Awadhi: NT

Marathi

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5

1फिन उ सब झिलिया क ओह पार गिरासेनियान क देसे मँ पहुँच गएन।
1मग ते सरोवराच्या पलीकडच्या बाजूच्या गरसेकरांच्या देशात आले आणि तो नावेतून उतरला तेव्हा
2जब ईसू नाउ स बाहेर आवा, तबहिं एक मनई जेहमाँ दुस्ट आतिमा रही, कब्रे मँ स ईसू स फउरन भेंटइ आइ।
2लगेच एक दुष्ट आत्मा लागलेला मनुष्य स्मशानातून निघून त्याच्याकडे आला.
3इ मनई कब्रन मँ रहत रहा। अउर कउनो ओका बाँधि सकत नाहीं रहा, हियाँ तलक जंजीरउ नाहीं बाँधि सकेस।
3हा मनुष्य कबरेमध्ये राहत असे. आणि कोणीही त्याला साखळदंडानी सुद्धा बांधून ठेवू शकत नव्हते.
4जबहिं ओकर गोड़वा बेड़ी अउर जंजीर स बाँधा जात, उ जंजीरिया क तोरि डारत अउ बेड़ियन्क चकनाचूर। कउनो ओका काबू मँ नाहीं लिआइ पावा।
4कारण पुष्कळदा त्याच्या पायात बेड्या घालून साखळ्यांनी बांधलेले असतानाही त्याने साखळ्या तोडल्या आणि बेड्यांचे तुकडे केले. कोणीही त्याला काबूत आणू शकत नव्हते.
5कब्रन मँ अउर पहाड़ियन एकदम्मइ दिन-रात हर समइ उ चीखत चिचिआत रहा अउर आपन क पाथर स पीटत रहा।
5तो रात्रंदिवस कबरांतून आणि डोंगरातून मोठ्याने ओरडत असे आणि दगडांनी स्वत:स ठेचून घेत असे.
6जब उ ईसू क दूर स देखेस, ओके निअरे धावा अउर ओकरे समन्वा दण्डवत करेस।
6त्याने य़ेशूला दुरून पाहिले तेव्हा तो येशूकडे धावत आला आणि त्याच्यापुढे पडून त्याने त्याला नमन केले.
7[This verse may not be a part of this translation]
7व तो मोठ्याने ओरडून काय पाहिजे? मी तुला देवाची शपथ घालून विनवितो की, मला छळू नकोस.”
8[This verse may not be a part of this translation]
8(कारण येशू त्याला म्हणत होता, “अरे अशुद्ध आत्म्या, या माणसातून नीघ.ʈ)
9तब ईसू ओसे पूछेस, “तोहार क नाउँ अहइ?” फिन उ ईसू स कहेस, “मोर नाउँ सेना अहइ, काहेकि हम बहोत स अही।”
9मग येशूने त्याला विचारले, “तुझे नाव काय?” तो मनुष्य येशूला म्हणाला, “माझे नाव सैन्य आहे, कारण आम्ही पुष्कळ आहोत.”
10उ मनई बार बार ओसे बिनती करेस कि उ पचेनक उ पहँटा स जिन निकारा!
10त्यांना या हद्दीतून घालवू नये म्हणून. तो मनुष्य येशूला पुन्हा पुन्हा विनवीत होता.
11हुवाँ पहाड़िया के पास सुअरन क झुंड चरत रहा।
11तेथे डोंगराच्या कडेला डूकारांचा एक मोठा कळप चरत होता.
12दुस्ट आतिमन ईसू स कहत कहत बिनती करेन, “हमका सुअरिअन मँ पठइ द्या, जेहसे हम ओहमाँ घुसि जाई।”
12मग त्या दुष्ट आत्म्याने येशूला विनंति केली आणि म्हणाला, “आम्हांला त्या डुकरांत पाठव म्हणजे आम्ही त्यांच्यात शिरू.”
13तब उ ओनका हुकुम दिहेस। तबइ दुस्ट आतिमन मनई स बाहेर आइके सुअरिअन मँ गइँन। अउर उ झुंड जेहमाँ करीब दुइ हजार सुअर रहेन, ढलवाँ किनारे स नीचे कइँती लिढ़कत-पुदकत भागत परात झील मँ जाइ गिरा अउ बूड़ गएन।
13मग त्याने त्यांना तसे करण्यास परवानगी दिली. मग दुष्ट आत्मे त्या मनुष्यातून बाहेर आले आणि त्या डुकरांत शिरले. मग तो दोन हजारांचा कळप टेकडीवरून पळत खाली जाऊन सरोवरात पडला व बुडून मेला.
14जउन लोग सुअरिअन क रच्छा करत रहेन, पराय गएन उ पचे सहर अउर गाउँ मँ इ खबर फइलायन। अउर सब मनइयन देखइ आएन कि का भवा।
14त्या कळापाची राखण करणारे लोक दूर पळून गेले व त्यांनी ही बातमी गावात व शेतात सांगितली, तेव्हा काय झाले हे पाहण्यास लोक तेथे आले.
15उ सब ईसू क नगिचे पहुँचेन। उ सब दुस्ट आतिमन क सवार भइ मनई प देखेन। उ कपरा पहिरे रहा अउर दिमागे स नीक होइ गवा। इ उहइ मनई रहा जेहमाँ बहुत स दुस्ट आतिमन क सवारी रही अउर उ सब डेराइ गएन।
15ते येशूकडे आले आणि त्यांनी त्या भूतग्रस्ताला तेथे बसलेले पाहिले. त्याने कपडे घातले होते. तो शुद्धीवर आलेला व ज्याला सैन्य नावाच्या भुतांनी पछाडले होते तो तोच होता हे पाहिले तेव्हा त्यांना भीति वाटली.
16जउन इ घटना क देखे रहेन उ मनइयन क नीके स समुझाइन कि जेहमाँ दुस्ट आतिमन क सवारी रही, अउर सुअरन क का भवा।
16काही लोक तेथे होते व त्यांनी येशूने काय केले हे पाहिले होते, त्यांनी ज्या मनुष्यात दुष्ट आत्मा होता त्याच्या बाबतीत काय घडले हे इतरांना सांगितले.
17तब मनइयन ईसू स बिनती करइ लागेन कि उ ओनके पहँटा स चला जाइ।
17मग लोक त्याला आमचा प्रांत सोडून जा असे विनवू लागले.
18जइसे उ नाउ मँ चढ़इ लाग, तबहिं जउने मनई मँ दुस्ट आतिमन आइ रहीं, ईसू स बिनती संग जाइ बरे किहेस।
18येशू नावेतून जात असता पूर्वी भूतग्रस्त असलेल्या मनुष्याने त्याला आपणाबरोबर येऊ द्यावे अशी विनंति केली.
19ईसू आपन संग जाइ बरे हुकुम नाहीं दिहस, लेकिन कहेस, “आपन लोगन्क बीच घरे जा अउर ओनका इ सब बतावा जउन पर्भू तोहरे बरे किहेस ह। अउर ओनका इ ही बतावा कि दाया कइसे पर्भू करेस ह।”
19पण येशूने त्याला येऊ दिले नाही. तो त्यास म्हणाला, “आपल्या घरी तुझ्या लोकांकडे जा आणि प्रभुने तुझ्यासाठी जे केले ते सर्व सांग. प्रभूने तुझ्यावर कशी दया केली तेही सांग.”
20तउ उ मनई चला गवा अउर दिकापुलिस क मनइयन क कहइ लाग कि केतना ढेरि क ईसू ओकरे बरे किहस ह। एसे सब मनई अचरजे मँ पड़ि गएन।
20मग तो निघाला आणि येशूने त्याच्यासाठी जे काही केले याविषयी दकापलिस येथील लोकांना सागू लागला, तेव्हा सर्व लोकांना आश्चर्च वाटले.
21ईसू अब फिन झिलिया क उ पार गवा। ओकरे चारिहुँ कइँती बहोत भारी भीर जमा होइ गइ। उ झिलिया क तीरे रहा।
21नंतर येशू नावेत बसून परत सरोवरापलीडके गेल्यावर, मोठा समुदाय त्याच्या भोवती जमला. तो सरोवराजवळ होता.
22तबहिं आराधनालय क अधिकारी जेकर याईर नाउँ रहा, हुवाँ आइ अउर ईसू क देखेस फिन ओकरे गोड़वा पर गिरि गवा।
22याईर नावाचा यहूद्यांच्या सभास्थानाचा एक अधिकारी तेथे आला. याईराने येशूला पाहिले तेव्हा तो त्याच्या पाया पडला.
23वॅइसे चिरउरी बिनती करत कहेस, “मोर छोट बिटिया मरइ क अहइ। मोर बिनती अहइ कि तू मोरे संग आवा अउर आपन हथवा ओकरे मँूड़े प धइ द्या। ऍसे उ नीक होइ जाइ अउर जी जाई।”
23आणि आग्रहाने विनंति करून त्याला म्हणाला, “माझी लहान मुलगी मरावरायस टेकली आहे. मी विनंती करतो की आपण येऊन तिला बरे वाटावे म्हणून तिच्यावर हात ठेवावा.”
24तउ ईसू ओकरे साथे गवा। बहोत भारी भीर ओका पछुआवत रही, जइसे उ दबा जात रहा।
24मग येशू त्याच्याबरोबर गेला. लोकांचा मोठा समुदाय येशूच्या मागे चालत होता व ते त्याच्याभोवती गर्दी करीत होते.
25हुवाँ एक ठु स्त्री रही, जेकर बारह बरिस स लहू जारी रहा।
25त्या लोकांमध्ये एक स्त्री होती. ती बारा वर्षांपासून रक्तस्रावाने पीडलेले होती.
26उ बैद्ययन स दवाई करवावत करवावत बहोतइ तकलीफ उठाइस। उ सब कछू खरिच कइ डाइस जउन उ धरे रही। मुला उ तनिकउ जिआदा नीक नाहीं होत रही; ओकर हालत जिआदा बिगड़त जात रही।
26बऱ्याच वैद्यांकडून इलाज करून घेऊनसुद्धा तिने बराच त्रास सहन केला होता. तिच्याकडे होते नव्हते ते सर्व तिने उपचारासाठी खर्च केले होते. पण ती बरी न होता. तिचा आजार वाढला होता.
27जइसे उ ईसू क बारे मँ सुनेस, वॅइसे उ पाछे भिरिया मँ आइ अउर ओकर ओढ़ना छुइ लिहस।
27त्या स्त्रीने येशूविषयी ऐकले तेव्हा ती गर्दीत त्याच्यामागे आली व त्याच्या झग्याला तिने स्पर्श केला.
28आपन मानव मँ उ सोचत रहीं, “जदि मइँ ओकर ओढ़ना छुइ पाई तउ मइँ नीक होइ जाब।”
28कारण ती म्हणत होती, ‘जर मी त्याच्या कपड्यांना शिवले तरी बरी होईन.”
29अउर तुरंतहि खुनवा बहइ क जगह सुखाइ गइ। आपन तन मँ अइसा जानेस को ओकर दिकदारी नीक होइ ग।
29जेव्हा तिने त्याच्या झग्याला स्पर्श केला, तेव्हा तिचा रक्तस्राव थांबला. व आपल्या त्रासातून आपण मुक्त झालो आहोत असे तिला जाणवले.
30अउर ईसू फउरन महसूस करस कि ओसे सक्ति निकर गइ। उ भिरिया कइँती घुमेस अउर पूछेस, “कउन मोर ओढ़ना छुएस?”
30येशूला ताबडतोब जाणीव झाली की, आपल्या शरीरातून शक्ती गेली आहे. तो गर्दीत वळून म्हणाला, “माझ्या कपड्यांना कोणी स्पर्श केला?”
31ओकर चेलन ओका बतएन, “तू देखत अहा कि भिरिया तोहका घेरित अहइ। यह पइ तू पूछत अहा, “कउन मोका छुएस?”
31शिष्य येशूला म्हणाले, “लोक तुमच्याभोवती गर्दी करीत आहेत हे तुम्ही पाहता, आणि तरीही विचारता, मला कोणी स्पर्श केला?”
32उ चारिहुँ कइँती निहारत रहा कि कउन अइसा करेस ह।
32परंतु हे कोणी केले हे पाहण्यासाठी तो सभोवार बघतच राहिला.
33तब्बइँ एक ठु स्त्री इ जानत भइ कि ओहका का भवा ह, डर स काँपत आइ अउर ओकरे समन्वा गोड़वा प गिर पड़ी अउ उ सबइ सच सच कबूलेस।
33त्या स्त्रीला ती बरी झाली आहे हे माहीत होते म्हणून ती आली आणि येशूच्या पाया पडली. ती स्त्री भीतिने थरथर कांपत कोती. तिने य़ेशूला सर्व काही सांगितले.
34तबहिं ईसू ओसे कहेस, “बिटिया! तोहार बिसवास तोका बचाएस। चइन स रहा, अउर दिकदारी स बची रहा।”
34येशू त्या स्त्रीला म्हणाला, “मुली, तुझ्या विश्वासाने तुला बरे केले आहे, शांतिने जा आणि त्रासापासून मुक्त राहा.
35जब उ बोलतइ रहा याईर, आराधनालय क अधिकारी क घरे स कछू लोग आएन अउर ओसे कहेन, “तोहार बिटिया मरि गइ। अब गुरु (ईसू) क बेफजूल काहे क तकलीफ देत अहा?”
35तो हे बोलत असता सभास्थानातील अधिकाऱ्याच्या घरून काही माणसे निरोप घेऊन आली. ती म्हाणाली, “तुमची मुलगी मेली आहे. गुरुजींना का त्रास देता?”
36ईसू अनकेस कि उ पचे का कहेन अउर आराधनालय क अधिकारी स कहेस, “डरा जिन, मुला बिसवास करा।”
36येशूने त्यांचे बोलणे ऐकले आणि तो यहूद्यांच्या सभास्थानाच्या अधिकाऱ्याला म्हणाला, “भिऊ नको, फक्त विश्वास धर.”
37[This verse may not be a part of this translation]
37येशूने फक्त पेत्र, याकोब आणि याकोबाचा भाऊ योहान यांनाच आपल्याबरोबर येऊ दिले.
38[This verse may not be a part of this translation]
38ते त्या अधिकाऱ्याच्या घरी आले. त्याने लोकांने मोठ्याने आकांत करताना व रडताना पाहिले.
39उ भीतर गवा अउर ओनसे बोला, “काहे का इ सब खलबली अउर रोउब पीटब? बचनी मरी नाहीं बा, उ सोवति अहइ।”
39तो आत गेला आणि त्यांना म्हणाला, “तुम्ही लोक रडून असा गोंधळ का करीत आहात? ही मुलगी मेलेली नाही. ती झोपली आहे.”
40उ सब ओह पइ हँसेन। ईसू सबन्क बाहेर खदेरेस। बिटिया क बाप, महतारी अउर जउन ओकरे संग रहेन, सिरिफ ओनका आपन संग रखेस।
40ते सर्व त्याला हसले. त्याने सर्व लोकांना बाहेर घालवून दिले व मुलीचे आईवडील व जे त्याच्याबरोबर होते त्यांना घेऊन जेथे मुलगी होती तेथे आत गेला.
41उ बिटिया क हथवा पकड़ेस फिन ओसे कहे, “तलीता कूमी” (अरथ अहइ “छोट बिटिया मइँ तोहसे उठइ क कहत हउँ।”)
41त्याने मुलीचा हात धरला आणि म्हणाला, “तलीथा कूम” म्हणजे (लहान मुली मी तुला सांगतो, ऊठ.”)
42छोटवार बिटिया फउरन उठि गइ अउर ऍहर ओहॅर टहरइ लाग। (उ बिटिया बारह बरिस क रही।) सगतइ आलिम अचरज मँ पूरी तरह आइ गवा।
42ती लहान मुलगी लगेच उठली आणि सभोवती फिरू लागली (ती बारा वर्षाची होती.) ते फार आश्चर्यचकित झाले.
43ईसू ओनका करर्ा हुकुम दिहेस कि कउनो ऍकरे बारे मँ पता न चलइ। फिन उ बोलेस कि उ बिटिया क कछू खइया क द्या।
43नंतर त्याने त्यांना सक्त ताकीद दिली की हे कोणाला कळता कामा नये. त्याने तिला खाण्यास देण्याविषयी सांगितले.