1ईसू जब भारी भीड़ देखेस उ एक पहाड़े प चला गवा। हुवाँ उ बैठि गवा अउर ओकर चेलन ओकरे नगिचे आएन।
1येशूने तेथे पुष्कळ लोक पाहिले. म्हणून येशू डोंगरावर गेला आणि खाली बसला, मग त्याचे शिष्य त्याच्याजवळ आले.
2तबहिं ईसू उपदेस देत भवा कहेस:
2आणि त्याने त्यांना शिकविण्यास सरुवात केली. तो म्हणाला,
3“धन्य अहइँ उ पचे जउन दीन अहइँ, काहेकि सरगे क राज्य अहइ ओनके बरे।
3“जे आत्म्याने दीन ते धन्य, कारण स्वर्गाचे राज्य त्यांचे आहे.
4धन्य अहइँ उ सबइ जउन सोक करत हीं काहेकि परमेस्सर ओनका धीरज बँधावत ह।
4जे शोक करतात ते धन्य, कारण त्याचे सांत्वन करण्यात येईल.
5धन्य अहइँ उ सबइ जउन नम्र अहइँ काहेकि इ धरती ओनही क अहइ।
5जे नम्र ते धन्य, कारण त्यांना वचनदत्त भूमीचे वतन मिळेल.
6धन्य अहइँ उ सबइ जउन नीति क बरे भूखा अउर पियासा जउन रहत ही। काहेकि परमेस्सर ओनका संतोस देइ, अउर तृप्ति देइ।
6ज्यांना नीतीने वागण्याची तहान व भूक लागली आहे ते धन्य, कारण ते तृप्त होतील.
7धन्य अहइँ जउन दयालु अहइँ काहेकि ओन पइ अकास स दया बरसी।
7जे दयाळू ते धन्य, कारण त्यांचावर दया करण्यत येईल.
8धन्य अहइँ जउन हिरदय स सुद्ध अहइँ काहेकि उ सबइ परमेस्सर क दरसन करिहीं।
8जे अंत:करणाचे शुद्ध ते धन्य कारण ते देवाला पाहतील.
9धन्य अहइँ जउन सान्ति बरे काम काज करत हीं काहेकि उ सबइ परमेस्सर क पूत कहा जइहीं।
9जे शांति करणारे ते धन्य, कारण त्यांना देवाची मुले म्हटले जाईल.
10धन्य अहइँ जउन धर्म क कारण सतावा जात हीं काहेकि सरगे क राज्य ओनही क अहइ।
10नीतिमत्त्वासाठी ज्यांचा छळ झाला आहे ते धन्य कारण स्वर्गाचे राज्य त्यांचे आहे.
11“अउर तू पचे धन्य अहा काहेकि जब लोग तोहका पचन्क बेज्जत करइँ, तोहका पचन्क सतावइँ अउर मोरे बरे तोहरे खिलाफ सब प्रकार क झूठी बातन कहइँ बस एह बरे तू सबइ मोर मनवइया अहा।
11“जेव्हा माझ्यामुळे लोक तुमची निंदा करतील, तुमचा छळ करतील व लबाडीने तुमच्याविरुद्ध सर्व प्रकारचे वाईट बोलतील तेव्हा तुम्ही धन्य आहात.
12तब तू सबइ खुस रह्या, आनन्द मँ रह्या, काहेकि सरगे मँ तोहका पचन्क एकरे बरे अच्छा होई। इ वइसे ही बाटइ जइसे तोहरे पहिले क नबियन क मनइयन सताएन ह।
12आनंद करा आणि उल्हास करा, कारण स्वर्गात तुमचे प्रतिफळ मोठे आहे; कारण जे संदेष्टे तुमच्यापूर्वी होते त्यांचा त्यांनी तसाच छळ केला. (मार्क 9:50; लूक 14:34-35)
13“तू सबइ समुच्चइ मानवता बरे नमक अहा। मुला जदि नोन नोनखार न होइ तउ ओका फिन नोन कइसे बनाइ जाइ सकत ह। उ फिन कउनो कामे क न रही। सिरिफ एह बरे कि ओका मनई क गोड़वा तले फेंक दीन्ह जाइ।
13“तुम्ही पृथ्वीचे मीठ आहात, पण जर मिठाचा खारटपणा गेला तर ते पुन्हा खारट बनवता येणार नाही व ते निरूपयोगी बनेल. ते फेकून देण्याच्या लायकीचे बनेल. माणसे ते पायदळी तुडवतील.
14“तू संसार क प्रकास अहा। एक ठु अइसा सहर जउन पहाड़े क चोटी प बसा अहइ, उ छिपाए स छिप नाहीं सकत।
14“तुम्ही जगाचा प्रकाश आहात; डोंगरावर वसलेले नगर लपत नाही.
15लोग दिया बारि के ओका बाल्टी तले नाहीं रखतेन मुला ओका डीबट प धइ देत हीं। अउर उ घरे क सब मनइयन क प्रकास देत ह।
15आणि दिवा लावून तो कोणी भांड्याखाली लपवून ठेवीत नाही. उलट तो दिवठणीवर ठेवतात म्हणजे तो दिवा घरातील सर्वांना प्रकाश देतो.
16मनई क समन्वा तोहार प्रकास अइसा चमकइ कि उ पचे तोहरे नीक कामन्क निहारइँ अउर सरगे मँ बइठा भवा तोहरे परमपिता महिमा बखानइ।”
16“तशाच प्रकारे तुम्ही सुद्धा इतरांच्यासाठी प्रकाश असले पाहिजे. यासाठी की त्यांनी तुमची चांगली कामे पाहावी आणि तुमचा पिता जो स्वर्गात आहे त्याचे गौरव करावे.
17“इ जिन सोचा कि मइँ मूसा क व्यवस्था या नबियन क लिखा भवा क नस्ट करइ आइ हउँ। मइँ ओन सबन्क नस्ट करइ नाहीं आइ हउँ मुला ओनके पूरा पूरा अरथ क समझावइ आइ अहउँ।
17“मी नियमशास्त्र किंवा संदेष्ट्याचे लिखाण रद्द करायला आलो आहे असे समजू नका. मी ते रद्द करायला नाही तर परिपूर्ण करायला आलो आहे.
18मइँ तोहसे सच कहत हउँ कि जब ताईं। इ धरती अउर अकास नस्ट नाहीं होइ जातेन, व्यवस्था क एक एक सब्द अउर एक एक अच्छर बना रही, उ तब ताईं बना रही जब ताईं उ पूरा नाहीं होइ जात।
18मी तुम्हांला सत्य तेच सांगतो की, आकाश आणि पृथ्वीचा शेवट होईपर्यंत नियमशात्रातील एका शब्दात देखील फरक होणार नाही.
19एह बरे जउन एन हुकुमन स इ छोटवार स छोटवार हुकुमन क तोड़त ह अउर लोगन्क वइसा ही करइ सिखावत ह, उ सरगे क राज्य मँ कउनो का बड़कई न पाई। मुला जउन ओह पइ चलत ह अउ दूसरन मनइनयन क ओनपइ चलइ क उपदेस देत ह, उ सरगे क राज्य मँ बड़क्का समुझा जाई।
19म्हणून प्रत्येक व्यक्तीने लहानातील लहानाने सुद्धा आज्ञा पाळावी व जर त्याने पाळली नाही व इतरांनाही तसे करण्यास शिकविले नाही तर तो स्वर्गाच्या राज्यात लहान गणला जाईल, पण जो आज्ञा पाळील व इतरांना तसे करण्यास शिकवील त्याला स्वर्गाच्या राज्यात मोठे गणले जाईल.
20मइँ तोहसे सच कहत हउँ कि जब ताईं तू पचे धरमसास्तिरयन अउर फरीसियन क धरम मानइ स अगवा जिन जा, कि तू सरगे क राज्य मँ घुसइ न पउब्या।
20कारण मी तुम्हांस सांगतो की परूशी आणि नियमशास्त्राचे शिक्षक यांच्या नीतिमत्त्वापेक्षा तुमचे नीतिमत्त्व अधिक चांगले असल्याशिवाय तुम्ही स्वर्गाच्या राज्यात जाणारच नाही.
21“तू पचे सुन चुक्या ह कि हमरे पूर्वजन स कहा गवा रहा, ‘हत्या जिन करा अउर जदि कउनो हत्या करत ह तउ ओका अदालत मँ जवाब दिहे होई।’
21“तुम्ही ऐकले असले की, फार पूर्वी आपल्या लोकांना असे सांगण्यात आले होते की, ‘खून करू नका व जो कोणी खून करतो तो न्यायदंडास पात्र ठरेल.’
22मुला मइँ तोहसे कहत हउँ कि जउन मनई आपन भाई प किरोध करी, ओहका भी अदालत मँ एकरे बरे जवाब दिहे होई। अउर जउन आपन भाई क बेज्जत करी ओका सबते ऊँच अदालत मँ जवाब दिहे होई। जदि कउनो आपन भाई स कहइ, ‘अरे जाहिल, मूर्ख तउ नरके क आगी क बीच ओह पइ एका जवाब दिहे होई।
22पण मी तुम्हांस सागतो की, जर एखादा आपल्या भावावर रागावला असेल तर तो न्यायदंडास पात्र ठरेल. पुन्हा जो आपल्या भावाला, अरे वेड्या, असे म्हणेल तो न्यायसभेच्या दंडास पात्र ठरेल. आणि जो त्याला मूर्ख म्हणेल तो नरकातील अग्नीच्या शिक्षेस पात्र ठरेल.
23“एह बरे जदि तू वेदी प आपन भेंट चढ़ावत ह अउर हुवाँ तोहका याद आइ जाइ कि तोहरे मन मँ तोहरे भाई खातिर कउनो खिलाफ बात बाटइ
23“म्हणून तू आपले दान अर्पण करण्यासाठी वेदीजवळ आणले असता जर तुझ्या भावाच्या मनात तुझ्याविरुद्ध काही आहे असे तुला तेथे आठवले,
24तउ तू उपासना भेंट क वेदी के सामने छाँड़ि द्या अउर पहिले जाइके आपन भाई स सुलह कइ ल्या अउर फिन आइके भेंट चढ़ावा।
24तर देवाला देण्यासाठी आणलेले दान तेथेच वेदीपुढे ठेव. प्रथम जाऊन आपल्या भावाबरोबर समेट कर आणि नंतर येऊन आपले दान दे.
25“जब ताईं तू मुद्दई क संग रस्ता मँ रहा, झटपट ओसे मेल कइ ल्या। कहूँ अइसा न होइ कि उ तोहका हाकिम स सौंप देइ अउर हाकिम तोहका सिपाही क। फिन तू जेल मँ धाँध दीन्ह जा।
25वाटेत तुझा वादी तुझ्याबरोबर आहे तोच त्याच्याशी लगेच सलोखा कर नाहीतर कदाचित वादी तुला न्यायाधीशाकडे नेईल व न्यायाधीश अधिकाऱ्याकडे नेईल आणि अधिकारी तुला तरुंगात टाकील.
26मइँ तोहका सच सच बतावत हउँ कि जब तक तू पाई-पाई क हिसाब न कइ देब्या तब तलक तू जेल स न छूटि पउब्या।
26मी तुला खरे सांगतो तू शेवटचा पैसा देईपर्यंत तुझी सुटका मुळीच होणार नाही.
27“तू सुनि लिहा कि इ कहा गवा अहइ, व्यभिचार जिन करा।’
27“व्यभिचार करू नको’ असे पूर्वी सांगितल्याचे तुम्ही ऐकले आहे,
28मुला मइँ तोहसे कहत हउँ कि जदि कउनो स्त्री क बुरी निगाह स देखत ह तउ उ आपन मन मँ पहिले ही ओकरे संग संभोग कइ चुका अहइ।
28परंतु मी तुम्हांस सांगतो की, जो कोणी एखाद्या स्त्रीकडे वाकड्या नजरेने पाहतो त्याने आपल्या मनात तिच्याशी व्यभिचार केलाच आहे.
29यह बरे जदि तोहार दाहिन आँख तोसे पाप करवावइ तउ ओका निकारि क फेंक द्या। काहेकि तेरे बरे इ नीक बाटइ कि तोहरे बदन क एक ठु अंग नस्ट होइ जाइ एकरे बजाय तोहार सारा बदन नरक मँ नाइ दीन्ह जाइ।
29जर तुझा उजवा डोळा तुला पाप करायला प्रवृत्त करतो तर तो काढून टाक व फेकून दे, संपूर्ण शरीर नरकात जाण्यापेक्षा शरीराचा एखादा अवयव गमावलेला बरा.
30अउ जदि तोहार दाहिन हाथ तोहसे पाप करवावइ तउ ओका काटिके फेंकि डारा। काहेकि तोहरे बरे इ नीक अहइ कि तोहरे बदन क एक अंग नस्ट होइ जाइ बजाए कि तोहार समूचा बदन नरक मँ जाइ।
30जर तुझा उजवा हात तुला पापास प्रवृत्त करतो, तर तो तोडून फेकून दे, कारण संपूर्ण शरीर नरकात जाण्यापेक्षा शरीराचा एक अवयव गमावलेला बरा.
31“कहा गवा अहइ, ‘जबहि कउनो आपन पत्नी क तलाक देत ह तउ आपन पत्नी क लिखिके तलाक देइ चाही।’
31“‘जर एखादा मनुष्य आपल्या पत्नीला घटस्फोट देतो तर त्याने तिला घटस्फोटाची लेखी सूचना द्यावी.’ असे सांगितल्याचे तुम्ही जाणता.
32मुला मइँ तोहसे कहत हउँ कि हर मनई जउन आपन पत्नी क तलाक देत ह, जदि उ तलाक ओकरे व्यभिचारी करइ क कारण नाहीं दिहेस तउ जब उ पत्नी दूसरा बियाह करत ह, तउ समुझ ल्या कि उ मनई ओसे व्यभिचार करत ह। अउर जउन कउनो उ छोड़ी भई स्त्री स बियाह करत ह तउ भी व्यभिचार करत ह।
32पण मी तुम्हांला सांगतो की, जो कोणी आपल्या पत्नीला व्यभिचाराच्या कारणाशिवाय इतर कारणामुळे टाकून देतो, तो तिला व्यभिचार करण्यास प्रवृत्त करतो आणि जो कोणी अशा घटस्फोटीत स्त्रीशी विवाह करतो तो व्यभिचार करतो. शपथ घेण्याविषयी येशूची शिकवन
33“तू सबइ इहउ सुन्या ह क हमरे पूर्वजन स कहा गवा रहा, ‘तू सपथ जिन तोड़ा मुला पर्भू स कीन्ह सपथन पूरा करा।’
33“जेव्हा तू शपथ घेतोस तेव्हा ती तोडू नको. जी शपथ देवाला वाहिली आहे ती खरी कर, असे सांगितल्याचे तुम्ही ऐकले आहे.
34मुला मइँ तू सबन स कहत हउँ सपथ जिन ल्या। सरगे क सपथ जिन खा काहेकि उ परमेस्सर क सिंहासन अहइ।’
34परंतु मी तुम्हाला सांगतो की, शपथ वाहूच नका, आकाशाची शपथ वाहू नका कारण ते देवाचे आसन आहे.
35धरती की सपथ जिन खा काहेकि उ ओकरे गोड़वा क चौकी बाटइ। यरूसलेम क सपथ जिन खा काहेकि इ महाराजाधिराजा क सहर बाटइ।
35पृथ्वीचीही शपथ वाहू नका कारण ती त्याच्या पायाचे आसन आहे; आणि यरूशलेमाचीही शपथ वाहू नका, कारण त्या नगरीचा राजा देव आहे.
36आपन मूँड़ क सपथ जिन खा, काहेकि तू एक ठू बारे तक द सफेद या करिया नाहीं कइ सकत्या।
36आपल्या मस्तकाचीही शपथ वाहू नका, कारण त्याचा एखादा केसही पांढरा किंवा काळा होणे तुमच्या हाती नाही.
37जदि तू हाँ चाहत ह तउ सिरिफ ‘हाँ’ कहा अउर ना चाहत ह तउ सिरिफ ‘ना’। काहेकि जउन कछू ऍसे जिआदा होता अहइ उ दुस्ट (सइतान) स आवत अहइ।
37म्हणून तुमचे बोलणे ‘होय’ तर होय किंवा ‘नाही’ एवढेच असावे. त्यापेक्षा जास्त जर असेल तर ते सैतानापासून आहे.
38तू पचे सुन्या ह कि कहा बाटइ, ‘आँखी क बदले आँखी अउर दाँत बदले दाँत’
38“तुम्ही ऐकले आहे की असे सांगितले होते, ‘डोळ्याबद्दल डोळा आणि दाताबद्दल दात.’
39मुला मइँ तोहसे कहत हउँ कि कउनो बुरा मनई क विरोध जिन करा। मुला कउनो तोहरे दाहिन गाले प थप्पड़ लगावइ तउ दूसर गाले क ओकरे कइँती घुमाइ द्या।
39पण मी तुम्हांला सांगतो, जो दुष्ट आहे त्याला अडवू नका, जर कोणी तुमच्या उजव्या गालावर तुम्हांला मारील त्याच्यासमोर दुसराही गाल पुढे करा.
40जदि कउनो तोह प मुकदमा चलाइ के तोहार कुर्ता उतरवावइ चाहइ तउ तू ओका आपन चोगा तलक दइ द्या।
40आणि जो कोणी फिर्याद करून तुमचा अंगरखा घेऊ पाहतो त्याला तुमचा झगाही द्या.
41जदि कउनो तोहका बेगार मँ एक मील चलावइ तउ तू ओकरे संग दुइ मील जा।
41जर कोणी तुम्हांला सक्तीने त्याच्याबरोबर कांही अंतर घेऊन जाऊ इच्छितो तर त्याच्याबरोबर त्याच्या दुप्पट अंतर जा.
42जदि कउनो तोसे कछू माँगइ तउ ओका उ दइ द्या। जउन तोसे उधार लेइ चाहइ, ओका मना जिन करा।
42जो तुमच्याजवळ मागतो त्याला द्या आणि जो तुमच्याकडून उसने घेऊ इच्छितो त्याला नकार देऊ नका.
43“तू पचे सुन्या ह कि कहा गा बाटइ, ‘तू आपन पड़ोसी स पिरेम करा अउर दुस्मन स घिना कर।’
43“असे सांगिलते होते की, ‘आपल्या शोजाऱ्यावर प्रेम करा अणि आपल्या शत्रूचा द्वेष करा, असे तुम्ही ऐकले आहे.
44मुला मईं कहत हउँ आपन दुस्मन स भी पिरेम करा। जउन तोहका सतावत हीं, ओनके बरे भी पराथना करा।
44पण मी तुम्हांला सांगतो, तुमच्या शत्रूवर प्रेम करा. तुमचे जे वाईट करतात त्यांच्यासाठी प्रार्थना करा.
45काहेकि सरगे मँ वसइया आपन परमपिता क संतान होइ सका। उ सूरज क प्रकास बुरा अउर भला सब पइ चमकावत ह। उ पापी अउर धर्मी सब पइ बसकाला मँ पानी बरसावत ह।
45जर तुम्ही असे कराल, तर तुम्ही तुमच्या स्वर्गातील पित्याचे खरे पुत्र व्हाल. तुमचा पिता चांगल्यावर आणि वाईटावर अशा दोघांवरही सूर्य उगवितो. चांगल्यावरही आणि वाईटावरही पाऊस पाडतो.
46इ मइँ यह बरे कहत हउँ कि जदि तू ओनही स पिरेम करब्या जउन तोहसे पिरेम करत हीं तउ तोहका का फल मिली? का अइसा तउ चुंगी (टैक्स) क उगाहिया भी नाहीं करतेन?
46कारण जे तुमच्यावर प्रीति करतात त्यांच्यावर तुम्ही प्रीति करीत असाल तर तुम्हांला प्रतिफळ मिळणार नाही. जकातदारही असेच करतात.
47जदि तू आपन मीतन क बरे नीक बाट्या तउ दूसर मनई स नीक नाहीं बाट्या। का अइसा विधर्मी भी नाहीं करतेन?
47आणि जर तुम्ही तुमच्या मित्रांशी चांगले वागत असाल तर तुम्ही इतरांपेक्षा फार चांगले आहात असे समजू नका. देवाला न मानणारे लोकही असेच करतात.
48यह बरे आपन मँ परिपूर्ण बना जइसे तोहार सरगे क परमपिता परिपूर्ण बाटइ।
48म्हणून जसा तुमचा स्वर्गातील पिता परिपूर्ण आहे तसे तुम्हीही परिपूर्ण व्हा.