1ईसू दिस्टान्त कथा खोलि के समझावत ओनसे कहइ लाग: “एक मनई अंगूरे क बाग लगाएस अउर ओकरे चारिहुँ कइँती चहरदेवार बनाएस। फिन उ अंगूरे क रस धरइ बरे एक गड़हा खोदेस अउर ओकरे बाद एक ठु बुर्ज खड़ा करेस। फिन उ कछू किसानन क लगाने प दिहस अउ जात्रा प चला गवा।
1येशू त्यांना बोधकथा सांगून शिकवू लागला, “एका मनुष्याने द्राक्षाचा मळा लावला व त्याच्याभोवती कुंपण घातले. त्याने द्राक्षारसासाठी कुंड खणले, आणि टेहळणीसाठी माळा बांधला. त्याने तो शेतकऱ्यास खंडाने दिला व तो दूर प्रवासास गेला.
2फिन अंगूर पकइ क रितु मँ उ एक ठु नउकर पठएस जेसे उ किसानन स जउन अंगूर पक गवा अहइँ, ओहमाँ स ओकर हींसा लइ आवइ।
2हंगामच्या योग्य वेळी शेतकऱ्याकडून द्राक्षमळ्यातील फळांचा योग्य हिस्सा मिळावा म्हणून त्याने एका नोकरास पाठविले.
3उ मुला उ सबइ नउकर क पकरिके पीटेन, ओका खालि हाथे भगाइ दिहन।
3परंतु त्यांनी नोकरास धरले, मारले आणि रिकामे पाठवून दिले.
4उ एक ठु अउ नउकर हुवाँ पठएस। उ किसानन ओकर मुड़वा फोड़त ओका बेज्जत करेन।
4नंतर त्याने दुसऱ्या नोकरास पाठविले. त्यानी त्याचे डोके फोडले आणि त्याला अपमानकारक रीतीने वागविले.
5उ फिन एक ठु अउ नउकर पठएस, जेकर उ सब कतल कइ दिहन। उ इ तरह कई ठु नउकरन क पठएस, जेनका उ सब मारेन पीटेन अउर केतनन क मारि डारेन।
5मग धन्याने आणखी एका नोकराला पाठविले. त्यांनी त्याला जिवे मारले त्याने इतर अनेकांना पाठविले. शेतकऱ्यांनी काहींना हाणमार केली तर काहींना ठार मारले.
6“अब ओकरे लगे पठवइ क आपन पियारा बेटवा ही बचा रहि गवा। आखिर उ ओनके लगे इ कहत पठएस, “उ पचे मोरे बेटवा क मान सम्मान जरूर कहि रहीं।’
6धन्याजवळ पाठविण्यासाठी आता फक्त त्याचा प्रिय मुलगा उरला होता. त्याने त्याला सर्वात शेवटी पाठविले. तो म्हणाला, “खात्रीने ते माझ्या मुलाला मान देतील.” तो त्याचा आवडता मुलगा होता म्हणून शेवटी त्याने त्याला त्या शेतकऱ्यांकडे पाठाविले.
7“उ किसानन एक दुसरे स कहेन, ‘इ तउ ओकर वारिस अहइ। आवा, ऍका मारि डाइ। अइसे हम पचे एकर वारिस होई जाब।’
7परंतु ते शेतकरी एकमेकांस म्हणाले, “हा तर वारस आहे. चला, आपण याला जिवे मारू म्हणजे वतन ओपले होईल!”
8उ सबइ ओका पकरिके मारि डाएन अउर ओका अंगूर क बागे स बाहेर फेंके दिहन।
8मग त्यांनी त्याला धरले, जिवे मारले, आणि द्राक्षमऴ्याबाहेर फेकून दिले.
9“एह पइ अंगूर क बगिया क मालिक का करी? उ आइके किसानन क मारि डाई अउर बगिया क दुसरे क दइ देई।
9तर मग द्राक्षमळ्याचा धनी काय करील? तो येईल आणि शेतकऱ्यांना जिवे मारील व द्राक्षमळा दुसऱ्यांना देईल.
10का तू पचे पवित्तर सास्तर का बचन नहीं बांच्या: ‘उ पाथर जेका राजगीर बेकाम क समझेन उहइ कोने क पाथर बनि गवा।
10तुम्ही हा शास्त्रलेख वाचला नाही काय? ‘जो दगड बांधणारांनी नाकारला तो कोनशिला झाला.
11इ पर्भू करेस, जउन हमरे निगाहे मँ अजूबा बाटइ।”‘ भजन संहिता 118:22-23
11हे प्रभुन केले. आणि ते आमच्यासाठी आश्चर्य कारक आहे.”‘ स्तोत्र. 118:22-23
12उ सबइ जान गएन कि जउन दिस्टान्त उ दिहेस ह उ ओकरे खिलाफ रहा। तउ उ पचे ओका गिरफतार करइके कउनो कुचाल खोजइ लागेन, मुला उ पचे मनइयन स डेरात रहेन। एह बरे ओका तजि के गएन।
12मग ते येशूला अटक करण्याचा मार्ग शोधू लागले. परंतु त्यांना लोकांची भीति वाटत होती. त्याला अटक करण्याची त्यांची इच्छा होती कारण त्यांना माहीत होते की, ही बोधकथा त्याने त्यांनाच उद्देशून सांगितली होती. मग ते त्याला सोडून निघून गेले.
13तब यहूदी नेतन ईसू क बातन मँ फँसावइ क बरे कछू फरीसियन अउर हेरोदियन क ओकरे नगिचे पठएन।
13नंतर त्यांनी त्याला चुकीचे बोलताना पकडावे म्हणून काही परुशी व हेरोदी यांना. त्याच्याकडे पाठविले.
14जउन ओकरे निअरे फरीसियन अउर हेरोदियन रहेन उ सबइ कहेन, “गुरु, हम पचे जानित ह कि तू बहोतइ ईमानदार मनई अहा अउर तू इ बात क रचिकउ फिकिर करत्या नाहीं कि दूसर मनई का सोचत हीं। तू मनई क हैसियत या ओकर रुतबा क ध्यान न देत परमेस्सर क राहे क सीख देत ह। तउ बतावा न कि कैसर क कर देब ठीक बाटइ की नाहीं। हम ओका कर अदा कइ देइ कि नाहीं?”
14ते त्याच्याकडे आले आणि म्हणाले, “गुरूजी आम्हांस माहीत आहे की, आपण प्रामाणिक आहात आणि कुणाची तमा न बाळगता आपण देवाचा मार्ग खरेपणाने शिकविता. तर मग कैसरला कर देणे योग्य आहे की नाही? आणि आम्ही तो द्यावा की न द्यावा?”
15ईसू ओनकइ चाल चपेट जानि गवा। उ ओनसे कहेस, “तू मोका काहे परखत ह एक ठु दीनार लिआवा काहेकि ओका मइँ लखि सकउँ।”
15परंतु येशूने त्यांचा ढोंगीपणा ओळखला व त्यांना म्हणाला, “तुम्ही माझी परीक्षा का पाहता? माझ्याकडे एक नाणे (चांदीचे एक नाणे) आणा म्हणजे मी ते पाहीन.”
16तउ उ पचे एक ठु दीनार लइ आएन। फिन ईसू ओनसे पूछेस, “यह पइ केकर चेहरा अउर नाउँ लिखा बाटइ?” उ पचे कहेन, “कैसर क।”
16मग त्यांनी त्याच्याकडे नाणे आणले. त्याने त्यांना विचारले, “हा मुखवटा व लेख कोणाचा आहे?” ते त्याला म्हणाले, “कैसराचा.”
17तब ईसू ओनका समझाएस, “जउन कैसर क अहइ, ओका कैसर क द्या अउर जउन परमेस्सर क अहइ ओका परमेस्सर क द्या।” तउ उ पचे अचरजि मँ पड़ि गएन।
17मग येशू त्यांना म्हणाला, “कैसराचे ते कैसराला व देवाचे ते देवाला द्या.” तेव्हा त्यांना त्याच्याविषयी फार आश्चर्य वाटले.
18फिन कछू सदूकियन पुनरुत्थान क नाहीं मनतेन, ओकरे नगिचे आएन अउर उ पचे ओसे पूछेन,
18नंतर काही सदूकी त्याच्याकडे आले, (सदूकी पुनरूत्थान नाही असे समजतात) त्यांनी त्याला विचारले,
19“गुरु, मूसा हमरे बरे लिखेस कि जदि कउनो क भाई मरि जाए अउर ओकरे पत्नी क कउनो लरिका न होइ तउ ओकरे भाई क चाही कि उ ओसे बियाह करइ अउर फिन आपन भाई क बंस क चलावई।
19“गुरुजी. मोशाने आमच्यासाठी असे लिहिले आहे की, जर कोणा मनुष्याचा भाऊ मेला व पत्नी राहिली, परंतु मूलबाळ नसले तर वंश पुढे चालावा म्हणून त्या मनुष्याने तिच्याबरोबर लग्न करावे आणि मेलेल्या भावाचा वंश वाढवावा.
20एक दाई क बात अहइ कि सात ठु भाई रहेन। सबते बड़का भाई बियाह करेस अउर निपूत होइके मरि गवा।
20असे कोणी सात भाऊ होते. पहिल्याने पत्नी केली व तो मूलबाळ व होता मेला.
21फिन दूसर भाई उ स्त्री स बियाह करेस, पर उहउ निपूत होइके मरि गवा। तिसरका भाई भी वइसे करेस।
21दुसऱ्याने तिच्याबरोबर लग्न केले, तोही मूलबाळ न होता मेला.
22सातहु भाइयन मँ कउनो क कउनो संतान नाहीं भइ। आखिर उ स्त्री भी मरि गइ।
22तिसऱ्याने तसेच केले. त्या सात भावांपैकी एकालाही त्या स्त्रीपासून, मूलबाळ झाले नाही. शेवटी ती स्त्रीही मेली.
23मउत क बाद जबहिं उ पचे जी उठिहीं, तउ बतावा उ स्त्री केकर पत्नी भई? काहेकि उ सातहु ओका आपन पत्नी क तरह राखे रहेन।”
23सातही भावांनी तिच्याबरोबर लग्न केले तर पुनरूत्थानाच्या वेळी जेव्हा लोक मेलेल्यातून उठतील तेव्हा ती कोणाची पत्नी असेल? कारण सातही जणांनी तिच्याबरोबर लग्न केले होते.”
24ईसू ओनसे कहेस, “तू पचे न तउ पवित्तर सास्तरन क जानत ह अउर न परमेस्सर क ताकत क। का इ कारण नाहीं जेसे तू पचे भटक गवा बाट्या?
24येशू त्यांना म्हणाला, “खात्रीने, पवित्र शास्त्र आणि देवाचे सामर्थ तुम्हांला माहीत नाही म्हणून तुम्ही अशी चूक करीत आहात.
25काहेकि उ सबइ जबहिं मरे भए स जी उठिहीं, तउ ओनकइ बियाह न होई मुला सबइ सरग मँ दूतन क तरह रइहीं।
25कारण जेव्हा लोक मेलेल्यातून उठतील तेव्हा ते लग्न करणार नाहीत व करून देणार नाहीत. त्याऐवजी ते स्वर्गातील देवदूताप्रमाणे असतील.
26मरे भए स जी उठइ क बातन मँ का तू पचे नाहीं बाँच्या जउन मूसा क कितबिया मँ झाड़ी क बाबत लिखा बाटइ? हुवाँ परमेस्सर मूसा स कहेस, “मइँ इब्राहीम क परमेस्सर, इसहाक क परमेस्सर अउर याकूब क परमेस्सर हउँ।’
26परंतू मेलेल्यांच्या पुन्हा उठण्याविषयी तुम्ही मोशाच्या पुस्तकातील जळत्या झुडपाविषयी वाचले नाही काय? तेथे देव मोशाला म्हणाला, “मी अब्राहामाचा, इसहाकाचा आणि याकोबाचा देव आहे.
27उ मरे भए क परमेस्सर नाहीं मुला जउन जिअत अहइँ ओनकइ परमेस्सर अहइ। तू पचे बहोतइ भारी भूलि मँ पड़ि गवा ह।”
27तो मेलेल्यांचा देव नव्हे तर जिवंत लेकांचा देव आहे. तुम्ही फार चुकत आहा.”
28फिन एक ठु धरम सास्तरि आइ अउर ईसू ओनका चरिचा करत सुनेस। जबहिं उ सास्तरि देखेस कि ईसू ओनका कउने बढ़िया तरकीबे स जबाव दिहेस, उ ईसू स पूछेस, “कउन हुकुम सबते जिआदा बड़कई क अहइ?”
28त्यानंतर एका नियमशास्त्राच्या शिक्षकाने त्यांना वाद घातलाना ऐकले. येशूने त्यांना किती चांगल्या प्रकारे उत्तर दिले ते पाहिले. तेव्हा त्याने विचारले, “सर्व आज्ञांत महत्त्वची पाहिली आज्ञा कोणती?”
29ईसू जबाव दिहेस, “सबते बड़कई क हुकुम इ अहइ: ‘ओ इस्राएली सुना, सिरिफ हमार पर्भू परमेस्सर एक ठु पर्भू अहइ।
29येशूने उत्तर दिले, “पहिली महत्त्वाची आज्ञा ही, ‘हे इस्त्राएला, ऐक, आपला प्रभु देव अनन्य आहे.
30तू आपन पूर मन स समुचइ जिन्नगी स, समुचइ बुद्धि स अउर आपन पूरी ताकत स तोहका आपन परमेस्सर पर्भू स पिरेम करइ चाही।’
30तू आपला देव जो तुझा प्रभु आहे, त्याजवर संपूर्ण अत:करणाने, संपूर्ण जिवाने, संपूर्ण मनाने आणि संपूर्ण शक्तीने प्रीति कर.’
31दूसर हुकुम इ अहइ ‘आपन पड़ोसी स वइसइ पिरेम करा जइसे तू आपन स करत ह।’ इ सब हुकुमन ते बड़ा अउर कउनो हुकुम नाहीं।”
31दुसरी आज्ञा ही आहे, ‘जशी आपणांवर तशी आपल्या शेजाऱ्यावर प्रीति कर.’ यापेक्षा दुसरी कोणतीही आज्ञा मोठी नाही.”
32एह पइ धरम सास्तरी ओसे कहेस, “गुरु तू नीक कह्या। तोहार इ कहब नीक अहइ कि परमेस्सर एक अहइ, ओकरे बजाय अउर दूसर कउनो नाहीं।
32तो मनुष्य उत्तरला, “देव एकच आहे, गुरूजी, आणि त्याच्याशिवाय कोणीही नाही असे आपण म्हणता ते योग्य बोललात.”
33आपन पूरा मन स, समुचइ समझि-बुझि स, पूरी ताकत स परमेस्सर स पिरेम करब अउर आपन भाई आपन पड़ोसी स पिरेम करब सबइ बलि समर्पित भेंट अउर भेंटेन जेकरे बारे मँ कहा अहइ, ओसे जिआदा बड़कइ अहइ।”
33त्याच्यावर पूर्ण अंत:करणाने, पूर्ण समजुतीने, पूर्ण शक्तीने आणि जशी आपणार तशी आपल्या शेजाऱ्यावर प्रीति करणे हे सर्व यज्ञ व अर्पणे, जी आपणास करण्याची आज्ञा दिली आहे, त्यापेक्षाही अधिक महत्त्वाचे आहे.”
34जबहिं ईसू लखेस कि उ मनई समझि के जबाव देत बाटइ तउ ईसू मनई स कहेस, “तू परमेस्सर क राज्य स दूर नाहीं बाट्या।” ओकरे बाद कउनो दूसर मनई ओसे कउनो अउर सवाल पूछइ क हिम्मत नाहीं किहेस।
34येशूने पाहिले की, त्या मनुष्याने शहाणपणाने उत्तर दिले आहे. तेव्हा तो त्याला म्हणाला, “तू देवाच्या राज्यापासून दूर नाहीस.” त्यांनतर त्याला प्रश्न विचारण्याचे धाडस कोणी केले नाही.
35फिन ईसू मन्दिर मँ उपदेस देत भवा कहेस, “कइसे धरम सास्तिरियन कहत बाटेन कि मसीह दाऊद क पूत अहइ?
35येशू मंदिरात शिकवीत असता, तो म्हणाला, “रिव्रस्त दाविदाचा पुत्र आहे असे नियमशास्त्राचे शिक्षक म्हणातात ते कसे शक्य आहे?”
36दाऊद खुद पवित्तर आतिमा स प्रेरित होइके कहेस: ‘पर्भू (परमेस्सर) मोर पर्भू (मसीह) कहेस, मोरे दाहिन कइँती बइठा जब तलक मइँ तोहरे दुस्मनन क तोरे गोड़वा तरे न कइ देउँ।’ भजन संहिता 110:1
36दावीद स्वत: पवित्र आत्म्याने प्रेरित होऊन म्हणाला, ‘प्रभु देव, माझ्या प्रभुला म्हणाला, मी तुझे वैरी तुझ्या पायाखाली घालेपयंर्त तू माझ्या उजवीकडे बैस.” स्तोेत्र. 110:1
37दाऊद खुदइ ओका ‘पर्भू’ कहत बाटइ। फिन मसीह दाऊद क पूत कइसे होइ सकत ह” भारी भीड़ ओका खुस होत होत सुनत रही।
37दावीद स्वत: रिव्रस्ताला ‘प्रभु’ म्हणतो तर मग रिव्रास्त दाविदाचा पुत्र कसा?” आणि मोठा लोकासमुदाय त्याचे आनंदाने ऐकत होता.
38उ आपन उपदेस मँ कहेस, “धरम सास्तरी लोगन्स होसियार रहा। उ पचे आपन लंबा लंबा लबादा पहिरि क ऍहर ओहॅर फिरब पंसद करत ही। ओनका हाटन मँ आपन्क पैलगी कराउब सोहात ह।
38शिक्षण देताना तो म्हणाला, “नियमशास्त्राच्या शिक्षकांविषयी सावध असा. त्यांना लांब झगे घालून मिरवायला आणि बाजारात नमस्कार घ्यायला आवडते.
39अउर आराधनालयन मँ बड़कवा क आसन पइ बइठब चाहत हीं, उ पचे भोजे मँ बड़कावा क आसन पावइ क इच्छा रखत हीं।
39आणि सभास्थानातील व मेजवानीतील सर्वात महत्त्वाच्या जागांची त्यांना आवड असते.
40उ पचे विधवन क मिल्कियत हड़प लेत हीं। उ पचे देखावइ बरे लंबी लंबी पराथना बोलत हीं। इ पचन क करर्ी स करर्ी सजा मिली।”
40ते विधवांची घरे खाऊन टाकतात आणि धार्मिकता दाखविण्यासाठी ते लांब लांब प्रार्थना करतात. या लोकांना फार कडक शिक्षा होईल.”
41ईसू दानपात्र क समन्वा बइठा देखत रहा कि मनई कउने तरह दानपात्र मँ पइसा नावत हीं। बहोतन धनी मनइयन बहोत धन नाइ दिहन।
41येशू दानपेटीच्या समोर बसला असता लोक पेटीत पैसे कसे टाकतात हे पाहत होता. आणि पुष्कळ श्रीमंत लोक भरपूर पैसे टाकीत होते.
42फिन हुवाँ एक ठु गरीब विधवा आइ अउर उ ओहमाँ दुइ दमड़ी नाएस जउन उ एक पइसा क बराबर भी नाहीं रहा।
42नंतर एक गरीब विधवा आली. तिने तांब्याची दोन लहान नाणी टाकली, ज्याची किंमत शंभरातील एका पैशाएवढी होती.
43फिन उ आपन चेलन क नगिचे बोलाएस अउर कहेस, “मइँ तू पचन स सच सच कहत हउँ, धनी लोगन स इ दाने पात्रे मँ नावा एक ढेर क नावा दान स जिआदा बड़कवा दान इ गरीब अउर बेसुहागिन विधवा क अहइ।
43येशूने आपल्या शिष्यांना एकत्र बोलावले आणि म्हणाला, “मी तुम्हांला खरे सांगतो, की सर्वांनी त्या पेटीत जे दान टाकले त्या सर्वांपेक्षा या विधवेने अधिक टाकले आहे.
44काहेकि उ पचे जउन धन फालतू धरे रहेन उ सब ऍहमा नाइ दिहन, मुला इ आपन गरीबी मँ स जउन ऍकरे लगे रहा, उ सब नाइ दिहस। ऍकरे लगे ऍतना ही धन जुरा रहा जउन ऍकरे जिन्नगी क सहारा रहा।”
44मी असे म्हणतो कारण त्यांच्याजवळ जे भरपूर होते त्यामधून त्यांनी काही दान दिले, परंतु ती गरीब असूनही तिच्याजवळ होते ते सर्व तिने देऊन टाकले. ती सर्व तिच्या जीवनाची उपजीविका होती.”