Awadhi: NT

Marathi

Acts

1

1हे थियुफिलुस, मइँ आपन पहिली किताबे मँ ओन सबइ कामे क बारे मँ लिखेउँ ह जेका सुरू स ईसू किहेस ह अउर
1प्रिय थियफिलस, येशूने जे सर्व काही केले आणि शिकविले त्याविषयी मी पहिले पुस्तक लिहिले.
2उ दिना तलक उ प्रेरितन क जेनका उ चुनेस जब ताई उ पवित्तर आतिमा क आदेस क अऩुसार उ सरगे मँ ऊपर नाहीं उठाइ लीन्ह गवा।
2येशूच्या सुरुवातीपासून ते, तो स्वर्गात जाईपर्यंतच्या संपूर्ण जीवनविषयी मी लिहिले. हे घडण्यापूर्वी येशूने जे प्रेषित निवडले होते त्यांच्याशी तो बोलला. येशूने प्रेषितांना पवित्र आत्म्याच्या सहाय्याने त्यांनी जे करायला पाहिजे त्याविषयी सूचना दिल्या.
3आपन मउत क पाछे उ आपन क ठोस प्रमाण लइ के ओनके समन्वा परगट भवा कि उ जिअत बा। उ चालीस दिना तलक ओनके अगवा परगट होत रहा अउर परमेस्सर क राज्य क बारे मँ ओनका बतावत रहा।
3हे येशूच्या मृत्यूनंतरचे होते. परंतु त्याने प्रेषितांना दाखविले की, तो जिवंत आहे. येशूने अनेक सामर्थ्यशाली कृत्ये करुन दाखवून हे सिद्ध केले. मरणातून उठविले गेल्यानंतर चाळीस दिवसांपर्यंत येशूला प्रेषितांनी पुष्कळ वेळा पाहिले. येशू प्रेषितांशी देवाच्या राज्याविषयी बोलला.
4फिन एक दाई ओनके संग खइया क खात रहा तउ उ ओनका हुकुम दिहेस, “यरूसलेम क जिन तजा अउर मुला जेकरे बारे मँ तोसे कह्यों कि, परमपिता क सपथ पूरा होइ तलक जोहत रहा।
4एकदा येशू त्यांच्यासह जेवत बसलेला असताना त्याने सांगितले की, यरुशलेम सोडू नका. येशू म्हणाला, “पित्याने तुम्हांला अभिवचत दिले आहे; मी तुम्हांला त्याविषची पूर्वी सांगितले होते. येथे (यरुशलेमात) त्याचे अभिवचन मिळण्याची वाट पाहा.
5काहेकि यूहन्ना तउ पानी स बपतिस्मा दिहेस, मुला अब तनिक दिना क पाछे पवित्तर आतिमा स बपतिस्मा दीन्ह जाइ।”
5योहानाने लोकांचा पाण्याने बाप्तिस्मा केला. परंतु थोड्याच दिवसांत तुमचा बाप्तिस्मा पवित्र आत्म्याने होईल.”
6तउ जब उ प्रेरितन आपुस मँ भेंटेन, उ पचे पूछेन, “पर्भू! का तू इहइ समइ प इस्राएल क राज्य क फिनस लिआइ देब्या?”
6सर्व प्रेषित एकत्र जमले होते. त्यांनी येशूला विचारले, “प्रभूजी, ह्याच काळात यहूदी लोकांना तुम्ही त्यांचे राज्य पुन्हा देणार काय?”
7उ ओनसे कहेस, “उ बेलन या तिथियन क जानब तोहार काम नाहीं, जेका परमपिता खुद आपन अधिकार स तय किहे अहइ।
7येशू त्यांना म्हणाला, ‘केवळ पित्यालाच तारीख व वेळ ठरविण्याचा अधिकार आहे. ह्या गोष्टीची माहिती असणे तुम्हा कडे नाही.
8मुला जब पवित्तर आतिमा तोह प आइ, तोहका सक्ती मिलि जाइ। अउर यरुसलेम मँ, समूचइ यहूदिया अउर सामरिया मँ अउर धरती क छोर तलक तू पचे मोर साच्छी होब्या।”
8परंतु पवित्र आत्मा तुम्हांकडे येईल. मग तुम्हांला शक्ति मिळेल. तुम्ही माझे साक्षी व्हाल. तुम्ही लोकांना माइयाविषयी सांगाल. पहिल्यांदा यरुशलेम येथील लोकांना तुम्ही सांगाल. नंतर तुम्ही यहूदीया, शोमरोन व जगाच्या सर्व भागात सांगाल.”
9ऍतना कहे क पाछे ओनकइ लखत लखत ओका सरगे मँ ऊपर उठाइ लीन्ह गवा अउर फिन एक बादर ओका आँखी स ओझल कइ दिहेस।
9नंतर येशूने प्रेषितांना या गोष्टी सांगितल्यावर, तो आकाशात उचलला गेला. प्रेषित हे पाहत असताना येशू ढगाआड गेला. आणि ते त्याला पाहू शकले नाहीत.
10जब उ जात रहा तउ पचे आँखी पसारि के ओका निहारत रहेन। तबहिं फउरन सफेद कपड़ा पहिरिके दुइ मनई ओकरे समन्वा आइके ठाड़ भएन।
10येशू दूर जात होता, आणि प्रषित आकाशात पाहत असताना पांढरी वस्त्रे परीधान केलेले दोन पुरुष (देवदूत) अचानक त्यांच्याजवळ येऊन उभे राहिले.
11अउर बोलेन, “अरे गलीली मनइयो। तू पचे हुवाँ ठाड़ भवा टकटकी काहे लगाए बाट्या? इ ईसू तोहरे बीच स सरगे मँ ऊपर उठाइ लीन्ह गवा, जइसे तू ओका सरगे मँ जात देख्या, वइसे ही उ फिन वापिस लौटि आई।”
11आणि ते दोघे प्रेषितांना म्हणाले, “गालीलकरांनो, तुम्ही आकाशाकडे पाहत येथे का उभे राहिलात? हा येशू तुमच्यापासून जसा वर स्वर्गात घेतला गेला व त्याला (येशूला) जाताना तुम्ही पाहिलेत त्याच मार्गाने तो परत येईल.”
12फिन उ प्रेरितन जैतून नाउँ क पर्वत स, यरूसलेम लौटि आएन जउन यरुसलेम स कउनो एक किलोमीटर दूर रहा।
12नंतर प्रेषित जैतुनाच्या डोंगरावरुन यरुशलेमास परत गेले. (हा डोंगर यरुशलेमापासून एक किलोमीटर अंतरावर आहे.)
13अउर हुवाँ पहुँचिके ऊपर क उ कमरा मँ गएन जहाँ उ पचे ठहरा रहेन। इ पचे रहेन-पतरस, यूहन्ना, याकूब, अन्द्रियास, फिलिप्पुस, थोमा, बरतुलमै अउर मत्ती, हलफई क बेटवा याकूब, समौन जेलोतेस अउर याकूब क बेटवा यहूदा।
13प्रेषित शहरात परत आल्यावर ज्या ठिकाणी मुक्कामाला होते, त्या ठिकाणी गेले. ही माडीवरची खोली होती. त्या ठिकाणी हे प्रेषित होते: पेत्र, योहान, याकोब, आंद्रिया, फिलिप्प, थोमा, बर्थलमय, मत्तय, याकोब (अल्फीचा पुत्र), शिमोन (झिलोट म्हणून माहित असलेला) आणि यहूदा (याकोबाचा पुत्र).
14ऍनके संग कछू स्त्रियन, ईसू क महतारी मरियम अउर ईसू क भाई भी रहेन। इ सबइ आपन क एक संग पराथना मँ चित लगाए राखत रहेन।
14हे सर्व प्रेषित एकत्र राहत होते. ते एकाच उद्देशाने सतत प्राथेना करीत होते. काही स्त्रिया, मरीया येशूची आई आणि त्याचे भाऊ प्रेषितांबरोबर होते.
15फिन इ दिनन मँ पतरस भाई-बन्द क बीच खड़ा होइके, जेकर गनती कउनो एक सउ बीस रही, कहेस,
15काही दिवसांनी विश्वासणान्यांची एक सभा झाली. (तेथे सुमारे 120 जण होते.) तेव्हा पेत्र उभा राहिला आणि म्हणाला,
16“मोरे भाइयो, ईसू क गिरफतार करावइ वाले मनइयन क अगुआ यहूदा क बारे मँ, पवित्तर सास्तर कउ लेख जेका दाऊद आपन मुँहे स पवित्तर आतिमा बहोत पहिले ही कहे रही, ओकर पूर होब जरूरी रहा।
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17उ हम पचन मँ गना गवा रहा अउर इ सेवा मँ ओकर हाथ रहा।”
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18(इ मनई जउन धन ओका ओकरे नीचपना क कामे बरे मिला रहा, उ धने स एक ठु खेत मोल लिहेस मुला उ पहिले तउ मूँड़े क बल भहरान अउर फिन बदन फाटि गवा अउर ओकर अँतड़ी बाहेर निकरि आइ।
18यहूदाला हे वाईट काम करण्यासाठी पैसे देण्याच आले होते. या पैशांनी त्याच्यासाठी शेत विकत घेतले गेले. परंतु यहूदा आपल्या डोक्यावर पडला. त्याचे शरीर तुटले. व त्याची सर्व आतडी बाहेर पडली.
19अउर सबइ यरूसलेम क बसइयन क एकर पता लग गवा। य़ह बरे ओनकइ भाखा मँ उ खेत क हक्लदमा कहा गवा जेकर अरथ अहइ “लहू क खेत।”)
19यरुशलेम येथील सर्व लोकांना हे समजले. म्हणून त्यांनी त्या शेताचे नाव हकलदमा असे ठेवले. त्यांच्या भाषेत हकलदमा याचा अर्थ “रक्ताचे शेत” असा होता.
20पतरस कहेस, “काहेकि भजन संहिता मँ इ लिखा बा, ‘ओकर घर उजरि जाइ अउर ओहमाँ रहइ क कउनो नाँ बचइ।’ भजन संहिता 69:25 अउर, ‘ओकर, मुखियई कउनो दूसर मनई लइ लेइ।’ भजन संहिता 109:8
20पेत्र म्हणाला, “स्तोत्रसांहितेत (यहूदाविषयी) असे लिहिले आहे: ‘त्याच्या जमिनीजवळ (मातमत्तेजवळ) लोक न जावोत; कोणीही तिच्यात वस्ती न करो!’ स्तोत्र. 69:25 आणखी असे लिहिले आहे: ‘त्याचा कारभार दुसरा घेवो.’ स्तोत्र. 109:8
21[This verse may not be a part of this translation]
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22[This verse may not be a part of this translation]
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23यह बरे उ पचे दुइ मनई न नाउँ दिहेन। एक यूसुफ जेका बरसबा कहा जात रहा। (यूसतुस ऩाउँ स जाना जात रहा) अउर दूसर मत्तियाह।
23प्रेषितांनी दोन मनुष्यांना गटासमोर उभे केले. एक जण योसेफ बर्सबा होता. (त्याचे उपनाव युस्त होते.) व दुसरा मत्थिया होता.
24फिन उ पचे इ कहत भवा पराथना करइ लागेन, “पर्भू! तू सबहि क मनवा क जानत ह, हमका बतावा कि इ दुइनउँ मँ स तू केका चुन्या ह।
24[This verse may not be a part of this translation]
25जउऩ एक प्रेरित क तरह सेवा करइ बरे इ ओहदा क लइ लेई जेका आपन ठउर पर जाइ बरे ओहदा छोड़िके चला गवा रहा!”
25[This verse may not be a part of this translation]
26फिन उ पचे एकरे बरे पर्ची नाएन अउर पर्ची मत्तियाह क नाउँ क निकरी। इ तरह गियारह प्रेरितन? क दल मँ गना गवा।
26नंतर दोघातील एकाची निवड करण्यासाठी प्रेषितांनी फासे (सोंगठ्या) टाकले. फाशावरुन प्रभुला मत्थिया पाहिजे होता हे दिसून आले. म्हणून तो इतर अकरा शिष्यांसह प्रेषित झाला.