1В год смерти царя Озии видел я Господа, сидящего на престоле высоком и превознесенном, и края риз Его наполняли весь храм.
1उज्जीया राजाच्या मृत्यूच्या वर्षीच मी माझ्या प्रभूला पाहिले. तो एका उच्च व विलक्षण सुंदर सिंहासनावर बसला होता. त्याच्या पायघोळ पोशाखाने सर्व मंदिर भरून गेले होते.
2Вокруг Него стояли Серафимы; у каждого из них по шести крыл: двумя закрывал каждый лице свое, и двумя закрывал ноги свои, и двумя летал.
2देवदूत परमेश्वराभोवती उभे होते. प्रत्येक देवदूताला सहा पंख होते. त्यातील दोन पंखांनी ते चेहरा झाकीत. दोनने पाय झाकीत व उरलेल्या दोन पंखांनी उडत.
3И взывали они друг ко другу и говорили: Свят, Свят, Свят ГосподьСаваоф! вся земля полна славы Его!
3ते देवदूत एकमेकांशी बोलत होते. ते म्हणत होते, “पवित्र, पवित्र, पवित्र सर्वशक्तिमान परमेश्वर परमपवित्र आहे. त्याची प्रभा सगळ्या पृथ्वीला व्यापून राहिली आहे.” देवदूतांचे आवाज फार मोठे होते.
4И поколебались верхи врат от гласа восклицающих, и дом наполнился курениями.
4त्यांच्या आवाजाने मंदिराच्या दाराची चौकट हादरली नंतर मंदिर धुराने भरून गेले.
5И сказал я: горе мне! погиб я! ибо я человек с нечистыми устами, иживу среди народа также с нечистыми устами, – и глаза мои видели Царя, Господа Саваофа.
5मी फारच घाबरलो. मी म्हणालो, “हाय रे देवा! आता माझा नाश होणार देवाशी संवाद करण्याइतका मी पवित्र किंवा शुध्द नाही आणि मी ज्या माणसांत राहतो, तीही देवाशी प्रत्यक्ष बोलण्याइतकी शुध्द नाहीत. तरीसुध्दा राजाधिराज, सर्वशक्तिमान परमेश्वराला मी पाहिले आहे.”
6Тогда прилетел ко мне один из Серафимов, и в руке у него горящий уголь, который он взял клещами с жертвенника,
6तेथे वेदीवर अग्नी प्रज्वलित केलेला होता एका सराफ देवदूताने चिमट्याने त्यातील निखारा उचलला. सराफ देवदूत तो निखारा घेऊन माझ्याकडे उडत आला.
7и коснулся уст моих и сказал: вот, это коснулось уст твоих, и беззаконие твое удалено от тебя, и грех твой очищен.
7त्या निखांऱ्याचा स्पर्श त्याने माझ्या तोंडाला केला नंतर तो देवदूत म्हणाला, “हे बघ! ह्या निखाऱ्याच्या स्पर्शाने तुझी सर्व दुष्कृत्ये नाहिशी झाली आहेत. तुझी पापे आता पुसली गेली आहेत.”
8И услышал я голос Господа, говорящего: кого Мне послать? и кто пойдет для Нас? И я сказал: вот я, пошли меня.
8नंतर मला माझ्या परमेश्वराचा आवाज ऐकू आला. परमेश्वर म्हणाला, “मी कोणाला पाठवू! आमच्यासाठी कोण जाईल?” मग मी म्हणालो, “हा मी तयार आहे, मला पाठव.”
9И сказал Он: пойди и скажи этому народу: слухомуслышите – и не уразумеете, и очами смотреть будете – и не увидите.
9नंतर परमेश्वर म्हणाला, “जा आणि ह्या लोकांना सांग: ‘काळजीपूर्वक ऐका पण समजून घेऊ नका. काळजीपूर्वक पाहा पण शिकू नका.’
10Ибо огрубело сердце народа сего, и ушами с трудом слышат, и очисвои сомкнули, да не узрят очами, и не услышат ушами, и не уразумеют сердцем, и не обратятся, чтобы Я исцелил их.
10लोकांना गोंधळात टाक, लोक जे ऐकतील आणि पाहतील ते त्यांना समजणार नाही असे कर. तू असे केले नाहीस तर कदाचित् लोक जे कानांनी ऐकतील आणि डोळ्यांनी पाहतील, तेच खरे समजतील. असे जर झाले तर ते मला शरण येतील आणि बरे होतील.”
11И сказал я: надолго ли, Господи? Он сказал: доколе не опустеют города, и останутся без жителей, и домы без людей, и доколе земля эта совсем не опустеет.
11नंतर मी विचारले, ‘प्रभू, मी हे असे किती दिवस करू?’ परमेश्वर उत्तरला, “लोक पळून जाऊन शहरे निर्जन होईपर्यंत, आता भरलेली घरे निर्मनुष्य होईपर्यंत, किंबहुना ही सर्व भूमी उजाड व वैराण होईपर्यंत तू असे कर.”
12И удалит Господь людей, и великое запустение будет на этой земле.
12परमेश्वर लोकांना दूर पळवून लावील ह्या देशात खूप मोठी ओसाड जमीन तयार होईल.
13И если еще останется десятая часть на ней и возвратится, и она опять будет разорена; но как от теревинфа и как от дуба, когда они и срублены, остается корень их, так святое семя будет корнем ее.
13पण लोकसंख्येचा दहावा हिस्सा ह्या भूमीवर राहतील. त्यांचा नाश होणार होता तरीही ते परमेश्वराकडे परत येतील. हे लोक एलाच्या झाडाप्रमाणे असतील. एलाचे झाड कापले तरी बुडखा शिल्लक राहतोच. हे राहिलेले लोक त्या बुडख्याप्रमाणे असतील. हे लोक खास बीज म्हणजेच देवाची लाडकी लेकरे असतील.