Marathi

Syriac: NT

Matthew

13

1त्याच दिवशी येशू घराबाहेर पडून सरोवराच्या काठी जाऊन बसला.
1ܒܗܘ ܕܝܢ ܝܘܡܐ ܢܦܩ ܝܫܘܥ ܡܢ ܒܝܬܐ ܘܝܬܒ ܥܠ ܝܕ ܝܡܐ ܀
2पुष्कळ लोक त्याच्याभोवती जमले, म्हणून येशू नावेत जाऊन बसला व सर्व लोकसमुदाय किनाऱ्यावर उभा राहिला.
2ܘܐܬܟܢܫܘ ܠܘܬܗ ܟܢܫܐ ܤܓܝܐܐ ܐܝܟ ܕܢܤܩ ܢܬܒ ܠܗ ܒܐܠܦܐ ܘܟܠܗ ܟܢܫܐ ܩܐܡ ܗܘܐ ܥܠ ܤܦܪ ܝܡܐ ܀
3तेव्हा त्याने त्यांना गोष्टीरूपाने बोध केला. तो म्हणाला, एक शेतकरी बी पेरायला निघाला.
3ܘܤܓܝ ܡܡܠܠ ܗܘܐ ܥܡܗܘܢ ܒܦܠܐܬܐ ܘܐܡܪ ܗܐ ܢܦܩ ܙܪܘܥܐ ܕܢܙܪܘܥ ܀
4तो पेरीत असता काही बी रस्त्यावर पडले, पक्षी आले व त्यांनी ते खाऊन टाकले.
4ܘܟܕ ܙܪܥ ܐܝܬ ܕܢܦܠ ܥܠ ܝܕ ܐܘܪܚܐ ܘܐܬܬ ܦܪܚܬܐ ܘܐܟܠܬܗ ܀
5काही बी खडकाळ जमिनीवर पडले. तेथे पुरेशी माती नव्हती. तेथे बी फार झपाट्याने वाढले. पण जमीन खोलवर नव्हती,
5ܘܐܚܪܢܐ ܢܦܠ ܥܠ ܫܘܥܐ ܐܝܟܐ ܕܠܝܬ ܗܘܐ ܡܕܪܐ ܤܓܝܐܐ ܘܒܪ ܫܥܬܗ ܫܘܚ ܡܛܠ ܕܠܝܬ ܗܘܐ ܥܘܡܩܐ ܕܐܪܥܐ ܀
6म्हणून जेव्हा सूर्य उगवाला तेव्हा रोपटे वाळून गेले. कारण त्याला खोलवर मुळे नव्हती.
6ܟܕ ܕܢܚ ܕܝܢ ܫܡܫܐ ܚܡ ܘܡܛܠ ܕܠܝܬ ܗܘܐ ܠܗ ܥܩܪܐ ܝܒܫ ܀
7काही बी काटेरी झुडपावर पडले. काटेरी झुडूप वाढले आणि त्याने रोपाची वाढ खुंटविली.
7ܘܐܚܪܢܐ ܢܦܠ ܒܝܬ ܟܘܒܐ ܘܤܠܩܘ ܟܘܒܐ ܘܚܢܩܘܗܝ ܀
8काही बी चांगल्या जमिनीवर पडले, ते रोप वाढले व त्याला धान्य आले. आणि कोठे शंभरपट, कोठे साठपट. कोठे तीसपट असे त्याने पीक दिले.
8ܘܐܚܪܢܐ ܢܦܠ ܒܐܪܥܐ ܛܒܬܐ ܘܝܗܒ ܦܐܪܐ ܐܝܬ ܕܡܐܐ ܘܐܝܬ ܕܫܬܝܢ ܘܐܝܬ ܕܬܠܬܝܢ ܀
9ज्याला ऐकायला कान आहेत तो ऐको.
9ܡܢ ܕܐܝܬ ܠܗ ܐܕܢܐ ܕܢܫܡܥ ܢܫܡܥ ܀
10मग शिष्य त्याच्याजवळ आले आणि त्यांनी विचारले, “तुम्ही त्यांना गोष्टीरूपाने बोध का करता?”
10ܘܩܪܒܘ ܬܠܡܝܕܘܗܝ ܘܐܡܪܝܢ ܠܗ ܠܡܢܐ ܒܦܠܐܬܐ ܡܡܠܠ ܐܢܬ ܥܡܗܘܢ ܀
11तेव्हा त्याने उत्तर दिले, “स्वर्गाच्या राज्याची रहस्ये तुम्ही समजू शकता, पण त्यांना ते समजणार नाही.
11ܗܘ ܕܝܢ ܥܢܐ ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܕܠܟܘܢ ܗܘ ܝܗܝܒ ܠܡܕܥ ܐܪܙܐ ܕܡܠܟܘܬܐ ܕܫܡܝܐ ܠܗܢܘܢ ܕܝܢ ܠܐ ܝܗܝܒ ܀
12कारण ज्या कोणाजवळ आहे त्याला दिले जाईल व ते त्याला पुष्कळ होईल, परंतु ज्या कोणाकडे नाही त्याच्याजवळ जे असेल ते देखील त्याकडून काढून घेतले जाईल.
12ܠܡܢ ܓܝܪ ܕܐܝܬ ܠܗ ܢܬܝܗܒ ܠܗ ܘܢܬܝܬܪ ܠܗ ܀
13म्हणून मी त्यांना गोष्टीरूपाने बोध करतो, कारण ते पाहत असताना ही त्यांना दिसत नाही आणि ऐकत असतांनाही त्यांना समजत नाही.
13ܘܠܡܢ ܕܠܝܬ ܠܗ ܘܗܘ ܕܐܝܬ ܠܗ ܢܫܬܩܠ ܡܢܗ ܡܛܠ ܗܢܐ ܒܦܠܐܬܐ ܡܡܠܠ ܐܢܐ ܥܡܗܘܢ ܡܛܠ ܕܚܙܝܢ ܘܠܐ ܚܙܝܢ ܘܫܡܥܝܢ ܘܠܐ ܫܡܥܝܢ ܘܠܐ ܡܤܬܟܠܝܢ ܀
14तेव्हा हे लोक दाखवून देत आहेत की, त्यांच्यासंबंधी यशयाने पूर्वी जे लिहून ठेवले ते खरे आहे. ते असे, ‘तुम्ही लक्ष द्याल, ऐकाल पण तुम्हांला समजणार नाही, तुम्ही पाहाल आणि निरीक्षण कराल पण तुम्हांला काहीच दिसणार नाही.
14ܘܫܠܡܐ ܒܗܘܢ ܢܒܝܘܬܗ ܕܐܫܥܝܐ ܕܐܡܪ ܕܫܡܥܐ ܬܫܡܥܘܢ ܘܠܐ ܬܤܬܟܠܘܢ ܘܡܚܙܐ ܬܚܙܘܢ ܘܠܐ ܬܕܥܘܢ ܀
15कारण या लोकांचे अंत:करण कठीण झाले आहे त्यांना कान आहेत पण ऐकू येत नाही. त्यांनी आपले डोळे मिटले आहेत. यासाठी की, या लोकांनी आपल्या डोळ्यांनी पाहू नये, आपल्या कानांनी ऐकू नये आपल्या अंत:करणाने समजू नये व मागे फिरू नये, आणि मी त्यांना बरे करू नये. यशया 6:9-10
15ܐܬܥܒܝ ܠܗ ܓܝܪ ܠܒܗ ܕܥܡܐ ܗܢܐ ܘܒܐܕܢܝܗܘܢ ܝܩܝܪܐܝܬ ܫܡܥܘ ܘܥܝܢܝܗܘܢ ܥܡܨܘ ܕܠܐ ܢܚܙܘܢ ܒܥܝܢܝܗܘܢ ܘܢܫܡܥܘܢ ܒܐܕܢܝܗܘܢ ܘܢܤܬܟܠܘܢ ܒܠܒܗܘܢ ܘܢܬܦܢܘܢ ܘܐܤܐ ܐܢܘܢ ܀
16पण तुमचे डोळे धन्य आहेत कारण ते पाहतात, तुमचे कान धन्य आहेत कारण ते ऐकातात.
16ܕܝܠܟܘܢ ܕܝܢ ܛܘܒܝܗܝܢ ܠܥܝܢܝܟܘܢ ܕܚܙܝܢ ܘܠܐܕܢܝܟܘܢ ܕܫܡܥܢ ܀
17मी तुम्हांला खरे सांगतो, तुम्ही ज्या गोष्टी पाहत आहा त्या पाहण्यासाठी अनेक संदेष्टे व नीतिमान लोक आतुरतेने वाट पाहत होते. तरी त्यांना त्या पाहता आल्या नाहीत, आणि तुम्ही ज्या गोष्टी ऐकत आहात त्या ऐकण्याची त्यांची खूप इच्छा होती तरी त्यांनी त्या ऐकल्या नाहीत.
17ܐܡܝܢ ܓܝܪ ܐܡܪܢܐ ܠܟܘܢ ܕܤܓܝܐܐ ܢܒܝܐ ܘܙܕܝܩܐ ܐܬܪܓܪܓܘ ܕܢܚܙܘܢ ܡܕܡ ܕܚܙܝܢ ܐܢܬܘܢ ܘܠܐ ܚܙܘ ܘܠܡܫܡܥ ܡܕܡ ܕܫܡܥܝܢ ܐܢܬܘܢ ܘܠܐ ܫܡܥܘ ܀
18पेरणाऱ्याच्या बोधकथेचा अर्थ काय हे समजून घ्या,
18ܐܢܬܘܢ ܕܝܢ ܫܡܥܘ ܡܬܠܐ ܕܙܪܥܐ ܀
19कोणी राज्याची गोष्ट ऐकतो पण ती त्याला समजत नाही, तेव्हा तो दुष्ट (सैतान) येतो व त्याच्या अंत:करणात पेरलेले ते घेतो, वाटेवर पेरलेला तो हाच आहे.
19ܟܠ ܕܫܡܥ ܡܠܬܐ ܕܡܠܟܘܬܐ ܘܠܐ ܡܤܬܟܠ ܒܗ ܐܬܐ ܒܝܫܐ ܘܚܛܦ ܡܠܬܐ ܕܙܪܝܥܐ ܒܠܒܗ ܗܢܘ ܗܘ ܕܥܠ ܝܕ ܐܘܪܚܐ ܐܙܕܪܥ ܀
20खडकाळ जागेवर पेरलेला तो असा आहे की, तो वचन ऐकतो व लगेच आनंदाने स्वीकारतो.
20ܗܘ ܕܝܢ ܕܥܠ ܫܘܥܐ ܐܙܕܪܥ ܗܘ ܗܘ ܕܫܡܥ ܡܠܬܐ ܘܒܪ ܫܥܬܗ ܒܚܕܘܬܐ ܡܩܒܠ ܠܗ ܀
21तरी त्याच्यामध्ये मूळ नसल्याने तो थोडा काळच टिकतो आणि वचनामुळे संकट आले किंवा कोणी छळ केला, व त्रास झाला म्हणजे तो लगेच अडखळतो.
21ܠܝܬ ܠܗ ܕܝܢ ܥܩܪܐ ܒܗ ܐܠܐ ܕܙܒܢܐ ܗܘ ܘܡܐ ܕܗܘܐ ܐܘܠܨܢܐ ܐܘ ܪܕܘܦܝܐ ܡܛܠ ܡܠܬܐ ܥܓܠ ܡܬܟܫܠ ܀
22आणि काटेरी झाडांमध्ये पेरलेला असा आहे की, तो वचन ऐकतो पण जगिक गोष्टीविषयीचा ओढा, संपत्तीचा मोह ही वचनाला वाढू देत नाहीत आणि तो निष्फळ होतो.
22ܗܘ ܕܝܢ ܕܒܝܬ ܟܘܒܐ ܐܙܕܪܥ ܗܘ ܗܘ ܕܫܡܥ ܡܠܬܐ ܘܪܢܝܐ ܕܥܠܡܐ ܗܢܐ ܘܛܘܥܝܝ ܕܥܘܬܪܐ ܚܢܩܝܢ ܠܗ ܠܡܠܬܐ ܘܕܠܐ ܦܐܪܐ ܗܘܝܐ ܀
23गल्या जमिनीवर पेरलेला असा आहे की, तो वचन ऐकतो, ते समजतो व तो निश्चितपणे पीक देतो. कोणी शंभरपट, कोणी साठपट, कोणी तीसपट असे पीक देतो.”
23ܗܘ ܕܝܢ ܕܥܠ ܐܪܥܐ ܛܒܬܐ ܐܙܕܪܥ ܗܘ ܗܘ ܕܫܡܥ ܡܠܬܝ ܘܡܤܬܟܠ ܘܝܗܒ ܦܐܪܐ ܘܥܒܕ ܐܝܬ ܕܡܐܐ ܘܐܝܬ ܕܫܬܝܢ ܘܐܝܬ ܕܬܠܬܝܢ ܀
24नंतर येशूने त्यांना दुसरी बोधकथा सांगुतली. तो म्हणाला, “स्वर्गाचे राज्य हा एखाद्या मनुष्याने आपल्या शेतात चांगले बी पेरण्यासारखे आहे.
24ܐܚܪܢܐ ܡܬܠܐ ܐܡܬܠ ܠܗܘܢ ܘܐܡܪ ܕܡܝܐ ܡܠܟܘܬܐ ܕܫܡܝܐ ܠܓܒܪܐ ܕܙܪܥ ܙܪܥܐ ܛܒܐ ܒܩܪܝܬܗ ܀
25पण लोक झोपेत असता त्या मनुष्याचा शत्रू आला व गव्हामध्ये निदण पेरून गेला.
25ܘܟܕ ܕܡܟܘ ܐܢܫܐ ܐܬܐ ܒܥܠܕܒܒܗ ܘܙܪܥ ܙܝܙܢܐ ܒܝܢܬ ܚܛܐ ܘܐܙܠ ܀
26पण जेव्हा रोपे वाढली व दाणे आले तेव्हा निदणही दिसू लागले.
26ܟܕ ܕܝܢ ܝܥܐ ܥܤܒܐ ܘܥܒܕ ܦܐܪܐ ܗܝܕܝܢ ܐܬܚܙܝܘ ܐܦ ܙܝܙܢܐ ܀
27मग त्या माणसाचे नोकर त्याच्याकडे आले व म्हणाले, मालक आपण आपल्या शेतात चांगले बी पेरले ना?मग त्यात निदण कोठून आले?
27ܘܩܪܒܘ ܥܒܕܘܗܝ ܕܡܪܐ ܒܝܬܐ ܘܐܡܪܘ ܠܗ ܡܪܢ ܠܐ ܗܐ ܙܪܥܐ ܛܒܐ ܙܪܥܬ ܒܩܪܝܬܟ ܡܢ ܐܝܡܟܐ ܐܝܬ ܒܗ ܙܝܙܢܐ ܀
28तो त्यांना म्हणाला, कोणीतरी शत्रूने हे केले आहे. त्याच्या नोकरांनी विचारले, आम्ही जाऊन ते उपटून टाकावे अशी आपली इच्छा आहे काय?
28ܗܘ ܕܝܢ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܓܒܪܐ ܒܥܠܕܒܒܐ ܥܒܕ ܗܕܐ ܐܡܪܝܢ ܠܗ ܥܒܕܘܗܝ ܨܒܐ ܐܢܬ ܢܐܙܠ ܢܓܒܐ ܐܢܘܢ ܀
29पण तो मनुष्य म्हणाला, नको तुम्ही निदण जमा करीत असताना त्याबरोबर कदाचित गहूही उपटाल.
29ܗܘ ܕܝܢ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܕܠܡܐ ܟܕ ܡܓܒܝܢ ܐܢܬܘܢ ܙܝܙܢܐ ܬܥܩܪܘܢ ܥܡܗܘܢ ܐܦ ܚܛܐ ܀
30कापणीपर्यंत दोन्ही बरोबर वाढू द्या. मग कापणीच्या वेळेस मी कापणाऱ्यास सांगेन की पहिल्याने निदण जमा करा व जाळण्यासाठी त्याच्या पेंढ्या बांधा. पण गहू माझ्या गोदामात साठवा.”‘
30ܫܒܘܩܘ ܪܒܝܢ ܬܪܝܗܘܢ ܐܟܚܕܐ ܥܕܡܐ ܠܚܨܕܐ ܘܒܙܒܢܐ ܕܚܨܕܐ ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܚܨܘܕܐ ܓܒܘ ܠܘܩܕܡ ܙܝܙܢܐ ܘܐܤܘܪܘ ܐܢܘܢ ܡܐܤܪܝܬܐ ܕܢܐܩܕܘܢ ܚܛܐ ܕܝܢ ܟܢܫܘ ܐܢܝܢ ܠܐܘܨܪܝ ܀
31मग येशूने त्यांना आणखी एक बोधकथा सांगितली. तो म्हाणाला, “स्वर्गाचे राज्य मोहरीच्या दाण्यासारखे आहे, तो एका माणसाने घेऊन आपल्या शेतात पेरला.
31ܐܚܪܢܐ ܡܬܠܐ ܐܡܬܠ ܠܗܘܢ ܘܐܡܪ ܕܡܝܐ ܡܠܟܘܬܐ ܕܫܡܝܐ ܠܦܪܕܬܐ ܕܚܪܕܠܐ ܕܢܤܒ ܓܒܪܐ ܙܪܥܗ ܒܩܪܝܬܗ ܀
32मोहरीचा दाणा सर्व दाण्यांहून लहान आहे. पण तो त्याचे झाड मात्र खूप मोठे येते. इतके की, आकाशातील पाखरे येऊन त्याच्या फांद्यांवर राहतात.”
32ܘܗܝ ܙܥܘܪܝܐ ܗܝ ܡܢ ܟܠܗܘܢ ܙܪܥܘܢܐ ܡܐ ܕܝܢ ܕܪܒܬ ܪܒܐ ܗܝ ܡܢ ܟܠܗܘܢ ܝܪܩܘܢܐ ܘܗܘܝܐ ܐܝܠܢܐ ܐܝܟ ܕܬܐܬܐ ܦܪܚܬܐ ܕܫܡܝܐ ܬܩܢ ܒܤܘܟܝܗ ܀
33मग येशूने लोकांना आणखी एक दाखला सांगितला, “स्वर्गाचे राज्य खमिरासारखे आहे. ते एका स्त्रीने घेतले व तीन मापे पिठामध्ये ठेवले तेव्हा ते सर्व पीठ फुगले.”
33ܐܚܪܢܐ ܡܬܠܐ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܕܡܝܐ ܡܠܟܘܬܐ ܕܫܡܝܐ ܠܚܡܝܪܐ ܗܘ ܕܫܩܠܬ ܐܢܬܬܐ ܛܡܪܬ ܒܬܠܬ ܤܐܝܢ ܕܩܡܚܐ ܥܕܡܐ ܕܟܠܗ ܚܡܥ ܀
34लोकांना बोध करण्यासाठी येशूने नेहमीच गोष्टींचा उपयोग केला.
34ܗܠܝܢ ܟܠܗܝܢ ܡܠܠ ܝܫܘܥ ܒܦܠܐܬܐ ܠܟܢܫܐ ܘܕܠܐ ܦܠܐܬܐ ܠܐ ܡܡܠܠ ܗܘܐ ܥܡܗܘܢ ܀
35ते यासाठी की, संदेष्ट्यांनी जे सांगितले होते ते पूर्ण व्हावे. ते असे की, “गोष्टी सांगायला मी आपले तोंड उघडीन, जगाच्या स्थापनेपासून गुप्त राहिलेल्या गोष्टी मी बोलेन.” स्रोत्र 78:2
35ܐܝܟ ܕܢܬܡܠܐ ܡܕܡ ܕܐܬܐܡܪ ܒܝܕ ܢܒܝܐ ܕܐܡܪ ܐܦܬܚ ܦܘܡܝ ܒܡܬܠܐ ܘܐܒܥ ܟܤܝܬܐ ܕܡܢ ܩܕܡ ܬܪܡܝܬܗ ܕܥܠܡܐ ܀
36मग येशू लोकांना सोडून घरात गेला. त्याच्याकडे त्याचे शिष्य आले आणि म्हणाले, “शेतातील निदणाची बोधकथा आम्हांला नीट समजावून सांगा.”
36ܗܝܕܝܢ ܝܫܘܥ ܫܒܩ ܠܟܢܫܐ ܘܐܬܐ ܠܒܝܬܐ ܘܩܪܒܘ ܠܘܬܗ ܬܠܡܝܕܘܗܝ ܘܐܡܪܝܢ ܠܗ ܦܫܩ ܠܢ ܡܬܠܐ ܗܘ ܕܙܝܙܢܐ ܘܕܩܪܝܬܐ ܀
37येशूने उत्तर दिले, “शेतामध्ये चांगले बी पेरणारा हा मनुष्याचा पुत्र आहे.
37ܗܘ ܕܝܢ ܥܢܐ ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܗܘ ܕܙܪܥ ܙܪܥܐ ܛܒܐ ܐܝܬܘܗܝ ܒܪܗ ܕܐܢܫܐ ܀
38आणि शेत हे जग आहे. चांगले बी हे देवाच्या राज्यातील मुले आहेत आणि निदण हे दुष्टाचे (सैतानाचे) मुलगे आहेत.
38ܘܩܪܝܬܐ ܐܝܬܝܗ ܥܠܡܐ ܙܪܥܐ ܕܝܢ ܛܒܐ ܒܢܝܗ ܐܢܘܢ ܕܡܠܟܘܬܐ ܙܝܙܢܐ ܕܝܢ ܐܝܬܝܗܘܢ ܒܢܘܗܝ ܕܒܝܫܐ ܀
39हे निदण पेरणारा शत्रू हा सैतान आहे आणि कापणी या काळाची समाप्ति आहे व कापणी करणारे देवदूत आहेत.
39ܒܥܠܕܒܒܐ ܕܝܢ ܕܙܪܥ ܐܢܘܢ ܐܝܬܘܗܝ ܤܛܢܐ ܚܨܕܐ ܕܝܢ ܐܝܬܘܗܝ ܫܘܠܡܗ ܕܥܠܡܐ ܚܨܘܕܐ ܕܝܢ ܡܠܐܟܐ ܀
40“म्हणून जसे निदण गोळा करून अग्नीत टाकतात त्याप्रमाणे या काळाच्या शेवटी होईल.
40ܐܝܟܢܐ ܗܟܝܠ ܕܡܬܓܒܝܢ ܙܝܙܢܐ ܘܝܩܕܝܢ ܒܢܘܪܐ ܗܟܢܐ ܢܗܘܐ ܒܫܘܠܡܗ ܕܥܠܡܐ ܗܢܐ ܀
41मनुष्याचा पुत्र आपल्या दूतांना पाठवील आणि ते त्याच्या राज्यातून अडखळण करणाऱ्या सर्व गोष्टी आणि अन्याय करणारे यांना बाजूला काढतील.
41ܢܫܕܪ ܒܪܗ ܕܐܢܫܐ ܡܠܐܟܘܗܝ ܘܢܓܒܘܢ ܡܢ ܡܠܟܘܬܗ ܟܠܗܘܢ ܡܟܫܘܠܐ ܘܟܠܗܘܢ ܥܒܕܝ ܥܘܠܐ ܀
42आणि त्यांना अग्नीच्या भट्टीत टाकतील. तेथे रडणे व दात खाणे चालेल.
42ܘܢܪܡܘܢ ܐܢܘܢ ܒܐܬܘܢܐ ܕܢܘܪܐ ܬܡܢ ܢܗܘܐ ܒܟܝܐ ܘܚܘܪܩ ܫܢܐ ܀
43तेव्हा नीतिमान लोक आपल्या पित्याच्या राज्यात सूर्यासारखे प्रकाशतील. ज्याला ऐकायला कान आहेत तो ऐका.
43ܗܝܕܝܢ ܙܕܝܩܐ ܢܢܗܪܘܢ ܐܝܟ ܫܡܫܐ ܒܡܠܟܘܬܗ ܕܐܒܘܗܘܢ ܡܢ ܕܐܝܬ ܠܗ ܐܕܢܐ ܕܢܫܡܥ ܢܫܡܥ ܀
44“स्वर्गाचे राज्य हे जणू काय शेतामध्ये लपवून ठेवलेल्या ठेवीसारखे आहे. एके दिवशी एका मनुष्याला ती ठेव सापडली. त्यामुळे त्या मनुष्याला खूप आनंद झाला. तो ती गुप्त ठेव पुन्हा त्याचा शेतात लपवून ठेवतो व आपले सर्व काही विकून ते शेत विकत घेतो.
44ܬܘܒ ܕܡܝܐ ܡܠܟܘܬܐ ܕܫܡܝܐ ܠܤܝܡܬܐ ܕܡܛܫܝܐ ܒܩܪܝܬܐ ܗܝ ܕܐܫܟܚܗ ܓܒܪܐ ܘܛܫܝܗ ܘܡܢ ܚܕܘܬܗ ܐܙܠ ܙܒܢ ܟܠ ܕܐܝܬ ܠܗ ܘܙܒܢܗ ܠܩܪܝܬܐ ܗܝ ܀
45“आणखी, स्वर्गाचे राज्य चांगल्या मोत्याचा शोध घेणाऱ्या व्यापाऱ्यासारखे आहे,
45ܬܘܒ ܕܡܝܐ ܡܠܟܘܬܐ ܕܫܡܝܐ ܠܓܒܪܐ ܬܓܪܐ ܕܒܥܐ ܗܘܐ ܡܪܓܢܝܬܐ ܛܒܬܐ ܀
46एक दिवस त्याला एक अत्यंत सुंदर मोती सापडतो. तेव्हा तो जाऊन आपले सर्व काही विकतो आणि ते मोती विकत घेतो.
46ܟܕ ܕܝܢ ܐܫܟܚ ܡܪܓܢܝܬܐ ܚܕܐ ܝܩܝܪܬ ܕܡܝܐ ܐܙܠ ܙܒܢ ܟܠ ܡܐ ܕܐܝܬ ܠܗ ܘܙܒܢܗ ܀
47“तसेच, स्वर्गाचे राज्य पाण्यात टाकलेल्या जाळ्यासारखे आहे. जाळ्यात सर्व प्रकारचे मासे सापडतात.
47ܬܘܒ ܕܡܝܐ ܡܠܟܘܬܐ ܕܫܡܝܐ ܠܡܨܝܕܬܐ ܕܢܦܠܬ ܒܝܡܐ ܘܡܢ ܟܠ ܓܢܤ ܟܢܫܬ ܀
48ते भरल्यावर माणसांनी ते ओढून किनाऱ्यावर आणले व बसून जे चांगले ते भांड्यात भरले व जे वाईट ते फेकून दिले.
48ܘܟܕ ܡܠܬ ܐܤܩܘܗ ܠܤܦܪܝ ܝܡܐ ܘܝܬܒܘ ܓܒܝܘ ܘܛܒܐ ܐܪܡܝܘ ܒܡܐܢܐ ܘܒܝܫܐ ܫܕܘ ܠܒܪ ܀
49या काळाच्या शेवटी असेच होईल. देवदूत येतील आणि वाईटांना नितीमान लोकांतून वेगळे करतील.
49ܗܟܢܐ ܢܗܘܐ ܒܫܘܠܡܗ ܕܥܠܡܐ ܢܦܩܘܢ ܡܠܐܟܐ ܘܢܦܪܫܘܢ ܒܝܫܐ ܡܢ ܒܝܢܝ ܙܕܝܩܐ ܀
50वाईट लोकांना अग्नीत फेकून देण्यात येईल. तेथे रडणे व दात खाणे चालेल.
50ܘܢܪܡܘܢ ܐܢܘܢ ܒܐܬܘܢܐ ܕܢܘܪܐ ܬܡܢ ܢܗܘܐ ܒܟܝܐ ܘܚܘܪܩ ܫܢܐ ܀
51येशूने शिष्यांना विचारले, “तुम्हांला या सर्व गोष्टी समजल्या काय?” तेव्हा ते म्हणाले, “होय.”
51ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܝܫܘܥ ܐܤܬܟܠܬܘܢ ܟܠܗܝܢ ܗܠܝܢ ܐܡܪܝܢ ܠܗ ܐܝܢ ܡܪܢ ܀
52तेव्हा त्याने त्यांना म्हटले, “प्रत्येक नियमशास्त्राचा शिक्षक ज्याला स्वर्गाच्या राज्याविषयी शिकविण्यात आले आहे तो घरमालकासारखा आहे. त्याच्याकडे अनेक जुन्या व नव्या गोष्टी घरातील तिजोरीत ठेवलेल्या आहेत.”
52ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܡܛܠ ܗܢܐ ܟܠ ܤܦܪܐ ܕܡܬܬܠܡܕ ܠܡܠܟܘܬ ܫܡܝܐ ܕܡܐ ܠܓܒܪܐ ܡܪܐ ܒܝܬܐ ܕܡܦܩ ܡܢ ܤܝܡܬܗ ܚܕܬܬܐ ܘܥܬܝܩܬܐ ܀
53येशूने लोकांना बोध करण्याचे व गोष्टी सांगून शिकविण्याचे संपवल्यानंतर तो निघून गेला.
53ܘܗܘܐ ܕܟܕ ܫܠܡ ܝܫܘܥ ܡܬܠܐ ܗܠܝܢ ܫܢܝ ܡܢ ܬܡܢ ܀
54त्याने आपल्या गावी येऊन त्यांच्या सभास्थानामध्ये असे शिकविले की, ते चकित होऊन म्हणाले, “हे ज्ञान व ही सामर्थ्याची कृत्ये याला कशी आली?
54ܘܐܬܐ ܠܡܕܝܢܬܗ ܘܡܠܦ ܗܘܐ ܠܗܘܢ ܒܟܢܘܫܬܗܘܢ ܐܝܟܢܐ ܕܢܬܗܪܘܢ ܘܢܐܡܪܘܢ ܐܝܡܟܐ ܠܗ ܠܗܢܐ ܚܟܡܬܐ ܗܕܐ ܘܚܝܠܐ ܀
55हा त्या सुताराचा मुलगा ना? याच्या आईला मरीया म्हणतात ना? आणि याकोब व योसेफ आणि शिमोन व यहूदा याचे भाऊ आहेत ना?
55ܠܐ ܗܘܐ ܗܢܐ ܒܪܗ ܕܢܓܪܐ ܠܐ ܐܡܗ ܡܬܩܪܝܐ ܡܪܝܡ ܘܐܚܘܗܝ ܝܥܩܘܒ ܘܝܘܤܐ ܘܫܡܥܘܢ ܘܝܗܘܕܐ ܀
56याच्या सर्व बहिणी आपल्यात आहेत ना? मग याला या सर्व गोष्टी कशा आल्या असे ते त्याच्याविषयी गोंधळात पडले.”
56ܘܐܚܘܬܗ ܟܠܗܝܢ ܠܐ ܗܐ ܠܘܬܢ ܐܢܝܢ ܐܝܡܟܐ ܠܗ ܗܟܝܠ ܠܗܢܐ ܗܠܝܢ ܟܠܗܝܢ ܀
57त्यांनी त्याला मानण्याचे नाकारले. पण येशू त्यांना म्हणाला, “इतर लोक संदेष्ट्याचा सन्मान करतात. पण त्याच्या स्वत:च्या गावात किंवा घरात त्याचा सन्मान होत नाही.”
57ܘܡܬܟܫܠܝܢ ܗܘܘ ܒܗ ܗܘ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܠܝܬ ܢܒܝܐ ܕܨܥܝܪ ܐܠܐ ܒܡܕܝܢܬܗ ܘܒܒܝܬܗ ܀ 58 ܘܠܐ ܥܒܕ ܬܡܢ ܚܝܠܐ ܤܓܝܐܐ ܡܛܠ ܠܐ ܗܝܡܢܘܬܗܘܢ ܀
58तेथील लोकांच्या अविश्वासामुळे त्याने तेथे जास्त चमत्कार केले नाहीत.
58