1ईसू आपन चेलन स कहेस, “जेनसे मनइयन भटकत हीं, अइसी बातन तउ होइहीं ही मुला धिक्कार उ मनई क अहइ जेकरे जरिये उ सबइ होइँ।
1येशू त्याच्या शिष्यांना म्हणाला, “ज्या गोष्टी लोकांना देवापासून दूर नेतात त्या येणे निश्चित आहे, परंतु ज्याच्यामुळे त्या येणार त्याची वाईट दशा होवो!
2ओकरे बरे जिआदा नीक इ होत कि बजाय ऍकरे कि उ इन छोटकन मँ स कउनो क पाप करइ क हुस्कारि देइ, ओकरे गटइया मँ चकरी क पाट टाँगिके ओका समुद्दर मँ ढकेल दीन्ह जात।
2त्याने या लहानातील एकाला पाप करावयास लावण्यापेक्षा त्याच्या गळ्यात जात्याची तळी बांधून त्याला समुद्रात फेकणे हे त्याच्यासाठी अधिक बरे होईल.
3होसियार रहा! “जदि तोहार भाई पाप करइ तउ ओका डाटा अउर जदि उ आपन किहे प पछताइ तउ ओका छमा कइ द्या।
3स्वत:कडे लक्ष द्या! जर तुमचा भाऊ पाप करतो तर त्याला धमकावा. आणि जर तो पश्चात्ताप करतो तर त्याची क्षमा करा.
4अगर हर दिना उ सात दाईं पाप करइ अउर सातहु दाई लौटिके तोहसे कहइ कि मोका पछतावा अहइ तो तू ओका छमा कइ द्या।”
4जर तो तुझ्याविरुद्ध दिवसातून सात वेळा पाप करतो आणि सात वेळा तुमच्याकडे येतो व म्हणतो, “मी पश्चात्ताप करतो,’ त्याला क्षमा करा.”
5ऍह पइ प्रेरितन पर्भू स कहेन, “हमरे बिसवास क बढ़ोतरी करा!”
5मग शिष्य प्रभूला म्हणाले, “आमचा विश्वास वाढव.”
6पर्भू कहेस, “जदि तोहमाँ सरसों क दाना क तरह बिसवास होत तो तू इ सहतूत क बृच्छ स कहि सकत ह ‘उखड़ि जा अउर समुद्दर मँ जाइके लगा।’ अउर उ तोहार बात मान लेत।
6प्रभु म्हणाला, “जर तुमचा विश्वास मोहरीच्या दाण्याएवढा असेल तर तुम्ही या तुतीच्या झाडाला म्हणू शकता, “मुळासकट उपटून समुद्रात लावले जा.’ आणि ते तुमची आज्ञा पाळील.”
7“मान ल्या तोहमाँ स कउनो क लगे एक दास अहइ जउन हर जोतत या भेड़न क चरावत ह। उ जब खेते स लौटिके आवइ तउ का ओकर स्वामी ओसे कही, ‘तुरन्त आवा अउर खइया क खाइ बैठि जा?’
7समजा, तुमच्यापैकी एकाला एक सेवक आहे. व तो शेत नांगरीत आहे किंवा मेंढरे राखीत आहे. जेव्हा तो शेतातून परत येतो, तुम्ही त्याला “ताबडतोब ये आणि जेवायला बैस” असे म्हणाला का?
8मुला बजाय ऍकरे का उ ओसे न कही, ‘मोर भोजन तइयार करा, आपन ओढ़ना पहिरा अउर मोर खात पिअत क खइया परसा, तबहिं ऍकरे पाछे तू भी खाइ पी सकत ह।’
8उलट तुम्ही असे म्हणणार नाही का, “माझे भोजन तयार कर. आणि कामाचे कपडे घालून माझे खाणेपिणे चालू असताना माझी सेवा कर. त्यानंतर तू खाऊ पिऊ शकतोस?
9का उ आपन हुकुम पूरा करइ प का उ सेवक क बिसेस धन्यबाद देत ह नाहीं।
9ज्या गोष्टी करण्याबद्दल तुम्ही नोकराला आज्ञा करता ते केल्याबद्दल त्याचे आभार तुम्ही मानता काय?
10तोहरे संग भी अइसा ही अहइ। जउन कछू करइ क तोहसे कहा ग अहइ, ओका कइ डाए क पाछे तोहका कहइ चाही, ‘हम नालायक दास अही हमका कउन बड़कई न चाही। हम तउ आपन कर्तब कीन्ह ह।”‘
10तुमच्या बाबतीतही हे तसेच आहे: जेव्हा तुम्हांला करण्यास सांगितलेली सर्व कामे तुम्ही केल्यावर असे म्हटले पाहिजे, “आम्ही कोणत्याही मानास पात्र नसलेले सेवक आहोत आम्ही फक्त आमचे कर्तव्य केले आहे.”‘
11फिन जब ईसू यरूसलेम जात रहा तउ उ सामरिया अउर गलील क बीच क चउहद्दी क लगे स निकरा।
11येशू यरुशलेमाला जात असताना त्याने शोमरोन व गालील यांच्या सीमेवरुन प्रवास केला.
12उ जब एक गाउँ मँ जात रहा तबहिं दस कोढ़ी ओका मिलेन। उ सबइ कछू दूरी प खड़ा रहेन।
12तो एका खेड्यात जात असताना, कुष्ठरोग झालेले दहा पुरुष त्याला भेटले, ते दूर उभे राहीले.
13उ पचे ऊँच आवाज मँ बोलेन, “हे ईसू! हे स्वामी! हम प दाया करा!”
13ते मोठ्याने ओरडून म्हणाले, “येशू, गुरुजी आम्हांवर दया करा!”
14फिन जब उ ओनका लखेस तउ उ बोला, “जा अउर आपन खुद क याजकन क देखावा।” उ सबइ जात ही रहेन कि कोढ़ स छुटकारा पाएन।
14जेव्हा त्याने त्यांना पाहिले, तेव्हा तो म्हणाला, “जा, आणि स्वत:ला याजकांना दाखवा.” ते जात असतानाच बरे झाले,
15मुला ओहमाँ स एक जब इ देखेस कि उ चंगा होइ ग अहइ, तउ उ वापस लौटा अउर ऊँच आवाज मँ परमेस्सर क गुन गावइ लाग।
15जेव्हा त्यांच्यातील एकाने पाहिले की, आपण बरे झालो आहोत, तेव्हा तो परत आला व त्याने मोठ्या स्वरात देवाची स्तुति केली.
16उ मुँहना धइके ईसू क गोड़वा पर गिरि गवा अउर ओकर ऍहसान मानेस। (उ एक सामरी रहा।)
16तो येशूच्या पायाजवळ उपडा पडला. आणि त्याने त्याचे उपकार मानले. तो शोमरोनी होता.
17ईसू ओसे पूछेस, “का सबहिं दस क दसउ कोढ़ स छुटकारा नाहीं पाएन? फिन उ सबइ नौ कहाँ बाटेन?
17येशू त्याला म्हणाला, “दहाजण बरे झाले नव्हते काय? नऊजण कोठे आहेत?
18का केवल सामरी क तजिके ओहमाँ स कउनो भी परमेस्सर क स्तुति करइ वापस नाहीं लौटा?”
18या विदेशी माणासाशिवाय कोणीही देवाची स्तुति करण्यासाठी परत आला नाही काय?”
19फिन ईसू ओसे कहेस, “खड़ा ह्वा अउर चला जा, तोहार बिसवास तोहका चंगा किहेस ह।”
19येशू त्याला म्हणाला, “ऊठ, आणि जा, तुझ्या विश्वासाने तुला बरे केले आहे.”
20एक दाईं जब फरीसियन ईसू स पूछेन, “परमेस्सर क राज्य कब आई?” तउ उ ओनका जवाब दिहस, “परमेस्सर क राज्य अइसे परगट होइके नाहीं आवत।
20एकदा, परुश्यांनी येशूला विचारले, देवाचे राज्य केव्हा येईल, त्याने त्यांना उत्तर दिले, “देवाच राज्य दृद्दय स्वरुपात येत नाही. लोक असे म्हणणार नाहीत की
21मनइयन इ न कइहीं, “उ हिआँ अहइ!’ या ‘उ हुवाँ अहइ!’ काहेकि परमेस्सर क राज्य तउ तोहरे भीतर ही अहइ।”
21ते येथे आहे! किंवा ते तेथे आहे! कारण देवाचे राज्य तुमच्यामध्ये आहे.”
22मुला चेलन उ बोलाएस, “अइसा समइ आइ जब तू मनई क पूत क दिनन मँ स एक दिन क भी तरसख्या मुला, ओका नलख पउव्या।
22पण शिष्यांना तो म्हणाला, “असे दिवस येतील की जेव्हा मनुष्याच्या पुत्राच्या गौरवाने येण्याच्या एका दिवसाची तुम्ही उत्सुकतेने वाट पाहाल. परंतु तो दिवस तुम्ही पाहू शकणार नाही.
23अउर मनइयन तोहसे कइहीं, ‘देखा, हिआँ!’ या ‘देखा, हुवाँ!’ तू हुवाँ जिन जा या ओकर पाछे जिन जा।
23आणि लोक तुम्हांला म्हणतील, “तेथे पाहा! तेथे जाऊ नका. किंवा त्यांच्यामागे जाऊ नका.
24“वइसे ही जइसे बिजुरी चमकिके एक छोर स दूसर छोर मँ चमकत ह, वइसे ही मनई क पूत भी आपन दिन मँ परगट होइ।
24“कारण जशी वीज आकाशाच्या एका बाजूपासून दुसऱ्या बाजूपर्यंत चमकते आणि प्रकाशते तसेच मनुष्याच्या पुत्राचे त्याच्या दिवसात होईल.
25मुला ओका पहिले बहोत स दारुण दुःख झेलइ क होइ अउर इ पीढ़ी क जरिए उ जरूर ही न मान्न होइ।
25पण पहिल्यांदा त्याने पुष्कळ गोष्टीविषयी दु:ख भोगले पाहिजे. व या पिढीने त्याला नाकारले पाहिजे.
26वइसे ही जइसे नूह क दिनन मँ भवा रहा, मनई क पूत क दिनन मँ भी होइ।
26जसे नोहाच्या दिवसांत झाले, तसेच मनुष्याच्या पुत्राच्या दिवसातदेखील होईल. ते खात होते, पीत होते, लग्न करीत होते. लग्न करुन देत होते.
27उ दिना तलक जब नूह नाउ मँ बइठा, मनई खात पिअत रहेन, बियाह करत रहेन, अउर बियाह मँ दीन्ह जात रहेन। फिन जल परलइ आइ अउर उ सबन क नास कइ दिहस।
27नोहा तारवात जाईपर्यंत असे चालले होते. मग पूर आला. व त्या सर्वांचा नाश झाला.
28इहइ तरह होइ जइसे लूत क दिना मँ भी भवा रहा। मनइयन खात पिअत रहेन, बेसहत रहेन, बेचत रहेन अउर खेती अउर घर बनवत रहेन।
28त्याचप्रकारे लोटाच्या दिवसात झाले तसे होईल: ते खात होते, पीत होते. विकत घेत होते. विकत देत होते. लागवड करीत होते. बांधीत होते.
29मुला उ दिन जब लूत सदोम स बाहेर निकरा तउ अकास स आगी अउर गंधक बरसइ लाग अउर उ सबइ बर्बाद होइ गएन।
29परंतु ज्या दिवशी लोट सदोमातून बाहेर पडला त्या दिवशी आकाशातून अग्नि व गंधक यांचा पाऊस पडला आणि सर्वांचा नाश केला.
30उ दिना भी जब मनई क पूत परगट होइ, ठीक अइसे ही होइ।
30मनुष्याचा पुत्र प्रगट होईल तेव्हा असेच होईल.
31“उ दिन जदि कउनो मनई छते प होइ अउर ओकर सामान घरे क भीतर होइ तउ ओका उठावइ बरे तरखाले न उतरइ। इहइ तरह जदि कउनो मनई खेते मँ होइ तउ उ पाछे न लौटइ।
31“त्या दिवशी जर एखादा छपरावर असेल व त्याचे सामान घरात असेल, त्याने ते घेण्यासाठी घरात जाऊ नये. त्याचप्रमाणे जो शेतात असेल त्याने परत जाऊ नये.
32लूत क पत्नी क याद करा,
32लोटाच्या पत्नीची आठवण करा.
33जउन कउनो आपन जिन्नगी बचावइ क जतन करी, उ ओका खोइ देइ अउर जउन आपन जिन्नगी खोइ, उ ओका बचाइ लेइ।
33जो कोणी आपला जीव वाचवू पाहतो तो त्याला गमावील आणि जो कोणी आपला जीव गमावील तो त्याला राखील.
34मइँ तोहका बतावत हउँ, उ राति एक खटिया प जउन दुइ मनई होइहीं, ओहमाँ स एक उठाइ लीन्ह जाइ अउर दूसर छोर दीन्ह जाइ।
34मी तुम्हांला सांगतो, त्या रात्री बिछान्यावर दोघे असतील, त्यापैकी एक घेतला जाईल व दुसरा ठेवला जाईल.
35दुइ स्त्रियन एक संग चकरी चलावत होइहीं, ओहमाँ स एक उठाइ लीन्ह जाइ अउर दूसर स्त्री छोर दीन्ह आइ।”
35दोन स्त्रिया धान्य दळत असतील, तर त्यांपैकी एक घेतली जाईल व दुसरी ठेवली जाईल.
36[This verse may not be a part of this translation]
36शेतात दोघे असतील एकाला घेतले जाईल व दुसऱ्यायाला ठेविले जाईल.”
37फिन ईसू क चेलन ओसे पूछेन, “हे पर्भू, अइसा कहाँ होइ?” उ ओनसे कहेस, “जहाँ ल्हास पड़ी होइ, गिद्ध भी हुवँइ एकट्ठा होइहीं।”
37शिष्यांनी त्याला विचारले, “कोठे प्रभु?” येशूने उत्तर दिले, “जेथे प्रेत असेल तेथे गिधाडे जमतील.”