Awadhi: NT

Marathi

Matthew

26

1इ सब बातन क कहि चुकइ क पाछे ईसू आपन चेलन स बोला,
1येशूने या सर्व बोधकथा सांगण्याचे संपविल्यानंतर तो त्याच्या शिष्यांना म्हणाला,
2“तू पचे जानत ह कि दुइ दिना पाछे पसह क त्यौहार बाटइ। अउर मनई क पूत दुस्मनन क हाथन स क्रूसे प चढ़ाइ जाइ बरे पकड़वाइ जाइवाला अहइ।”
2“परवा वल्हांडणाचा सण आहे हे तुम्हांला माहीत आहे. आणि मनुष्याचा पुत्र वधस्तंभावर खिळून जिवे मारला जाण्यासाठी शत्रूच्या हाती धरून दिला जाईल.”
3तब मुख्ययाजकन अउर बुजुर्ग यहूदी नेतन कैफ़ा नाउँ क महायाजक क घरे आँगन मँ ऍकट्ठा भएन।
3मग मुख्य याजक आणि लोकांचे वडील, प्रमुख याजकाच्या घरी जमले. प्रमुख याजकाचे नाव कयफा होते.
4अउर उ पचे कउनो चाल स ईसू क धरइ अउर मार डावइ क छल करेन।
4सभेत त्यांनी धूर्तपणे येशूला अटक करण्याचा आणि जिवे मारण्याच्या कट केला.
5फिन भी उ सबइ कहत रहेन, “हमका इ फसह क त्यौहार क दिनन मँ नाहीं करइ चाही। नाहीं तउ होइ सकत ह मनई दंगा फसाद कइ बइठइँ।”
5तरीही ते म्हणत होते, “वल्हांडण सणाच्या दिवसात आपण येशूला धरू शकणार नाही, कारण लोकांमध्ये दंगा होईल.”
6ईसू जब बैतनिय्याह मँ समौन कोढ़ी क घरे रहा।
6येशू बेथानीमध्ये होता, तो शिमोन कुष्ठरोग्याच्या घरात होता.
7तबही एक स्त्री चिकना, स्फटिक क सीसी मँ बहोत महँग इतर भरिके लइ आई अउर ओका ओकरे मूँड़े प उड़ेल दिहस। उ समइ उ पटरा प टेक लगाइके निहुरा बइठा रहा।
7येशू तेथे असताना एक बाई त्याच्याकडे आली. उंची अत्तराने भरलेली अलाबास्त्र कुपी तिच्याजवळ होती. येशू जेवत असता ही कुपी त्या बाईने त्याच्या डोक्यावर ओतली.
8जब ओकर चेलन क देखन तउ उ सबइ किरोध मँ आइके बोलेन, “इतर क अइसी बर्बादी काहे कीन्ह गइ?
8त्या बाईला हे करताना शिष्यांनी पाहिले, तेव्हा त्यांना राग आला. शिष्य विचारू लागले, “या अत्तराचा असा नाश का व्हावा?
9इ इतर तउ महँग दामे मँ बिक सकत रहा अउर फिन उ धने क दीन दुखियन मँ बाँटि जाइ सकत रहा।”
9ते पुष्कळ पैशांना विकता आले असते आणि ते पैसे गोरगरिबांना देता आले असते.
10ईसू जानि गवा कि उ सबइ क कहत अहइँ। तउ ओनसे बोला, “तू इ स्त्री क काहे तंग करत अहा? उ तउ मोरे बरे एक सुन्नर काम करेस ह
10येशूला ते काय म्हणत आहेत हे माहीत होते, त्याने त्यांना विचारले, “तुम्ही त्या बाईला का त्रास देत आहा? तिने माझ्यासाठी फार चांगले काम केले आहे.
11काहेकि दीन-दुखी तउ हमेसा तोहरे पास रइहीं पर मइँ तोहरे साथ हमेसा नाहीं रहब।
11गरीब लोक तुमच्याबरोबर नेहमीच असतील पण मी तुमच्याबरोबर नेहमी असणार नाही.
12उ मोरे सरीर पइ सुगंधि छिरकिके मोरे गाड़ा जाइके तइयारी करेस ह।
12या बाईने माझ्या शरीरावर हे अत्तर ओतले. मला पुरण्याचा वेळेची तयारी तिने केली.
13मइँ तोहसे सच कहत हउँ समूची दुनिया मँ जहँ कहूँ भी सुसमाचार क प्रचार अउर फइलाव कीन्ह जाइ, हुवँइ ऍकर याद मँ जउन कछू इ किहेस ह, ओकर चर्चा होई।”
13मी तुम्हांला खरे सांगतो, सर्व जगातील लोकांना सुवार्ता सांगितली जाईल आणि जेथे सुवार्ता सांगण्यात येईल तेथे या बाईने जे केले त्याचे वर्णन तिची आठवण म्हणून करण्यात येईल.”
14तब यहूदा इस्करियोती जउन ओकर बारहु चेलन मँ एक रहा, मुख्ययाजकन क लगे गवा अउर ओसे बोला,
14बारा शिष्यांपैकी एक यहूदा इस्कार्योत मुख्य याजकांकडे गेला.
15“यदि मइँ ईसू क तोहका पकरवाइ देउँ तउ तू मननई मोका का देब्या?” तब उ पचे यहूदा क चाँदी क तीस रूपया देइ बरे इच्छा परगट किहेन।
15यहूदा म्हणाला, “मी येशूला धरून तुमच्या हाती दिले तर तुम्ही महा काय द्याल?” तेव्हा त्यांनी त्याला चांदीची तीस नाणी दिली.
16उहइ समइ स यहूदा ईसू क धिखा दइ के पकड़वावइ क ताक मँ रहइ लाग।
16तेव्हापासून यहूदा येशूला धरून देण्याच्या संधीची वाट पाहू लागला.
17बिना खमिरे क रोटी क त्यौहार स पहिले दिन ईसू क चेलन आइके पूछेन, “तू का चाहत ह कि हम तोहरे खाइके बरे फसह भोज क तइयारी कहाँ जाइके करी?”
17बेखमीर भाकारीच्या सणाच्या पहिल्या दिवशी येशूचे शिष्य त्याच्याकडे आले. ते म्हणाले, “वल्हांडण सणाच्या जेवणाची सर्व तयारी आम्ही करणार आहोत. वल्हांडण सणाचे जेवण कोठे करावे अशी तुमची इच्छा आहे?”
18ईसू कहेस, “गाउँ मँ उ मननई क लगे जा अउर ओसे कहा, कि गुरु कहेस ह, ‘मोर तय भई घरी निगचे बाटइ, मइँ तोहरे घर आपन चेलन क संग फसह क त्यौहार मनावइ वाला अहउँ।”‘
18येशू म्हणाला, “ज्याला मी ओळखतो अशा त्या माणसाकडे खेड्यात जा आणि त्याला म्हणा, ‘गुरूजी म्हणतात: माझी वेळ जवळ आली आहे. तुझ्या घरी मी माझ्या शिष्यांसह वल्हांडण सण साजरा करणार आहे.”‘
19फिन चेलन वइसा ही करेन जइसा ईसू बताए रहा अउर फसह क त्यौहार क तइयारी किहन।
19येशूने जे सांगितले होते ते त्याच्या शिष्यांनी केले आणि त्यांनी वल्हांडण सणाचे जेवण तयार केले.
20दिन बूड़त ईसू आपन बारहु चेलन क संग पटरे पइ निहुरा बइठा रहा।
20संध्याकाळ झाल्यावर येशू आपल्या शिष्यांबरोबर मेजाशी जेवावयास बसला.
21तबहीं ओनके खइया क खात उ बोला, “मइँ सच कहत हउँ तोहमाँ स एक मोका धोखे स पकरवाई।”
21जेवण करीत असता येशू म्हणाला, “मी तुम्हांला खरे सांगतो: तुमच्यापैकी एक जण माझा विश्वासघात करील.”
22उ सबइ बहोत दुःखी भएन अउ ओनमाँ स हर कउनो आपुस मँ पूछइ लागेन, “पर्भू उ मइँ तउ नाहीं हउँ। बतावा का मइँ अहउँ।”
22ते खूप दु:खी झाले आणि त्यांच्यातील प्रत्येक जण त्याला विचारु लागला, “तो मी नाही ना प्रभु?”
23तब ईसू जवाब दिहस, “उहइ जउन मोरे संग एक टाठी मँ खात बा मोका धोखा स पकड़वाई।
23मग येशूने उत्तर दिले, “जो माझ्याबरोबर ताटात हात घालतो तोच माझा विश्वासघात करील.
24मनई क पूत तउ जाई ही, अइसा कि ओकरे बारे मँ पवित्तर सास्तरन मँ लिखा बाटइ। मुला उ मनई क धिक्कार बा जउन मनई क जारिये मनई क पूत पकड़वाइ जात अहइ। उ मनई बरे केतॅना नीक होत कि ओकर जन्म ही न भवा रहत।”
24जसे मनुष्याच्या पुत्राविषयी पवित्र शास्त्रात लिहिले आहे, तसा मनुष्याच्या पुत्राचा शेवट होईल, पण जो त्याचा विश्वासघात करील त्याच्याविषयी मला दु:ख वाटते! तो जर जन्मला नसता तर त्याच्यासाठी ते बरे झाले असते.”
25तब ओका धोखे स पकरवावइ वाला यहूदा बोलि उठा, “हे गुरु, उ मइँ नाहीं हउँ। का मइँ हउँ?” ईसू ओसे कहेस, “हाँ अइसा ही अहइ जइसा तू कह्या ह।”
25मग यहूदा, जो त्याचा विश्वासघात करणार होता, तो येशूकडे वळून म्हणाला, “तो मी आहे का, गुरूजी?” येशू त्याला म्हणाला, “तू म्हणालास, तसेच आहे (म्हणजे होय तो तूच आहेस.”)
26जब उ पचे खइया क खात ही रहेन, ईसू रोटी लिहस, ओका असीसेस अउर फिन तोड़ेस। फिन ओका चेलन क देत भवा उ बोला, “ल्या ऍका भकोसा, इ मोर देह अहइ।”
26ते जेवण करीत असताना येशूने भाकर घेतली. तिच्याबद्दल देवाचे उपकार मानले. आणि ती मोडली. त्याने ती भाकर आपल्या शिष्यांना दिली. तो म्हणाला, “हे घ्या आणी खा. हे माझे शरीर आहे.”
27फिन उ दाखरस क खोरा उठाएस अउर धन्यबाद देइ क पाछे ओका ओन पचेन क देत भवा कहेस, “तू पचे एहमाँ स तनिक पिआ।
27नंतर येशूने द्राक्षारसाचा प्याला घेतला. त्याबद्दल देवाचे उपकार मानले आणि तो शिष्यांना दिला. येशू म्हणाला, “तुम्ही सर्वांनी यातील प्यावे. कारण हे माझे रक्त आहे,
28काहेकि इ मोर खून अहइ जउन एक नवा वाचा की सुरुआत अहइ। इ बहोतन लोगन बरे बहाइ जात ह। जेसे ओनके पापन्क छमा करब संभउ होइ सकइ
28हे नवा करार प्रस्थापित करते. ते पुष्कळ लोकांकरिता ओतले जात आहे. यासाठी की त्यांच्या पापांची क्षमा व्हावी.
29मइँ तोहसे सच कहत हउँ उ दिना तक दाखरस न चीखब जब ताईं आपन परमपिता क राज्य मँ तोहरे साथ नवा दाखरस न पिउ लेउँ।”
29मी तुम्हांला सांगतो: माझ्या पित्याच्या राज्यात आपण सर्व एकत्र येईपर्यंत मी नवा द्राक्षारस पिणार नाही.”
30फिन उ पचे फसह क भजन गाइके जैतून पहाड़े प गएन।
30मग त्यांनी वल्हांडणाचे गीत गाईले. नंतर ते जैतूनाच्या डोंगरावर निघून गेले.
31फिन ईसू ओनसे कहेस, “आज राति तू पचन क मोह मँ बिसवास डुग जाई। काहेकि पवित्तर सास्तरन मँ लिखा अहइ: ‘मइँ गड़रिया क मारब अउर झुंड क भेड़न तितराइ बितराइ जइहीं।’ जकर्याह 13:7
31येशूने सांगितले, “आज रात्रीच तुमच्या मनात माझ्याविषयी शंकाकुशंका येतील आणि माझ्यावरील तुमचा विश्वास उडेल. पवित्र शास्त्रात असे लिहेले आहे: ‘मी मेंढपाळाचा वध करीन, कळपातील मेंढरांची दाणादाण होईल.’ ज्खऱ्याा 13:7
32पर फिन स जी जाए प मइँ तोहसे पचन्स पहिले गलिल चला जाब।”
32पण मी मरणातून उठल्यानंतर, तुमच्या अगोदर गालीलात जाईन,
33परतस जवाब दिहस, ‘चाहे सब मिला तोहमाँ बिसवास डुगाइ देइँ, मुला मइँ कबहूँ न खोउब।”
33उत्तर देताना पेत्र म्हणाला, “इतर सर्वांचा जरी तुमच्याविषयी गोंधळ झाला तरी माझा कधीही होणार नाही!”
34ईसू ओसे कहेस, “मइँ तोहसे सच कहत हउँ आज इहइ राति मुर्गा क बाँग देइ स पहिले तू तीन दाईं मोका नकार जाब्या।”
34येशू त्याला म्हणाला, “मी तुला खरे सांगतो: तू मला ओळखत नाहीस असे आज रात्री कोंबडा आरवण्यापूर्वा तू तीन वेळा म्हणशील.”
35तब पतरस ओसे कहेस, “अगर मोका तोहरे संग मरि जाइ क होइ तउ भी तोसे मइँ कबहूँ न मुकरब।” बाकी सब चेलन इहइ कहेन।
35पेत्र म्हणाला, “तुम्हांला ओळखीत नाही असे मी कधीही म्हणणार नाही. मग मला तुमच्याबरोबर मरावे लागले तरी हरकत नाही.” आणि इतर शिष्यसुद्धा असेच म्हणाले.
36फिन ईसू ओकरे संग उ जगह प आवा जउन गतसमनी कहा जात रहा। अउर उ आपन चेलन स कहेस, “जब ताईं मइँ हुवाँ जाउँ अउर पराथना करउँ, तू सबे हियइँ बइठा।”
36नंतर गेथशेमाने नावाच्या जागी येशू आपल्या शिष्यांसह गेला. येशू त्यांना म्हणाला, “मी थोडा पुढे जाऊन प्रार्थना करीपर्यंत येथेच थांबा.”
37फिन ईसू पतरस अउर जब्दी क दुइनउँ बेटवन क आपन संग लइ गवा। अउर दुख अउ घबराहट महसूस करइ लाग।
37येशूने पेत्र आणि दोन जब्दीचे पुत्र यांना आपल्याबरोबर यायला सांगितले. यानंतर येशू मनातून फार दु:खी व व्याकूळ होऊ लागला.
38फिन उ ओनसे कहेस, “मोर मन बहोत दुखी बा, जइसे मोर प्रान निकरि जइहीं। तू मोरे संग हिअँई ठहर जा अउर होसियार रहा।”
38येशू पेत्राला व जब्दीच्या दोघा पुत्रांना म्हणाला, “माझे दु:ख मला इतके झाले आहे की, ते मला मारून टाकील. येथे थांबा व माझ्याबरोबर जागे राहा.”
39फिन तनिक अगवा बढ़इ क बाद उ धरती प निहुरिके पराथना करइ लाग। उ कहेस, “हे, मोर परमपिता, जदि होइ सकइ तउ यातना क कटोरा मोसे टरि जाइ। फिन भी जइसा मइँ चाहत हउँ वइसा नाहीं मुला जइसा तू चाहत ह वइसा ही कर।”
39तो थोडे अंतर पुढे गेला आणि जमिनीवर ओणवून प्रार्थना करू लागला, “हे माझ्या पित्या, शक्य झाले तर हा दु:खाचा प्याला माझ्यापुढून जाऊ दे, तथापि, माझ्या इच्छेप्रमाणे नको तर तुझ्या इच्छेप्रमाणे होऊ दे.”
40ओकरे पाछे उ आपन चेलन क लगे गवा अउर ओनका सोवत पाएस। उ परतस स कहेस, “तउ तू पचे मोर संग एक घंटा भी नाहीं जागि सक्या।
40मग तो शिष्यांकडे परत गेला तेव्हा ते झोपी गेले आहेत असे त्याला आढळले. येशू पेत्राला म्हणाला, “तुम्हा लोकांना माझ्याबरोबर एखादा तासही जागे राहता येत नाही काय?
41जागत रहा अउर पराथना करा जेसे तू परिच्छा मँ न पड़ि जा। तोहार आतिमा तउ उहइ करब चाहत ह जउन चंगा बा, मुला तोहार सरीर दुर्बल अहइ।”
41आपण परीक्षेत पडू नये म्हणून जागे राहा. आणि प्रार्थना करीत राहा. यासाठी की तुम्ही मोहात पडू नये. जे योग्य आहे ते तुमचा आत्मा करी इच्छितो, पण तुमचे शरीर अशक्त आहे.”
42एक दाईं फिन उ जाइके पराथना किहेस अउर कहेस, “हे मोर परमपिता, जदि यातना क कटोर मोरे बगैर पिए टर नाहीं सकत तउ तोहार इच्छा पूरी होइ जाइ।”
42नंतर दुसऱ्यांदा जाऊन येशू प्रार्थना करू लागला, “हे माझ्या पित्या, जर दु:खाचा हा प्याला पिणे मला अटळच आहे तर तुझी इच्छा असेल तसे होवो.”
43तब उ आवा अउ ओनका फिन सोवत पावा। उ पचेन क आँखन थकी रहिन।
43नंतर येशू शिष्यांकडे परत गेला तेव्हा त्याला आढळून आले की, त्यांचे डोळे जड झाले होते व ते झोपी गेले आहेत कारण जागे राहणे त्यांना शक्य होत नव्हते.
44तउ उ ओनका छोड़िके फिन गवा अउर तिसरी दाईं भी पहिले क नाईं ओनही सब्दन मँ पराथना करेस।
44नंतर येशू शिष्यांना पुन्हा सोडून तसाच पुढे गेला आणि त्याने प्रार्थना केली. तिसऱ्या वेळी प्रार्थना करताना त्याने पुन्हा हेच शब्द उच्चारले.
45फिन ईसू आपन चेलन क लगे गवा अउर ओनसे पूछेस, “का तू अबहुँ आराम स सोवत अहा? सुना, समइ आइ ग अहइ, जब मनई क पूत पापी मनइयन क हथवन मँ दइ दीन्ह जाई।
45यानंतर येशू परत शिष्याकडे गेला आणि त्यांना म्हणाला, “तुम्ही अजून झोप आणि विश्रांतिच घेत आहात का? ऐका! मनुष्याचा पुत्र पापी लोकांच्या हाती धरून दिला जाण्याची वेळ आली आहे.
46उठा, आवा चली। देखा मोका धरइवाला इ बा।”
46उठा! आपल्याला निघालेच पाहिजे. हा पाहा, मला धरून शत्रूंच्या हाती देणारा येत आहे.”
47ईसू जब बोलत रहा, यहूदा जउन बारहु चेलन मँ एक रहा, आवा। ओकरे संग तरवारन अउर लाठियन स लइस मुख्ययाजकन अउर बुजुर्ग यहूदी नेतन क पठई एक भारी भीड़ भी रही।
47येशू हे बोलत असतानाच बारा जणांपैकी एक जो यहूदा, तो तेथे आला. त्याच्याबरोबर बरेच लोक होते. मुख्य याजक, लोकांचे वडीलजन यांनी त्यांना पाढविले होते. ते लोक तलवारी व सोटे घेऊन आले होते.
48यहूदा जउन ओका पकड़वावइ वाला रहा, ओनका एक इसारा बतावत भवा कहेस, “जउन कउनो क मइँ चुमउँ, उहइ होई, ओका धइ लिहा।”
48येशूला विश्वासघाताने धरून लोकांच्या हाती देणारा यहूदा याने हाच येशू आहे याविषयी एक खूण सांगितली होती. यहूदा म्हणाला, “ज्या मनुष्याचे मी चुंबन घेईन तोच येशू होय; त्याला तुम्ही धरा,”
49फिन उ सीधे ईसू क लगे गवा अउ बोला, “हे गुरु! अउर बस उ ईसू क चूम लिहेस।’
49मग यहूदा येशूकडे गेला आणि म्हणाला, “गुरूजी,” आणि यहूदाने येशूचे चुंबन घेतले.
50ईसू ओसे कहेस, “मीत, जउन काज बरे तू आइ अहा, ओका करा।” फिन भिड़िया क लोग लगे जाइके ईसू क दहबोच कइ गिरफ्तार कइ लिहन।
50येशू त्याला म्हणाला, “मित्रा, जे करण्यास आलास ते कर!” मग ते येशूकडे आले. त्यांनी येशूवर हात टाकले व त्याला धरले.
51फिन जउन मिला ईसू क संग रहेन, ओनमाँ स एक तरवार हींच लिहस अउर वार कर महायाजक क नउकर क कान काट लिहस।
51हे झाल्यावर येशूबरोबर असलेल्या एका अनुयायाने तलवारीला हात घातला आणि ती उपसली. त्याने प्रमुख याजकाच्या नोकराचा कान कापला.
52तब ईसू ओसे कहेस, “आपन तरवार क मियान मँ घुसेड़ द्या। जउन तरवार चलावत हीं उ पचे तरवारे स मार डावा जइहीं।
52येशू त्या मनुष्याला म्हणाला, “तू आपली तलवार म्यानात ठेव. जे तलवारीचा वापर करतात ते तलवारीनेच मरतात.
53का तू नाहीं सोचत अहा कि मइँ आपन परमपिता क बोलाइ सकत हउँ अउ उ फउरन सरगे क दुतन क बारहु फउजन स भी जिआदा मोरे लगे पठइ देई?
53मी माझ्या पित्याला सांगितले तर तो देवदूतांच्या बारापेक्षा अधिक पलटणी पाठवील, हे तुम्हांला कळत नाही काय?
54मुला मइँ अइसा करउँ तउ पवित्तर सास्तरन मँ लिखी बात कइसे पूर होइ जाई कि सब कछू अइसे ही होइ क अहइ?”
54परंतु हे अशाच रीतीने झाले पाहिले असा पवित्र शास्त्रात जो लेख आहे तो कसा काय पूर्ण होईल?”
55उहइ समइ ईसू भीड़े स कहेस, “तू पचे तरवारन, लाठियन क संग मोका धरवावइ अइसे काहे आइ अहा जइसे कउनो डाकू क धरइ आवत हीं? मइँ हर दिन मन्दिर मँ बइठा उपदेस देत रहत हउँ अउर तू पचे मोका नाहीं धर्‌या।
55यानंतर येशू सर्व लोकसमुदायाला म्हणाला, “जसा मी कोणी गुन्हेगार आहे, अशा रीतीने तुम्ही तलवारी व सोटे हाती घेऊन मला धरायला माझ्यावर चाल करून आला काय? मी दररोज मंदिरात शिक्षण देत असता तुम्ही मला धरले नाही.
56मुला इ सब कछू घटि गवा कि नबियन क लिखा पूर होइ।” फिन ओकर चेलन ओका तजि क पराय गएन।
56परंतु या सर्व गोष्टी अशासाठी झाल्या आहेत की, संदेष्ट्यानी जे लिहिले होते ते पूर्ण व्हावे.” नंतर येशूचे सर्व शिष्य त्याला सोडून पळून गेले.
57ईसू क जउन धरे रहेन, उ पचे ओका कैफ़ा नाउँ क महायाजक क समन्वा लइ गएन। हुवाँ धरम सास्तिरियन अउर बुजुर्ग यहूदी नेतन भी ऍकट्ठा भएन।
57त्या लोकांनी येशूला धरले, त्यांनी त्याला प्रमुख याजक कयफा याच्या घरी नेले. तेथे नियमशास्त्राचे शिक्षक आणि वडीलजन एकत्र जमले होते.
58पतरस ओसे दूर-दूर रहत ओकरे पाछे-पाछे महायाजक क अंगना क भितरे तलक चला गवा। अउर फिन अंत देखइ हुवाँ पहरेदारन क संग बइठ गवा।
58पेत्र काही अंतर ठेवून येशूच्या मागे चालला होता. पेत्र येशूच्या मागे मुख्य याजकाच्या आवारापर्यंत गेला आणि काय होते ते पाहण्यासाठी नोकरांसोबत बसला.
59मुहायाजकन समूची यहूदी महासभा क संग ईसू क मउत क सजा देइ बरे ओकरे खिलाफ कउनो झूठा जुर्म ढूँढ़इ बरे जतन करत रहेन।
59येशूला मरणदंड द्यावा म्हणून मूख्य याजक आणि सर्व यहूदी सभा त्याच्याविरूद्ध काही खोटे दोषारोप करता येईल काय याचा प्रयत्न करू लागले. खोटी साक्ष देणारे लोक सापडतात काय याचा शोध घेऊ लागले.
60मुला ढूँढ नाहीं पाएन। जदपि बहोत स झूठे गवाहन अगवा बढ़िके झूठ बोलेन। आखिर मँ दुइ मनई अगवा आएन।
60पुष्कळ लोक पुढे आले आणि येशूविरूद्ध साक्ष देऊ लागले. परंतु येशूला जिवे मारण्याचे काहीही कारण यहूदी सभेला सापडेना. शेवटी दोन माणसे पुढे आली, ती म्हणू लागली,
61अउर बोलेन, “इ कहे रहा, ‘मइँ परमेस्सर क मंदिर क तहस नहस कइ सकत हउँ अउर तीन दिना मँ फिन बनाइ सकत हउँ।”‘
61“हा मनुष्य असे म्हणाला की, देवाचे मंदिर मी पाडू शकतो आणि ते तीन दिवसात पुन्हा बांधू शकतो.”
62फिन महायाजक खड़ा होइके ईसू स पूछेस, “का जवाबे मँ तोहका कछू नाहीं कहइ क अहइ कि इ मनइयन तोहरे खिलाफ इ का साच्छी देत अहइँ?”
62तेव्हा प्रमुख याजक उठून येशूला म्हणाला, “हे लोक तुझ्याविरूद्ध साक्ष देत आहेत, तुझ्यविरूद्ध जे आरोप आहेत, त्याविषयी तुला काही सांगायचे आहे का? हे सर्व खरे सांगत आहेत काय?”
63मुला ईसू खमोस रहा। फिन महायाजक ओसे पूछेस, “मइँ तोहका साच्छात परमेस्सर क सपथ देत हउँ, हमका बतावा का तू परमेस्सर क पूत मसीह अहा?”
63पण येशूने काहीच उत्तर दिले नाही. परत एकदा प्रमुख याजक येशूला म्हणाला, “जिवंत देवाच्या नावाची शपथ. मी तुला बजावून सांगतो की खरे काय ते तू सांग! तू देवाचा पुत्र ख्रिस्त आहेस काय?”
64ईसू जवाब दिहस, “हाँ, मइँ अहउँ। मुला मइँ तोहका बतावत हउँ कि तू पचे मनई क पूत क उ परम सक्तीवाला क दाहिन कइँती बइठा अउर सरगे क बदखन प आवत हालि ही देखब्या।”
64येशू त्यांना म्हणाला, “होय, मी आहे. जसे तू म्हणालास. तरी मी तुम्हांला सांगतो: ह्यापुढे मनुष्याच्या पुत्राला तुम्ही ढगातून येताना पाहाल व त्याला देवाच्या उजवीकडे बसलेले पाहाल.”
65महायाजक इ सुनिके ऍतना गुस्साइ गवा कि आपन ओढ़ना फाड़त भवा बोला, “इ जउन बातन कहेस ह उ सब परमेस्सर प कलंक लगाएस ह। अब हमका अउर जिआदा साच्छी न चाही। तू पचे ऍका परमेस्सर क खिलाफ कहत सुन्या ह।
65जेव्हा प्रमुख याजकाने हे ऐकले, तेव्हा तो फार संतापला. आपले कपडे फाडून तो म्हणाला, “याने देवाविरूद्ध दुर्भाषण केले आहे! आम्हांला आणखी साक्षीदारांची गरज राहिली नाही. ह्याला देवाची निंदा करताना तुम्ही ऐकले!
66तू पचे का सोचत अहा?” जवाबे मँ उ पचे बोलेन, “इ अपराधी अहइ। ऍका मरि जाइ चाही।”
66तुम्हांला काय वाटते?” यहूद्यांनी उत्तर दिले, “तो अपराधी आहे आणि त्याला मेलेच पाहिजे.”
67फिन उ सबइ ओकरे मुँहना प थूकेन अउ ओका घूँसा स मारेन। कछू थप्पड़ दिहेन।
67तेव्हा ते त्याच्यावर थुंकले, त्यांनी त्याला मारले. दुसऱ्यांनी चपराका मारल्या.
68अउर कहेन, “हे मसीह! भविस्सबाणी करा कि उ कउन अहइ जउन तोहका थोकरेस ह।”
68ते म्हणाले, “ख्रिस्ता आमच्यासाठी भविष्य सांग! तुला कोणी मारले?ʈ
69पतरस अबहीं अंगना मँ बाहेर बइठा रहा कि एक ठु नउकरानी लगे आइ अउर बोली, “तू भी तउ उहइ गलील क ईसू क संग रह्या।”
69यावेळी पेत्र वाड्याच्या अंगणात बसला होता. प्रमुख याजकाच्या दासीपैंकी एक दासी पेत्राकडे आली. ती म्हणाली, “तू सुद्धा गालीलच्या येशूबरोबर होतास.”
70मुला सबइ क समन्वा पतरस मुकर गवा। उ कहेस, “मोका पता नाहीं तू का कहति अहा।”
70पण पेत्राने सर्वांसमोर ते नाकारले. तो म्हणाला, “तू काय म्हणतेस ते मला माहीत नाही!”
71फिन उ ड्यौढ़ी तलक गवा ही रहा कि एक दूसर मेहरारू देखेस अउर जउन मनई हुवाँ रहेन, ओनसे बोली, “इ मनई नासरत क ईसू क संग रहा।”
71मग तो अंगणातून निघून फाटकापाशी गेला. फाटकाजवळ दुसऱ्या एका दासीने त्याला पाहिले. ती तेथे असलेल्या लोकांना म्हणाली, “नासरे थकर येशूबरोबर हा होता.”
72एक दाईं फिन पतरस इन्कार करेस अउर सपथ खात भवा कहेस, “मइँ उ मनई क नाहीं जानत हउँ।”
72पुन्हा एकदा पेत्र शपथ घेऊन येशूला नाकारतांना, म्हणाला, “मी त्याला ओळखत नाही!”
73तनिक देर पाछे हुवाँ खड़ा लोग पतरस क लगे गएन अउर ओसे बोलेन, “तोहार बोलइ क लहजा स साफ लागत ह कि तू असिल मँ ओनही मँ स एक अहा।”
73काही क्षणानंतर तेथे असलेले लोक पेत्राकडे वळाले आणि त्याला म्हणाले, “तू खरोखर येशूच्या शिष्यांपैकी एक आहेस, हे आम्हांला माहीत आहे, तुझ्या बोलण्यावरून हे आम्हांला स्पष्ट दिसून येते.”
74तब पतरस आपन क धिक्कारइ लाग अउर सपथ खाएस, “मइँ उ व्यक्ति क नाहीं जानत हउँ!” तबहिं मुर्गा बाँग दिहस।
74मग तो स्वत:ला शाप देऊ लागला. तो जोराने म्हणाला, “मी देवाशपथ सांगतो, येशू हा मनुष्य कोण आहे हे मला माहीत नाही!” पेत्र असे म्हणाला तोच कोंबडा आरवाला.
75तब्बइ पतरस क उ याद होइ आवा जउन ईसू ओसे कहे रहा, “मुर्गा क बाँग देइ स पहिले तू तीन दाईं मोका नकार देब्या।” तब पतरस बाहेर चला गवा अउ फूट फूट क रोवइ लाग।
75नंतर येशू काय म्हणाला होता हे पेत्राला आठवले, “कोंबडा आरवण्यापूर्वी तू मला तीन वेळा नाकारशील.” यानंतर पेत्र तेथून बाहेर निघून गेला आणि दु:खतिशयाने रडला.