांनी मन:पूर्वक विनंति केली, ते म्हणाले, “तू त्याच्यासाठी हे करावेस कारण तो त्या योग्यतेचा आहे.
5काहेकि उ हमरे मनइयन स पिरेम करत ह। उ हमरे बरे आराधनालय क बनवाएस ह।”
5कारण तो आमच्या लोकांवर प्रेम करतो, त्याने आमचे सभास्थान आम्हांला बाधून दिले.”
6ऍह पर ईसू ओनके संग चल दिहेस। अबहिं जब उ घरे स जिआदा दूर नहीं रहा, उ फऊजी नायक ओकरे लगे आपन मीतन क इ कहइ बरे पठएस, “पर्भू आपन क कस्ट जिन द्या काहेकि मइँ ऍतना नीक मनई नाहीं कि तू मोरे घरवा आवा।
6म्हणून येशू त्यांच्याबरोबर गेला. तो घरापासून दूर नव्हता, तोच शताधिपतीने मित्रांना असे सांगण्यासाठी पाठविले की, “प्रभु, आपण त्रास करुन घेऊ नका, कारण आपण माझ्या घरी यावे इतकी माझी योग्यता नाही.
7एह बरे मइँ तोहरे लगे आवइ तलक नाहीं सोचेउँ। मुला तू बस कहि भर द्या, मोर नउकर नीक होइ जाई।
7यासाठी मी स्वत: आपणाकडे येऊ नये असा विचार केला होता. परंतु तुम्ही फक्त शब्द बोला, म्हणजे माझा चाकर बरा होईल.
8मइँ खुद कउनो अधिकारी क मातहत काम करत हउँ अउर मोरे मातहत भी कछू सिपाही अहइँ। मइँ जब कउनो स कहत हउँ, ‘जा’ तउ उ चला जात ह। अउर जब मइँ आपन नउकर स कहत हउँ, ‘आवा’ तउ उ आइ जात ह अउर जब मइँ आपन नउकर स कहत हउँ, ‘इ करा’ तउ उ ओका करत ह।”
8कारण मीही ताबेदार असून माझ्या अधिपत्याखाली शिपाई आहेत. मी एखाद्याला “जा’ असे म्हणतो, आणि तो जातो, दुसऱ्याला “ये’ म्हणतो आणि तो येतो. मी माझ्या गुलामाला म्हणतो, “हे कर!’ आणि तो ते करतो.”
9ईसू जब इ सुनेस तउ ओका ओह प बहोत अचरज भवा। जउन भारी मनइयन क भीड़ ओकरे पाछे चली आवत रही, ओनके कइँती मुड़िके ईसू कहेस, “मइँ तोहका बतावत हउँ अइसा बिसवास मोका इस्राएल मँ भी कहूँ नाहीं मिला।”
9जेव्हा येशूने हे ऐकले तेव्हा त्याला त्याच्याविषयी (शताधिपतीविषयी) आश्चर्य वाटले. तो त्याच्यामागे येणाऱ्या जमावाकडे वळून म्हणाला, “मी तुम्हांला सांगतो, असा विश्वास मला इस्राएलात देखील आढळला नाही.”
10फिन पठए भए उ पचे जब वापस घरे पहुँचेन तउ उ सबइ उ नउकरे क बेरामी स जरटुट पाएन।
10ज्यांना पाठविले होते, ते घराकडे परतले, तेव्हा त्यांना आढळून आले की, तो सेवक बरा झाला आहे.
11फिन अइसा भवा कि ईसू नाइन नाउँ क एक सहर चला गवा। ओकर चेलन अउर भारी आलम ओकरे संग रहा।
11नंतर असे झाले की, येशू नाईन नावाच्या गावाला गेला. त्याच्याबरोबर त्याचे शिष्य व मोठा समुदाय होता.
12उ जइसे ही सहर दुआरे क नगिचे आवा तउ हुवाँ स एक मुर्दा क लइ जात रहेन। उ आपन विधवा महतारी क इकलौता बेटवा रहा। तउ सहर क अनगिनत मनइयन क भीड़ ओकरे संग रही।
12तो गावाच्या वेशीजवळ आला असता, एका मेलेल्या माणसाला अंत्यविधीकरीता नेले जात होते. तो त्याच्या आईचा एकुलता एक मुलगा होता. आणि ती विधवा होती. आणि गावातील बरेच लोक तिच्याबरोबर होते.
13जइसे पर्भू ओका निहारेस तउ ओकार हिरदय दया स भर गवा। उ उससे बोला, “जिन रोवा।”
13जेव्हा प्रभुने तिला पाहिले, त्याला तिची अनुकंपा वाटली व तो तीला म्हणाला, “रडू नकोस.”
14फिन उ अगवा बढ़ा अउर उ ताबूत क छुइ लिहस उ पचे जउन ताबूते क लइ जात रहेन, हुवँइ ठहर गएन। ईसू कहेस, “नउ जवान! मइँ तोहसे कहत हउँ खड़ा ह्वाा!”
14नंतर तो पुढे तिरडीजवळ गेला व तिला स्पर्श केला. जे लोक तिरडी वाहून नेत होते, ते थांबले.
15तउ उ मुर्दा मनई बइठ गवा अउर बोलइ लाग। ईसू ओका ओकरी महतारी क वापस लौटाएस।
15तेव्हा येशू म्हणाला, “तरुणा, मी तुला सांगतो, ऊठ!” आणि तो मृत मनुष्य उठून बसला व बोलू लागला. मग येशूने त्याला त्याच्या आईकडे दिले.
16अउर फिन उ सबइ स्त्रद्धा अउर अचरज मँ पड़ि गएन। अउर इ कहत भएन परमेस्सर क महिमा बखनइ लागेन, हमरे बीच एक महान नबी परगट भवा अहइ!” अउर कहइ लागेन, “परमेस्सर आपन मनइयन क मदद करइ बरे आइ ग अहइ।”
16ते सर्व भयचकित झाले, त्यांनी देवाचे गौरव केले; ते म्हणाले, “आमच्यामध्ये एक महान संदेष्टा प्रगट झाला आहे.” आणि म्हणाले, “देव त्याच्या लोकांना मदत करण्यास आला आहे!”
17ईसू क समाचार यहूदिया अउर आस-पास क देसन मँ सब कहूँ कइँती फैलि गइ।
17येशूविषयीची ही बातमी सर्व यहूदीयात आणि सभोवतालच्या परिसरात पसरली.
18इ सबइ बातन क बारे मँ यूहन्ना क मनवइयन ओका सब कछू बताइ दिहन। तउ यूहन्ना आपन दुइ चेलन क बोलाइ के
18योहानाच्या शिष्यांनी योहानाला जाऊन हे सर्व सांगितले, नंतर योहानाने आपल्या दोन शिष्यांना बोलाविले
19ओनका पर्भू स इ पूछइ बरे पठएस, “का तू उहइ अहा, जउन आवइवाला अहइ या हम पचे कउनो अउर क बाट जोही?”
19आणि त्याने त्यांना प्रभुकडे हे विचारण्यासाठी पाठविले की, “जो येणारा तो तूच आहेस की, आम्ही दुसऱ्या कोणाची तरी अपेक्षा करावी?”‘
20फिन उ मनइयन ईसू क लगे पहुँचेन तउ उ पचे कहेन, “बपतिस्मा क देवइया यूहन्ना हमका तोहसे इ पूछइ पठएस ह, ‘का तू उहइ अहा जउन आवइवाला अहइ या हम सबइ कउनो अउर क बाट जोही।”‘
20जेव्हा लोक त्याच्याकडे आले, ते म्हणाले, “बाप्तिस्मा करणाऱ्या योहानाने आम्हांला तुमच्याकडे हे विचारण्यास पाठविले आहे की, “जो येणारा तो तूच आहेस की आम्ही दुसऱ्या कोणाची अपेक्षा करावी?”‘
21उहइ समइ उ बहोत स बेरमिया क नीक किहेन अउर ओनका करुण दुख अउर दुस्ट आतिमन स छुटकारा दियाएस। अउर बहोत स आँधर न क आँखिन दिहेस।
21त्यावेळी येशूने अनेक लोकांचे रोग, आजार बरे केले, पुष्कळांमधील भुते काढली, आंधळ्यांना दृष्टी दिली.
22फिन उ ओनका जवाब दिहस, “जा अउर यूहन्ना स जउन तू निहार्या ह अउर सुन्या ह, ओका बतावा कि आँधर फिन स लखत अहइँ, लँगड़ा लूला चलत फिरत अहइँ अउर कोढ़ी सुद्ध होइ ग अहइँ। बहिरन सुनि पावत हीं अउर मुरदा फिन जिआवा जात अहइँ। गरीब मनइयन क सुसमाचार सुनाई जात अहइ।
22येशूने त्यांना उत्तर दिले, “जा आणि तुम्ही जे ऐकले व पाहिले आहे ते योहानाला सांगा: आंधळे पाहतात, लंगडे चालतात, कुष्ठरोगी शुद्ध होतात, बहिरे ऐकतात, मेलेले जिवंत केले जातात आणि गरीब लोक सुवार्ता ऐकतात.
23उ मनई धन्य अहइ जेका मोरे क स्वीकार करइ मँ कउनो हिचक नाहीं।”
23जो मला अनमान न करता स्वीकारतो, तो धन्य.”
24जब यूहन्ना क संदेस लइ आवइवालन चला गएन तउ ईसू भीड़े मँ मनइयन क यूहन्ना क बारे मँ बताउब सुरु किहेस: “तू पचे बियाबान जंगल मँ का लखइ गवा रह्या? का हवा मँ झूलत कउनो सरपत लखे गवा रइया? नाहीं?
24योहानाचे निरोपे गेल्यावर येशू समुदायाबरोबर योहानाविषयी बोलू लागला: “वाळवंटात तुम्ही काय पाहण्यासाठी गेला होता? वाऱ्याने वाकलेल बोरु?
25फिन तू का लखइ गवा रह्या? का कउनो पुरुस क मँहगा ओढ़ना पहिरे क लखइ गवा रह्या? नाहीं, उ पचे जउन उत्तिम ओढ़ना पहिरत हीं अउर जउन भोग बिलास क जिन्नगी मँ जिअत हीं, उ सबइ तउ रजवाड़ा मँ पाइ जात हीं।
25नाही, मग काय पाहण्यासाठी तुम्ही गेला होता? कपडे घातलेला मनुष्य? नाही. तलम कपडे घालणारे आणि ऐषारामात राहणारे लोक राजवाड्यात राहतात.
26मुला बतावा तू का देखइ गवा रह्या? का कउनो नबी? हाँ, मइँ तोहका बतावत हउँ कि तू जेका लख्या ह, उ कउनो नबी स कहीं जिआदा बा।
26पण तुम्ही बाहेर काय पाहण्यासाठी गोला होता? संदेष्टा? होय, मी तुम्हांला सांगतो, तुम्ही संदेष्ट्यापेक्षा काही तरी अधिक पाहिले आहे!
27इ उहइ अहइ जेकरे बारे मँ लिखा अहइ: ‘देखा! तोहसे पहिले मइँ आपन दूत पठवत अही, उ तोहसे पहिले ही राह तइयार करी।’ मलाकी 3:1
27हाच तो ज्याच्याविषयी पवित्र शास्त्रात लिहिले आहे, “पाहा, मी माझ्या संदेशवहकाला माझ्यापुढे पाठवीत आहे. तो तुमच्यापुढे मार्ग तयार करील.’ मलाखी. 3:1
28मइँ तोहका बतावत हउँ कि कउनो स्त्रियन स पइदा भएन मँ यूहन्ना स महान कउनो नाहीं अहइ। मुला फिन भी परमेस्सर क राज्य क छोटा स छोटा मनई भी ओस बड़का बा।”
28मी तुम्हांला सांगतो, जे स्त्रियांपासून जन्मले त्यात योहानापेक्षा कोणीही श्रेष्ठ नाही. तरीही देवाच्या राज्यातील अगदी सामान्य माणूस सुध्दा त्याच्यापेक्षा श्रेष्ठ आहे.
29(तबहिं हर कउनो, हियाँ तलक कि चुंगी (टिक्स) उगहिया भी यूहन्ना क सुनिके ओकर बपतिस्मा लइके इ मान लिहेन कि परमेस्सर क रस्ता सच्चा अहइ।
29“जेव्हा लोकांनी हे ऐकले, तेव्हा त्यांनी मान्य केले की, देवाची शिकवण चांगली आहे. जकातदारसुद्धा सहमत झाले. या लोकांना योहानाने अगोदरच बाप्तिस्मा दिला होता.
30मुला फरीसियन अउर धरम सास्तिरियन ओकर बपतिस्मा न लइके ओनके बारे मँ परमेस्सर क इच्छा क टारि दिहन।)
30पण परुशी व नियमाशास्त्राच्या शिक्षकांनी देवाची त्यांच्याविषयी असलेली योजना नाकारली. त्यांनी योहानाला त्यांचा बाप्तिस्मा करु दिला नाही.
31“तउ फिन इ पीढ़ी क मनइयन क उपमा मइँ कउने स करउँ कि उ पचे कइसे बाटेन?
31मग मी या पिढीची कोणाशी तुलना करु? ते कोणासारखे आहेत?
32उ पचे बजारे मँ बइठेन ओन बचवन क नाईं अहइँ जउन एक दूसर क पुकारिके कहत हीं: ‘हम तोहरे बरे बाँसुरी बजावा मुला तू नाच्या नाहीं। हम तोहरे बरे सोक गवनिया गावा मुला तू रोया नाहीं।’
32ते उनाड मुलांसारखे आहेत, ते बाजारात बसतात, ते एकमेकाला म्हणतात, “आम्ही तुमच्यासाठी पावा वाजविला पण तुम्ही नाचला नाही. आम्ही तुमच्यासाठी शोकगीत गाईले पण तुम्ही रडला नाही.’
33काहेकि बपतिस्मा क देवइया यूहन्ना आवा जउन न तउ रोटी खात रहा अउर न ही दाखरस पिअत रहा अउर तू कहत ह, ‘ओहमाँ दुस्ट आतिमा समाइ गइ अहइ।’
33बाप्तिस्मा करणारा योहान हा भाकर किंवा द्राक्षारस खात किंवा पीत आला नाही. पण तुम्ही म्हणता, “त्याला भूत लागले आहे.’
34फिन खात पिअत भवा मनई क पूत आवा, मुला तू कहत अहा, ‘देखा, इ पेटार अहइ। पियक्कड़ अहइ, चुंगी उगहियन अउर पापी मनइयन क मीत अहइ।’
34मनुष्याचा पुत्र खात पीत आला आणि तुम्ही म्हणता; “पाहा, तो खादाड, मद्यपी, जकातदारंचा आणि पाप्यांचा मित्र आहे.’
35बुद्धि क उत्तिम होब ओकरे फल स सिद्ध होत ह।”
35ज्ञान तेव्हा योग्य ठरते, जेव्हा त्याचा वापर केल्याने झालेल्या गोष्टी योग्य असतात.”
36फरीसियन मँ एक ठु फरीसी आपन संग खइया प ओका न्योत दिहस। तउ उ फरीसी क घर गवा अउर ओकरे हियाँ भोजन करइ बइठा।
36कोणा एका परुश्याने येशूला त्याच्याबरोबर जेवणाचे आमंत्रण दिले, म्हणून तो परुश्याच्या घरी गेला व मेजासभोवती आपल्या जागेवर बसला.
37हुवँई सहर मँ एक पापी स्त्री रही, ओक जब इ पता चलि गवा कि उ एक फरीसी क घर भोजन करत अहइ तउ उ स्फटिक क एक पथरी मँ इतर लइके आइ।
37तेथे त्या गावात एक स्त्री होती, ती पापी होती, जेव्हा तिला समजले की, येशू परुश्याच्या घरी जेवत आहे, तेव्हा तिने सुगंधी तेलाचे एक अलावास्त्र भांडे आणले.
38उ ओकरे पाछे ओकरे गोड़वा क लगे खड़ी रही। उ रोवत रही। आपन आँसुअन स उ ओकर गोड़ भिजवइ लाग। फिन उ गोड़वा क आपन बाले स पोंछेस अउर गोड़वा क चूमिके ओन प इतर उड़ेरेस।
38ती त्याच्या पाठीमागे पायाशी उभी राहून रडत होती, ती आपल्या आसवांनी त्याचे पाय भिजवू लागली. नंतर तिने ते आपल्या केसांनी पुसले, त्याच्या पायाचे मुके घेतले व त्यावर सुगंधी तेल ओतले.
39उ फरीसी जउन ईसू क आपन घर बोलाएस, इ लखिके मनवा मँ सोचेस, “जदि इ मनई नबी अहइ अउर कइसी अहइ? उ जान लेत कि इ तउ पापिन अहइ।”
39ज्या परुश्याने हे आमंत्रण दिले होते त्याने ते पाहिले आणि तो स्वत:शी म्हणाला, “जर हा मनुष्य संदेष्टा असता, तर ही कोण व कशा प्रकारची स्त्री आपल्या पायाला स्पर्श करीत आहे, हे त्याला कळले असते!”
40जवाबे मँ ईसू ओसे कहेस, “समौन मोका तोहसे कछू कहइ क अहइ।” उ बोला, “हे गुरु, कहा।”
40येशू त्याला म्हणाला, “शिमोना, मला तुला काही सांगायचे आहे.” त्याने उत्तर दिले, “सांगा गुरुजी.”
41ईसू कहेस, “कउनो साहूकारे क दुइ करजदार रहेन। एक प ओकरे पाँचसौ चानी क सिक्का निकरत रहेन अउर दूसर प पचास।
41येशू म्हणाला, “एका सावकाराचे दोन कर्जदार होते. एकाकडे पाचशे चांदीची नाणी आणि दुसऱ्याकडे पन्नास चांदीची नाणी असे कर्ज होते.
42काहेकि उ दुइनउँ करजा नाहीं पाट पाएन। यह बरे उ दाया कइके दुइनउँ क करजा माफ कइ दिहस। अब बतावा दुइनउँ मँ स ओका जिआदा पिरेम कउन स करी?”
42ते कर्ज फेडू शकत नसल्याने सावकाराने दोघांचीही कर्ज माफ केली, आता त्यांच्यापैकी कोण त्याच्यावर अधिक प्रेम करील?”
43समौन जवाब दिहस, “मोर बिचार बा, उहइ जेका उ जिआदा करजा छोड़ दिहस।” ईसू कहेस, “तू नीक सोच्या ह।”
43शिमोनाने उत्तर दिले, “मला वाटते, ज्याचे कर्ज जास्त होते तो.” येशू त्याला म्हणाला, “तू बरोबर ओळखलेस.”
44फिन उ स्त्री कइँती मुड़िके उ समौन स कहेस, “तू इ स्त्री क लखत अहा? मइँ तोहरे घरवा आवा अही, तू मोड़े गोड़वा धोवइ क पानी नाहीं दिहा मुला इ मेरे गोड़वा क अँसुअन स धोइ दिहस अउर फिन आपन बरवा स पोंछेस।
44तो स्त्रीकडे वळून शिमोनाला म्हणाला, “तू ही स्त्री पाहतोस काय? मी तुझ्या घरी आलो तेव्हा माझे पाय धुण्यास तू मला पाणी दिले नाहीस. परंतु हिने माझे पाय अंश्रूंनी ओले केले. ते तिने केसांनी पुसले.
45तू स्वागत मँ मोका नाहीं चूम्या मुला इ जब तलक मइँ भितरे गवा हउँ, मोरे गोड़वा क लगातार चूमत बाटइ।
45तू मला साधे शुभेच्छालिंगन सुध्दा दिले नाहीस, पण मी आत आल्यापासून तिने माझ्या पायाचे मुके घेण्याचे थांबवले नाही.
46तू मोरे मूॅड़े प तेल नाहीं मल्या, मुला इ मोरे गोड़वा प इतर छिड़केस।
46तू माझ्या डोक्याला तेल लावले नाही, परंतु होने माझ्या पायावर सुगंधी तेल ओतले.
47एह बरे मइँ तोहका बतावत हउँ कि ऍकर अगाध पिरेम दर्सित करत ह कि ऍकर पाप छमा कइ दीन्ह ग अहइँ। मुला उ जेका तनिक पापन क छमा मिली, उ थोड़ा पिरेम करत ह।”
47यासाठी मी तुला सांगतो की तिच्या अनेक पापांची क्षमा झाली आहे. हे स्पष्ट आहे कारण तिने विपुल प्रेम दाखविले आहे. परंतु ज्याला कमी माफ केले आहे तो कमी प्रेम करतो.”
48तब ईसू उ स्त्री स कहेस, “तोहार पाप छमा कइ दीन्ह ग अहइँ।”
48तेव्हा तो तिला म्हणाला, “तुझ्या पापांची क्षमा झाली आहे.”
49फिन जउन ओकरे संग जेंवत रहेन, उ सबइ मने मँ सोचइ लागेन, “इ कउन अहइ, जउन पापन क छमा कइ देत ह”
49नंतर जे त्यांच्याबरोबर जेवत होते ते स्वत:शीच म्हणू लागले, “हा कोण आहे, जो पापांचीसुद्धा क्षमा करतो?”
50तब उ स्त्री स ईसू कहेस, “तोहार बिसवास तोहार रच्छा किहेस ह। सांति स जा।”
50पण तो स्त्रीला म्हणाला, “तुझ्या विश्वासाने तुला वाचविले आहे, शांतिने जा.”