1पिरेम क रस्ता पर कोसिस करत रहा। अउर आध्यात्मिक बरदानन क निष्ठा क साथे अभिलास करआ। बिसेस रूप स परमेस्सर क तरफ स बोलइ क।
1प्रीतीसाठी प्रयत्न करा. आणि आध्यात्मिक दानांची विशेषत: तुम्हांला संदेश देता यावा याची मनापासून इच्छा बाळगा.
2काहेकि जेका दुसरन क भाखा मँ बोलइ क बरदान मिला ब, उ तउ सही मँ लोगन स नाहीं, बल्कि परमेस्सर स बात करत बाटइ। काहेकि ओका केउ समझ नाहीं पावत, उ त आतिमा क सक्ति स रहस्यमय होइके बानी बोलत बा।
2ज्याला इतर भाषांमध्ये बोलण्याचे दान आहे तो खरे पाहता माणसांबरोबर बोलत नाही तर देवाबरोबर बोलतो. कारण तो काय बोलतो हे कोणालाही कळत नाही. आत्म्याच्या द्वारे तो गुढ गोष्टी बोलतो.
3मुला उ जेका परमेस्सर कइँती स बोलइ क बरदान मिला बा, उ लोगन स ओन्हे आतिमा मँ मजबूत प्रोत्साहन अउर चैन पहुँचावइ बरे बोलत बा।
3परंतु जो संदेश देतो तो लोकांशी बोध, उन्नती, उपदेश याविषयी बोलतो,
4जेका विभिन्न भाखन मँ बोलइ क बरदान मिला बा उ तउ बस आपन आतिमा क ही मजबूत करत ह मुला जेका परमेस्सर कइँती स बोलइ क सामर्थ मिला बा उ समूची कलीसिया क आध्यात्मिक रूप स मजबूत बनावत ह।
4ज्याला दुसऱ्या भाषेत बोलण्याचे दान आहे, तो स्वत:चीच आध्यात्मिकदृष्ट्या उन्नती करुन घेतो, पण ज्याला संदेश देण्याचे (देवासाठी बोलण्याचे) दान आहे तो संपूर्ण मंडळीची उन्नती करतो.
5अब मइँ चाहत हउँ कि तू सबइ दूसर कइयउ भाखा बोला। मुला एहसे जियादा मइँ इ चाहित हउँ कि तू परमेस्सर कइँती स बोल सका काहेकि कलीसिया क आध्यात्मिक मजबूती क बरे अपने कहे क बियाखिया करइवाले क छोड़िके, दूसरी भाखा बोलइवालन स परमेस्सर कइँती स बोलइवाला बड़ा बा।
5आता तुम्ही सर्वांनी भाषांमध्ये बोलावे अशी माझी इच्छा आहे, परंतु त्याहीपेक्षा जर तुम्हांला संदेश देता आले तर मला अधिक आवडेल. जो संदेश देतो, (देवासाठी बोलतो) तो भाषा बोलणाऱ्यापेक्षा श्रेष्ठ आहे, पण भाषा बोलणारा हा संदेश देणाऱ्यासारखाच (देवासाठी बोलणान्यासारखाच) आहे, जर त्याने जी भाषा तो बोलतो तिचा अर्थ सांगितला तर, त्याद्वारे संपूर्ण मंडळी आध्यात्मिकदृष्ट्या बळकट होते.
6तउन भाइयो तथा बहिनियो, अगर दूसरी भाखन मँ बोलत भआ मइँ तोहरे लगे आवउँ तउ हसे तोहार का भला होइ, जब तलक कि तोहरे बरे मइँ कउनउ रहस्य उद्घाटन, दिव्य गियान, परमेस्सर क सन्देस या कउनउ उपदेस न देउँ।
6आता, बंधूनो, जर मी तुमच्याकडे अन्य भाषा बोलण्यासाठी आलो तर तुमचा कसा फायदा होईल? तुमचा फायदा होण्यासाठी मी तुमच्याकडे प्रकटीकरण, दैवी ज्ञान, देवाकडून संदेश किंवा शिकवणूक आणायला नको का?
7इ बोलब त अइसेन ही होइ जइसे कउनो बाँसुरी या सांरगी जइसेन निर्जीव बाजा क आवाज। अगर कउनो बाजा क स्वरन मँ परस्पर साफ अन्तर न होइ तउ कउनउ कइसे पता लगाइ पाई कि बाँसुरी या सांरगी पर कउन स धुन बजाइ जात बा।
7हे निर्जीव वस्तू उदा. बासरी, वीणा यासारखे आवाज काढण्यासारखे आहे: जर ते वाद्य ते निर्माण करीत असलेल्या वेगवेगळ्या आवाजातील फरक स्पष्ट करीत नाही, तर एखाद्याला बासरीवर किंवा वीणेवर कोणते संगीत वाजवले जात आहे ते कसे कळेल?
8अउर अगर बिगुल स अस्पस्ट आवाज निकलइ लागइ तउ फिन युद्ध क बरे तइयार के होई?
8आणि जर कर्णा अस्पष्ट आवाज काढील तर लढाईसाठी कोण तयार होईल?
9इही तरह कउनो दूसरे क भाखा मँ जब तक कि तू साफ-साफ न बोला, तब तलक केऊॅ कइसेन समझ पाई कि तू का कहे रह्या। काहेकि अइसेन मँ तू बस हवा मँ बोलाइवाला ही रही जाब्या।
9त्याचप्रमाणे सहज समजेल अशा भाषेतून बोलल्याशिवाय तुम्ही काय बोलला हे कोणाला कसे समजेल? कारण तुम्ही हवेत बोलल्यासारखे होईल.
10एहमाँ कउनउ संदेह नाहीं बा कि संसार मँ भाँति-भाँति क बोली अहइँ अउर ओहमाँ स कउनउ खराब नाहीं अहइ।
10नि:संशय, जगात पुष्कळ प्रकारच्या भाषा आहेत, व कोणतीही अर्थविरहीत नाही.
11तउन अब तलक मइँ ओह भाखा क जानकार नाहीं हउँ, तब तलक बोलइवालन क बरे मइँ एक अजनबी ही रहबइ। अउर उ बोलइवाला मोरे बरे एक ठु अजनबी ही ठहरी।
11म्हणून जर मला भाषेचा अर्थ समजला नाही तर जो बोलत आहे त्याच्यासाठी मी विदेशी ठरेन व जो बोलणारा आहे तो माइयासाठी विदेशी होईल.
12तोह पइ इ बात लागू होत ह काहेकि तू आध्यात्मिक बरदानन क पावइ बरे उत्सुक अहा। इही बरे ओहमाँ भरपूर होइ क प्रयास करा। जेहसे कलीसिया क आध्यात्मिक मजबूति मिली जाइ।
12नेमके तेच तुम्हांलाही लागू पडते जर तुम्ही आध्यात्मिक दाने मिळवीत म्हणून उत्सुक आहात तर मंडळीच्या उन्नतीसाठी, मंडळीला आध्यत्मिक मजबूती येण्यासाठी जोरदार प्रयत्न करा.
13परिणामसरूप जउन दूसर भाखा मँ बोलत ह, ओका पराथना करई चाही कि उ आपन कहे क मतलब भी बताइ सकइ।
13म्हणून, जो दुसऱ्या भाषेत बोलतो त्याने तो जे बोलला आहे त्याचा अर्थ सांगता यावा म्हणून प्रार्थना करावी.
14काहेकि अगर मइँ किहींउ अउर भाखा मँ पराथना करउँ तउ मोर आतिमा त पराथना करत रही होत ह मुला मोरे बुद्धि बेकार रहत ह।
14कारण जर मी दुसऱ्या भाषेतून प्रार्थना केली तर माझा आत्माही प्रार्थना करतो पण माझे मन रिकामे राहते.
15तउ फिन का करइ चाही? मइँ आपन आतिमा स तउ पराथना करबइ। मुला ओकरे साथ आपन बुद्धि स भी पराथना करबइ। आपन आतिमा स त ओकर स्तुति करबइ ही मुला आपन बुद्धि स भी ओकर स्तुति करबइ।
15मग काय केले पाहिजे? मी माझ्या आत्म्याने प्रार्थना करीन पण त्याचप्रमाणे मी माझ्या बुद्धिनेही प्रार्थना करीन.
16काहेकि अगर तू केवल आपन आतिमा स ही कउनउ आसीर्बाद द्या तउ हुवाँ बइठा कउनउ मनई जउन बस सुनत अहइ, तोहरे धन्यबाद पर “आमीन” कइसे कहि देई काहेकि तू जउन कहत अहा, ओका उ जनबइ नाहीं करत।
16कारण जर तू तुझ्या आत्म्याने देवाचे धन्यवाद करशील तर जो फक्त ऐकणारा सामान्य तेथे बसला असेल तर तो तुझ्या उपकारस्तुतीच्या प्रार्थनेत “आमेन” कसे म्हणेल? कारण तू काय म्हणतोस ते त्याला कळत नाही.
17अब देखा तू तउ चाहे भली-भाँति धन्यबाद देत अहा मुला दूसर मनई क तउ ओसे कउनउ आध्यात्मिक मजबूति नाहीं होत।
17आता तू धन्यवाद देत असलास हे जरी चांगले असले तरी दुसरी व्यक्ति आध्यात्मिकदृष्ट्या बलवान झालेली नसते.
18मइँ परमेस्सर क धन्यबाद देत हउँ कि मइँ तोसे बढ़कर क विभिन्न भाखा बोलि सकित हउँ।
18मी देवाचे उपकार मानतो, कारण मी तुम्हा सर्वांपेक्षा अधिक भाषा बोलू शकतो ज्याचे दान मला आहे,
19मुला कलीसिया सभा क बीच कउनो दूसरी भाखा मँ दसहु हजार सब्द बोलइ क अपेच्छा आपन बुद्धि क उपयोग करत हुए पाँच सब्द बोलब अच्छा समझत अहउँ ताकि दूसरे क भी उपदेस दइ सकउँ।
19परंतु सभेत इतरांनाही बोध करता यावा म्हणून इतर भाषेत दहा हजार शब्द बोलण्यापेक्षा माइया मनाप्रमाणे पाच शब्द सांगणे मी पसंत करतो.
20भाइयो तथा बहिनियो, अपने बिचारन मँ गदेलन क नाई रहा बल्कि बुराइयन क बारे मँ अबोध गदेला जइसेन बना रहा। मुला आपन चिन्तन मँ समझदार बना।
20बंधूनो, तुमच्या विचार करण्यात मुलासारखे असू नका. त्याऐवजी दुष्टतेच्या बाबतीत लहान बाळासारखे निरागस परंतु आपल्या विचारात प्रौढ व्हा.
21व्यवस्था मँ लिखा बा: “उपयोग ओनकर करत भए अउर बोली बोलत जउन, ओनके ही मुँहन क, उपयोग करत भए जउन क पराया मइँ करबइ बात एनसे पर न इ हमार सुनिहीं बात तब भी।” यसायाह 28:11-12 पर्भू अइसेन ही कहत ह।
21नियमशास्त्र म्हणते, “इतर भाषा बोलणान्याचा उपयोग करुन, मी या लोकांशी बोलेन तरीसुद्धा ते माझे ऐकणार नाहीत.” यशया 28:11-12 हे असे प्रभु म्हणतो.
22तउन दूसर भाखा बोलइ क बरदान अबिसवासियन क बरे संकेत अहइ न कि बिसवासियन क बरे अहइ। जब कि भविसबाणी करब अबिसवासियन बरे नाहीं बल्कि बिसवासियन बरे अहइ।
22म्हणून इतर भाषांमध्ये बोलण्याचे दान हे अविश्वासणाऱ्यांसाठी नसून विश्वासणाऱ्यांसाठी आहे.
23तउन अगर समूचा कलीसिया एकट्ठ होइ अउर हर केऊॅ दूसर-दूसर भाखा मँ बोलत होइ तब भी बाहर क लोग या अबिसबासी भित्तर आइ जाइँ तउ का उ पचे तोहे पागल न कइहीं।
23म्हणून जर संपूर्ण मंडळी एकत्र येते व प्रत्येकजण दुसऱ्या भाषेत बोलत असेल (आणि) जर एखादा बाहेरचा किंवा अविश्वासणारा आत आला, तर तुम्ही वेडे आहात असे ते तुम्हाला म्हणणार नाही का?
24मुला अगर हर केउ परमेस्सर कइँती स बोलत होइँ अउर तब तलक कछू अबिसवासी या बाहर क आइ जाइँ त का सब लोग ओका ओकर पाप क बोध न कराइ देइहीं। सब लोग जे कहत हीं, ऊही पइ ओकर निआव होई।
24परंतु जर प्रत्येक जण संदेश देऊ लागला आणि जर अविश्वासणारा किंवा बाहेरचा आत आला, तर सर्वजण जे बोलत असतील त्यामुळे त्या ऐकणाऱ्याला त्याच्या पापाची जाणीव होते, ते सर्व त्याचा न्याय करतात;
25जब ओकरे मने क भित्तर छिपा भेद खुली जाइ तब तलक उ इ कहत भआ, “सचमुच तोहरे बीच परमेस्सर अहइ।” दण्डवत प्रणाम कइके परमेस्सर क आराधना करिहीं।
25त्याच्या अंत:करणातील गुपिते माहीत होतात. आणि मग तो पालथा पडतो आणि देवाची उपासना करतो व म्हणतो “खरोखर देव तुमच्यामध्ये आहे!”
26भाइयो तथा बहिनियो! तउ फिन का करइ चाही? तू जब एकट्ठा होत ह तोहमाँ स कउनउ भजन, कउनउ उपदेस अउर कउनउ आध्यात्मिक रहस्य क उद्घाटन करत ह। कउनउ केउ अउर भाखा मँ बोलत ह त कउनउ ओकर बियाखिया करत ह। इ सब बात कलीसिया क आध्यात्मिक मजबूती क बरे कीन्ह जाइ चाही।
26बंधूनो, मग काय करावे? जेव्हा तुम्ही एकत्र येता, प्रत्येकाकडे गाण्यासाठी स्तोत्र असते कोणाकडे शिक्षण असते. कोणाकडे प्रकटीकरण असते. कोणी दुसऱ्या भाषेत बोलतो, कोणी त्या भाषेचा अर्थ सांगतो, प्रत्येक गोष्ट मंडळीच्या वाढीसाठी केली गेली पाहिजे.
27अगर केउ अउर भाखा मँ बोलत बाटइ तउन जियादा स जियादा दुइ या तीन क ही बोलइ चाही अउर बारी बारी, एक-एक कइके अउर जउन कछू कहा गवा बा, एक-एक क ओकर बियाखिया करइ चाही।
27जर कोणी दुसऱ्या भाषेत बोलणार असेल तर दोघांनी किंवा जास्तीत जास्त तिघांनी बोलावे, एका वेळी एकानेच बोलावे, आणि एका व्यक्तीने त्या बोलण्याचा अर्थ सांगावा.
28अगर उहाँ बियाखिया करइवाला केउ न होइ तउ बोलइवाले क चाही कि उ सभा मँ चुपइ रहइ अउर फिन ओका अपने आप स अउर परमेस्सर स ही बात करइ चाही।
28जर मंडळीत अर्थ सांगणारा कोणी नसेल तर भाषा बोलणाऱ्याने सभेत गप्प बसावे, व स्वत:शी व देवाशी बोलावे.
29परमेस्सर कइँती स ओकर दूत क रूप मँ बोलइ क जेनका बरदान मिला बा, अइसेन दुइ या तीन नबियन क ही बोलइ चाही अउर दूसरन क चाही कि जउन कछू उ कहे अहइ, उ ओका परखत रहइँ।
29दोघा किंवा तिघांनी संदेश द्यावा व इतरांनीही ते काय बोलतात याची परीक्षा करावी.
30अगर हुवाँ केउ बइठा भआ पर कउने क बात रहस्य उद्घाटन होत ह जउन परमेस्सर कइँती स बोलत अहइ पहिला वक्ता क चुप होइ जाइ चाही।
30बसलेल्यांपैकी एखाद्या व्यक्तीला जर काही प्रकट झाले तर पहिल्या संदेश देणाऱ्याने गप्प बसावे.
31काहेकि तू एक-एक कइके भविस्सबाणी कइ सकत ह्या ताकि सबहिं लोग सीखइँ अउर प्रोत्साहित होइँ।
31जर तुम्हा सर्वांना संदेश देता येत असेल, तर एका वेळी एकानेच बोलावे, यासाठी की सर्वजण शिकतील, सर्वांना बोधपर मार्गदर्शन मिळेल.
32नबियन क आतिमन नबियन क बस मँ रहत हीं।
32जे आत्मे भविष्यवाद्यांना प्रेरणा देतात, ते त्या संदेष्ट्यांच्या स्वाधीन असतात.
33काहेकि परमेस्सर अव्यवस्था नाहीं देत, उ सान्ति देत ह। जइसेन कि सन्तन क सभन कलीसियन मँ होत ह।
33कारण देव हा बेशिस्तपणा आणणारा नसून, शांति आणणारा देव आहे. जशा सर्व मंडळ्या देवाच्या पवित्र लोकांच्या बनलेल्या असतात,
34स्त्रियन क चाही क उ कलीसियन मँ चुप रहइँ काहेकि ओन्हे सान्त रहइ चाही, बल्कि जइसेन कि व्यवस्था मँ कहा गवा बा, ओनका दबिके रहइ चाही।
34स्त्रियांनी सभेत गप्प बसावे, कारण त्यांच्यासाठी सभेत बोलण्याची परवानगी देण्यात आलेली नाही, कारण नियमशास्त्रसुद्धा असेच म्हणते,
35अगर उ कछू जानइ चाहत ह तउ ओन्हे घरे पे आपन-आपन पति स पूछइ चाही काहेकि एक स्त्री क बरे सर्मनाक अहइ कि उ सभा मँ बोलइ।
35त्यांना जर काही शिकायचे असेल, तर त्यांनी स्वत:च्या पतीला घरी विचारावे. कारण स्त्रीने सभेत बोलणे हे तिला लज्जास्पद आहे.
36का परमेस्सर क बचन तोहसे पैदा भवा बा? या उ मात्र तोहे तलक पहुँचा? निस्चित नाहीं बा।
36तुमच्याकडूनच देवाचा संदेश बाहेर गेला होता काय? किंवा ते फक्त तुमच्यापर्यंतच आले आहे?
37अगर केउ सोचत ह कि उ नबी अहइ अउर ओका कछू आध्यात्मिक बरदान मिला बा तउ ओका पहिचान लेइ चाही कि मइँ तोहे जउन कछू लिखत हउँ, उ पर्भू क आदेस बा।
37एखादा जर स्वत:ला संदेष्टा समजत असेल किंवा जर तो धार्मिक मनुष्य असेल तर त्याने हे ओळखले पाहिजे की, जे मी तुम्हाला लिहित आहे ती देवाकडून देण्यात आलेली आज्ञा आहे.
38तउन अगर केउ ऍका नहीं पहिचान पावत तउ ओका उ परमेस्सर द्वारा भी नाहीं जाना चाई।
38म्हणून जर कोणी ती मानत नसेल, तर त्यालाही मानण्यात येणार नाही.
39एह बरे मोर भाइयो तथा बहिनियो, परमेस्सर कइँती स बोलइ क तत्पर रहा अउर दूसरा भाखा मँ बोलइ वालन क भी न रोका।
39म्हणून माइया बंधूनो, देवासाठी संदेश देण्यासाठी उत्सुक असा, दुसऱ्या भाषेत बोलणाऱ्याला मना करु नका.
40मुला इ सभन बातन सही ढंग स अउर व्यवस्थानुसार कइ जाइ चाही।
40तर सर्व गोष्टी योग्य रीतीने आणि व्यवस्थित असाव्यात.