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Marathi

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10

1फिन ईसू क जगह छोड़ि दिहस अउर यहूदिया क पहँटा अउर यरदन नदी क पार गवा। फिन भीर प भीर ओकरे नगिचे आवइ लाग। जउसे ओकर रीति रही, ईसू ओनका उपदेस देइ लाग।
1नंतर येशूने ती जागा सोडली आणि यहूदीया प्रांतात व यार्देन ओलांडून पलीकडे गेला. लोक पुन्हा गटागटाने त्याच्याकडे आले. आणि जसा त्याचा परिपाठ होता तसे त्याने त्यांना शिकविले.
2अउर कछू फरीसियन ओकरे लगे आएन अउर उ सबइ ओसे पूछेन, “का इ कनून पुरुस क लिये नीक बाटइ कि उ आपन पत्नी क तलाक देइ दे?” उ सबइ ओसे ओका जाँचइ बरे पूछेन।
2काही परुशी येशूकडे आले. त्यांनी त्याला विचारले, “आपल्या पत्नीला घटस्फोट द्यावा हे मनुष्यासाठी कायदेशीर आहे काय?” हे तर त्यांनी त्याची परीक्षा पाहण्यासाठी विचारले.
3ईसू ओनका जबाव दिहेस, “मूसा तोहका का आदेस दिए बाटेन?”
3येशूने त्यांना उत्तर दिले, “मोशेने तुम्हांला काय आज्ञा दिली आहे?”
4उ सबइ कहेन, “मूसा पुरुस क एक ठु तलाक क त्याग पत्र लिखिवाइ आपन पत्नी क तलाक बरे हुकुम देहेस।”
4ते म्हणाले, “मोशेने पुरूषाला सुटपत्र लिहिण्याची व असे करून आपल्या बायकोला सोडण्याची परवानगी दिली आहे.”
5ईसू ओनसे कहेस, “मूसा इ आदेस एह बरे लिखेस कि तू सबइ नासमुझ अहा।
5येशू म्हणाला, “कारणकेवळ तुमच्या हट्टामुळे मोशेने तुमच्यासाठी ही पर्यायी अनुमति दिली (लिहिली) आहे.
6सृस्टि क सुरुआत स, ‘परमेस्सर पुरुस अउर स्त्री बनाएस।’
6परंतु उत्पत्तीच्या आरंभापासून देवाने त्यांना पुरूष व स्त्री असे निर्माण कोले.
7“एह बरे पुरुस आपन महतारी बाप क छोड़ि देइ अउर आपन पत्नी क संग रही।’
7या कारणामुळे पुरुष आपल्या आईवडिलांना सोडील व आपल्या पत्नीशी जडून राहील.
8दुइनउँ एक तन होइ जइहीं। तइसे उ दुइनउँ अलग नाहीं, मुला एक ठु अहइँ।
8आणि ती दोघे एकदेह होतील. म्हणून यापुढे ती दोन नाहीत तर एकदेह आहेत.
9एह बरे जेकर परमेस्सर जोरि दिहे अहइँ, ओहका मनई क अलग नाहीं करइ चाही।”
9यासाठी देवाने जे जोडले आहे ते मनुष्याने वेगळे करू नये.”
10जब उ सबइ गरवा मँ फिन स आएन, तउ चेलन ऍकरे बारे मँ ओसे पूछेन।
10नंतर, येशू व शिष्य घरात असता शिष्यांनी या गोष्टीविषयी त्याला विचारले,
11अउर ईसू ओनसे पूछेस, “जउन आपन पत्नी क तलाक दइ देत ह, अउर दूसर स्त्री स बियाह करत ह, उ ओकरे खिलाफ व्यभिचार करत ह।
11येशू त्यांना म्हणाला, “जो कोणी आपली पत्नी टाकतो व दुसरीबरोबर लग्न करतो तो आपल्या पत्नीविरुद्ध व्यभिचार करतो.
12अगर स्त्री आपन पति क तजि देत ह अउर दूसर पुरुस स बियाह करत ह, तो उ व्यभिचारी ह।”
12आणि जर पत्नी आपल्या नवऱ्याला सोडते आणि दुसऱ्याबरोबर लग्न करते तर तीही व्यभिचार करते.”
13फिन मनइयन गदेलन क ओकरे लगे लइ आवइ लागेन, इ नाते कि उ ओनका छुइ लेइ अउर आसीर्बाद देइ मुला चेलन ओनका फटकारि दिहन।
13त्याने त्यांना स्पर्श करावा, यासाठी लोक लहान बालकांना त्याच्याकडे आणीत होते. परंतु शिष्यांनी त्यांना दटावले
14जब ईसू इ देखेस, उ कोहाय ग अउर उ ओनसे कहेस, “गदेलन क मोरे निअरे आवइ द्या। ओनका जिन रोका, इ नाते परमेस्सर क राज्य अइसन स नाता जोरत ह।
14येशूने हे पाहिले तेव्हा तो रागावाला आणि त्यांना म्हणाला, लहान बालकांना माझ्याकडे येऊ द्या. त्यांना मना करू नका कारण देवाचे राज्य यांच्यासारख्यांचेच आहे.
15मइँ तोहका सच सच बतावत हउँ, जउन परमेस्सर क राज्य क गदेलन क नाईं सुआगत न करी, उ राज्य मँ कबहुँ न घुसी।”
15मी तुम्हांस खरे सांगतो, जो कोणी बालकासारखा देवाच्या राज्याच्या स्वीकार करणार नाही त्याचा तेथे कधीही प्रवेश होणार नाही.”
16ईसू आपन कोरा मँ गदेलन क उठाएस। उ आपन हथवा ओनके ऊपर धरेस अउर आसीर्बाद दिहेस।
16तेव्हा त्याने बालकांना उचलून जवळ घेतले. आपले हात त्यांच्यावर ठेवले आणि आशिर्वाद दिला.
17जइसे उ जात्रा प जाइ क रहा, एक मनई ओकरे लगे आइ अउर घुटुनवा टेकिके बोला अउ ओसे पूछेस, “उत्तम गुरु! अनन्त जीवन पावइ क हक बरे ओका का करइ क चाही?”
17येशू प्रवासाला निघाला असता एक मनुष्य त्याच्याकडे धावत आला आणि त्याच्यापुडे गुडघे टेकून म्हणाला, “उत्तम गुरूजी, अनंतकाळचे जीवन मिळण्यासाठी मी काय करावे?”
18ईसू ओसे कहेस, “तू मोका उत्तम काहे कहत ह सिरिफ परमेस्सर क छोड़िके कउनो उत्तम नाहीं।
18येशू त्याला म्हणाला, “तू मला उत्तम का म्हणतोस? एका देवाशिवाय कोणी उत्तम नाही.
19तू आदेस क जानत ह। ‘जीउ जिन मारा, व्यभिचार जिन करा, चोरी जिन करा, झूठी गवाही जिन द्या, ठगी जिन करा, आपन महतारी बाप क इज्जत करा।”
19तुला आज्ञा माहीत आहेतच: खून करू नको, व्यभिचार करू नको, चोरी करू नको, खोटी साक्ष देऊ नको, फसवू नको, आपल्या वडिलांचा व आपल्या आईचा सन्मान कर.”
20उ मनई ओसे कहेस, “गुरु मइँ आपन लरिकइँ स इन सब बातन पर चलत आवत हउँ।”
20तो मनुष्य म्हणाला, “गुरूजी, मी तरूणपणापासून या आज्ञा पाळत आलो आहे.ʈ
21ईसू ओका निहारेस। ओकरे बरे पिरेम भाउ रखेस अउर ओसे कहेस, “तोहमाँ ऍक बात क कमी अहइ जा अउर बेंचि आवा जउन तू धरे अहा। तब एक गरीबे क द्या। ओकरे बाद तू सरगे मँ खजाना रखब्या। तब्बई तू आवा अउर मोरे पाछे चला।”
21येशूने त्याच्याकडे पाहिले त्याला त्याच्याविषयी प्रेम वाटले. तो त्याला म्हणाला, तुझ्यामध्ये एका गोष्टीची उणीव आहे. जा, तुझ्याजवळ जे सर्व आहे ते वीक. नंतर ते गोरगरिबांस वाटून टाक, स्वर्गात तूला संपत्ती प्राप्त होईल. तर मग चल आणि माझ्या मागे ये.”
22अइसे बयान पर ओकर मुँह उतर गवा अउर निरास होइ के चला गवा। इ नाते कि उ धनवान रहा।
22हे शब्द ऐकून तो मनुष्य खूप निराश झाला व खिन्न होऊन निघून गेला कारण त्याच्याजवळ खूप संपत्ति होती.
23ईसू चारिहुँ कइँती देखेस अउर आपन चेलन स कहेस, “केतना मुस्किल बाटइ ओनके बरे जउन धनी होइके परमेस्सर क राज्य मँ घुसइ चाहत अहइँ।”
23येशूने सभोवताली पाहिले व तो आपल्या शिष्यांना म्हणाला, “ज्याच्याजवळ संपत्ति आहे त्याचा देवाच्या राज्यात (श्रीमंतांचा) प्रवेश होणे किती कठीण आहे.”
24चेलन इ बचनन प अचरजि मँ परि गएन। तउ फिन ईसू ओनसे कहेस, “मोर गदेलन! परमेस्सर क राज्य मँ घुसब केतना मुस्किल अहइ।
24त्याचे शब्द ऐकून शिष्य थक्क झाले, परंतू येशू त्यास म्हणाला, “माझ्या मुलांनो, देवाच्या राज्यात श्रीमंताचा प्रवेश होणे किती कठीण आहे!
25ऊँट क सुई क नोंके स घुसरब असान अहइ, बजाय एक धनी मनई क परमेस्सर क राज्य मँ जाब!”
25श्रीमंतांचा देवाच्या राज्यात प्रवेश होणे यापेक्षा उटांला सुईच्या नेढयातून जाणे सोपे आहे.”
26ओनका अउ जिआदा अचरज भवा, अउर आपुस मँ एक दुसरे स बतियाइ लागेन, “तब कउने क उद्धार होई?”
26ते यापेक्षाही अधिक आचर्यचकित झाले आणि एकमेकाला म्हणाले, “तर मग कोणाचे तारण होणे शक्य आहे?”
27ओनका लखत, ईसू कहेस, “मनई अइसा कबहुँ नाहीं कइ सकत, मुला इ परमेस्सर बरे अइसा नाहीं।”
27त्यांच्याकडे पाहून येशू म्हणाला, “मनुष्यांना हे अशक्य आहे पण देवाला अशक्य नाही. कारण सर्व गोष्टी देवाला शक्य आहेत.”
28पतरस ओसे कहइ लाग, “देखा, हम सब कछू तजि दिहन अउर तोहरे पाछे होइ गएन!”
28पेत्र त्याला म्हणू लागला, “पाहा, आम्ही सर्व सोडले आणि आपल्या मागे आलो आहोत.”
29ईसू कहेस, ‘मइँ तोसे सच सच कहत हउँ, कउनो अइसा नाहीं जउन मोरे बरे अउर सुसमाचार बरे घर-दुआर, भाइयन, बहिनियन, महतारी, बाप, गदेलन, खेत अउर क तजि देइ,
29येशू म्हणाला, “मी तुम्हांला खरे सांगतो की, ज्या कोणी माझ्यासाठी व सुवार्तेसाठी आपले घर, भाऊ, बहिणी, आईवडील, मुले किंवा शेतीवाडी सोडली, त्याचा छळ झाला तरी
30जउन इ जुगे मँ घरन भाइयन, बहिनियन, महतारीयन, गदेलन अउर खेतन क संग सताव सउ गुना जिआदा न पाइ, अउर आवइवाला जुग मँ अनन्त जीवन।
30त्याला शंभरपटीने फायदा मिळेल आणि येणाऱ्या युगात त्याला अनंतकाळचे जीवन मिळाल्याशिवाय राहणार नाही.”
31मुला बहोत जने जउन आज सबते पाछे अहइँ, उ सबते पहिले होइहीं। जउन सबते पहिले अहइँ, उ सबइ पाछे होइहीं।”
31परंतु ज्यांना सध्या मोठे स्थान आहे भविष्यात त्यांना खालचे स्थान मिळेल व ज्यांना खालचे स्थान आहे त्यांना मोठे स्थान मिळेल.”
32फिन उ सबइ यरूसलेम जात जात रस्ता मँ रहेन, ओनमें ईसू सबते आगे चलत जात रहा। उ सबइ खुबइ अचिरजे मँ डेरानेन। जउन पाछे रहेन, उ पचे ससान रहेन। ईसू बारहु प्रेरितन क एक कइँती लइ गवा अउर ओनका बतावइ लाग कि ओकरे संग का घटइवाला अहइ।
32ते वर यरूशलेमेच्या रस्त्यावरून जात असता येशू त्यांच्यापुढे चालत होता. त्याचे शिष्य विस्मित झाले होते आणि त्याच्यामागून येणारे घाबरले होते. नंतर येशूने त्या बारा शिष्यांना पुन्हा एका बाजूला घेतले आणि स्वत:च्या बाबतीत काय घडणार आहे हे त्यांना सांगू लागला.
33“सुन, हम पचे यरूसलेम जात अही, अउर मनई क पूत क दुराव स मुख्ययाजकन अउर धरम सास्तिरियन पकड़वाइ के दइ देइहीं। अउर उ सबइ ओका मउत क सजा देइके गैर यहूदी क दइ देइहीं।
33“ऐका! आपण वर येरूशलेमेस जात आहोत आणि मनुष्याचा पुत्र विश्वासघाताने धरून मुख्य याजक आणि नियमशास्त्राचे शिक्षक यांच्या हाती दिला जाईल. ते त्याला मरणाची शिक्षा देतील आणि ते त्याला यहूदीतर लोकांच्या हाती देतील.
34जउन ओकर हँसी करिहीं अउर उ पचे ओह पइ थुकिहीं। उ सबइ ओका कोड़ा स पिटहीं अउर मारि डइहीं। तीन दिना क पाछे उ जी जाई।”
34ते त्याची थटृट करतील, त्याच्यावर थुंकतील, त्याला फटके मारतील, ठार करतील आणि तीन दिवसांनी तो पुन्हा उठेल.”
35फिन जब्दी क बेटवन याकूब अउर यूहन्ना ओका लगे आएन अउर ओसे कहेन, “गुरु, हम चाहित ही कि हम जउन तोसे करइ क कही, ओका तू हमरे बरे कइ द्या।”
35याकोब व योहान हे जब्दीचे मुलगे त्याच्याकडे आले. आणि त्याला म्हणाले, “गुरुजी, आम्ही आपणांजवळ जे मागू ते आपण आमच्यासाठी करावे अशी आमची इच्छा आहे.”
36ईसू ओनसे कहेस, “तू मोसे आपन बरे का करवावइ क चाहत ह”
36येशू त्यांना म्हणाला, “मी तुमच्यासाठी काय करावे अशी तुमची इच्छा आहे?”
37उ सबइ ओसे कहेन, “तू आपन महिमा मँ हम पचेन क बइठइ क अधिकार द्या। हम पचेन मँ एक ठु तोहरे दाएँ अउर एक ठु तोहरे बाएँ बइठइ।”
37ते म्हणाले, “आपल्या वैभवात आमच्यापैकी एकाला तुमच्या उजवीकडे व दुसऱ्याला डावीकडे बसण्याचा अधिकार द्यावा.”
38ईसू ओनसे कहेस, “तू जानत ह नाहीं कि तू सबइ का कहत ह। जउन लुटिया मइँ पिअइ जात हउँ, का तू पी सकत ह का जउन बपतिस्मा मइँ लेवइ क हउँ, का तू पचे उ बपतिस्मा क लइ सकत ह”
38येशू त्यांना म्हणाला, “तुम्ही काय मागत आहात हे तुम्हांस कळत नाही. मी जो प्याला पिणार आहे, तो तुमच्याने पिणे शक्य आहे काय? किंवा मी जो बाप्तिस्मा घेणार आहे तो तुमच्याने घेणे शक्य आहे काय?
39उ पचे ओसे कहेन, “हम वइसा करि सकित ह।” फिन ईसू ओनसे कहेस, “का तू सबइ लुटिया भरि के पीब्या जउन मइँ करि सकत हउँ। जउन बपतिस्मा मइँ लेइ का हउँ, का तू सबइ लइ सकत ह।
39ते त्याला म्हणाले, “आम्हांस शक्य आहे.” मग येशू त्यांना म्हणाला, “मी जो प्याला पिणार आहे तो तुम्ही प्याल आणि जो बाप्तिस्मा घेईन तो तुम्ही घ्याल,
40मुला मोरे दाँए अउर बाँए बइठइ का जगहिया देब मोर अधिकार नाहीं अहइ। इ जगहियन ओनही मनइयन क बरे अहइँ, जेनके बरे उ सबइ तइयार कीन्ह ग अहइँ?”
40परंतु माझ्या उजवीकडे किंवा डावीकडे बसू देणे माझ्या हाती नाही. ज्यांच्यासाठी त्या जागा तयार केल्या आहेत, त्यांच्यासाठीच त्या राखून ठेवल्या आहेत.”
41जब बाकि दसहु ऍकरे बारे मँ सुनेन तउ उ पचे याकूब अउर यूहन्ना प गुस्सा करेन।
41दहा शिष्यांनी या विनंतिविषयी ऐकले तेव्हा ते याकोब व योहानावर फार रागावले.
42फिन ईसू आपन लगे ओनका बोलाएस अउर ओनसे कहेस, “तू जानत ह कि जउन गैर यहूदियन प राज करत हीं, उ हुकुम ओन पइ चलावत हीं अउर ओनका अउर ओनके मुख्य नेतन क ओन प प्रभाव बाटइ।
42येशूने त्यांना जवळ बोलाविले आणि म्हटले, “तुम्हांस माहीत आहे की, परराष्ट्रीयांची जे सत्ताधारी आहेत ते त्यांच्यावर स्वामित्व गाजवितात आणि त्यांचे पुढारी त्यांच्यावर अधिकार गाजवितात.
43मुला तोहरे संग अइसा नाहीं बाटइ। तू सबन मँ जउन बड़वार होइ चाहत ह, उ तोहार नउकर बनइ।
43परंतु तुमच्याबाबतीत तसे नाही. तुमच्यातील जो कोणी मोठा होऊ पाहतो त्याने तुमचा सेवक झाले पाहिजे.
44अउर तू पचन मँ जउन मुखिया बना चाहइ उ तोहार गुलाम बनइ।
44आणि जो कोणी पाहिला होऊ इच्छितो त्याने सवांर्चा सेवक झाले पाहिजे.
45मनइँ क पूत हु सेवा करावइ नाहीं आइ अहइ मुला उ सेवा करइ आइ अहइ अउर आपन जीउ क बहोतन क छुटकारा बरे आइ अहइ।”
45कारण मनुष्याचा पुत्रही सेवा करून घ्यावयास नाही तर तो सेवा करावयास आला आहे. व अनेकांसाठी आपले जीवन खंडणी म्हणून देण्यासाठी आला आहे.”
46फिन उ सबइ यरीहो आएन अउर जब ईसू एक भारी भीर क संग आपन चेलन क लइके यरीहो जात रहा तउ तिमाई क बेटवा बरतिमाई नाउँ क एक ठो आँधर भिखमंगा सरक क किनारे बइठा रहा।
46मग ते यरीहोस आले. येशू आपले शिष्य व लोकसमुदायासह यरीहो सोडून जात असता तिमयाचा मुलगा बार्तीमय हा एक आंधळा भिकारी रस्त्याच्या कडेला बसला होता.
47जब उ सुनेस कि नासरत क ईसू अहइ, उ चिचिआइ क कहइ लाग, “ईसू, दाऊद क पूत! मो पर दाया कर!”
47जेव्हा त्याने ऐकले की, नासरेथचा येशू जात आहे तेव्हा तो मोठ्याने ओरडून म्हणून लागला, “येशू, दाविदाचे पुत्र माझ्यावर दया करा.”
48पर अउर बहोत मिला ओका डाटेन अउर ओका चुप रहइ क कहेन। तब ओकर अवाज ऊँच स ऊँच होत गइ, “दाऊद क पूत! मो प दाया कर!”
48तेव्हा त्याने गप्प बसावे म्हणून अनेकांनी त्याला दटावले. पण तो अधिक मोठ्याने ओरडून म्हणू लागला. “येशू दाविदाचे पुत्र मजवर दया करा.”
49तउ ईसू रुका अउ कहेस, “ओका मोरे लगे बोलॉवा।” एह पइ उ सबइ आँधर क बोलाएन अउर ओसे कहेन, “मनवा क मजबूत कर। खरा ह्वा। ईसू तोहका बोलावत ह।”
49मग येशू थांबला आणि म्हणाला, “त्याला बोलवा. तेव्हा त्यांनी आंधळ्या मनुष्याला बोलाविल आणि म्हटले, “धीर धर, येशू तुला बोलावीत आहे.”
50उ आँधर आपन लबादा फेंकि दिहस अउर उछरि पड़ा अउर फिन ईसू क लगे गवा।
50त्या आंधळ्याने आपला झगा टाकला, उडी मारली व तो येशूकडे आला.
51तब ईसू ओसे कहेस, “तू मोसे आपन बरे का करवावइ चाहत ह” आँधर ओसे कहेस, “हे गुरु, मइँ पुनि देखइ चाहत हउँ।”
51येशू त्याला म्हणाला, “मी तुझ्यासाठी काय करावे अशी तुझी इच्छा आहे?” आंधळा मनुष्य त्याला म्हणाला, “गुरुजी मला पुन्हा दृष्टी प्राप्त व्हावी.”
52तउ ईसू ओनसे कहेस, “जा। तोहरे बिसवास स तोहार उद्धार भवा।” अउर उ फउरन देखइ लायक होइ सका। फिन उ ईसू का पाछे सरक प होइ गवा।
52मग येशू त्याला म्हणाला, “जा! तू विश्वास ठेवलास म्हणून तू बरा झाला आहेस.” लगेच तो पाहू शकला (त्याला दृष्टी आली) आणि रस्त्याने तो येशूच्या मागे चालू लागला.