1ईसू जबहिं पर्वते स खाली उतरा तउ बहोत बड़ी मनइयन क भीड़ ओकरे पाछे होइ चली।
1येशू डोंगरावरून खाली आला. पुष्कळ लोक त्याच्यामागे चालत होते.
2हुँवई एक कोढ़ी भी रहा। उ ईसू क लगे आइ अउर निहुरिके बोला, “पर्भू, जदि तू चाहा तउ मोका चंगा कइ सकत ह।”
2तेव्हा एक कुष्ठरोग झालेला मनुष्य त्याच्याकडे येऊन वाकून त्याच्या पाया पडून म्हणाला, “प्रभु, तुमची इच्छा असेल तर तुम्ही मला शुद्ध करण्यास समर्थ आहत.”
3ऍह प ईसू आपन हथवा बढ़ाइके कोढ़ी क छुएस अउर कहेस, “मइँ चाहत हउँ; चंगा होइ जा!” अउर फउरन कोढ़ी क कोढ़ पराइ गवा।
3मग येशूने आपला हात पुढे करुन त्याला स्पर्श केला व म्हटले, “तू शुद्ध व्हावेस अशी माझी इच्छा आहे,” आणि ताबडतोब तो कुष्ठरोगी बरा झाला.
4फिन ईसू ओसे कहेस, “देखा ऍकरे बारे मँ कउनो स कछू जिन कह्या। मुला याजक क लगे जाइके ओका आपन क देखावा। फिन मुसा क हुकुम क मुताबिक भेंट चढ़ावा जैसे लोगन्क तोहरे चंगा होइ क साच्छी मिलि जाइ।”
4“हे जे घडले ते कुणाला सांगू नकोस, तर जाऊन स्वत:ला याजकांना दाखव आणि तू कुष्ठरोगमुक्त झालास ह्याचे प्रमाण म्हणून मोशेने ठरवून दिलेले अर्पण वाहून टाक. ह्यामुळे तू शुद्ध झाल्याचे लोकांना कळेल.”
5फिन ईसू जब कफरनहूम गवा, तउ एक फऊजी नायक ओकरे नगिचे आवा अउर ओसे मदद बरे बिनती करत बोला,
5येशू कफर्णहूम शहरास गेला. जेव्हा त्याने शहरात प्रवेश केला, तेव्हा एक सेनाधिकारी त्याच्याकडे आला
6“पर्भू, मोर एक सेवक मोरे घरवाँ मँ बिछउना प ओलरा बाटइ। ओका लकवा मारे बाटइ। ओका बहोत दर्द होत अहइ।”
6आणि विनंती करू लागला की, “प्रभु, माझा नोकर पक्षाघाताने खूपच त्रासलेला आहे व तो माझ्या घरात पडून आहे.”
7तबहिं ईसू फऊजी नायक स कहेस, “मइँ आइके ओका चंगा करिहउँ।”
7येशू त्याला म्हणाला, “मी येऊन त्याला बरे करीन.”
8फऊजी नायक जवाब दिहेस, “पर्भू, मइँ इ जोग्ग नाहीं हउँ कि तू मोरे घर मँ आवा। यह बरे हुकुम दइ द्या। बस मोर नउकर चंगा होइ जाई।
8तेव्हा सेनाधिकारी म्हणाला, “प्रभु, आपण माझ्या घरी यावे इतकी माझी योग्यता नाही. आपण फक्त शब्द बोला म्हणजे माझा नोकर बरा होईल.
9इ मइँ जानत हउँ कि मइँ एक बड़का अधिकारी क नीचे काम करत अहउँ अउर मोरे नीचे दूसर सिपाही अहइँ। जबहि मइँ एक ठु सिपाही स कहत हउँ, ‘जा’ तउ उ चला जात ह अउर दूसर सिपाही स कहत हउँ, ‘आ’ तउ उ आइ जात ह। मइँ आपन सेवक स कहत हउँ, ‘इ करा’ तउ उ ओका करत ह।”
9कारण मी स्वत: दुसऱ्या अधिकाऱ्यांच्या हाताखाली काम करतो आणि माझ्या हाताखाली देखील अनेक शिपाई आहेत. मी एखाद्याला जा म्हणतो आणि तो जातो आणि दुसऱ्याला ये म्हटल्यावर तो येतो. मी माझ्या नोकराला अमूक कर असे सांगतो आणि तो ते करतो.”
10जब ईसू इ सुनेस तउ उ अचरजे मँ पड़ि गवा। जउन मनइयन ओकरे पाछे पाछे आवत रहेन ईसू ओनसे कहेस, “मइँ तोहसे सच कहत हउँ मइँ ऍतना गहरा बिसवास इस्राएल मँ भी कउनो मँ नाहीं पाएउँ।
10येशूने जेव्हा हे ऐकले तेव्हा त्याला आश्चर्य वाटले आणि जे त्याच्यामागुन चालत होते. त्यांना तो म्हणाला, “मी तुम्हांला खरे सांगतो, इस्राएलात इतका मोठा विश्वास असलेला एकही मनुष्य मला आढळला नाही.
11मइँ तोहका इ अउ बतावत हउँ कि बहोत स पूरब अउर पच्छिम स अइहीं अउर उ सबइ भोजे मँ इब्राहीम, इसहाक अउर याकूब क संग सरगे क राज्य मँ आपन आपन ठउन प बैठ जइहीं।
11मी तुम्हांला सांगतो, पुष्कळ जण पूर्वेकडून आणी पश्चिमेकडून येतील आणि अब्राहाम, इसहाक व याकोब यांच्यासह स्वर्गाच्या राज्यात मेजासभोवती मेजवानीसाठी बसतील.
12मुला राज्य क आदिम प्रजा बाहेर अँाधियारे मँ ढकेल दीन्ह जाई जहाँ उ पचे चिचियाइके नरियाइके दाँत पीसत रइहीं।”
12परंतु जे खरे वारस आहेत. ते बाहेरच्या अंधरात टाकले जातील. तेथे रडणे व दात खाणे चालेल.”
13तब ईसू उ फउजी नायक स कहेस, “जा वइसा ही तोहरे बरे होइ जइसा तोहार बिसवास अहइ।” अउर ओकर नउकर फउरन चंगा होइ गवा।
13मग येशू सेनाधिकाऱ्याला म्हणाला, “जा, तू जसा विश्वास धरलास तसे होईल.” आणि त्याच क्षणी त्याचा नोकर बरा झाला.
14जब ईसू पतरस क घरे पहुँच गवा, उ ओकरे सास क बुखार स दुःखी बिछउना प ओलरी देखेस।
14मग येशू पेत्राच्या घरी आला. तेथे पेत्राची सासू तापाने आजारी पडली आहे, असे येशूने पहिले.
15तब ईसू ओका आपन हथवा स छुएस अउर ओकर बुखार उतर गवा। फिन उ उठी अउर ईसू क सेवा करय लाग।
15त्याने तिच्या हाताला स्पर्श केला तेव्हा तिचा ताप निघाला. मग ती उठून त्याची सेवा करू लागली.
16जइसे साँझ होइ गइ तउ लोग ओकरे नगिचे बहोतन मनइयन क लइ आएन जेहमाँ दुस्ट आतिमन रहत रहीं। आपन एक ही हुकुम स उ दुस्ट आतिमन क निकारि दिहस। इ तरह स उ सबइ बेरमियन क नीक कइ दिहस।
16त्या संध्याकाळी लोकांनी भूतबाधा झालेल्या पुष्कळ लोकांना त्याच्याकडे आणले येशूने शब्द बोलून ती भुते घालविली व सर्व प्रकारच्या रोग्यांना बरे केले
17इ यह बरे भवा कि परमेस्सर नबी यसायाह स जउन कछू कहेस, उ पूरा होइ जाइ: “उ हमरे बेरमियन क लइ लिहस अउर हमरे संतापे क ओढ़ लिहस।” यसायाह 53:4
17यशया संदेष्ट्यांच्या द्वारे जे सांगितले होते ते पूर्ण व्हावे म्हणून असे झाले. यशयाने असे म्हटले होते: “त्याने आमच्या व्याधी स्वत:वर घेतल्या, त्याने आमचे रोग वाहिले.” यशया 53:4
18जब ईसू आपन चारिहुँ कइँती भीड़ देखेस तउ उ आपन चेलन क हुकुम दिहेस कि उ सबइ झिलिया क ओह पार किनारे चलइँ।
18आपल्या भोवती खूप लोक आहेत हे येशूने पाहिले तेव्हा त्याने त्यांना सरोवराच्या पलीकडे जाण्याची आज्ञा केली.
19तब एक धरम सास्तरी ईसू क निअरे आवा अउर कहेस, “गुरु, जहँ तहँ तू जाब्या, मइँ तोहरे पाछे चलब।”
19मग एक नियमशास्त्राचा शिक्षक त्याच्याकडे आला आणि म्हणाला, ‘गरुजी, आपण जेथे जाल तेथे मी आपल्या मागे येईन.”
20ऍह प ईसू ओसे कहेस, “लोखरी क बिल अउर अकास क पंछीयन क घोंसला होत हीं मुला मनई क पूत क लगे मूँड़ टेकावइ क कउनो ठउर नाहीं।”
20येशू त्याला म्हणाला, “कोल्ह्यांना राहायला बिळे आणि आकाशातील पाखरांना घरटी आहेत. परंतु मनुष्याच्या पुत्राला डोके सुद्धा टेकावयास जागा नाही.”
21ओकर चेलन मँ स एक ठु ईसू स कहेस, “पर्भू, मोका पहिले जाइके आपन पिता क गाड़इ क हुकुम द्या।”
21मग येशूच्या शिष्यांपैकी आणखी एक जण येशूला म्हणाला, “प्रभु, पहिल्यांदा मला जाऊ द्या व माझ्या वडिलांना पुरून येऊ द्या.”
22मुला ईसू ओसे कहेस, “मोरे पाछे चला आवा अउर मरा भवा मुर्दन क आपन खुद गाड़इ द्या।”
22पण येशू त्याला म्हणाला, “तू माझ्या मागे ये. जे मेलेले आहेत त्यांना त्यांच्या मेलेल्यांना पुरू दे.”
23तब ईसू एक नाउ प बइठि गवा। ओकर चेलन भी पाछे पाछे गएन।
23मग येशू नावेत गेल्यावर त्याच्यामागून त्याचे शिष्य नावेत गेले.
24उहइ समइया झील मँ ऍतना भयंकर तूफान उठि गवा कि नाउ लहरन स दबी जात रही पर ईसू सोवत रहा।
24अचानक, समुद्रात इतके मोठे वादळ झाले की, नाव लाटांमध्ये पूर्णपणे गुरफटून गेली. आणि येशू तर नावेत झोपला होता.
25तबहिं ओकर चेलन ओकरे लगे पहुँचेन अउर ओका जगाइके कहेन, “पर्भू, हमार रच्छा करा। हम पचे मरि जाब।”
25तेव्हा शिष्य त्याच्याकडे गेले आणि त्यांनी त्याला जागे केले व म्हटले, ‘प्रभु, आम्हांला वाचवा, आपण बुडत आहोत.”
26तबहिं ईसू ओनसे कहेस, “अरे कम बिसवास करइवालो। तू पचे काहे ऍतना भयभीत अहा?” तब उ खड़ा होइके तूफान अउर झिलिया क डाटेस अउर चारिहुँ कइँती सांति छाइ गइ।
26येशूने उत्तर दिले, ‘तुम्ही विश्वासात किती उणे आहात रे? तुम्ही का घाबरता?’ मग त्याने उठून वारा व लाटा यांना अधिकारवाणीने शांत होण्यास सांगितले. वारा थांबला. समुद्र अगदी शांत झाला.
27मनइयन अचरजे मँ पड़ि गएन। उ सबइ कहेन, “इ कइसा मनई बाटइ? अँधड़ तूफान अउर झिलिया तक ऍकर बतिया मानत हीं!”
27तेव्हा लोकांना मोठे आश्चर्य वाटले, ते म्हणाले, “हा कोणत्या प्रकारचा मनुष्य आहे? वारा व समुद्र देखील त्याचे ऐकतात.”
28जब ईसू झील क उ पार, गदरेनियोन क देस पहुँच गवा, तउ ओका कब्रे स निकरि के दुइ मनई आवत भए मिलेन, जेहमाँ दुस्ट आतिमन रहिन। उ पचे ऍतना खोफनाक रहेन कि उ रस्ता स कउनो निकरि तक नाहीं सकत रहा।
28मग येशू समुद्राच्या पलीकडे असलेल्या गरदेकरांच्या देशात आला, तेव्हा दोन भूतबाधा झालेली माणसे स्मशानातून येशूकडे आली. ही माणसे स्मशानातील कबरांध्ये राहत होती. ती फार भेसूर होती, त्यामुळे कोणीही त्यांच्या वाटेला जात नसे.
29उ पचे चिचियानेन, “हे परमेस्सर क पूत! तू मोसे का चाहत बाट्या? का तू हियाँ ठीक समइ स पहिले हमका दंड देइ आइ अहा?”
29ती दोघे येशूकडे आली व म्हणाली, ‘देवाच्या पुत्रा, तुला आमच्याकडून काय पाहिजे? नेमलेल्या वेळेपूर्वीच तू आम्हांला शिक्षा करायला आलास काय?’
30हुवाँ तनिक दूरी प बहोत स सुअरन क झुँड चरत रहा।
30त्या ठिकाणापासून थोड्या अंतरावर डुकरांचा एक कळप चरत होता.
31तउ उ दुस्ट आतिमन ओसे बिनती करत भए कहेन, “जदि तोहका हम पचन क बाहेर निकारब ही बाटइ, तउ हमका सुअरन क झुंडे मँ पठइ द्या।”
31ती भुते त्याला विनंती करून लागली, ती म्हणाली, “जर तू आम्हाला ह्यांच्यामधून काढून टाकणार असशील तर आम्हांला त्या डुकरांच्या कळपात जाऊ दे,
32तउ ईसू ओनसे कहेस, “चला जा!” तब उ सबइ ओन मनइयन मँ स बाहेर निकरि आइन अउर सुअरन मँ घुसि गइन। फिन समूचा झुंड ढलाने स लुढ़कत पुढ़कत पराइके ढालू किनारे स झिलिया मँ गिरि गवा अउ सबहिं सुअरन पानी मँ बूड़िके मर गएन।
32तेव्हा तो त्यांना म्हणाला, ‘जा.’ मग ती त्यांच्यामधून निघून डुकरांमध्ये गेली. तेव्हा तो संपूर्ण कळप कड्यावरून खाली धावत जाऊन पाण्यात बुडाला.
33सुअरन क झुंड क रखवालन भागत भागत हुआँ स सहर आएन अउर सुअरन क साथ तथा दुस्ट आतिमन स ग्रस्त ओन मनइयन क साथ जउन कछू भवा, कहिके सुनाएन।
33मग त्यांना चारणारे पळाले व त्यांनी नगरात जाऊन सर्वांना हे वर्तमान, तसेच भूतबाधा झालेल्यांचे काय झाले तेही सांगितले.
34फिन तउ सहर क सबइ मनइयन ईसू स भेंटइ बरे निकर पड़ेन। जब उ पचे ईसू क देखेन तउ ओसे बिनती किहेन कि उ ओनके हियाँ स कहुँ अउर ठउर चला जाइ।
34तेव्हा सर्व शहर येशूला भेटायला निघाले; आणि जेव्हा त्यांनी त्याला पाहिले तेव्हा येशूने त्यांच्या प्रदेशातून निघून जावे अशी विनंती त्यांनी त्याला केली.