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14

1फसह क त्यौहार अउर वे खमीरे क रोटी क त्यौहार स दुइ दिन पहिले की बात अहइ कि मुख्ययाजकन अउर धरम सास्तिरियन कउनो अइसा कुचाल चलत रहेन कि जउने चलाकी स ओका गिरफतार कइ लेइँ अउर जान स मारि डावइँ।
1वल्हांडण आणि बेखमीर भाकरीच्या सणाच्या दोन दिवस अगोदर प्रमुख याजक आणि नियमशास्त्राचे शिक्षक कपटाने त्याला धरून जिवे मारण्याचा मार्ग शोधीत होते.
2उ सबइ इ कहत रहेन, “मुला हम पचेन क त्यौहार क दिन अइसा नाहीं करइ चाही, नाहीं तउ मनइयन दंगा कइ लेइहीं।”
2कारण ते म्हणत होते “आपण ते सणात करू नये नाही तर लोक दंगा करतील.”
3जब बैतनिय्याह मँ ईसू समौन कोढ़ी क घरे खाना खाइके बइठा, तबहिं एक ठु स्त्री उज्जर अउर चीकन स्फटिक मनि क बासन मँ सुद्ध बाल छड़े क इतर लइ आइ। उ स्त्री बासने को तोड़ेस अउर ओसे निकसत इतरे क ईसू क मुँड़वा प उड़ेरेस।
3येशू बेथानी येथे शिमोन कुष्ठरोगी याच्या घरी मेजावर जेवायला बसला असता कोणी एक स्त्री वनस्पतींपासून बनविलेल्या शूद्ध, सुगंधी तेलाची फार मौल्यवान अलाबास्त्र कुपी घेऊन आली. तिने अलाबास्त्र कुपी फोडली आणि सुगंधी तेल येशूच्या मस्तकावर ओतले.
4ऍइसे हुवाँ कछू चेलन बिगड़ के आपुस मँ कहइ लागेन, “इतरे क अइसी बर्बाद काहे कीन्ह गइ अहइ?
4तेथे असलले काही लोक रागावले, ते एकमेकांना म्हणाले, “सुगंधी तेलाचा असा नाश व्हावा हे बरे नाही.
5इ इतर तउ तीन सउ दीनारे स जिआदा मँ बेंच जाइ सकत ह अउर फिन उ धने क कंगालन मँ बाँटि जाइ सकत रहा।” उ पचे उ स्त्री क निन्दा करेन।
5कारण हे सुगंधी तेल तीस दिनारापेक्षा अधिक किंमतीला विकता आले असते आणि ते पैसे गरीबांना देता आले असते.” त्यांनी तिच्यावर कडक टीका केली.
6तब ईसू कहेस, “काहे क ओका तंग करत ह ओका छोड़ा। उ मोर बरे एक बढ़िया काज करेस ह।
6पण येशू म्हणाला, “तिला एकाकी असू द्या. तिला का त्रास देता? तिने माझ्यासाठी एक सुंदर कृत्य केले आहे.
7काहेकि कंगालन तू हमेसा तोहरे लगे रइहीं अउर तउ तू जब चाहा ओनकइ मदद कइ सकत ह, मुला मइँ तोहरे साथे हमेसा न रहिउँ।
7गरीब तर नेहमी तुमच्याजवळ असतील आणि पाहिजे त्या वेळेला त्यांना मदत करणे तुम्हांला शक्य आहे. परंतु मी नेहमीच तुमच्याबरोबर असेन असे नाही.
8इ स्त्री उहइ किहस जउन उ कइ सकत रही। उ समइ स पहिले मोरे दफनावइ बरे, मोरे बदन पइ इतर छिरकि के ओका तइयार किहेस ह।
8तिला शक्य झाले ते तिने केले. तिने दफनविधीच्या तयारीच्या काळाअगोदरच माझ्या शरीरावर सुगांधी तेल ओतले आहे.
9मइँ तोसे सच-सच कहत हउँ समूचे संसारे मँ जहाँ कहूँ भी इ सुसमाचार क परचार कीन्ह जाई, हुवँई ऍकरे यादे मँ जउन कछू इ स्त्री करेस ह, ओकर चर्चा होई।”
9मी तुम्हांला खरे सांगतो सर्व जगात जेथे कोठे सुवार्तेची घोषणा केली जाईल तेथे तिची आठवण म्हणून तिने जे केले ते नेहमीच सांगतले जाईल.”
10तब यहूदा इस्करियोती, जउन ऍकरे बारहु प्रेरितन मँ एक ठु रहा, मुख्ययाजकन क नगिचे ईसू क धोखा दइ के पकड़वावइ बरे गवा।
10नंतर बारा शिष्यांपैकी एक, यहूदा इस्कर्योत येशूला विश्वासघाताने धरून देण्यासाठी प्रमुख याजकांकडे गेला.
11उ पचे ओकर बतियन सुनिके बहोत खुस भएन अउर उ पचे ओका धन देइ क वादा करेन। एह बरे फिन यहूदा ईसू क धोखा दइ क पकड़वाव क तलास मँ रहइ लाग।
11त्यांना हे ऐकून आनंद झाला. आणि त्यांनी त्याला पैसे देण्याचे वचन दिले. मग यहूदा येशूला धरून त्यांच्या हातात देण्याची संधि पाहू लागला.
12बे खमीरे क रोटी क त्यौहार स एक दिन पहिले, जब फसह मेमना क बलिदान दीन्ह जात रही। ओकरे चेलन ओसे पूछेन, “तू का चाहत बाट्या कि हम पचे कहाँ जाइके तोहरे खइया बरे फसह क भोज तैयारी करी?”
12बेखमीर भाकरीच्या सणाच्या पहिल्या दिवशी जेव्हा वल्हांडण सणाचा कोकरा मारीत असत तेव्हा येशूचे शिष्य त्याला म्हणाले, “आम्ही जातो आणि वल्हांडण सणाच्या भोजनाची तयारी करतो. आम्ही कोठे जाऊन तयारी करावी अशी आपली इच्छा आहे?”
13तब उ आपन दुइ ठो चेलन क इ कहिके पठएस, “सहर मँ जा, जहाँ तोहका एक ठु मनई पानी क गगरी धरे भेंटइ, तउ ओकरे पाछे होइ जा।
13येशूने आपल्या दोघा शिष्यांना पाठविले आणि त्यांना सांगितले, “शहरात जा, आणि पाण्याचे भांडे घेऊन जाणारा मनुष्य तुम्हांला भेटेल, त्याच्या मागे जा.
14फिन जहाँ कहूँ भी उ भीतर जाइ, उ घरे क मालिक स कह्या, ‘गुरु पूछेस ह, भोजन क उ बैठका कहाँ बाटइ, जहाँ मइँ आपन चेलन क संग फसह क भोज खाइ सकउँ।’
14आणि जेथे तो आत जाईल त्या घराच्या मालकास सांगा, ‘गुरुजी म्हणतात, जेथे मला माझ्या शिष्यांबरोबर वल्हांडण सणाचे भोजन करणे शक्य होईल अशी खोली कोठे आहे?’
15फिन उ तोहका ऊपर एक बड़का सजा भवा बैठका देखाई, हुवँइ हमरे बरे तैयारी करा।”
15आणि तो तुम्हांला माडीवरची एक मोठी नीटनेटकी केलेली खोली दाखवील, तेथे आपांसाठी तयारी करा.”
16तब ओकर चेलन हुवाँ स सहर क चेलन जहाँ उ पचे हर बात वइसी निहारेन जइसी ईसू ओनका बताएस। तबहिं उ पचे फसह क भोज तैयार करेन।
16शिष्य निघाले आणि ते शहरात गेले. आणि येशूने सांगितल्याप्रमाणे त्यांना सर्व आढळले. मग त्यांनी वल्हांडण सणाच्या भोजनाची तयारी केली.
17दिन ओनवत क आपन बारहु प्रेरितन क संग ईसू हुवाँ पहुँच गवा।
17संध्याकाळ झाली तेव्हा येशू बारा जणांसह आला.
18जब उ पचे बइठके खइया के खात रहेन, तबहिं ईसू कहेस, “मइँ सच कहत हउँ, तोहरे मँ स एक ठु जउन मोरे संग खइया क खात अहइ, उहइ मोका धोका दइके पकड़वाई।”
18मेजावर बसून ते जेवीत असता येशू म्हणाला, “मी तुम्हांला खरे सांगतो, तुमच्यापैकी जो एक जण मला शत्रूच्या स्वाधीन करून देईल, तो माझ्याबरोबर येथे जेवीत आहे.”
19ऍसे उ पचे दुखी होइ के एक दुसरे स कहइ लागेन, “सचमुच उ मइँ नाहीं हउँ।”
19शिष्य अतिशय खिन्न झाले व प्रत्येक जण त्याला म्हणू लागला, “तो मी आहे का?”
20तब ईसू ओनसे कहेस, “उ बारहु मँ स उहइ एक बाटइ, जउन मोरे संग एकहि थारी मँ खात अहइ।
20तो त्यांना म्हणाला, “बारा जणांपैकी एक जो माझ्याबरोबर ताटात भाकर बुडवीत आहे तोच.
21मनई क पूत क तउ जाइ क अहइ, जइसा कि ओकरे बारे मँ लिखा बाटइ। मुला उ मनई क धिक्कार अहइ, जउन स मनई क पूत पकड़वावइ जाइ केतना नीक इ होत कि उ मनई पइदा न भवा होत।”
21हाय, हाय, त्याच्याविषयी पवित्र शास्त्रात जसे लिहिले आहे, तसा मनुष्याचा पुत्र जाईल, परंतु ज्याच्याकडून मनुष्याचा पुत्र धरून दिला जाईल, त्याचा नाश होवो. तो जन्मला नसता तर ते त्याच्यासाठी बरे झाले असते.”
22जब उ पचे खइया क खात रहेन, ईसू रोटी लिहस, धन्यबाद दिहस, रोटी क तोड़ेस अउर ओका उ पचन्क देत देत कहेस, “ल्या, इ मोर बदन अहइ।”
22ते भोजन करीत असता येशूने भाकर घेतली, उपकारस्तुति केली, ती मोडली आणि त्यांना दिली. तो म्हणाला, “घ्या, हे माझे शरीर आहे.”
23फिन उ कटोरा क उठाएस, धन्यबाद दिहस अउर ओनका दिहस अउर उ सबन ओहमाँ स पियेन।
23नंतर येशूूने प्याला घेतला, उपकारस्तुति केली. तो प्याला त्यांना दिला आणि सर्व त्यांतून प्याले.
24तबहिं ईसू बोल पड़ा, “इ मोर लहू (मउत) बाटइ जउन एक नवा करार क सुरुआत अहइ यह बहुतन क बरे बहावा जात अहइ।
24मग येशू म्हणाला, “हे माझे नव्या कराराचे रक्त आहे. पुष्कळांसाठी ते ओतले जात आहे.
25मइँ तू पचन स सच सच कहत हउँ कि मइँ उ दिना तक दाखरस पिअब जब तलक परमेस्सर क राज्य मँ नवा दाखरस न पिअउँ।”
25मी तुम्हांला खरे सांगतो की, देवाच्या राज्यात मी नवा द्राक्षारस पिईन त्या दिवसापर्यंत मी यापुढे द्राक्षाचा उपज (द्राक्षारस) पिणार नाही.”
26तबहिं उ सब एक स्तुति गाना गाइके जैतून क पर्वत प गएन।
26नंतर त्यांनी उपकारस्तुतिचे गीत गाईले व ते जैतुनाच्या डोंगराकडे निघून गेले.
27ईसू ओनसे कहेस, “तोहार पचे क बिसवास खोइ जाइ। काहेकि लिखा बाटई: ‘मई गड़रियवा क मारब अउ भेड़न छिटकाइ जइहीं।’ जकर्याह 13:7
27येशू शिष्यांना म्हणाला, “तुम्ही सर्व विशवास गमावून बसाल. कारण असे लिहिले आहे की, ‘मी मेंढपाळास मारीन आणि मेंढरे विखुरली जातील.’ जखऱ्या 13:7
28मुला फिन स जी उठे क पाछे मइँ तोसे पहिले ही गलील चला जाब।”
28परंतु माझे पुनरूत्थान झाल्यावर मी तुमच्यापुढे गालीलात जाईन.”
29जब पतरस बोलि उठा, “चाहे सब मिला आपन बिसवास खोइ दें, मुला मइँ न खोउब।”
29पेत्र म्हणाला, “इतर सर्वांनी जरी त्यांचा विश्वास गमावला तरी मी गमावणार नाही.”
30एह पइ ईसू ओसे कहेस, “मइँ तोसे सच कहत हउँ। आजु, इहइ राते मँ मुर्गा क दुइ बार बाँग देइ स पहिले तू तीन दाई मोका नकार चुका होब्या।”
30मग येशू त्याला म्हणाला, “मी तुला खरे सांगतो, आज रात्री दोनदा कोंबडा आरवण्यापुर्वी तू तीन वेळा मला नाकारशील.”
31एह पइ पतरस अउर जोर देत भवा कहेस, “जदि मोका तोर संग मरइ पड़इ तबहुँ मइँ तोहका कबहुँ न नकारब!” तबहिं अउ बाकी चेलन भी अइसा ही कहेन।
31तरीही पेत्र अधिक आवेशाने म्हणाला, “जरी मला आपणांबरोबर मरावे लागले तरी सुद्धा मी आपणांला नाकारणार नाही.” आणि इतर सर्व जण तसेच म्हणाले.
32फिन उ पचे एक अइसे ठउरे प आएन जेका गतसमनी कहा जात हरा। हुवाँ ईसू आपन चेलन स कहेस, “जब तलक मइँ पराथना करत हउँ, तू पचे हियँइ बइठा।”
32नंतर ते गेथशेमाने म्हटलेल्या जागी आले, तेव्हा येशू त्याच्या शिष्यांना म्हणाला, “मी प्रार्थना करीपर्यंत येथे बसा.”
33अउर पतरस, याकूब अउर यूहन्ना क उ आपन संग लइ गवा। उ बहोतइ दुःखी अउर बियाकुल होत रहा।
33येशूने आपल्याबरोबर पेत्र, याकोब व योहान यांना घेतले. दु:ख व वेदनांनी त्याचे मन भरून आले.
34उ ओनसे कहेस, “मोर मन दुःखी बाटइ, जेसे मोर प्रान निकरि जइहीं। तू हियँई ठहरा अउर होसिआर रहा।”
34तो त्यांना म्हणाला, “माझा जीव मरणाइतका वेदना सोशीत आहे. येथे राहा व जागृत असा.”
35फिन रचिके अगवा बढ़ि के उ धरती प निहुरि के पराथना करइ लाग कि जदि होइ सकइ तउ घड़ी मोसे टरि जाइ।
35त्यांच्यापासून थोडे दूर अंतरावर जाऊन तो जमिनीवर पडला आणि त्याने प्रार्थना केली की, “शक्य असेल तर ही घटका मजपासून टळून जावो.”
36फिन उ कहेस, “हे अब्बा परमपिता! तोहरे बरे सब कछू संभव अहइ। इ कटोरा क मोसे दूर करा। फिन जउन कछू मइँ चाहत हउँ, उ नाहीं मुला जउन तू चाहत ह, उहइ करा।”
36तो म्हणाला, “अब्बा बापा, तुला सर्व काही शक्य आहे. हा प्याला मजपासून दूर कर पण मला पाहिजे ते नको तर तुला पाहिजे ते कर. (माझ्या इच्छेप्रमाणे नाही तर तुझ्या इच्छेप्रमाणे कर.)”
37फिन उ लौटा तउ आपन चेलन क सोवत भवा निहारि के पतरस स कहेस, “समौन क तू सोवत अहा? का तू एक घड़ी भी जाग नाहीं सक्या?
37नंतर येशू आला आणि त्यांना झोपलेले पाहिले. तो पेत्राला म्हणाला, “शिमोना, तू झोपी गेलास काय? तासभर तुझ्याच्याने जागे राहवत नाही काय?
38जागत रहा अउर पराथना करा जेसे तू अउनो परिच्छा मँ न फँसा। आतिमा तउ चाहत ह मुला सरीर निर्बल अहइ।”
38जागृत राहा आणि प्रार्थना करा म्हणजे तुम्ही मोहात पडणार नाही. आत्मा उत्सुक आहे पण देह अशक्त आहे.”
39उ फिन चला गवा अउर वइसे ही बचन बोलत बोलत उ पराथना किहेस।
39पुन्हा येशू दूर गेला आणि त्याच गोष्टी उच्चारून त्याने प्रार्थना केली.
40जब उ दुबारा लौटा तउ उ फिन ओका सोवत पाएस। ओकरी आँखिन मँ नींद चाँपे रही। ओका कछू सूझत नाहीं रहा कि उ का जवाब देइ।
40नंतर तो परत आला व त्याला ते झोपलेले आढळले. कारण त्यांचे डोळे जड झाले होते आणि त्याला काय उत्तर द्यावे हे त्यांना कळेना.
41उ तिसरी दाई फिन लौटा अउर ओसे बोला, “का तू अबहुँ अरामे स सोवत अहा? अच्छा, तउ सोवत रहा। उ घड़ी आइ गइ अहइ जब मनई क पूत धोखा स पकड़वाइ जाइ के पापी मनइयन क हथवा मँ दइ दीन्ह जात अहइ।
41तो पुन्हा तिसऱ्या वेळेस आला आणि त्यांना म्हणाला, “तुम्ही अजूनही झोपलेले आणि विश्रांति घेत आहात काय? पुरे झाले! आता वेळ आली आहे. मनुष्याचा पुत्र पाप्यांच्या हाती धरून दिला जात आहे.
42खड़ा होइ जा! आवा चली। देखा, इ आवत अहइ, मोका धोखा दइ के पकड़वइया मनई।”
42उठा, आपण जाऊ या. पाहा, मला धरून देणारा मनुष्य इकडे इकडे येत आहे.”
43ईसू बोलत रहा कि ओकरे बारहु प्रेरितन मँ स एक यहूदा हुवाँ दिखाइ दिहस। ओकरे लगे लठियन अउर तरवारन क लिहे भीड़ रही, जेका मुख्ययाजकन, धरम सास्तिरियन अउर बुजुर्ग यहूदी नेतन पठएन रहेन।
43आणि येशू बोलत आहे तोपर्यंत बारा जणांपैकी एक - यहूदा आला. त्याच्याबरोबर मुख्य याजक व नियमशास्त्रचे शिक्षक आणि वडील यांनी पाठविलेले अनेक लोक तलवारी व सोटे घेऊन आले.
44धोखा दइ के पकड़वइया ओनका ई इसारा बताइ के राखे रहा, “जेका मइँ चूम लेउँ, उहइ उ अहइ। ओका हिरासत मँ लइ ल्या अउर पकड़ि के सुरच्छित स लइ जा।”
44घात करून देणाऱ्याने त्यांना अशी खूण दिली होती की, “मी ज्या कोणाचे चुंबन घेईन तोच तो आहे, त्याला धरा आणि बाजूला काढा.”
45तउ जइसे ही यहूदा हुआँ आवा, उ ईसू क नगिचे जाइ के कहेस, “गुरु!” अउर ओका चूमि लिहेस।
45मग यहूदा आल्याबरोबर तो येशूकडे गेला आणि म्हणाला, “गुरूजी!” आणि यहूदाने येशूचे चुंबन घेतले.
46फिन तुरंतहि उ पचे ओकर हाथ पकड़िके हिरासते मँ लइ लिहन।
46नंतर त्यांनी त्याच्यावर हात टाकले आणि त्याला अटक केली.
47ओकर चेला जउन नगिचे खड़ा रहा, आपन तरवार खींचेस अउर महायाजक क एक ठु नउकरे प मारि दिहस, जेसे ओकर कान कट गवा।
47तेथे जवळ उभे असलेल्यांपैकी एकाने आपली तलवार काढली आणि मुख्य याजाकाच्या नोकरावर वार करून त्याचा कान कापून टाकला.
48फिन ईसू ओनसे कहेस, “का मइँ कउनो अपराधी हउँ जेका पकड़इ तू सबइ लाठी अउर तरवार लइके आइ अहा?
48नंतर येशू त्यांना म्हणाला, “मी लूटारू असल्याप्रमाणे तुम्ही तलवारी आणि सोटे घेऊन मला पकाडायला बाहेर पडलात काय?”
49रोज मन्दिर मँ उपदेस देत मइँ तोहरे साथे रहा मुला तू पचे मोका नाहीं पकड़या। अब इ भवा जइसे सास्तरन क बचन पूरा होइ जाइ।”
49मी दररोज मंदिरात शिकवीत असता तुम्हांबरोबर होतो आणि तुम्ही मला अटक केली नाही. परंतु शास्त्रलेख पूर्ण झालाच पाहिजे.”
50फिन ओकर सब चेलन ओका अकेला तजि के पराइ गएन।
50सर्व शिष्य त्याला सोडून पळून गेले.
51आपन उधार देहे प केवल चदरिया लपेटि के एक ठु नउजवान पाछे पाछे आवत रहा। उ पचे ओका पकड़इ चाहेन।
51एक तरूण मनुष्य अंगावर तागाचे वस्त्र पांघरून त्याच्या मागे चालत होता. त्यांनी त्याला पकडण्याचा प्रयत्न केला,
52मुला उ आपन चदरिया छोड़ि क नंगा पराइ गवा।
52परंतु तो तागाचे वस्त्र टाकून उघाडाच पळून गेला.
53उ सबइ ईसू क महायाजक क नगिचे लइ गएन। फिन सबइ मुख्ययाजकन, बुजुर्ग यहूदी नेतन अउर धरम सास्तिरियन जमा भएन।
53नंतर त्यांनी येशूला तेथून मुख्य याजकाकडे नेले. आणि सर्व मुख्य याजक, वडील व नियमशास्त्राचे शिक्षक जमा झाले.
54पतरस ओसे दूरइ दूर रहत भवा ओकरे पाछे पाछे महायाजक क अंगना मँ भीतर तलक चला गवा अउर हुवाँ क पहरेदारन क साथ बइठके आगी तापइ लाग।
54थोडे अंतर ठेवून पेत्र येशूच्या मागे थेट मुख्य याजकाच्या वाड्यात गेला. तेथे पेत्र पहारेकऱ्याबरोबर विस्तवाजवळ शेकत बसला.
55समूची यहूदी महासभा अउर मुख्ययाजकन ईसू क मउत की सजा देइ बरे ओकरे खिलाफत मँ प्रमान खोजइ क जतन करत रहेन मुला ढूँढ नाहीं पाएन।
55मुख्य याजक आणि सर्व यहूदी सभा येशूला जिवे मारण्यासाठी पुरावा गोळा करण्याचा प्रयत्न करीत होते. परंतु त्यांना काही मिळेना.
56बहोतन ओकरे खिलाफत मँ झूठी साच्छी दिहन, मुला उ सबइ साच्छी आपुस मँ एक दूसर क खिलाफ रहीं।
56पुष्कळांनी त्याच्याविरूद्ध खोटी साक्ष दिली. परंतु त्यांची साक्ष सारखी नव्हाती.
57फिन कछू लोग खड़े भएन अउर ओकरे खिलाफ मँ झूठी साच्छी देत भए कहइ लागेन,
57नंतर काही जण उभे राहीले आणि त्याच्या विरूद्ध साक्ष देऊन म्हणाले, “आम्ही त्याला असे म्हणताना ऐकले की,
58“हम पचे ऍका इ कहत सुनेन ह, ‘मनइयन क हथवा स बना भवा इ मन्दिर क मइँ ढहाइ देइहउँ अउर फिन तीन दिना क भीतर दूसर बनाइ देइहउँ, जउन हाथन स बना न होइ।”‘
58“हाताने बांधलेले मंदिर मी पाडून टाकीन आणि हातांनी न बांधलेले असे दुसरे मंदिर तीन दिवसात उभारीन.’
59लेकिन इन सबन मँ ओ पचेन क साच्छियन एक नाई नाहीं रही।
59परंतु तरीही या बाबातीत त्यांच्या साक्षीत मेळ नव्हता.
60तब ओनके समन्वा महायाजक ठाड़ होइके ईसू स पूछेस, “इ सब लोग, तोहरे खिलाफत मँ इ कउन साच्छियन देत बाटेन? का जबावे मँ तोहका कछू नाहीं कहइके?”
60नंतर मुख्य याजक त्यांच्यापुढे उभा राहिले आणि त्याने येशूला विचारले, “तू उत्तर देणार नाहीस काय? हे लोक तुझ्याविरूद्ध आरोप करताहेत हे कसे?”
61यह पइ ईसू चुप्पी साधेस। उ कउनो जबाव नाहीं दिहस। महायाजक फिन ओसे पूछेस, “का तू धन्य (परमेस्सर) का पूत मसीह अहा?”
61परंतु येशू गप्प राहिला. त्याने उत्तर दिले नाही. नंतर मुख्य याजकाने पुन्हा विचारले, “धन्य देवाचा पुत्र तो तू रिव्रस्त आहेस काय?”
62ईसू बोला, “हाँ, मइँ परमेस्सर क पूत हउँ। अउर तू सब मनई क पूत क उ सर्वसक्तिमान क दाई ठाउँ बइठा अउर सरगे क बदरवन मँ आवत देखब्या।”
62येशू म्हणाला, “मी आहे, आणि तुम्ही मनुष्याच्या पुत्राला सर्वसमर्थ देवाच्या उजवीकडे बसलेले व आकाशातील मेघांसह येताना पाहाल.”
63महायाजक आपन ओढ़ना क फाड़त भवा कहेस, “हमका अउ साच्छियन क अब का जरूरत अहइ!
63मुख्य याजकाने आपले कपडे फाडले आणि म्हणाला, “आपणांला अधिक साक्षीदारांची काय गरज आहे?
64तू इ सब बेज्जत बातन क कहत सुन्या, अब तोहार का विचार अहइ?” उ सबइ ओका अपराधी ठहराइके कहेन, “ऍका मउत क सजा मिलइ चाही।”
64तुम्ही निंदा ऐकली आहे. तुम्हांला काय वाटते?” सर्वांनी त्याला मरणदंड योग्य आहे अशी शिक्षा फर्माविली.
65तब कछू मिला ओह पइ थूकत मुँहना क ढकत, घूँसा मारत अउर कछू ओकर हँसी दिल्लगी करत कहइ लागेन, “भविस्सबाणी करा!” अउ फिर पहरेदरवन ओका पीटेन।
65काही जण त्याच्यावर थंुकू लागले. त्याचे तोंड झाकून बुक्के मारू लागले व त्याला म्हणू लागले, “ओळख बरे, तुला कोणी मारले?” पाहारेकऱ्यांनी त्याला ताब्यात घेतले आणि मारले.
66पतरस अबहीं नीचे अँगने मँ बइठा रहा कि महायाजक क एक ठु नउकरानी आइ।
66पेत्र अंगणात असतानाच मुख्य याजकांच्या दासींपैकी एक आली.
67जबहिं उ पतरस क आगी तापत देखेस तउ बड़े धियान स बोली, “तुहउँ तउ ईसू नासरी क संग रह्या।”
67आणि तिने पेत्राला शेकताना पाहिले. तेव्हा तिने त्याच्याकडे निरखून पाहिले व म्हणाली, “तू सुद्धा नासरेथकर येशूबरोबर होतास ना?”
68मुला पतरस मुकरि गवा अउर कहइ लाग, “मइँ नाहीं जानित या मोरी समझ मँ नहीं आवत अहइ कि तू का कहति अहा।” इ कहत उ ड्योढ़ी तक चला गवा। तबहिं मुर्गा बाँग दिहस।
68परंतु पेत्राने ते नाकारले, आणि म्हणाला, “तू काय म्हणतेस हे मला कळत नाही व समजतही नाही.” पेत्र अंगणाच्या दरवाजाच्या देवडीवर गेला आणि कोंबडा आरवला.
69उ नउकरानी जब ओका दोबॉरा देखेस तउ हुवाँ खड़े मनइयन स फिन कहइ लाग, “इ मनई भी ओनमाँ स एक अहइ।”
69जेव्हा दासीने त्याला पाहिले तेव्हा जे लोक तेथे होते त्यांना ती म्हणू लागली की, “हा मनुष्य त्यांच्यापैकीच एक आहे.”
70पतरस फिन मुकर गवा, अउ फिन थोड़ी देर मँ उहाँ खडेन्ह लोगन्ह पतरस स कहेन, “निस्चय ही तू ओनमे स एक अहा, काहेकि तोहू गलील का अहा।”
70पेत्राने पुन्हा ते नाकारले. नंतर थोड्या वेळाने तेथे उभे असलेले लोक पेत्राला म्हणाले, “खात्रीने तू त्यांच्यापैकी एक आहेस, कारण तू सुद्धा गालीली आहेस.”
71तब पतरस आपन क धिक्कारइ अउर सपथ खाइ लाग। “जेकरे बारे मँ तू बात करत अहा, उ मनई क मइँ नाहीं जानित!”
71पेत्र स्वत:ची निर्भत्सना करीत व शपथ वाहून म्हणाला, “तुम्ही ज्या माणसाविषयी बोलत आहात त्याला मी ओळखत नाही!”
72फउरन मुर्गा दूसर बाँग दिहस। पतरस क उहइ समइया उ सब्दन याद होइ आएन जउन ओहमाँ स ईसू कहे रहा, “एसे पहिले कि मुर्गा दुइ दाई बाँग देइ, तू मोका तीन दाई नकरब्या।” तब पतरस जइसे टूटि गवा होइ। वह फूट फूट कइ रोवइ लाग।
72आणि लगेच दुसऱ्यांदा कोंबडा आरवला. “दोन वेळा कोंबडा आरवण्यापूर्वी तू मला तीन वेळा नाकारशील,” असे येशू म्हणाला होता याची पेत्राला आठवण झाली व तो अतिशय दु:खी झाला व ढसढसा रडला.