1ܘܐܢܐ ܐܚܝ ܟܕ ܐܬܝܬ ܠܘܬܟܘܢ ܠܐ ܒܡܡܠܠܐ ܪܘܪܒܐ ܐܦܠܐ ܒܚܟܡܬܐ ܤܒܪܬܟܘܢ ܐܪܙܗ ܕܐܠܗܐ ܀
1म्हणून बंधूनो, जेव्हा मी तुमच्याकडे आलो, तेव्हा मी देवाचे रहस्यमय सत्य मानवी ज्ञानाने किंवा वक्तृत्वकलेने सांगण्यासाठी आलो नाही.
2ܘܠܐ ܕܢܬ ܢܦܫܝ ܒܝܢܬܟܘܢ ܐܝܟ ܕܡܕܡ ܝܕܥ ܐܢܐ ܐܠܐ ܐܢ ܠܝܫܘܥ ܡܫܝܚܐ ܐܦ ܠܗ ܟܕ ܙܩܝܦ ܀
2कारण तुमच्यामध्ये असताना फक्त येशू ख्रिस्त आणि तोही वधस्तंभावर खिळलेला याशिवाय कशाचेही ज्ञान असू नये असा मी निश्र्च्य केला आहे.
3ܘܐܢܐ ܒܕܚܠܬܐ ܤܓܝܐܬܐ ܘܒܪܬܝܬܐ ܗܘܝܬ ܠܘܬܟܘܢ ܀
3तेव्हा मी तुमच्याकडे अशक्तपणाने, भीतियुक्त असा व थर थर कापत आलो आहे.
4ܘܡܠܬܝ ܘܟܪܘܙܘܬܝ ܠܐ ܗܘܬ ܒܡܦܝܤܢܘܬܐ ܕܡܠܐ ܕܚܟܡܬܐ ܐܠܐ ܒܬܚܘܝܬܐ ܕܪܘܚܐ ܘܕܚܝܠܐ ܀
4माझे भाषण व संदेश हे मन वळविणाऱ्या मानवी ज्ञानाद्वारे दिलेले नव्हते, ते आत्मा आणि सामर्थ्य यांचा पुरावा असलेले होते.
5ܕܠܐ ܬܗܘܐ ܗܝܡܢܘܬܟܘܢ ܒܚܟܡܬܐ ܕܒܢܝܢܫܐ ܐܠܐ ܒܚܝܠܐ ܕܐܠܗܐ ܀
5यासाठी की, तुमचा विश्वास मानवी ज्ञानावर नव्हे तर देवाच्या सामर्थ्यवर असावा.
6ܚܟܡܬܐ ܕܝܢ ܡܡܠܠܝܢܢ ܒܓܡܝܪܐ ܚܟܡܬܐ ܠܐ ܕܗܢܐ ܥܠܡܐ ܐܦܠܐ ܕܫܠܝܛܢܘܗܝ ܕܥܠܡܐ ܗܢܐ ܕܡܬܒܛܠܝܢ ܀
6परंतु जे प्रौढ आहेत त्यांना आम्ही ज्ञान देतो. या युगाच्या अधिकाऱ्यांना नव्हे, ज्यांचा शेवट करण्यासाठी आणण्यात येत आहे.
7ܐܠܐ ܡܡܠܠܝܢܢ ܚܟܡܬܐ ܕܐܠܗܐ ܒܐܪܙ ܗܝ ܕܡܟܤܝܐ ܗܘܬ ܘܩܕܡ ܗܘܐ ܦܪܫܗ ܐܠܗܐ ܡܢ ܩܕܡ ܥܠܡܐ ܠܫܘܒܚܐ ܕܝܠܢ ܀
7त्याऐवजी, जे लपविलेले आहे, आणि हे युग सुरु होण्यापूर्वी देवाने आमच्या गौरवासाठी नेमले होते ते देवाचे रहस्यमय ज्ञान देतो.
8ܗܝ ܕܚܕ ܡܢ ܫܠܝܛܢܐ ܕܥܠܡܐ ܗܢܐ ܠܐ ܝܕܥܗ ܐܠܘ ܓܝܪ ܝܕܥܘܗ ܠܘ ܠܡܪܗ ܕܬܫܒܘܚܬܐ ܙܩܦܝܢ ܗܘܘ ܀
8जे या युगाच्या कोणाही सत्ताधीशाला माहीत नव्हते, कारण जर त्यांना कळले असते, तर त्यांनी गौरवी प्रभूला वधस्तंभावर खिळले नसते.
9ܐܠܐ ܐܝܟ ܕܟܬܝܒ ܕܥܝܢܐ ܠܐ ܚܙܬ ܘܐܕܢܐ ܠܐ ܫܡܥܬ ܘܥܠ ܠܒܐ ܕܒܪܢܫܐ ܠܐ ܤܠܩ ܡܕܡ ܕܛܝܒ ܐܠܗܐ ܠܐܝܠܝܢ ܕܪܚܡܝܢ ܠܗ ܀
9परंतु ज्याप्रमाणे पवित्र शास्त्र म्हणते, “डोळ्यांनी पाहिले नाही, कानांनी ऐकले नाही, आणि मनुष्याच्या अंत:करणाने जे उपजविले नाही, ते देवाने त्याच्यावर प्रेम करणाऱ्यांसाठी तयार केले आहे.” यशया 64:4
10ܠܢ ܕܝܢ ܓܠܐ ܐܠܗܐ ܒܪܘܚܗ ܪܘܚܐ ܓܝܪ ܟܠܡܕܡ ܒܨܝܐ ܐܦ ܥܘܡܩܘܗܝ ܕܐܠܗܐ ܀
10परंतु देवाने ते आत्म्याच्या द्वारे आपणांस प्रकट केले आहे. कारण आत्मा हा प्रत्येक गोष्टीचा शौध घेतो, एवढेच नव्हे तर तो देवाच्या सखोलतेच्या गुप्ततेचाही शोध घेतो.
11ܐܝܢܐ ܗܘ ܓܝܪ ܒܪܢܫܐ ܕܝܕܥ ܕܒܒܪܢܫܐ ܐܠܐ ܐܢ ܪܘܚܐ ܕܒܪ ܕܒܗ ܗܟܢܐ ܐܦ ܕܒܐܠܗܐ ܐܢܫ ܠܐ ܝܕܥ ܐܠܐ ܐܢ ܪܘܚܗ ܕܐܠܗܐ ܀
11कारण मनुष्याच्या आत्म्याशिवाय त्या मनुष्याच्या गोष्टी ओळखणारा दुसरा कोण मनुष्य आहे? याप्रमाणेच देवाच्या आत्म्याशिवाय देवाचे विचार कोणीच ओळखू शकत नाही.
12ܚܢܢ ܕܝܢ ܠܐ ܗܘܐ ܪܘܚܐ ܕܥܠܡܐ ܢܤܒܢ ܐܠܐ ܪܘܚܐ ܕܡܢ ܐܠܗܐ ܕܢܕܥ ܡܘܗܒܬܐ ܕܡܢ ܐܠܗܐ ܐܬܝܗܒ ܠܢ ܀
12परंतु आम्हांला जगाचा आत्मा मिळाला नाही, तर देवापासूनचा आत्मा मिळाला आहे. यासाठी की, देवाने ज्या गोष्टी फुकट दिल्या आहेत त्यांचे आम्हांला ज्ञान व्हावे.
13ܐܝܠܝܢ ܕܐܦ ܡܡܠܠܝܢܢ ܠܐ ܗܘܐ ܒܝܘܠܦܢܐ ܕܡܠܐ ܕܚܟܡܬܐ ܕܒܢܝܢܫܐ ܐܠܐ ܒܝܘܠܦܢܐ ܕܪܘܚܐ ܘܠܪܘܚܢܐ ܪܘܚܢܝܬܐ ܡܦܚܡܝܢܢ ܀
13मानवी ज्ञानाने शिकविलेल्या शब्दांनी आम्ही या गोष्टी सांगत नाही, तर आत्म्याने शिकविलेल्या शब्दांनी, आध्यात्मिक शब्द उपयोगात आणून आध्यात्मिक गोष्टींचे स्पष्टीकरण करतो.
14ܒܪܢܫܐ ܓܝܪ ܕܒܢܦܫ ܗܘ ܠܐ ܡܩܒܠ ܪܘܚܢܝܬܐ ܫܛܝܘܬܐ ܐܢܝܢ ܓܝܪ ܠܗ ܘܠܐ ܡܫܟܚ ܕܢܕܥ ܕܒܪܘܚ ܡܬܕܝܢ ܀
14स्वाभाविक मनुष्य देवाच्या आत्म्याने प्रगट झालेल्या गोष्टी ग्रहण करीत नाही. कारण त्या त्याला मूर्खपणाच्या आहेत. आणि त्या त्याला समजत नाहीत, कारण त्यांची आध्यात्मिक रितीने पारख केली जाते.
15ܪܘܚܢܐ ܕܝܢ ܟܠ ܡܕܡ ܕܐܢ ܘܗܘ ܡܢ ܐܢܫ ܠܐ ܡܬܕܝܢ ܀
15परंतु आध्यात्मिक मनुष्य सर्व गोष्ट पारखू शकतो कारण त्याची पारख करणे कोणालाही शक्य नसते, कारण पवित्र शास्त्र म्हणते,
16ܡܢܘ ܓܝܪ ܝܕܥ ܪܥܝܢܗ ܕܡܪܝܐ ܕܢܠܦܝܘܗܝ ܠܢ ܕܝܢ ܪܥܝܢܐ ܕܡܫܝܚܐ ܐܝܬ ܠܢ ܀
16“प्रभूचे मन कोण जाणतो, जो त्याला शिकवू शकेल?” यशया 40:13 परंतु आमच्या ठायी ख्रिस्ताचे मन आहे.