1तब ईसू क चेलन ओकरे लगे आइके पूछेन, “सरगे क राज्य मँ सबते बड़कवा कउन अहइ?”2उहइ घड़ी ईसू एक ठु गदेला क अपने लगे बोलॉएस अउर ओका ओकरे समन्वा खड़ा कइके3उ कहेस, “मइँ तोहसे सच कहत हउँ जब ताईं कि तू सबइ मनवा क फिरउब्या नाहीं अउर गदेलन क नाईं नाहीं बनि जाब्या, सरगे क राज्य मँ घुसि न सकब्या।4एह बरे आपन खुद क जउन कउनो इ बचवा क नाईं आपन क नवावत ह, सरगे क राज्य मँ उहइ सबते बड़कवा अहइ।”5“अउर जउन कउनो अइसे गदेलन जइसे मनई क मोरे नाउँ मँ मान लेत ह उ मोका मान लेत ह।6मुला जउन मोह मँ बिसवास करइया मोरे कउनो अइसे गदेला क रस्ते क रोड़ा बनि जात ह, नीक होइ कि ओकरे गटइया मँ एक ठु जाँत क पाट लटकाइके गहिरे समुद्दर मँ बोर दीन्ह जाइ।7संसार क मनइयन बरे ठोकर क कारण मोका दुःख बाटइ मुला ठोकर तउ सदा आवत रइहीं। किंतु दुख तउ ओहॅ प अहइ जोकरे जरिये आइ जात हीं।8एह बरे तोहार हाथ या गोड़ तोहरे बरे मुसीबत बन जाइँ तउ ओका काटि के फेंक द्या काहेकि सरगे मँ बगैर हाथ या बे गोड़ क अनन्त जीवन मँ घुस जाइ पाउब तोहरे बरे जियादा नीक अहइ। ऍकरे बजाय कि दुइनउँ हाथ अउर गोड़वन क साथे तोहका नरके मँ न बुझइवाली आगी मँ नाइ दीन्ह जाइ।9जदि तोहार आँखी तोहरे बरे बियाध बन जाइ तउ तू ओका बाहेर निकारि क डाइ द्या, काहेकि सरगे मँ काना होइके अनन्त जीवन मँ घुसि पाउब तोहरे बरे जिआदा बढ़िया बा, बजाय ऍकर कि दुइनउँ आँखिन क संग तोहका नरके मँ डाइ दीन्ह जाइ।10“तउ देखा, मोर ऍन गदेलन मँ स कउनो क तुच्छ जिन समइया। मइँ तोहका बतावत हउँ कि सरगे मँ बसइ मोरे परमपिता क लगे ओकर रच्छा करइवालन सरगदूतन क पहुँच सदा रहत ह।11मनई क पूत भटक गवा मनइयन क उद्धार बरे आइ अहइ।12“बतावा तू का गूंथत मथत अहा? जदि कउनो क लगे सौ भेड़ होइँ अउर ओहमाँ स एक भटक जाइ तउ का दूसर निन्नान्बे क पहड़िया प तजिके उ एक ठु भटक गई भेड़ क ढूँढ़इ न जाई?13अउर ओका उ मिल जाई मइँ तोहसे सच सच कहत हउँ कि निन्नान्बे क बजाय जउन खोई नाहीं रहिन, ओका पाइके खूब खुस होई।14इ तरह सरगे मँ बसा तोहार परमपिता का नाहीं चाहत कि मोर इ अबोध चेलन मँ स कउनो एक भी भटकि जाइ।15“जदि तोहार भाई तोहरे संग कउनो बुरा बेवहार करइ तउ अकेल्ॅले मँ जाइके आपुस मँ ही ओकर दोख बताइ द्या। जदि उ तोहार सुनि लेइ तउ तू आपन भाई क फिन जीत लिहा।16मुला जदि उ तोहार न सुनइ तउ एक दुइ क आपन संग लइ जा काहेकि हर बाते क दुइ तीन साच्छी होइ जाइ।17जदि उ ओनकी भी न सुनइ तउ कलीसिया क बताइ द्या। अउर जदि उ कलीसिया क भी न मानइ तउ फिन तू ओसे अइसा बेवहार करा जइसे उ विधर्मी होइ जाइ या चुंगी क उगहिया।18“मइँ तोहसे सच बतावत हउँ जउन कछू तू धरती प बँधब्या सरग मँ पर्भू क जरिये बाँधि दीन्ह जाई अउर जउन कउनो क तू धरती प न बँधब्या, ओका सरगे मँ परमेस्सर क जरिये न बान्धा जाई।19“मइँ तोहसे इ भी बतावत हउँ कि इ धरती प जदि तोहमाँ स कउनो दुइ क बिचार मेल खात होइँ तउ एक होइ क सरगे मँ मोरे परमपिता स कछू माँगब्या तउ उ तोहरे बरे ओका पूरा करी20काहेकि जहाँ मोरे नाउँ प दुइ या तीन मोरे मनवइयन क रूप मँ एकट्ठा होत हीं, हुवाँ मइँ ओनके संग हउँ।”21फिन पतरस ईसू क लगे गवा अउर बोला, “पर्भू, मोका आपन भाई क केतॅनी दाईं आपन खिलाफ जुर्म करइ प छमा कइ देइ चाही? जदि उ सात दाई जुर्म करइ तउ भी?”22ईसू कहेस, “न सिरिफ सात दाईं, मुला मइँ तोहसे बतावत हउँ तोहका ओका सतहत्तर दाईं तलक छमा करत जाइ चाही।” 23“सरगे राज्य क तुलना ओ राजा स कीन्ह जाइ सकत ह जउन आपन नउकरन स हिसाब अदा करइ क बिचारे रहा।24जब उ हिसाब लेब सुरु करेस तउ ओकरे समन्वा एक अइसे मनई क लइ आवा गवा जेहॅ प दसउ लाख रुपया निकरत रहा।25मुला ओकरे लगे चुकाइ देइ क कउनो उपाय नाहीं रहा। ओकर मालिक हुकुम दिहेस कि उ नउकर क, ओकर पत्नी, ओकर बाल बचवन अउर जउन कछू माल असबाब अहइ, सब समेट के बेचे स कर्ज अदा कइ दीन्ह जाइ।26“ऍह प ओकर नउकर ओकरे गोड़वा प गिरिके गिड़गिड़ाइ लाग, ‘धीरा धरा, मइँ सब कछू चुकाइ देइहउँ।”27तब जाइके मालिक क तरस आवा अउर ओकर कर्जा माफ कइ दिहस।28“फिन जब उ नउकर हुवाँ स जात रहा तउ ओका ओकर एक साथी नउकर मिला जेका सउ दिनारी देइ क रहा। उ ओकर ढोंढ़ा पकड़िके गटइया क दबावत कहेस, ‘जउन तोहका मोर देइ क अहइ, लउटाइ द्या!’ 29“ऍह प ओकर साथी नउकर गोड़वा प गिरि गवा अउर बीसउ नह जोड़ेस, ‘धीरा धरा, मइँ तोहका दइ देब।’30“मुला उ मना कइ दिहस। ऍतना ही नाहीं उ ओका तब तलक बरे, जब तलक उ ओकर कर्ज अदा न कइ देइ, जेल मँ पठएस।31दूसर संगी नउकरन देखेन कि का भवा, उ सबइ बहोत दुखी भएन। जउन कछू भवा रहा, सब आपन मालिक क जाइके बताइ दिहन।32“तब ओकर मालिक ओका बोलाएस अउर कहेस, ‘अरे नीच नउकर, मइँ तोहार सारा कर्ज माफ कइ दिहउँ काहेकि तइ कहेस कि दाया क भीख द्या।33का तोहका आपन संगी नउकर प दाया नाहीं करइ चाही जइसे मइँ तोह प दाया किहउँ?’34तउ ओकर मालिक कोहाइ गवा अउर ओका तब ताईं सजा भुगतइ बरे सुपुर्द करेस जब ताईं समूचा कर्ज अदा न होइ जाइ।35“तउ जब तलक तू आपन भाई बंद क आपन मनवा स छमा नाहीं कइ दिहा मोर सरगे क परमपिता भी तोहरे साथ वइसा ही बेवहार करी।”