1ईसू अउर ओकर चेलन जब यरूसलेम क लगे जैतून पहाड़े क नगिचे बैतफगे पहुँच गएन।
1येशू व त्याचे शिष्य यरुशलेमजवळ आले असता ते जैतूनाचा डोंगर म्हटलेल्या टेकडीवळ बेथफगे या जागी थांबले. येशूने त्याच्या दोन शिष्यांना
2तउ ईसू आपन दुइ चेलन क इ हुकुम दइके पठएस, “आपन सोझइ समन्वा क गाउँ मँ जा अउर हुवाँ जात भए ही तोहका एक गदही बाँधी मिली। ओकरे लगे ओकर बच्चा भी मिली। ओनका बाँधिके मोरे लगे लइ आवा।
2असे सांगून पाठविले की, तुमच्या समोर असलेल्या गावात जा. तुम्ही गावात शिराल तेव्हा एक गाढवी बांधून ठेवलेली व तिच्या जवळ एक शिंगरु असलेले तुम्हांला आढळेल. ती दोन्ही गाढवे सोडून माझ्याकडे घेऊन या.
3जदि कउनो तोहसे कछू कहइ तउ ओसे कह्या, ‘पर्भू क ऍकर जरूरत अहइ। उ फउरन ही लउटाइ देई।”‘
3जर कोणी तुम्हांला विचारले की, ही गाढवे कशासाठी नेत आहात तर त्याला सांगा की, येशूला यांची गरज आहे. तो ती लगेच माझ्याकडे पाठवील.”
4अइसा यह बरे भवा कि नबी अइसा कहे रहा:
4हे यासाठी घडले की संदष्ट्यांपैकी एक जण जे बोलला होता ते पूर्ण व्हावे:
5“सिय्योन क नगरी स कहि द्या, ‘देखा तोहार राजा तोहरे लगे आवत बा। उ नमनसील अहइ, अउर गदहे प सवार अहइ हाँ गदहे क बच्चा प जउन एक लादइवाला पसु क बच्चा अहइ।”‘ जकर्याह 9:9
5सोयोनेच्या कन्येला सांग, पाहा, तुझा राजा तुझ्याकडे येत आहे! तो लीन आहे आणि नम्र होऊन गाढवावर बसून येत आहे, होय शिंगरावर, कष्ट करणाऱ्या प्राण्याच्या शिंगरावर.”‘ जखऱ्या 9:9
6तउ ओकर चेलन चला गएन अउ वइसा ही किहेन जइसा ओनका ईसू बताए रहा।
6त्याचे शिष्य गेले आणि जसे येशूने सांगितले होते तसे त्यांनी केले.
7उ पचे गदही अउर ओकरे बच्चा क लइ आएन। अउर ओन प आपन ओढ़ना डार दिहन काहेकि ईसू क बइठब रहा।
7शिष्यांनी गाढवी व शिंगरू येशूकडे आणले. त्या गाढवावर त्यांनी आपले अंगरखे घातले आणि येशू त्यावर बसला.
8बहोत मिला आपन ओढ़ना राहे मँ दसाइ दिहेन अउ दूसर मनइयन बृच्छ क टहनी काटेन अउर ओनका राहे प बिछाइ दिहन।
8पुष्कळ लोकांनी आपले अंगरखे येशूसाठी वाटेवर अंथरले. दुसऱ्या काही लोकांनी झाडांच्या फांद्या तोडल्या आणि त्या रस्त्यावर पसरल्या.
9जउन मनई ओकरे आगे चलत रहेन अउर जउन मनई पाछे चलत रहेन, सब पुकारि क कहत रहेन: “दाऊद क पूत क होसन्ना! धन्य अहइ जउन पर्भू क नाउँ प आवत बाटइ! सरगे मँ बिराजेस परमेस्सर क होसन्ना!” भजन संहिता 118:26
9काही लोक येशूच्या पुढे चालू लागले. काही लोक येशूच्या मागून चालू लागले. ते लोक मोठ्याने जयघोष करु लागले, “होसान्ना, दाविदाच्या पुत्राला प्रभुच्या नावाने येणारा धन्यवादित असो, स्वर्गीय देवाला होसान्ना!” स्रोत 118:26
10तउ जब उ यरूसलेम मँ घुसा तब समूचा सहर मँ हड़बड़ाइ गवा। लोग पुछइ लागेन, “इ कउन अहइ?”
10जेव्हा येशूने यरूशलेमेमध्ये प्रवेश केला तेव्हा संपूर्ण शहर ढवळून निघाले व लोक विचारत होते. हा कोण आहे?”
11लोग ही जवाब देत रहेन, “इ गलील क नासरत क नबी ईसू अहइ।”
11जमाव उत्तर देत होता, हा येशू संदेष्टा आहे, तो गालील प्रांतातील नासरेथचा आहे.”
12फिन ईसू मन्दिर क अहाते मँ आवा अउर उ मन्दिर क अहाते मँ जउन बेंचत बेसहत रहेन, ओन सबन क बाहेर खदेरेस। उ पइसा क लेवइया देवइया क चउकी उलटि दिहस अउ कबूतरे क दुकानदार क तखता पलटेस।
12मग येशूने मंदिराच्या आवारात प्रवेश केला तेव्हा तेथे जे लोक विक्री करीत होते व खरेदी करीत होते त्यांची मेजे त्याने उलथून टाकली आणि जे लोक कबूतरे विकत होते त्यांची बसण्याची बाके उलथून टाकली.
13उ ओनसे कहेस, “पवित्तर सास्तरन मँ कहत बा, ‘मोर घर पराथना घर कहा जाई।’ मुला तू सबइ ऍका ‘डाकुअन क अड्डा’ बनावत अहा।”
13येशू त्यांना म्हणाला, “पवित्र शास्त्रात असे म्हटले आहे, ‘माझे घर प्रार्थनेचे घर म्हटले जाईल. पण तुम्ही त्याला लुटारुंची गुहा केले आहे.”‘
14मन्दिर मँ कछू आँधर, लँगड़ा लूला ओकरे लगे आएन। जेनका उ नीक किहेस।
14काही आंधळे आणि पांगळे लोक मंदिरात येशूकडे आले. येशूने त्यांना बरे केले.
15जब मुख्ययाजकन अउर धरम सास्तिरियन ओकर अचरज कारजन क लखेन जउन उ किहे रहा अउर मन्दिर मँ गदेलन क ऊँची आवाजे मँ कहत सुनेन: “दाऊद क पूत क होसन्ना।”
15जेव्हा मुख्य याजक व नियमशास्त्राच्या शिक्षकांनी, येशूने केलेल्या आश्र्चर्यकारक गोष्टी आणि मंदिराच्या आवारात लहान मुलांना दाविदाच्या पुत्राला होसान्ना.” अशी घोषाणा देताना पाहिले, तेव्हा या सर्व गोष्टींमुळे त्यांना राग आला.
16तउ उ पचे कोहाइ गएन अउ ओसे पूछेन, “तू सुनत अहा इ सबन का कहत अहइँ?” ईसू ओनसे कहेस, “हाँ सुनत अही। का पवित्तर सास्तर मँ तू बचन नाहीं पढ़्या, ‘तू गदेलन अउर दूधमुँहन बचवन स स्तुति कराया ह।’ “
16त्यांनी त्याला विचारले, ही मुले काय म्हणत आहे हे तुम्ही ऐकता ना?” येशूने त्यांना उत्तर दिले, होय, पवित्र शास्त्रात काय लिहिले आहे ते तुम्ही ऐकले नाही का? तू बालके व तान्हुली यांना स्तुती करायला शिकविले आहेस.’
17फिन उ ओनका हुवँइ तजिके यरूसलेम सहर स बाहेर बैतनिय्याह चला गवा। जहाँ उ राति बिताएस।
17नंतर येशू तेथून निघाला व बेथानीला गेला. तेथे तो रात्रभर राहिला.
18दूसर दिन अलख भिन्सारे जब उ सहर लउटत रहा तउ ओका भूख लागि।
18दुसऱ्या दिवशी पहाटे तो यरूशलेमकडे पुन्हा येत असत त्याला भूक लागली.
19रस्ता क किनारे अंजीर क बिरवा क लखेस तउ उ ओकरे नगिचे गवा, मुला ओका ओह प पातन क छोड़िके कछू नाहीं मिल सका। तब उ बिरवा स कहेस, “तोह प आगे कछू फल न लागइ।” अउर अंजीरे क बृच्छ फउरन झुराइ गवा।
19रस्त्याच्या कडेला त्याला अंजिराचे एक झाड दिसले. अंजिर खायला मिळेल या आशेने तो झाडाजळ गेला. पण झाडावर त्याला एकही अंजिर दिसले नाही. त्याला फक्त पाने होती. येशू त्या झाडाला म्हणाला, यापुढे तुला कधीही फळ न येवो!” आणि ते झाड लगेच वाळून गेले आणि मेले.
20जइसेन चेलन इ निहारेन तउ अचरजे मँ आइके पूछेन, “इ अंजीरे क बिरवा ऍतनी हाली कइसे झुराइ गवा?”
20शिष्यांनी हे पाहिले, तेव्हा त्यांना फार आश्चर्य वाटले. त्यांनी विचारले, हे अंजिराचे झाड इतक्या लवकर वाळून कसे गेले आणि मेले?”
21ईसू जवाब देत भवा ओन पचेन स कहेस, “मइँ तोहसे सच कहत हउँ जदि तोहरे मँ बिसवास अहइ अउ तू संदेस नाहीं करत बाट्या तउ तू न सिरिफ उ कइ सकत ह जउन मइँ अंजीरे क बृच्छ कीन्ह, मुला जदि तू इ पहाड़े स कहि द्या, ‘उठा अउर आपन क सगरे मँ बोर द्या’ तउ उहइ होइ जाई।
21येशू त्यांना म्हणाला, मी तुम्हांला खरे सांगतो, जर तुम्हांला विश्वास असेल, आणि जर तुम्ही संशय धरला नाही तर मी जे अंजिराच्या झाडाबाबतीत केले तेच नव्हे तर या डोंगराला उठून समुद्रात पड असे म्हणालात तरी ते घडेल.
22अउर पराथना करत तू जउन कछू मंगब्या, जदि तोहका बिसवास बा तउ तू पउब्या।”
22जर तुमचा विश्वास असेल तर जे काही तुम्ही प्रार्थनेत मागाल ते तुम्हांला मिळेल.”
23ईसू जब जाइके मन्दिर मँ उपदेस देत रहा। मुख्ययाजकन अउर बुजुर्ग यहूदी नेतन ओसे पूछेन, “अइसी बातन क तू कउने हक स करत ह अउर इ हक तोहका कउन दिहस?”
23येशू मंदिरात गेला, येशू तेथे शिक्षण देत असताना मुख्य याजक व वडीलजन येशूकडे आले. ते येशूला म्हणाले, तुम्ही कोणत्या अधिकाराने या गोष्टी करता? हा अधिकार तुम्हांला कोणी दिला.?”
24जवाबे मँ ईसू ओनसे कहेस, “मइँ तोहसे भी एक सवाल पूछत हउँ, जदि तू ओकर जबाव मोका दइ द्या तउ मइँ तोहका बताइ देब कि मइँ इन बातन क कउने हक स करत हउँ।
24येशू म्हणाला, मी सुद्धा तुम्हांला एक प्रश्न विचारतो. जर तुम्ही मला उत्तर दिले तर मी कोणत्या अधिकाराने या गोष्टी करतो, हे मी तुम्हाला सांगेन.
25बतावा यूहन्ना क बपतिस्मा कहाँ ते मिला रहा? परमेस्सर स या मनई स?” उ सबइ आपुस मँ सोच बिचारिके कहइ लागेन, “जदि हम पचेन कहत अही, ‘परमेस्सर स’ तउ इ हमसे पूछी, ‘फिन उ ओह प बिसवास काहे नाहीं करत्या?’
25तुम्ही मला सांगा, योहान लोकांना बाप्तिस्मा देत असे. तेव्हा त्याला तो देण्याचा अधिकार कोठून आला- देवाकडून की मनुष्यांकडून?” येशूच्या या प्रश्नावर ते चर्चा करू लागले. ते म्हणाले, ‘योहानाचा बाप्तिस्मा देवाकडून होता असे म्हणावे तर येशू म्हणले मग तुम्ही त्याच्यावर विश्वास का ठेवला नाही?’
26किन्तु जदि हम कहित ह, ‘मनई स’ तउ हमका मनइयन क डर बाटइ काहेकि उ पचे यूहन्ना क एक नबी मानत हीं।”
26पण जर तो मनुष्यांकडून होता असे आपण म्हणालो तर सर्व लोक आपल्यावर रागावतील. आपल्याला लोकांची भीति आहे. कारण योहान हा एक संदेष्टा होता असे ते सर्व जण मानतात.”
27तउ जबावे मँ उ सबइ ईसू स कहेन, “हमका पता नाहीं।” ऍह प ईसू ओनसे बोला, “ठीक बा तउ फिन मइँ भी तोहका नाहीं बतावत हउँ कि इ बातन क मइँ कउने हक स करत हउँ।
27म्हणून त्यांनी येशूला उत्तर दिले, योहानाचा अधिकार कोठून होता हे आम्हांला माहीत नाही.” तेव्हा येशू म्हणाला, मग मी कोणत्या अधिकाराने या गोष्टी करतो, हे मीही तुम्हांला सांगणार नाही.”
28“अच्छा बतावा तू पचे ऍकरे बारे मँ का सोचत अहा? एक मनई क दुइ बेटवा रहेन। उ बड़के क लगे गवा अउर बोला, ‘बेटवा आज मोरे अंगूर क बगिया मँ जा अउर काम करा।’
28याविषयी तुम्हांला काय वाटते ते मला सांगा. एका मनुष्याला दोन मुलगे होते. तो मनुष्य आपल्या पहिल्या मुलाकडे गेला आणि म्हणाला, ‘माझ्या मुला, आज तू माझ्या द्राक्षाच्या मळ्यात जा आणि काम कर.’
29“मुला बेटवा जवाब दिहस, ‘मोर मन नाहीं बा’ मुला पाछे ओकर मन फिरि गवा अउर उ चला गवा।
29मुलाने उत्तर दिले, मी जाणार नाही, परंतु नंतर त्या मुलाने जायचे ठरविले व तो गेला.
30‘फिन उ बाप दुसरे क लगे गवा अउर ओसे भी बइसे ही कहेस। जवाबे मँ बेटवा कहेस, ‘जी हाँ,’ मुला उ गवा नाहीं।
30नंतर वडील आपल्या दुसऱ्या मुलाकडे गेले आणि म्हणाले, माझ्या मुला, आज तू जाऊन माझ्या द्राक्षाच्या मळ्यात काम कर. त्या मुलाने उत्तर दिले, ‘होय बाबा, मी जातो. पण ते गेला नाही.
31“बतावा इन दुइनउँ मँ स जउन बाप चाहत रहा, कउन किहेस?” यहूदी नेतन कहेन, “बड़कवा।” ईसू ओनसे कहेस, “मइँ तोहसे सच कहत हउँ। चुंगी उगहिया अउर वेस्यन परमेस्सर क राज्य मँ तोहसे पहिले जइहीं।
31त्या दोघांपैकी कोणत्या मुलाने वडीलांची आज्ञा पाळली?” ते म्हणाले, पहिल्या मुलाने.” येशू त्यांना म्हणाला, मी खरे सांगतो, जकातदार व वेश्या हे वाईट लोक आहेत असे तुम्हांला वाटते, पण ते तुमच्या अगोदर स्वर्गाच्या राज्यात जातील.
32इ मइँ यह बरे कहत हउँ काहेकि बपतिस्मा देवइया यूहन्ना तोहका जिन्नगी क सही रस्ता देखॉवइ आइ अउर तू ओहमाँ बिसवास नाहीं किहा। मुला चुंगी उगहिया अउर वेस्यन ओहमाँ बिसवास किहेन। तू जब इ देख्या तउ पाछे न मन फिरावा किहा अउ न ओहे प बिसवास।
32जीवनाचा खरा रस्ता कोणता हे तुम्हांला दाखवावे म्हणून योहान आला आणि तुम्ही योहानाला मानले नाही. जकातदार व वेश्या यांनी योहानावर विश्वास ठेवला हे तुम्ही पाहिले पण तरी देखील तुम्ही आपले मन बदलण्यास आणि योहानावर विश्वास ठेवण्यास तयार झाला नाही.
33“एक ठु अउर दिस्टान्त कथा सुना: एक जमींदार रहा। उ अंगूरे क बगिया लगाएस। ओकरे चरिउँ कइँती बाड़ा लगाएस। फिन अंगूरे क रस निकारइ बरे कोल्हू बनवइ क एक गड़हा खोदेस अउर रखवारी बरे एक गुंबद बनवाएस। फिन ओका बटाई प दइके जात्रा प चला गवा।
33ही बोधकथा ऐका : मनुष्य होता, त्याचे शेत होते. त्याने आपल्या शेतात द्राक्षे लावली. शेताच्या भोवती त्याने एक भिंत बांधली आणि द्राक्षे कुस्करून रस गाळण्याकरिता खड्डा करून एक घाणा तयार केला. आणि टेहळाणी करण्यासाठी एक मनोरा (माळा) बांधला. मग त्याने आपला मळा काही शेतकऱ्यांना करायला खंडाने दिला. मग तो परत गेला.
34जब अंगूरे क फसल क समइ आइ तउ बगिया क मालिक नउकरन क लगे आपन गुलामन क पठएस जेसे आपन हींसा क अंगूर लइ आवइँ।
34जेव्हा द्राक्षे तोडणीचा हंगाम जवळ आला, तेव्हा त्या मनुष्याने आपला वाटा आणण्याकरिता काही नोकर खंडकरी शेतकऱ्याकडे पाठविले.
35“मुला किसानन ओकरे नउकरन क धइ लिहन। कउनो क पीटेन, कउने क पाथर उछारेन अउर कउनो क तउ मारि डाएन।
35परंतु शेतकऱ्यांनी त्यांच्यावर हल्ला केला. एकाला मार दिला तर दुसऱ्या नोकराला जिवे मारले. नंतर तिसऱ्याला दगडमार करून ठार केले.
36“एक दाईं फिन पहिले स अउ जिआदा नउकरन क पठएस। उ किसानन ओनके संग भी वइसा ही बर्ताव किहेन।
36मग शेतकऱ्यांकडे त्या मनुष्याने आणखी एकदा नोकर पाठविले. पहिल्यापेक्षा त्याने जास्त नोकर पाठविले पण त्या शेतकऱ्यांनी त्यांना तशीच वागणूक दिली.
37पाछे उ ओनके लगे आपन बेटवा क पठाएस। उ कहेस, ‘उ सबइ मोरे बेटवा क मान रखिहइँ जरूर।’
37नंतर, त्याने त्याच्या स्वत:च्या मुलाला त्यांच्याकडे पाठविले, तो म्हणाला, ‘निश्चितच ते माझ्या मुलाचा मान राखतील.’
38“मुला उ किसानन जब ओकरे बेटवा क देखेन तउ उ सबइ आपुस मँ कहइ लागेन, ‘इ तउ ओकर वारिस अहइ, आवा ऍका मारि डाई अउर ओकर वारिस क हक हथियाइ लेई।’
38पण जेव्हा शेतकऱ्यांनी त्याच्या मुलाला पाहिले तेव्हा ते एकमेकास म्हणू लागले. हा तर मालकाचा मुलगा आहे. तो वारस आहे. चला आपण त्याला ठार करू व त्याचे वतन घेऊ.
39ऍह प उ पचे ओका धइके बगिया क बाहेर ढकेलेन अउर मार डाएन।
39त्यांनी त्याला धरले व मळ्याच्या बाहेर फेकले व त्याला ठार मारले.
40“तू का सोचत बाट्या हुवाँ जब अंगूरे क बगिया क मालिक आई तउ किसानन क संग का करी?”
40मग द्राक्षमळ्याचा मालक परत येईल तेव्हा या शेतकऱ्यांचे काय करील?”
41उ यहूदी याजकन अउ नेतन ओसे कहेन, “काहेकि उ सबइ निरदयी रहेन यह बरे उ ओनका निरदयी होइके मारि डाई अउर अंगूरे क बगिया क दूसर किसानन क बटाई प दइ देइ जउन फसल आवइ प ओका ओकर हींसा देइहीं।”
41यहूदी मुख्य याजक आणि पुढारी म्हणाले, तो त्या लोकांना खात्रीने मरणदंड देईल. कारण ते दुष्ट होते. नंतर तो आपला मळा दुसऱ्यास खंडाने देईल. हंगामाच्या दिवसात जे त्याच्या पिकाची वाटणी देतील, अशांना तो ते देईल.”
42ईसू ओनसे कहेस, “का तू सबइ पवित्तर सास्तरन क बचन कभी नाहीं पढ्या: ‘जउने पाथर क मकान क बनवइयन बेकार समझेन, उहइ कोने क सबते जिआदा महिमा क पाथर बन गवा’ ‘अइसा पर्भू क जारिये कीन्ह गवा जउन हमरी निगाह मँ अजूबा बाटइ।’ भजन संहिता 118:22-23
42येशू त्यांना म्हणाला, तुम्ही पवित्र शास्त्रात वाचले असलेच की. ‘बांधणाऱ्यांनी नापसंत केलेला दगड कोनशिला झाला आहे हे प्रभूने केले आणि आमच्यासाठी हे अदभुत आहे.’ स्तोत्र 118:22-23
43“एह बरे मइँ तोहसे कहत हउँ परमेस्सर क राज्य तोहसे छीन लीन्ह जाई अउर उ ओन मनइयन क दइ दीन्ह जाई जउन ओकरे राज्य क रीति स बर्ताव करिहइँ।
43म्हणून मी तुम्हांला सांगतो की, देवाचे राज्य तुमच्याकडून काढून घेण्यात येईल. देवाला आपल्या राज्यात पाहिजेत अशा गोष्टी जे लोक करतील, त्यांना ते देण्यात येईल.
44जउन इ चट्टाने प गिरी, चूर चूर होइ जाई अउ इ चट्टान कउनो प गिरी तउ उ ओका रउँद डाई।”
44जो कोणी या दगडावर पडेल, त्याचे तुकडे तुकडे होतील आणि जर हा दगड एखाद्या मनुष्यावर पडेल तर त्या मनुष्याचा चक्काचूर होईल.”
45जब मुख्ययाजकन अउर फरीसियन ईसू क दिस्टान्त कथन क सुनेन तउ उ पचे समुझ लिहन कि उ ओनके बारे मँ कहत रहा।
45येशूने सांगितलेल्या या बोधकथा मुख्य याजकांनी आणि परूश्यांनी ऐकल्या. येशू त्यांच्याविषयी बोलत आहे हे त्यांनी ओळखले.
46तउ उ सबइ ओका धरइ क जतन किहन मुला उ पचे मनइयन स डेरात रहेन काहेकि लोग ईसू क नबी मानत रहेन।
46त्यांना येशूला अटक करायचे होते. पण त्यांना लोकांचे भय वाटत होते, कारण लोक येशूला संदेष्टा मानीत होते.