Awadhi: NT

Marathi

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6

1फिन ईसू उ जगहिया छोड़ि के आपन सहर मँ आइ गवा। पाछे ओकर चेलन भी गएन।
1येशू तेथून निघाला आणि आपल्या गावी गेला आणि त्याचे शिष्य त्याच्यामागे गेले.
2जइसे सबित क दिन आवा, उ आराधनालय मँ उपदेस देइ लाग। जइसे उ पचे ओका सुनेन। ढेर क मिला अचरज मँ पड़ि गएन। उ सब कहेन, “इ मनई क कहाँ ते इ सब बातन मिलि गइन। इ कइसी बुद्धि अहइ जउन ऍका दीन्ह गइ अहइ। इ सइसा अद्भुत कारजन आपन हथवा स कइसे करत ह
2शब्बाथ दिवशी तो सभास्थानात शिकवीत होता. पुष्कळ लोकांनी त्याची शिकवण ऐकली तेव्हा ते थक्क झाले. ते म्हणाले, “या माणासाला ही शिकवण कोठून मिळाली? आणि त्याला कोणते ज्ञान देण्यात आले आहे की, यासारखे चमत्कार त्याच्या हातून केले जातात? तो सुतार नाही काय?
3का इ उहई बढ़ई नाहीं, जउन मरियम क बेटवा अहइ अउर का इ याकूब, योसेस, यहूदा अउर समौन का भाई नाहीं? का जउन हमरे हमरे संग हिआ बाटइँ, उ ओकर बहिनियन नाहीं?” एहि बरे ओनका ईसू क मानइ मँ असमंजस होत रहा।
3तो मरीयेचा मुलगाच ना? तो याकोब, योसे, यहूदा आणि शिमोनाचा भाऊ नव्हे काय? व या आपल्याबरोबर आहेत त्या याच्या बहिणी नव्हेत काय?” त्याच्या स्वीकार करण्याविषयी त्यांना प्रश्न पडला.
4ईसू तब ओनसे कहेस, “आपन जनम भूमि, आपन नातेदार अउर आपन परिवारे क छोड़ि के एक नबी कतहुँ बेइज्जत होत नाहीं।”
4मग येशू त्यांना म्हणाला, संदेष्ट्यांचा सन्मान होत नाही असे नाही पण त्याच्या गावात, शहरात, त्याच्या नातेवाईकात आणि त्याच्या कुटुंबात होत नसतो.’
5हुवाँ ईसू कउनो अद्भुत कारजन करेस नाहीं: बजाय ऍके उ कछू बेरमियांँ प हथवा धइके ओनके चंगा कइ दिहेस।
5आणि तेथे त्याला चमत्कार करता आला नाही. फक्त त्याने काही रोगी लोकांच्या डोक्यावर हात ठेवून त्यांना बरे केले. त्यांच्या अविश्वासमुळे त्याला आश्चर्य वाटले.
6ईसू क ओनके बिसवास न भए प ओका अचरज भवा। तउ ईसू गाउँ गाउँ मँ उपदेस देत घूमत रहा।
6नंतर येशू शिक्षण देत जवळपासच्या गावोगावी फिरला.
7उ बारहु चेलन आपन निअरे बोलाएस, अउर दुइ दुइ ऍकउट के पठवइ लाग अउर ओनका दुस्ट आतिमन प कब्जियावइ क कहेस।
7त्याने बारा शिष्यांना आपणांकडे बोलावून घेतले व त्यांना जोडीजोडीने पाठविले आणि त्याने त्यांना अशुद्ध आत्म्यावर अधिकार दिला.
8उ ओनका सुझाएस कि उ पचे जात्रा मँ लठिया छोड़िक कछू न लेइँ: रोटी नाहीं, बिछउना नाहीं अउर आपन बटुआ मँ पइसा हू नाहीं।
8त्याने त्यांना आज्ञा दिल्या की, “काठीशिवाय प्रवासासाठी त्यांनी काही घेऊ नये. भाकर पिशवी किंवा कमरकशात पैसे काही घेऊ नका.
9उ सबइ बधियउरी पहिन सकत हीं मुला एक ठु जियादा से बंडी भी नाहीं।
9त्यांनी वहाणा घालाव्यात पण जास्तीचा अंगरखा नको.
10फिन उ ओनसे कहेस, “जउने घर मँ तू जा, हुवाँ तब तलक जगहिया न छोड़ा जब तलक तू नगर मँ रुका रहा।
10तो त्यांना म्हणाला, “ज्या कुठल्याही घरात तुम्ही जाल तेथे तुम्ही ते शहर सोडेपर्यंत राहा.
11अगर कउनो जगह तोहार सुआगत न होइ अउर हुवाँ क मनई तोहका न सुनइँ तउ हुवाँ स तु चल द्या। आपन गोड़वा क धूरि झाड़ द्या, जइसे ओनके खिलाफ सनद रहइ।”
11आणि ज्या ठिकणी तुमचे स्वागत होणार नाही किंवा तुमचे ऐकणार नाहीत ते गाव तुम्ही सोडून जा. आणि त्यांच्याविरूद्ध साक्ष म्हणून तुमच्या पायाची धूळ तेथेच झटकून टाका.
12फिन उ पचे हुवाँ स बाहेर गएन। उ सबइ उपदेस दिहन कि उ पचे, मनफिरावइँ।
12मग शिष्य गेले आणि लोकांनी पश्चात्ताप करावा म्हणून त्यांनी उपदेश केला.
13उ सबइ ढेर दुस्ट आतिमन क भगाइ दिहन अउर ढेर बेरमियन क जैतून क तेले स मालिस करत नीक किहेन।
13त्यांनी पुष्कळ भुते काढली आणि अनेक रोग्यांना जैतुनाचे तेल लावून त्यांना बरे केले.
14राजा हेरोदेस ऍकरे बारे मँ सुनेस कि ईसू क नाउँ का जस हर कइँती बिआपि गवा। कछू लोग कहत रहेन, “बपतिस्मा देइवाला यूहन्ना मउत स जी गवा, अउर इहि कारण अद्भुत कारजन सक्ति काज करति अहइँ।”
14हेरोद राजाने येशूविषयी ऐकले कारण येशूचे नाव सगळीकडे गाजले होते. कही लोक म्हणत होते, बाप्तिस्मा करणारा योहान मेलेल्यांतून उठला आहे म्हणून त्याच्याठायी चमत्कार करण्याचे सामर्थ आहे.
15अउर लोग कहत रहेन, “उ ईसू एलिय्याह अहइ।” अउर मनई कहत रहेन, “इ नबी अहइ की ईसू पुराने जमाने क नबियन क नाईं एक ठु नबी अहइ।”
15इतर लोक म्हणत, “येशू एलीया आहे” तर काही जण म्हणत, “हा संदेष्टा फार पूर्वीच्या संदेष्ट्यापैकी एक आहे.
16जब हेरोदेस इ सुनेस, उ कहेस, “यूहन्ना जेकर मइँ गटइया कटवाएउँ ह, उ मउत स उठि गवा।”
16परंतु हेरोदाने जेव्हा ऐकले तेव्हा तो म्हणाला, “ज्या योहानाचा मी शिरच्छेद केला तो मरणातून उठविला गेला आहे.”
17हेरोदेस अपुनहि यूहन्ना क जेलिया मँ बंद होइ क अउर ओका गिरफतार होइ क हुकुम दिहेसि। आपन भाई फिलिप्पुस क पत्नी हेरोदियास क कारण जेहसे उ बियाह करेस, उ अइॅसा कइ डाएस।
17कारण हेरोदाने स्वत: योहानाला पकडून तुरूंगात टाकण्याची आज्ञा दिली होती. त्याचा भाऊ फिलिप याची पत्नी हेरोदीया हिच्याबरोबर हेरोदाने लग्न केले. त्या कारणामुळे त्याने असे केले.
18यूहन्ना हेरोदेस स कहत रहा कि इ तोहका सोहत नाहीं कि तू आपन भाई क पत्नी स बियाह किहा।
18योहान हेरोदाला सांगत असे की, “तुझ्या भावाच्या पत्नीशी असे लग्न करणे तुला योग्य नाही.”
19हेरोदियास यूहन्ना क खिलाफ मनवा मँ डाह राखत रही अउर ओका मारइ चाहत रही, मुला ओका मार पावत नाहीं रहा।
19याकरिता हेरोदीयाने योहानाविरूद्ध मनात अढी धरली. ती त्याला ठार मारण्याची संधी पाहात होती. परंतु ती त्याला मारु शकली नाही.
20अइसे हेरोदेस यूहन्ना स डेरात रहा अउर ओका मालूम रहा कि यूहन्ना सही अउर पवित्तर क मनई अहइ। एह बरे उ रच्छा करत रहा। हेरोदेस जब यूहन्ना क बारे मँ सुनत रहा तउ उ जिआदा अकुलाइ जात रहा। तउने प ही ओका यूहन्ना क बारे मँ बातन सुनइ क सोहॉत रहा।
20कारण हेरोद योहानाला भीत असे. हेरोदाला माहीत होते की, योहान नितिमान आणि पवित्र मनुष्य आहे, म्हणून तो त्याचे संरक्षण करी. हेरोद योहानाचे बोलणे ऐके तेव्हा फार गोंधळून जाई परंतु तो आनंदाने त्याचे ऐकत असे.
21तबहिं संजोग स बढ़िया अउसर आवा। हेरोदेस आपन जन्मदिन पइ बड़वार अधिकारी, आपन सेना क नायक अउर गलील क बड़े लोगन क भोज दिहस।
21मग एके दिवशी संधी आली. आपल्या वाढदिवशी हेरोदाने आपले महत्त्वाचे अधिकारी, सैन्यातील सरदार व गालीलातील प्रमुख लोकांना मेजवानी दिली.
22अउर जब हेरोदियास क बिटिया भितरे आइके नाचेस। ओसे उ हेरोदेस अउर भोज मँ आए मेहमनवन क रिझाइ लिहेस। यह पइ राजा हेरोदेस लरकीवा स कहेस, “जउन तू चाहा तउन माँग ल्या। मइँ तोका जरूर देब।”
22हेरोदीयाची मुलगी मेजवानीच्या ठिकाणी आली व तिने नाच केला आणि हेरोद व आलेल्या पाहुण्यांना आनंदीत केले. तेव्हा हेरोद राजा मुलीला म्हणाला, “तुला जे पाहिजे ते माग म्हणजे मी ते तुला देईन.”
23राजा ओका अकेल्ॅले सपथ खाइके कहेस, “जउन तू माँगा मइँ तोहका जरूर देब।” हियाँ तक आपन राज्य क आधा हींसा।”
23तो गंभीरपणे शपथ वाहून म्हणाला, “माझ्या अर्ध्या राज्यापर्यंत जे काही तू मगशील ते मी तुला देईन.”
24इ सुनि के उ आपन महतारी क निअरे गइ अउर कहेस, “मोका का माँगइ चाही?” तउने प महतारी कहेस, “बपतिस्मा देइवाला यूहन्ना क मूँड़ी माँगा।”
24ती बाहेर गेली आणि तिच्या आईला म्हणाली, “मी काय मागू?” आई म्हणाली, “बाप्तिस्मा करणाऱ्या योहानाचे शीर.”
25अउर उ लरिकी फउरन राजा क नगिचे भीतर गइ अउर पूछेस, “मोका चाही कि तू ताबड़तोर बपतिस्मा देइवाला यूहन्ना क मूँड़ टाठी मँ धइ द्या।”
25आणि ती मुलगी लगेच आत राजाकडे गेली आणि म्हणाली, “मला तुम्ही या क्षणी बाप्तिस्मा करणान्या याहानाच् शीर तबकात घालून द्यावे अशी माझी इच्छा आहे.”
26ऍसे राजा क बहोत दुःख भवा। मुला एह बरे ओकर सपथ अउर भोजे प मेहमनवन क कारण उ ओका मना करब नाहीं चाहेस।
26राजाला फार वाईट वाटले, परंतु त्याच्या शपथमुळे व भोजनास आलेल्या पाहुण्यांमुळे त्याला तिला नकार द्यावा असे वाटले नाही.
27तब राजा झटपट एक ठु जल्लाद ओकर मूँड़ काटि लिआवइ क पठएस। उ गवा अउर जेल मँ ओकर मूँड़ काटि लिहस।
27तेव्हा राजाने लगेच वध करणाऱ्याला पाठविले व योहानाचे शीर घेऊन येण्याची आज्ञा केली. मग तो गेला व तुरूंगात जाऊन त्याने योहानाचे शीर कापले.
28फिन ओकर मुँड़ावा काट कइ टाठी मँ लइ आइ अउर बिटिया क दिहस। उ ऍका आपन महतारी क दिहस।
28ते शीर तबकात घालून मुलीला दिले व मुलीने ते आईला दिले.
29जब यूहन्ना क चेलन ऍकरे बारे मँ सुनेन तउ उ पचे आएन अउर ओकर ल्हास उठाएन अउ कब्र मँ धइ दिहन।
29योहानाच्या शिष्यांनी हे ऐकले तेव्हा ते तेथे आले. त्यांनी त्याचे शरीर उचलले आणि कबरेत नेऊन ठेवले.
30ईसू क चारिहुँ कइँती सुसमाचार क प्रचार करइवाले प्रेरितन ईसू क पास जमा भएन। जउन उ पचे किहन अउर सिखाएन -सब कछू बताएन।
30प्रेषित येशूभोवती जमले. त्यांनी जे केले आणि शिकविले ते सर्व त्याला सांगितले.
31तब ईसू ओनसे कहेस, “तू पचे खुदइ मोरे संग एकांत जगहिया मँ आवा अउर तनिक आराम करा।” फिन हुवाँ बहोत मनई क आउब जाब लाग रहा। ऍसे उ सब खाइ क समइ नाहीं पाएन।
31नंतर येशू त्यांना म्हाणाला, “तुम्ही माझ्याबरोबर एकांती चला आणि थोडा विसावा घ्या. तो असे म्हणाला कारण तेथे पुष्कळ लोक जात येत होते व त्यांना जेवायलाही सवड मिळत नव्हती.
32एह बरे उ सब मिलिके खुदइ नाउ स एकांत जगहिया मँ गएन।
32तेव्हा ते सर्वजण नावेत बसून निर्जन ठिकाणी गेले.
33मुला बहोत जने ओनका जात भवा देखेन अउर पहिचानेन कि उ सब कउन रहेन। इ कारण उ लोग सबहिं सहरन स हुवाँ धरतिया प धावत गएन अउर उ पचे ओनसे पहिले पहुँचेन।
33परंतु पुष्कळ लोकांनी त्यांना जाताना पाहिले व ते कोण आहेत हे त्यांना कळाले तेव्हा सर्व गावांतील लोक पायीच धावत निघाले व येशू तेथे येण्याअगोदरच ते तेथे पोहोंचले.
34जबहिं ईसू नाउ स उतरा, उ एक भारी भीर देखेस। तबहिं उ ओनके बरे दुःखी भवा, इ कारण कि उ सबइ बिना गड़रिया क भेड़ नाहीं रहेन। अइसे उ बहोत बातन सिखावइ लाग।
34येशू नावेतून उतरला तेव्हा त्याने मोठा लोकसमुदाय पाहिला व त्याला त्यांचा कळवळा आला. कारण ते मेंढपाळ नसलेल्या मेंढरांसारखे होते. मग तो त्यांना बऱ्याच गोष्टी शिकवू लागला.
35तब तलक साँझ होइ गइ। एह बरे ओकर चेलन ओकरे नगिचे आएन अउर बोलेन, “इ एकांत जगह अहइ अउर दिनवा ढरि ग अहइ।
35या वेळेलर्यंत बराच उशीर झाला होता आणि (दिवस मावळतीला आला होता) मग त्याचे शिष्य त्याच्याकडे आले व म्हणाले, “ही निर्जन जागा आहे व बराच उशीर झाला आहे.
36मनइयन क पठवा, जइसे उ पचे नगिचे खेतन अउर गाउँन मँ जाइ सकइँ अउ आपन बरे कछू खाइके बेसहि लेइँ।”
36लोकांना पाठवून द्या म्हणजे ते भोवतालच्या शेतात व खेड्यात जाऊन त्यांच्यासाठी काहीतरी खायला विकत आणतील.”
37मुला जबावे मँ ईसू ओनसे कहेस, “तू ओनका कछू खाइके द्या।” उ सब ओहसे कहेन, “का हम पचे जाई अउर दुई सौ दीनार क बराबर रोटी बेसही अउर ओनके खाइ क बाँटी?”
37परंतु येशूने त्यांना उत्तर दिले, “तुम्ही त्यांना काहीतरी खावयास द्या.” ते त्याला म्हणाले, “आम्ही जाऊन त्यांना खाण्यासाठी दोनशी दीनारांच्या भाकरी विकत आणाव्या काय?”
38ईसू ओनसे कहेस, “केतॅनी रोटी तोहरे पास अहइ? जा अउर देखा।” जब उ पचे पता पाएन, उ पचे कहेन, “हमरे पाँच ठु रोटी अउर दुइ मछरी अहइँ।”
38तो त्यांना म्हणाला, “जा आणि पाहा, की तुमच्याजवळ किती भाकरी आहेत?” त्यांनी पाहिले तेव्हा ते म्हणाले, “आमच्याजवळ पाच भाकरी आणि दोन मासे आहेत.”
39फिन ईसू चेलन क हुकुम देहेस, “हर एक क हरिअर घसिया प पंगत मँ बइठइ बरे कहा।”
39येशूने शिष्यांना सांगतले, “सर्व लोकांना गटागटाने हिरवळीवर बसायला सांगा.”
40तबहिं उ सब सउ सउ अउर पचास पचास क पंगत मँ बइठ गएन।
40तेव्हा सर्व लोक गटागटाने बसले. प्रत्येक गटात पन्नास ते शंभर लोक होते.
41तइसेन ईसू पाँच रोटिन्यक अउर दुइ मछरिन्क उठाइ के सरग क ओर निहारत भवा धन्यबाद दिहेस अउर रोटिन्क तोड़ेस। उ आपन चेलन क ओनका बाँटइ बरे दिहस।
41येशूने पाच भाकरी आणि दोन मासे घेतले. त्याने त्याचे वाटे केले. त्याने तेथे आकाशाकडे पाहून देवाचे आभार मानले. भाकरी मोडल्या व त्या लोकांना वाढण्यासाठी आपल्या शिष्यांजवळ दिल्या. दोन मासेसुद्धा वाटून दिले.
42उ सबइ भरपेट खाएन अउर उ सबइ अघाइ गएन।
42मग ते सर्व जेवून तृप्त झाले.
43ओकरे बाद उ सब रोटी अउर मछरी क बचा भवा बाहर टुकरन क झउआ मँ उठाएन।
43त्यांनी भाकरीच्या व माशांच्या तुकड्यांनी भरलेल्या बारा टोपल्या भरल्या.
44पुरुसन क गनती जउन खइया क खाएन पाँच हजार रही।
44आणि जे पुरुष जेवले, त्यांची संख्या पाच हजार होती.
45फिन तुरंत ईसू आपन चेलन नाउ मँ बइठाएस जेहसे उ सबइ जब भिरिया क बिदाई पहिले झील क ओह पार बैतसैदा चला जाइँ।
45नंतर येशूने लगेच शिष्यांना नावेत बसविले आणि पलीकडे असलेल्या बेथसैदा येथे त्याच्यापुढे जाण्यास सांगतिले. तोपर्यंत त्याने लोकांना निरोप देऊन घरी पाठवले.
46ईसू भीर क बिदाई क बाद पहाड़ी प पराथना बरे गवा।
46त्यांना निरोप दिल्यावर तो प्रार्थना करण्यास डोंगरावर गेला.
47जब सांझ भइ, नाउ झिलिया क मँझधर मँ रही अउर उ भुइयाँ प अकेल्ॅले रहा।
47संध्याकाळ झाली तेव्हा नाव सरोवराच्या मध्यभागी होती आणि जमिनीवर येशू एकटाच होता.
48उ ओनका नाउ खेवत क मुसीबते मँ देखेस, काहेकि हवा ओनके खिलाफ बहत रही। लगभग तीन स छ बजे क समइ भिंसारेउ ओनके निअरे झिलिया प चलत आवा। जइसे हि ओनके निअरे स जाइ क भवा,
48मग त्याने त्यांना वल्ही मारणे अवघड जात आहे असे पाहिले. कारण वारा त्यांच्या विरुद्धचा होता. पहाटे तीन ते सहाच्या दरम्यान येशू नावेकडे गेला. येशू पाण्यावरून चालत होता व तो त्यांना ओलांडून पुढे जाऊ लागला.
49उ पचे ओका पानी प चलत भवा निहारेन। उ सब अंजाद लगाएन कि कउनो बड़वार दुस्ट आतिमा अहइ। ऍसे उ पचे डेरात भए चिचिआनेन।
49जेव्हा त्यांनी त्याला सरोवरावरून पाण्यावरून चालताना पाहिले तेव्हा त्यांना ते भूत आहे असे वाटले व ते ओरडले.
50मुला उ पचे ओका निहारेन अउर उ सब ससाइ गएन। तुरंतहि उ ओनसे बोला, “हिम्मत रखा। इ मइँ हउँ जिन डेराअ।”
50कारण त्या सर्वांनी त्याला पाहिले व ते घाबरून गेले. तो लगेच त्यांना म्हणाला, “धीर धरा, भीऊ नका, मी आहे,”
51फिन उ ओनके संग नाउ प चढ़ि गवा, तब आँधी पटाइ गइ। ऍसे उ सबइ अचरज मँ पड़ि गएन।
51नंतर तो त्यांच्याकडे नावेत गेला तेव्हा वारा शांत झाला. ते अतिशय आश्चर्यचकित झाले.
52उ पचे रोटियन क अद्भुत कारज क बारे मँ समझ पाएन नाहीं। ओनके दिमागे कठोर होइ गवा।
52कारण त्यांना भाकरीच्या संदर्भातील चमत्कार समजलाच नव्हता आणि त्यांची मने कठीण झाली होती.
53जब उ सब झील पार कइ लिहन गन्नेसरत क घाटे प आएन अउर नाउ क बाँध लिहन।
53त्यांनी सरोवर ओलांडल्यावर ते गनेसरेतच्या किनाऱ्याला आले व नाव (होड़ी) बांधून टाकली.
54जबहिं उ पचे नाउ क छाँड़ि क उतर आएन, मनइयन ईसू क पहिचान लिहन।
54ते नावेतुन उतरले, तेव्हा लोकांनी येशूला ओळखले.
55उ पचे समूचे पहंटा मँ भागत फिरेन अउर बेरमियन क बिछउना प जहाँ कहूँ उ पचे सुनेन कि ईसू हुवाँ बा, लादि क लइ जाइ लागेन।
55लोक हे सागण्यासाठी इतर सर्व लोकांकडे पळाले आणि आजाऱ्यांना खाटेवर घालून जेथे तो आहे असे ऐकले तेथे घेऊन जाऊ लागले.
56जहाँ कहूँ उ गाउँ मँ कस्बन मँ या खेतन मँ जात रहा, उ पचे आपन बेरमियन क हाटन मँ बइठाइ देतेन अउर उ पचे ईसू स बिनती करतेन कि उ आपन ओढ़ना क एक हींसा छुअइ दे। अउर सबइ जउन ऍका छुएन नीक होइ गएन।
56खेड्यात, गावात किंवा शेतात आणि, जेथे बाजाराच्या जागी कोठे तो गेला तेथे लोकांनी आपल्या आजारी माणसांना आणून ठेवले. त्यांनी त्याला फक्त त्याच्या झग्याच्या काठाला स्पर्श करू देण्याची विनंति केली. ज्यांनी त्याला स्वर्श केला ते बरे झाले.