Awadhi: NT

Marathi

Matthew

19

1इ बातन बताइ के ईसू गलील स लउटिके यहूदिया क पहँटा मँ यरदन नदी क पार गवा।
1येशूने या सर्व गोष्टी सांगितल्यानंतर तो गालीलातून निघून गेला. आणि यार्देन नदीच्या दुसऱ्या किनाऱ्याकडील यहूदा प्रांतात गेला.
2हुवाँ एक ठु भारी भीड़ ओकरे पाछे होइ गइ। उ बेरमिया मनई क चंगा किहेस।
2तेव्हा मोठा लोकसमुदाय त्याच्या मागे गेला आणि तेथील अनेक आजरी लोकांना येशूने बरे केले.
3कछू फरीसियन ओका परखइ बरे ओकरे निअरे पहुँचेन अउर बोलेन, “का इ ठीक बाटइ कि कउनो आपन पत्नी क कउने भी कारण स तलाक दइ सकत ह”
3काही परूशी येशूकडे आले. येशूने चुकीचे काही बोलावे असा प्रयत्न त्यांनी चालविला. त्यांनी येशूला विचारले, कोणत्याही कारणास्तव एखाद्या मनुष्याने आपल्या पत्नीला सोडचिठ्ठी द्यावी काय?
4जवाब देत ईसू कहेस, “का तू पवित्तर सास्तरन मँ नाहीं बाँच्या कि जबहि संसार क रचइया ऍका रचेस, सुरुआत मँ ‘उ एक पुरुस अउर एक स्त्री बनाएस?’
4येशूने उत्तर दिले, पवित्र शास्त्रात असे लिहिलेले तुमच्या वाचनात निश्चितच आले असेल की, जेव्हा देवाने जग उत्पन्न केले,
5अउर परमेस्सर कहे रहा, ‘इहइ कारण आपन महतारी बाप क तजिके पुरुस आपन पत्नी क संग होत भवा भी एक तन होइके रही।’
5आणि देव म्हाणाला, म्हणून पुरूष आपल्या आईवडिलांना सोडिल व आपल्या पत्नीला जडून राहील. ती दोघे एकदेह होतील.
6तउ उ सबइ दुइ नाहीं रहतेन मुला एक रूप होइ जात हीं। एह बरे जेका परमेस्सर जोड़ेस ह ओका कउनो मनई क अलगावइ नाहीं चाही।”
6म्हणून दोन व्यक्ति या दोन नाहीत तर एक आहेत. देवाने त्या दोघांना एकत्र जोडले आहे. म्हणून कोणाही व्यक्तिने त्यांना वेगळे करू नये.”
7उ फरीसियन बोलेन, “फिन मूसा इ काहे ठहराएन ह कि कउनो पुरुस आपन पत्नी क तलाक दइ सकत ह। सर्त इ अहइ कि उ ओका तलाकनामा लिखि के दइ देइ।”
7परुश्यांनी विचारले, असे जर आहे, तर मग पुरूषाने सोडचिठ्टी लिहून देण्याची आणि आपल्या पत्नीला सोडून देण्याची मोकळीक देणारी आज्ञा मोशेने का दिली?”
8ईसू ओनसे कहेस, “तोहरे मन की कठोरता क कारण मूसा पत्नी क तलाक देने की अनुमति तोहका दिहेस। मुला सुरुआत मँ अइसी रीति नाहीं रही।
8येशूने उत्तर दिले, तुम्ही दावाची शिकवण मानण्यास नकार दिल्याने तुमच्या पत्नींना सोडून देण्याची मोकळीक दिली. पण सुरुवातीला सोडाचिठ्ठी देण्याची मोकळीक नव्हती.
9तउ मइँ तोहसे कहत हउँ कि जउन व्यभिचार क तजिके आपन पत्नी क कउनो अउर कारण स तलाक देत ह अउर कउनो दूसर स्त्री क बीहत ह तउ उ व्यभिचार करत ह।”
9मी तुम्हांसा सांगतो, जो मनुष्य आपली पत्नी सोडून देतो आणि दुसरीशी लग्न करतो तो व्यभिचार करतो. आपल्या पत्नीला सोडचिठ्ठी देण्याचे एकच कारण आहे, ते म्हणजे पहिल्या पत्नीने परपुरुषांशी व्यभिचार करणे होय.”
10ऍह प ओकर चेलन ओसे कहेन, “जदि एक स्त्री अउर एक पुरुस क बीच अइसी बात होइ तउ कउनो क बिआह नाहीं करइ क चाही।”
10मग त्याचे शिष्य त्याला म्हणाले, जर पती व पत्नीमधील परिस्थिति अशी असेल तर मग लग्न न करणे जास्त योग्य ठरेल.”
11फिन ईसू ओनसे कहेस, “हर कउनो तउ इ उपदेस क नाहीं मानत। ऍका बस उहइ मान सकत ह जेका ऍकर छमता प्रदान की गइ अहइ। परमेस्सर स ताकत मिलि गइ अहइ।
11येशूने उत्तर दिले, लग्नाविषयीची अशी शिकवण स्वीकारणे प्रत्येक मनुष्याला शक्य होणार नाही. परंतू काही जणांना देवाने ही शिकवण ग्रहण करण्यास संमति दिली आहे.
12कछू अइसेन बाटेन जउन महतारी क गर्भ स नपुंसक पइदा भएन। अउर कछू एसे अहइ जउन लोगोन द्वारा नपुंसक बना दिन्हा अहइँ। अउर आखिर मँ कछू अइसे भी बाटेन जउन सरगे क राज्य क कारण बिआह नाहीं करइ क फइसाला कइ लिहन। इ उपदेस क जउन लइ सकत होइ, लइ ले।”
12काही लोकांची लग्न न करण्याची कारणे निराळी असू शकतील. जन्मापासूनच काही माणसे अशी असतात की, ती मुलांना जन्म देऊ शकत नाहीत. इतर काही माणसांनी काही जणांना तसे बनविलेले असते तर आणखी काही माणसांनी स्वर्गाच्या राज्याकरिता लग्न करने सोडून दिले आहे, परंतू ज्याला लग्न करणे शक्य होईल, त्या मनुष्याने लग्नाविषयी ही शिकवण मान्य करावी.”
13फिन मनइयन कछू गदेलन क ईसू क लगे लइ आएन कि उ ओनके मुँड़वा प हथवा धइके ओनका आसीर्बाद देइ अउ ओनके बरे पराथना करइ। मुला ओकर चेलन ओका डाटेन।
13नंतर येशूने आपल्या मुलांवर हात ठेवून प्रार्थना करावी यासाठी काही लोकांनी आपली मुले त्याच्याकडे आणली. येशूच्या शिष्यांनी त्यांना पाहिल्यावर ते बालकांना घेऊन येशूकडे येण्यास मना करू लागले.
14ओह प ईसू कहेस, “गदेलन क रहइ द्या, ओनका जिन रोका, मोरे लगे आवइ द्या काहेकि सरगे क राज्य अइसेन क अहइ।”
14परंतु येशू म्हणाला, लहान मुलांना मजकडे येऊ द्या, त्यांना मना करू नका, कारण स्वर्गाचे राज्य या लहान मुलांसारख्या लोकांचेच आहे.”
15फिन उ गदेलन प आपन हाथ रखेस अउर हुवाँ स चला गवा।
15मुलांवर हात ठेवल्यावर येशू तेथून निघून गेला.
16हुवाँ एक मनई रहा। उ ईसू क लगे आवा अउर कहेस, “गुरु अनन्त जीवन पावइ बरे मोका का नीक काम करइ चाही?”
16एक मनुष्य येशूकडे आला आणि त्याने विचारले, गुरूजी अनंतकाळचे जीवन मिळावे म्हणून मी कोणत्या चांगल्या गोष्टी केल्या पाहिजेत?”
17ईसू ओसे कहेस, “नीक का अहइ, ऍकरे बारे मँ मोसे काहे पूछत अहा? काहेकि नीक तउ सिरिफ एक ही बाटइ। फिन भी तू अगर अनन्त जिन्नगी मँ घुसइ चाहत ह, तउ तू हुकुमन क मान ल्या।”
17येशूने उत्तर दिले, काय चांगले आहे असे मला का विचारतोस? फक्त देव एकच चांगला आहे पण जर तुला अनंतकाळचे जीवन पाहिजे तर सर्व आज्ञा पाळ.”
18उ ईसू स पूछेस, “कउन स हुकुम?” तब ईसू बोला, “कतल जिन करा। व्यभिचार जिन करा। चोरी जिन करा। झूठी साच्छी जिन द्या।
18त्याने विचारले, कोणत्या आज्ञा?” येशूने उत्तर दिले, खून करू नको, व्यभिचार करू नको, चोरी करू नको, खोटी साक्ष देऊ नको.
19आपन बाप अउर आपन महतारी क इज्जत करा अउर ‘जइसे तू आपन खुद क पिआर करत ह, वइसे ही आपन पड़ोसी स पिआर करा।’?”
19आपल्या आईवडिलांना मान दे आणि जशी स्वत:वर प्रीति करतोस तशी इतंरावर प्रीति कर.’
20नउजवान ईसू स पूछेस, “मइँ एन सब बातन क पालन किहेउँ ह। अब मोहमाँ कउने बात क कमी अहइ?”
20तो तरुण म्हणाला, या सर्व आज्ञा मी पाळत आलो आहे. मी आणखी काय करावे?”
21ईसू ओसे कहेस, “जदि तू सिद्ध बनइ चाहत अहा तउ जा अउर जउन कछू तोहरे लगे बा, ओका बेचिके धन गरीबन क दइ द्या जइसे सरग मँ तोहका धन मिल सकइ। फिन आवा अउर मोरे पाछे होइ जा।”
21येशूने उत्तर दिले, तुला जर परिपूर्ण व्हायचे असेल तर जा आणि तुझे जे काही आहे ते विकून टाक. आणि ते पैसे गरीबांना वाटून दे. म्हणजे स्वर्गात तुला मोठा ठेवा मळेल. मग ये आणि माझ्यामागे चालू लाग.”
22मुला जब उ नउजवान मनई इ सुनेस तउ उ दुखी होइके चला गवा काहेकि उ बहोत धनी रहा।
22पण जेव्हा त्या तरूणाने हे ऐकले, तेव्हा त्याला फार दु:ख झाले. कारण तो खूप श्रीमंत होता, म्हणून तो येशूला सोडून निघून गेला.
23ईसू आपन चेलन स कहेस, “मइँ तोहसे सच कहत हउँ कि धनी क सरगे क राज्य मँ घुसि पाउब मुस्किल बाटइ।
23तेव्हा येशू आपल्या शिष्यांना म्हणाला, मी तुम्हाला खरे सांगतो, धनवान माणासाला स्वर्गाच्या राज्यात प्रवेश करणे फार कठीण जाईल.
24हाँ मइँ तोहसे कहत हउँ कि कउनो धनी मनई क सरग क राज्य मँ घुसि पाउब स एक ऊँटे क सुई क छेद क निकर जाब सहल बा।”
24मी तुम्हांला सांगतो की, धनवानाचा स्वर्गाच्या राज्यात प्रवेश होणे यापेक्षा उंटाला सुईच्या नेढ्यातून जाणे जास्त सोपे आहे.”
25जब ओकर चेलन सुनेन तउ अचरज मँ आइके पूछेन, “फिन केकर उद्धार होइ सकत ह”
25जेव्हा शिष्यांनी हे ऐकले तेव्हा ते फार आश्चर्यचकित झाले. त्यांनी येशूला विचारले, “मग कोणाचे तारण होईल?”
26ईसू ओनका देखत भवा कहेस, “मनइयन बरे इ असम्भव बाटइ मुला परमेस्सर बरे सब कछू होइ सकत ह।”
26येशूने आपल्या शिष्यांकडे पाहिले आणि तो म्हाणाला, मनुष्यांना हे अशक्य आहे, पण देवासाठी सर्व गोष्टी शक्य आहेत.”
27जबावे मँ पतरस ओसे कहेस, “देखा, हम पचे कछू तजिके तोहरे पाछे होई गएन ह। तउ हमका का मिली?”
27पेत्र येशूला म्हणाला, पाहा, आम्ही सर्व काही सोडले आणि तुमच्या मागे आलो आहोत; मग आम्हांला काय मिळेल.?”
28ईसू ओनसे कहेस, “मइँ तू सबन स सच कहत हउँ कि नवा जुग मँ जब मनई क पूत आपन प्रतापी सिंहासने प बिराजी तउ तू भी, जउन मोरे पाछे अहा, बारह सिंहासन प बइठिके इस्राएल क बारह कबीले क निआव करब्या।
28येशू म्हणाला, मी तुम्हांला खरे सांगतो, नव्या युगात जेव्हा मनुष्याचा पुत्र त्याच्या गौरवी सिंहासनावर बसेल तेव्हा तुम्ही जे सर्व माझ्यामागे आलात ते सर्व बारा आसनांवर बसाल आणि इस्राएलाच्या बारा वंशाचा न्याय कराल.
29अउर मोरे बरे जेतना भी घर-बार या भाइयन या बहिनियन या बाप या महतारी या बचवन या खेतन क तजि दिहे अहा, उ सब सौ गुना जिआदा पाइ अउर अनन्त जीवन क हकदार होई।
29ज्याने ज्याने माझ्या मागे येण्याकरिता आपले घर, भाऊ, बहीण, आईवडील, मुले, शेतीवाडी सोडली असेल तर त्याला त्यापेक्षा कितीतरी जास्तापटीने लाभ होईल व त्याला अनंतकाळचे जीवन मिळेल.
30मुला बहोत स जउन अब पहिले अहइँ, पिछला होइ जइहीं अउर जउन पिछला अहइँ उ पहिले होइ जइहीं।
30पण पुष्कळसे जे आता पहिले आहेत ते शेवटचे होतील आणि जे शेवटचे आहेत ते पहिले होतील.”