1मंदिर क छोड़िके ईसू जब हुवाँ स होइके जात रहा तउ ओकर चेलन ओका मँदिर क इमारत देखॉवइ ओकरे लगे आएन।
1येशू मंदिरातून बाहेर निघून चालत निघाला होता तेव्हा त्याचे शिष्य त्याच्याकडे आले. कारण त्यांना त्याला मंदिराच्या इमारती दाखवायच्या होत्या.
2एह प ईसू ओनसे कहेस, “तू पचे इ इमारतन क सोझ खड़ी देखत अहा? मइँ तोहका सच सच कहत हउँ, हिआँ तलक एक पाथर प दूसर पाथर टिक नाहीं पाई। एक एक गिराइ दीन्ह जाई।”
2प्रतिसादादाखल, तो त्यांना म्हणाला, तुम्ही या सर्व गोष्टी पाहता. खरे ना? आता, मी तुम्हांला खरे सांगतो, येथे एक दगड दुसऱ्या दगडावर राहणार नाही. त्यातील प्रत्येक दगड खाली टाकला जाईल.”
3ईसू जब जैतून पहाड़ प बइठा रहा तउ अकेॅल्ले मँ ओकर चेलन लगे आएन अउर बोलेन, “हमका बतावा इ कब होई? जब तू लउटि अउब्या अउर इ संसारे क अंत होई तउ कइसे संकेत परगट होइहीं?”
3येशू जैतूनाच्या डोंगरावर बसला असताना, त्याचे शिष्य त्याच्याशी एकांतात बोलावे म्हणून आले, ते म्हणाले, आम्हांला सांगा की या गोष्टी कधी होतील? तुम्ही परत येण्याचा आणि जगाचा शेवट होण्याचा काळ जवळ आला आहे हे आम्ही कोणत्या घटनांवरून ओळखावे?”
4जवाबे मँ ईसू ओनसे कहेस, “होसियार! तू पचन क कउनो भरमाइ न पावइ।
4येशूने त्यांना उत्तर दिले, सांभाळा! कोणीही तुम्हांला फसवू नये
5मइँ इ यह बरे कहत हउँ कि अइसे बहोतन अहइँ जउन मोरे नाउँ स अइहीं अउर कइहीं, ‘मइँ मसीह हउँ अउर उ सबइ बहोतन क भरमइहीं।
5मी हे म्हणतो कारण असे पुष्कळ आहेत की जे माझ्या नावाने येतील आणि ते म्हणतील, मी ख्रिस्त आहे,’ आणि ते पुष्कळ लोकांना फसवितील.
6तू सबइ नगीचे क जुद्ध क बातन या दूरि क जुद्ध क अफवाह सुनब्या पर देखा तू घबराया जिन। अइसा तउ होइ मुला अबहिं अंत नाहीं आवा अहइ।
6तुम्ही लढायांबद्दल आणि लढायांच्या अफवांबद्दल ऐकाल पण त्यामुळे तुम्ही त्यांना भिऊ नका. या गोष्टी घडल्याच पाहिजेत. तरी इतक्यात शेवट जवळ येणार नाही.
7हर रास्ट्र दूसर रास्ट्र क खिलाफ अउर एक राज्य दूसर राज्य क खिलाफ खड़ा होई। अकाल पड़ी। हर कतहूँ भुँइडोल आई।
7होय, एक राष्ट्र दुसऱ्या राष्ट्रावर उठेल. अनेक ठिकाणी भूकंप व दुष्काळ येतील.
8मुला इ सब बातन उहइ तरह अहइ जइसे नवा पइदा होय क पहले की सुरुआती पीडा।
8पण या सर्व गोष्टी म्हणजे प्रसूतीच्या कळांची सुरूवात अशा आहेत.
9“उ समइ उ पचे तोहका सजा देवॉवइ बरे पकड़वइहीं अउर उ पचे तोहका मरवाइ देइहीं। काहेकि तू सबइ मोर चेलन अहा। सबहिं रास्ट्र क लोग तोहसे घिना करिहीं।
9लोक तुमच्याशी वाईट वागतील. तुमचा छळ व्हावा आणि तुम्हांला जिवे मारावे यासाठी लोक तुम्हांला राज्यकर्त्याच्या हाती देतील. सर्व लोक तुमचा द्वेष करतील. तुम्ही माझ्यावर विश्वास ठेवला म्हणून या गोष्टी तुमच्यावर ओढवतील.
10उ समइ बहोत मनइयन क मोह टूटी जाई अउर ओहहि समइ बहुत स बिसवासियन क बिसवास डिग जाई। उ पचे एक दूसर क अधिकारियन क हाथे मँ दइ देइहीं अउ आपस मँ घिना करिहीं।
10अशा वेळी बरेच विश्वासणारे आपला विश्वास गमावतील. ते एकमेकाविरुद्ध उठतील आणि एकमेकांचा द्वेष करतील.
11बहोत स झूठे नबियन खड़ा होइ जइहीं, अउर मनइयन क ठगिहीं।
11अनेक खोटे संदेष्टे येतील, ते लोकांना चुकीचे शिक्षण देतील व त्यावर विश्वास ठेवायला लावतील.
12काहेकि बुराई क बाढ़ आइ जाए स पिरेम घटि जाई।
12सतत वाढणाऱ्या दुष्टाईमुळे अधिकाधिक विश्र्वासणाऱ्यांची प्रीति कमी कमी होत जाईल.
13मुला जउन अंत तक टिका रही ओकर उद्धार होई।
13सर्व जगभर देवाची सुवार्ता गाजविली जाईल व हे सर्व राष्ट्रातील लोकांना साक्ष असे होईल. आणि मग शेवट होईल.
14सरगे क राज्य क इ सुसमाचार समूचे संसार मँ प्रचार कीन्ह जाई। ऍसे सब राजन क साच्छी रही अउर तबहीं अंत होइ जाई।
14दानीएल संदेष्ट्यांने एका अमंगळ गोष्टीविषयी सांगितले की, जिच्यामुळे नाश ओढवेल. अशी अमंगळ गोष्ट ही पवित्र जागी- मंदिरामध्ये उभी असलेली तुम्ही पाहाल.”
15“एह बरे जबहिं तू लोग ‘खौफनाक बिनास करइवाली चीज’ क पवित्तर स्थान प खड़ा होइके देखा, जेकरे बारे मँ दानिय्येल नबी बताएन ह, (पढ़इया खुद समुझ जाई कि एकर अरथ का बाटइ।)
15तुम्ही लोक जे हे वाचाल ते याचा अर्थ समजून घ्या.
16तब जउन मनई यहूदिया मँ होइँ, ओनका पहाड़े प भाग जाइ चाही।
16त्यावेळी यहूदातील लोकांनी डोंगरावर पळून जावे.
17जउन आपन घरे क छत प होईं, उ घरवा स बाहेर कछू भी लइ जाइके तर खाले न आवइँ।
17जो कोणी छपरावर असेल त्याने घरातील सामान घेण्यासाठी उतरु नये.
18अउ जउन बाहेर खेतन मँ काम करत होइँ, उ पाछे मुड़िके आपन ओढ़ना तक न लेइँ।
18जर कोणी शेतात असेल तर त्याने आपला सदरा घेण्यासाठी परत जाऊ नये.
19ओन स्त्रियन बरे जेकरे कोखे मँ गरभ होइ या जेकर लरिकन दूध पिअत होइँ, उ दिनन कस्टे क होइहीं।
19त्याकाळी गर्भवती असलेल्या अगर तान्ही बालके असलेल्या स्रियांना फार कठीण जाईल.
20पराथना करा कि तोहका जाड़े क दिनन मँ या सबित क दिन पराइ क न पड़इ।
20जेव्हा या गोष्टी होतील आणि तुम्हांला पळून जावे लागेल तेव्हा थंडीचे दिवस नसावेत अथवा शब्बाथ दिवस नसावा यासाठी प्रार्थना करा.
21उ दिनन मँ अइसी बिपत आई जइसी जबते परमेस्सर सृस्टि रचेस ह, आजु तक कबहुँ नाहीं आइ अउ न कबहुँ आई।
21कारण त्याकाळी फार पीडा येतील. जगाच्या आरंभापासून कधीही झाली नाही आणि पुन्हा कधी होणार नाही अशी पीडा त्या काळी भोगावी लागेल.
22अउर जदि परमेस्सर उ दिनन क घटावइ क पक्का इरादा न कइ लिहे होत तउ कउनो भी न बच पावत किन्तु चुना भएन क कारण उ दिनन मँ कमती कइ देइ।
22आणखी, देवाने ते दिवस जर थोडेच ठेवले नसते तर कोणीच वाचले नसते. परंतु त्याच्या निवडलेल्यांमुळे तो ते दिवस थोडे करील.
23“उ दिनन मँ जदि कउनो तू पचन स कहइ, देखा, इ रहा मसीह या उ राह मसीह। तउ ओकर बिसवास जिन किहा।
23त्या वेळी जर एखाद्याने तुम्हांला म्हटले, पहा! ख्रिस्त येथे आहे, किंवा तो तेथे आहे, तर त्याच्यावर विश्वास ठेवू नका.
24मइँ इ कहत हउँ काहेकि कपटी मसीह अउप कपटी नबी खड़ा होइहीं अउर अइसे अचरज कारजन देखइहीं अउर अद्भुत कारजन करिहइँ कि बन पड़इ तउ चुने भएन क भी चकमा दइ देइँ।
24खोटे ख्रिस्त आणि खोटे संदेष्टे उदयास येतील. ते महान आश्चर्यकारक चिन्हे दाखवतील. देवाच्या निवडलेल्या लोकांना ते चिन्हे दाखतील व लोकांना एवढेच नव्हे तर देवाच्या निडवलेल्यांना फसविण्याचा प्रयत्न करतील.
25देखा, मइँ तोहका पहिले ही चेतावनी दइ चुका अहउँ।
25या गोष्टी होण्या अगोदरच मी तुम्हांला सावध केले आहे.
26“तउ जदि उ सबइ तोहसे कहइँ, ‘देखा, मसीह जंगल मँ बा!’ फन हुवाँ जिन जाया अउर जदि उ कहइँ, ‘देखा उ पचे कोठरी मँ छुपा बाटइ! तउ ओनकइ बिसवास जिन कर्या।
26“एखादा मनुष्य तुम्हांला सांगेल, पाहा, मशीहा ओसाड रानात आहे. तर तेथे जाऊ नका. किंवा जर ते म्हणाले, पाहा, ख्रिस्त, आतल्या खोलीत लपला आहे, तर त्याच्यावर विश्वास ठेवू नका.
27मइँ इ कहत हउँ काहेकि जइसे बिजुली पुरब मँ सुरू होइके पच्छिम क अकासे तक चमक जात इ वइसे ही मनई क पूत भी परगट होई।
27मी हे म्हणतो कारण वीज जशी पूर्वेकडून पश्चिमकडे चमकताना सर्वाना दिसते तसेच मनुष्याच्या पुत्राचे येणेदेखील असेल.
28जहाँ कहूँ ल्हास होई हुआँ गिद्ध एकट्ठा होइहीं।
28जेथे कोठे प्रेत असेल तेथे गिधाडेही असतील.
29“उ दिनन जउन मुसीबत पड़ी, ओकरे फउरन बाद: ‘सूरज करिया पड़ि जाई चन्दा स चाँदनी न निकसी अकासे स तारा टुटिहीं अउ अकास मँ आसमानी सक्ति झकझोर दीन्ह जइहीं।’ यसायाह 13:10; 34:4,5
29“छळानंतर लगेच, असे घडेल: ‘सूर्य अंधकारमय होईल व चंद्र प्रकाश देणार नाही. आकाशातील तारे व नक्षत्रे गळून पडतील आकाशातील सर्व शक्ती डळमळतील. आकाश गुंडाळीसारखे गुंडाळले जाईल. यशया 13:10; 34:4
30“उ समइ मनई क पूत क आवइ क चीन्हा अकास मँ परगट होई। तबहिं भुइयाँ प सब जातिन क मनइयन फूटि फूटि क रोइहीं अउर उ सबइ मनई क पूत क सक्ती अउर महिमा क संग सरग क बदरन मँ परगट होत देखिहीं।
30“त्यावेळेला मनुष्याच्या पुत्राच्या येण्याचे चिन्ह आकाशात दिसेल. तेव्हा जगातील सर्व लोक शोक करतील. मनुष्याच्या पुत्राला सर्व जण मेघावर बसून येताना पाहतील. तो महासामर्थ्य आणि वैभव यांच्यासह येईल.
31उ ऊँच सुर क तुरूही क संग आपन दूतन क पठइ। फिन उ पचे सरग क एक छोर स दूसर छोर तलक सब कहूँ स आपन चुना भवा मनइयन क ऍकट्ठा करी।
31मनुष्याचा पुत्र तुतारीचा मोठा नाद करून आपले दूत पृथ्तीभोवती पाठवून देईल. ते पृथ्वीच्या चारही कोपऱ्यातून, आकाशाच्या एका सीमेपासून दुसऱ्या सीमेपर्यंत निवडलेल्यांना गोळा करतील.
32“अंजीरे क बृच्छ स उपदेस ल्या। जइसे ही ओकर टहनियन सुऋुवार होइ जात हीं अउर कोंपर फूटइ लागत हीं। तू लोग जान जात ह कि गर्मी आवइ क अहइ।
32“अंजिराच्या झाडापासून शिका: अंजिराच्या झाडाच्या फांद्या जेव्हा हिरव्या आणि कोवळ्या असतात आणि पाने फुटू लागतात तेव्हा उन्हाळा जवळ आला. हे तुम्हांला कळते.
33वइसे ही जब तू इ सब घटत देख्या तउ समुझ लिहा कि उ समइ नगिचे आइ ग बाटइ, मुला ठीक दुआर तलक।
33मी तुम्हांला ज्याविषयी सांगितले त्याबाबतीतही असेच होईल जेव्हा या सर्व गोष्टी तुम्ही पाहाल तेव्हा वेळ जवळ येत आहे हे तुम्ही ओळखाल.
34मइँ तू लोगन्स सच कहत हउँ कि इ पीढ़ी क खतम होइ क पहिले इ सब बातन होइ जइहीं।
34मी तुम्हांला खरे सांगतो: या गोष्टी होत असताना आजची ही पिढी नाहीशी होणार नाही.
35धरती अउर अकास तउ मिट सकत हीं मुला मोर बचन कबहुँ न मिटी।”
35सर्व जग, आकाश, पृथ्वी नाहीशी होतील पण माझी वचने कधीही नष्ट होणार नाहीत.
36“उ दिना या घड़ी क बारे मँ कउनो कछू न जानत! न सरगे क दूतन अउर न खुद पूत। सिरिफ परमपिता जानत ह।
36“पण त्या दिवसाविषयी आणि त्या घटके विषयी कोणालाही माहीत नाही, स्वर्गातील देवदूतांनाही नाही, किंवा खुद्द पुत्रालाही नाही. फक्त पिताच हे जाणतो.
37जइसे नूह क दिना मँ भवा, वइसे ही मनई क पूत क अवाई भी होई।
37नोहाच्या काळी घडले तसे मनुष्याच्या पुत्राच्या येण्याच्या वेळेसही होईल.
38वइसे ही जइसे मनई जल बाढ आवइ स पहिले क दिनन ताईं खात पिअत रहेन, बियाह सादी करावत रहेन जब तलक नूह नाउ प नाहीं चढ़ गवा।
38महापूर येण्याअगोदर लोक खातपीत होते. लोक लग्न करीत होते. लग्न करून देत होते. नोहा जहाजात जाईपर्यत लोक या गोष्टी करीत होते.
39ओनका तब ताईं कछू पता नाहीं लगि सका जब ताईं प्रलय नाहीं आइ गइ अउर ओन सबन क बहाइके नाहीं लइ गइ। मनई क पूत क अवाई भी अइसे ही होई।
39त्यांना माहीत नव्हते की काही तरी घडणार आहे. परंतु नंतर पूर आला आणि सर्व लोक मरून गेले. मनुष्याचा पुत्र आल्यावर असेच होईल.
40उ समइ खेते मँ काम करत दुइ मनइयन मँ स एक क लइ लीन्ह जाई अउर एक क हुवँइ छोड़ि दीन्ह जाई।
40दोघे जण शेतात एकत्र काम करत असतील तर त्यातला एक जण वर घेतला जाईल आणि दुसरा तेथेच राहील.
41चकरी पीसत दुइ स्त्रियन मँ एक क धइ लीन्ह जाई अउ एक हुवँइ पाछे छोड़ि दीन्ह जाई।
41दोन स्त्रिया जात्यावर धान्य दळत असतील तर त्या दोघीतील एक वर घेतली जाईल आणि दुसरी तेथेच राहील.
42“तउ तू लोग होसियार रहा काहेकि तू नाहीं जनत्या कि तोहार स्वामी कब आई।
42“म्हणून तुम्ही तयार असा, कारण तुम्हांला माहीत नाही की कोणत्या दिवशी तुमचा प्रभु येत आहे,
43याद राखा अगर घरे क स्वामी जानत होत कि राति क कउनो घड़ी मँ चोर आइ जाई तउ उ जागत रहत अउर चोरे क आपन घरवा मँ सेंध नाही लगावइ देत।
43हे लक्षात ठेवा, चोर केव्हा येईल हे जर घराच्या मालकाला माहीत असते तर तो त्यासाठी तयारीत राहिला असता आणि त्याने चोराला घर फोडू दिले नसते.
44एह बरे तू भी तइयार रहा काहेकि जब तू पचे सोच भी नाहीं रहब होब्या, मनई क पूत आइ जाई।
44या कारणासाठी तुम्हीसुद्धा तयार असले पाहिजे. जेव्हा तुम्हांला अपेक्षा नसेल तेव्हा मनुष्याचा पुत्र येईल.
45“तब सोचा उ भरोसामंद अउ समझदार सेवक कउन बाटइ, जेका स्वामी आपन घरवा क सेवक क ऊपर ठीक समइ प ओनका खइया क देइ बरे लगाएस ह।
45“शहाणा आणि विश्वासू सेवक कोण बरे? दुसऱ्या सेवकांना वेळेवर जेवण देण्याचे काम मालक एका सेवकावर सोपवितो. हे काम करण्यासाठी मालक कोणाला विश्वासाने सांगेल?
46धन्य अहइ उ सेवक जेका ओकर स्वामी जब आवत ह तउ ओका दियाभया काज करत पावत ह।
46मालक आल्यावर आपले दिलेले काम करीत असलेला सेवक खरोखर धन्य!
47मइँ तोहसे सच कहत हउँ उ स्वामी ओका आपन समूचे धन दौलत क अधिकारी बनाईं देई।
47मी तुम्हांला सांगतो: मालक आपल्या सर्व मालमत्तेवर त्या सेवकाची नेमणूक करील.
48दूसर कइँती सोचा एक ठु बुरा सेवक अहइ, जउन अपना मनवा मँ कहत ह मोर स्वामी बहोत दिना स लुटि क नाहीं आवत ह।
48पण जर सेवक वाईट निघाला आणि आपला मालक लवकर घरी परत येणार नाही असे म्हणाला तर काय होईल? तो सेवक इतर सेवकांना मारहाण करील आणि आपल्यासारख्या लोकांबरोबर जेवण करील आणि दारू पिऊन मस्त होईल.
49अइसे उ आपन संगी साथी सेवकन स मारपीट करइ लागत ह अउर सराबियन क संग खाब पिअब सुरू कइ देत ह।
49[This verse may not be a part of this translation]
50तउ ओकर स्वामी अइसे दिन आइ जाई जउने दिन उ ओकरे अवाई क सोचत तलक नाहीं अउ जेकर ओका पता तलक नाहीं।
50आणि तो सेवक तयारीत नसेल अशा वेळी मालक येईल.
51अउर ओकर स्वामी ओका बुरे ढंग स सजा देई अउर कपटियन क बीचउबीच ओकर ठउर ठहराई जहाँ लोग रोवत होइहीं अउर दँतवन क किड़किड़ावत रइहीं।
51मग मालक त्या सेवकाचे तुकडे करील. त्या सेवकाला मालक ढोंगी लोकांबरोबर राहायला पाठवील. आणि त्या ठिकाणी रडणे व दात खाणे चालेल.