1फिन ईसू आपन चेलन स कहेस, “एक धनी मनई रहा। ओकर एक प्रबन्धक रहा। उ प्रबन्धक प लांछन लगाइ गवा कि उ ओकर धन दौलत क नासत रहा।
1येशू त्याच्या शिष्यांना म्हणाला, “एक श्रीमंत मनुष्य होता. त्याचा एक कारभारी होता. “हा कारभारी तुमचे पैसे उधळतो.’ असे त्या श्रीमंत माणसाला सांगण्यात आले.
2तउ उ ओका बोलाएस अउर कहेस, ‘तोहरे बारे मँ इ मइँ का सुनत रहत हउँ? आपन संरजाम क हिसाब किताब द्या काहेकि अब अगवा तू प्रबन्धक नाहीं रहि सकत्या।’
2म्हणून त्या श्रीमंत मनुष्याने कारभाऱ्यायाला आत बोलावले आणि म्हणाला, “हे मी तुझ्याविषयी काय ऐकत आहे तुझ्या कारभाराचा हिशेब दे, कारण यापुढे कारभारी म्हणून तुला राहता येणार नाही.’
3ऍह पइ प्रबन्धक मन ही मन मँ कहेस, ‘मोर स्वामी मोसे मोर प्रबन्धक क नउकरी छीनत अहा, तउ अब मइँ का करउँ? मोहमाँ अब ऍतनी ताकत भी नाहीं बा कि मइँ खेते खोदाई अउर गोंड़ाई क काम तलक कइ सकउँ। अउर माँगइ मँ तउ मोका लाज आवति बाटइ।
3“तेव्हा कारभारी स्वत:शी म्हणाला, “मी काय करु? माझे मालक माझे कारभाऱ्यायाचे काम काढून घेत आहेत. शेतात कष्ट करण्याइतका मी बळकट नाही व भीक मागण्याची मला लाज वाटते.
4ठीक, मोरी समझ मँ आइ गवा कि मोका का करइ चाही जेहॅसे जब मइँ प्रबन्धक क ओहदा स हटाइ दीन्ह जाउँ तउ मनई आपन घरे मँ मोर सुआगत करइँ।’
4मी काय करावे हे मला माहीत आहे. यासाठी की जेव्हा मला कारभाऱ्यायाच्या कामावरुन काढून टाकतील, लोक मला त्यांच्या घरांमध्ये घेतील.’
5तउ उ स्वामी क हर देनदार क बोलाएस। पहिले मनई स उ पूछेस, ‘तोहका मोरे स्वामी क केतॅना देब अहइ?’
5“मग त्याने त्याच्या मालकाच्या प्रत्येक कर्जदाराला बोलावले. पहिल्याला तो म्हणाला, “तू माइया मालकाचे किती देणे लागतोस?’
6उ कहेस, ‘3,000 लीटर जौतून क तेल।’ ऍह पइ उ ओसे बोला, ‘इ ल्या आपन बही खाता अउर बैठिके हाली 1,500 लीटर कइ द्या।’
6तो म्हणाला, “चार हजार लीटर जैतून तेल.’ मग तो त्याला म्हणाला, “तुझी पावती घे बघू, खाली बस आणि लवकर त्यावर दोन हजार लीटर लिही.’
7फिन उ दूसर स कहेस, ‘अउर तोह प केतनी देनदारी अहइ?’ उ बताएस, 270 क्विंटल गोहूँ।’ उ ओसे बोला, ‘इ ल्या आपन वही अउर 225 क्विंटल कइ द्या।’
7“मग दुसऱ्यायाला तो म्हणाला, “आणि तुझे किती देणे आहे?’ तो म्हणाला, “तीस हजार किलो गहू.’ तो त्याला म्हणाला, “तुझी हिशेबाची पावती घे व त्यावर पंचवीस हजार किलो लिही.
8“ऍह प ओकर स्वामी उ बेइमान प्रबन्धक क सराहेस काहेकि उ होसियारी स काम लिहे रहा। संसारे मँ रहइवाला मनई आपन जइसे मनइयन स ब्यौहार करइ मँ परमेस्सर क जोतिवाला स जिआदा चालाक अहइ।
8आणि मालकाने त्या अप्रामाणिक कारभाऱ्यायाची प्रशंसा केली. कारण तो धूर्तपणे वागला होता. या जगाचे पुत्र त्यांच्यासारख्यांशी वागताना प्रकाशाच्या पुत्रांपेक्षा अधिक धूर्ततेने वागतात.
9“मइँ तोहसे कहत हउँ संसारे क धन दौलत स आपन बरे मीत बनावा। काहेकि जब उ धन दौलत खतम होइ जाइ, उ पचे अनंत निवासे मँ तोहार सुआगत करिहीं।
9“मी तुम्हांस सांगतो, तुमच्यासाठी तुमच्या ऐहिक संपत्तीने मित्र मिळवा. यासाठी की, जेव्हा ते संपेल तेव्हा ते तुमचे अनंतकाळच्या घरात स्वागत करतील.
10उ सबइ जेनॅ पइ तनिक बरे बिसवास कीन्ह जाइ सकत ह, ओन पइ जिआदा बरे भी बिसवास कीन्ह जाइ अउर इहइ तरह जउन तनिक बरे बेइमान होइ सकत हीं उ जिआदा बरे बेइमान होइहीं।
10ज्या कोणावर थोडा विश्वास ठेवणे शक्य आहे त्याच्यावर जास्त विश्वास ठेवला जाण्याची शक्यता आहे. व जो कोणी थोडक्याविषयी अविश्वासू आहे तो अधिकाविषयीसुद्धा अविश्वासू आहे.
11इ तरह जदि तू संसारे क धन दौलत बरे तू बिसवासनीय नाहीं रह्या तउ साँच धने क बारे मँ तोह पइ कउन भरोसा करी?
11“म्हणून जर तुम्ही ऐहिक संपत्तीविषयी विश्वासू नाही, तर मग खऱ्याया संपत्तीविषयी तुमच्यावर कोण विशवास ठेवील?
12जदि जउन कउनो दूसर क अहइ, तू ओकरे बरे बिसवास क जोग्ग नाहीं, बाट्या, तउ जउन तोहार अहइ, ओका तोहरा कउन देइ?
12ʇजे दुसऱ्यायाचे आहे त्याविषयी तुम्ही विश्वासू नसाल तर जे तुमचे आहे ते तुम्हांस कोण देईल?”
13“कउनो भी नउकर दुइ मालिक क सेवा नाहीं कइ सकत। उ या तो एक स घिना करी अउर दूसर स पिरेम या उ एक क बरे न्यौछावर करी अउर दूसर क दुरियाई। तू धने अउर परमेस्सर दुइनउँ क सेवा एक संग नाहीं कई सकत्या।”
13ʇकोणत्याही नोकराला दोन मालकांची सेवा करता येत नाही. एकाचा तो द्वेष करील व दुसऱ्यायावर तो प्रेम करील किंवा एकाशी तो प्रामाणिक राहील व दुसऱ्यायाला तुच्छ मानील. तुम्ही एकाच वेळी देवाची व पैशाची सेवा करु शकणार नाही.”
14अब फरीसियन जउन धन क लोभी रहेन, जब इ सब सुनेन तउ उ पचे ईसू क बहोत बुराई किहेन।
14मग जे परुशी धनलोभी होते, त्यांनी हे सर्व ऐकले व त्यांनी त्याचा उपहास केला.
15ऍह पइ उ ओनसे कहेस, “तू पचे उ सबइ अहा जउन मनइयन क इ जताइ देइ चाहत ह कि तू बहोत नीक अहा मुला परमेस्सर तोहरे मन क जानत ह। मनई जेका बहोत कीमती समझत हीं, परमेस्सर बरे उ तुच्छ अहइ।
15तो त्यांना म्हणाला, “तुम्ही स्वत:ला लोकांसमोर नीतिमान म्हणून मिरवता दाखविता, पण देव तुमची अंत:करणे ओळखतो. जे लोकांना महत्त्वाचे वाटते ते देवाच्या दृष्टीने टाकावू आहे.
16“यूहन्ना तलक व्यवस्था अउर नबियन क समइ रहा। ओकरे पाछे परमेस्सर क राज्य क सुसमाचार क प्रचार होत रहा अउर हर कउनो बड़ी तेजी स ऍकर कइँती हींचा चला आवत रहा।
16“नियमशास्त्र व संदेष्टे योहानापत होते, तेव्हापासून देवाच्या राज्याची सुवार्ता गाजविली जात आहे. व प्रत्येक जण त्यात घुसण्याचा जोरदार प्रयत्न करीत आहे.
17फिन सरग अउर धरती क डुग जाब तउ सहल बा मुला व्यवस्था क एक एक बिन्दु क अमान्य होब नाहीं।
17एकवेळ आकाश व पृथ्वी नाहीशी होणे शक्य होईल पण नियमशास्त्राचा एक काना मात्राही नाहीसा होणार नाही.
18“उ हर कउनो जउन आपन पत्नी क तजत ह अउर दूसर स्त्री क बियाहत ह, व्यभिचार करत ह। अइसे ही आपन पति स तलाकी गइ, कउनो मनई स बियाहत ह, उ भी व्यभिचार करत ह।”
18“जो कोणी आपल्या पत्नीस सूटपत्र देतो व दुसरीबरोबर लग्न करतो तो व्याभिचार करतो आणि जो कोणी एखाद्या स्त्रीशी- जिला तिच्या पतीने टाकलेले आहे तिच्याशी लग्न करतो तो व्यभिचार करतो.”
19“अब देखा एक मनई रहा जउन बहोत धनी रहा। उ बैंजनी रंग क ओढ़ना पहिरत रहा अउर हर रोज अमीरी ठाट बाट स रहत आनन्द लेत रहा।
19“एक मनुष्य होता. तो श्रीमंत होता. तो जांभळी आणि तलम वस्त्रे घालीत असे. प्रत्येक दिवस तो ऐषारामात घालवीत असे.
20हुँवई लाजर नाउँ क दीन दुखिया ओकरे दुआरे ओलरा रहत रहा। ओकर देह घाउन स भरि गइ रही।
20त्याच्या फाटकाजवळ लाजार नावाचा एक गरीब मनुष्य पडून होता. त्याच्या अंगावर फोड भरलेले होते.
21उ धनी मनई क जूठे स ही उ आपन पेटवा भरइ क तरसत रहा। हिआँ तलक कि कूकुर भी अउतेन अउर ओकरे घाउ क चाट जातेन।
21त्या श्रीमंत मनुष्याच्या टेबलावरुन खाली पडलेले असेल ते खाण्याची तो आतुरतेने वाट पाही. कुत्रीदेखील येऊन त्याचे फोड चाटीत असत.
22अउर फिन अइसा भवा कि उ दीन हीन मनई मरि गवा। तउ सरगदूतन लइ जाइके ओका इब्राहीम क गोदी मँ बइठाइ दिहन। फिन उ धनी मनई भी मरि गवा अउर ओका दफनियावा गवा।
22मग असे झाले की, तो गरीब मनुष्य मरण पावला, व देवदूतांनी त्याला अब्राहामाच्या उराशी नेऊन ठेवले. नंतर श्रीमंत मनुष्यही मरण पावला व त्याला पुरले गेले.
23नरके मँ तड़पत भवा उ जब आँखी खोलिके लखेस तउ इब्राहीम ओका बहोत दूर देखाइ गवा मुला लाजर उ ओकरी गोदी मँ लखेस।
23आणि अधोलोकात. जेथे तो (श्रीमंत मनुष्य) यातना भोगीत होता, तेथून त्याने वर पाहीले, व दूरवर असलेल्या अब्राहामाला पाहिले आणि लाजाराला त्याच्या शेजारी पाहिले,
24उ तब्बइ पुकारके कहेस, ‘बाप इब्राहीम, मोहे प दाया करा अउर लाजर क पठवा कि उ पानी मँ अगुँरि क नोक बोरिके मोर जीभ ठंढी कइ देइ, काहेकि मइँ इ आगी मँ तड़पत हउँ!’
24तो मोठ्याने ओरडला, “पित्या अब्राहामा, माझ्यावर दया कर आणि लाजाराला पाठव यासाठी की तो बोटाचे टोक पाण्यात बुडवून माझी जीभ थंड करील, कारण या अग्नीत मी भयंकर वेदना सहन करीत आहे.!”
25मुला इब्राहीम बोला, ‘मोर बेटहना, याद राखा, तू आपन जिन्नगी मँ आपन नीक चीजन्क पाइ गया मुला लाजर क बुरी चीज मिलि पाइँ। तउ अब हिआँ उ आनन्द भोगत बा अउर तू दारूण दुःख।
25परंतु अब्राहाम म्हणाला, “माझ्या मुला, लक्षात ठेव की तुझ्या जीवनात जशा तुला चांगल्या गोष्टी मिळाल्या, तशा लाजाराला वाईट गोष्टी मिळाल्या. पण आता येथे तो समाधानात आहे व तू दू:खात आहेस.
26अउर इ सब क अलावा हमरे अउर तोहरे बीच एक बड़की खाई डाइ दीन्ह ग अहइ काहेकि हिआँ स जदि कउनो तोहरे लगे जाइ चाहइ, उ जाइ नाहीं सकत अउर हुवाँ स कउनो हिआँ आइ न सकइँ।’
26आणि या सगळ्याशिवाय, तुमच्या व आमच्यामध्ये एक मोठी दरी ठेवलेली आहे, यासाठी की, येथून तुमच्याकडे ज्यांना जायचे आहे त्यांना जाता येऊ नये व तुमच्याकडून कोणालाही आमच्याकडे येता येऊ नये.’
27उ धनी मनई कहेस, ‘अइ बाप! मइँ तोहसे पराथना करत हउँ कि तू लाजर क मोरे बाप क घर पठइ द्या
27तो श्रीमंत मनुष्य म्हणाला, “मग तुला मी विनंति करतो की पित्या, लाजाराला माझ्या पित्याच्या घरी पाठव,
28काहेकि मोरे पाँच भाइयन अहइँ। उ ओनका चिताउनी देइ ताकि ओनका इ दारुण दुःख क ठउर मँ न आवइ क होइ।’
28कारण मला पाच भाऊ आहेत. त्याला त्यांना तरी सावध करु दे. म्हणजे ते तरी या यातनेच्या ठिकाणी येणार नाहीत.’
29मुला इब्राहीम कहेस, ‘ओनके लगे मूसा क व्यवस्था अहइ अउर नबियन क लिखा अहइँ। ओ पचेन क ओनका सुनइ द्या।’
29पण अब्राहाम म्हणाला, “त्यांच्याजवळ मोशे आणि संदेष्टये आहेत, त्यांचे त्यांनी ऐकावे.’
30धनी मनई कहेस, ‘नाहीं बाप इब्राहीम, जदि कउनो मरे हुअन मँ स ओनके लगे जाइ तउ उ पचे मनफिराव करिहीं।’
30तो श्रीमंत मनुष्य म्हणाला, “नाही, पित्या अब्राहामा, मेलेल्यातील कोणी त्यांच्याकडे गेला तर ते पश्चात्ताप करतील.’
31इब्राहीम ओसे कहेस, ‘जदि उ सबइ मूसा अउर नबियन क नाहीं अनकतेन तउ, जदि कउनो मरे हुअन मँ स उठिके ओनके लगे आवइ तउ भी कोउ काम क न होई, काहेकि उ ओनका भी न सुनिहीं।”‘
31अब्राहाम त्याला म्हणाला, “जर ते मोशेचे आणि संदेष्टयांचे ऐकत नाहीत तर मेलेल्यांतून जर कोणी उठला तरी त्यांची खात्री होणार नाही.”‘