1एह तरह अब ओनके बरे जउन मसीह ईसू मँ स्थित बाटेन ओनके बरे, कउनउ दण्ड नाहीं बा।
1म्हणून आता जे ख्रिस्त येशूमध्ये आहेत त्यांना शिक्षा नाही.
2काहेकि आतिमा क व्यवस्था त जउन मसीह ईसू मँ जीवन देत ह, मोका पाप क व्यवस्था स जउन मउत क तरफ लइ जात ह, स्वतन्त्र कई दीन्ह बा।
2कारण आत्म्याचा जो नियम ख्रिस्त येशूमध्ये जीवन देतो त्याने पापाचा नियम जो तुम्हांला मरणाकडे नेतो त्यापासून मुक्त केले आहे.
3जेका मूसा क उ व्यवस्था जउन मनई क भौतिक सुभाऊ क कारण कमजोर बनाइ दीन्ह गइ रही, नाहीं कई सकी ओका परमेस्सर अपने पूत क हमरेन जइसे सरीर मँ पठइ क जेहसे हम पाप करत ह-ओकर भौतिक देह क पापवाली बवाइ क पाप क खतम कइके पूरा किहेस।
3नियमशास्त्र समर्थ आहे पण आपण दूर्बळ आहोत त्यामुळे वाचु शकत नाही, देवाने आपल्या पुत्राला पापी देहाच्या प्रतिरुपाने व पापाकरिता पाठवून ख्रिस्ताच्या देहामध्ये पापाला न्यायदंड ठरविला.
4जेहसे कि हमरे जरिये, देहे क भौतिक पातकी अहम स नाही, बल्कि आतिमा क विधि स जिअत हीं व्यवस्था क जरूरत पूरी कई जाइ सकइ।
4यासाठी की, नीतिच्या व आवश्यक गोष्टी आपण जे देहाच्या पापमय स्वभावाप्रमाणे नव्हे तर आत्म्याप्रमाणे चालतो, त्या आमच्याद्वारे पूर्ण व्हाव्यात.
5काहेकि उ सबइ जउन अपने भौतिक मनई सुभाउ क अनुसार जिअत हीं, ओनकर भौतिक मनई सुभाउ क इच्छा पर टिकी रहत ह परन्तु उ जउन आतिमा क अनुसार जिअत हीं, ओनकर बुद्धि जउन आतिमा चाहत ह ओनहिन इच्छा मँ लगी रहत ह।
5कारण जे त्यांच्या मानवी पापी देहाप्रमाणे जगतात ते देहाच्या गोष्टींचा विचार करतात, परंतु जे आत्म्याने चालतात व ज्यांचे मन आत्म्याच्या गोष्टींकडे लागलेले असते ते त्याप्रमाणे जीवन जगतात.
6भौतिक मनई सुभाउ क बस मँ रहइवाला मने क अन्त मउत अहइ, परन्तु आतिमा क बस मँ रहइवाली बुद्धि क परिणाम अहइ जीवन अउ सान्ति।
6देहाचे चिंतन हे मरण आहे. पण आत्म्याचे मनन हे जीवन आणि शांति आहे.
7इही तहर भौतिक मनई सुभाउ स अनुसासित मन परमेस्सर क विरोधी अहइ। काहेकि उ न तउ परमेस्सर क व्यवस्था क अधीन बा अउ न होइ सकत ह।
7मानवी स्वभावाचे अधिकार असलेले पापी मन म्हणजे देवाबरोबर वैर आहे. कारण ते देवाच्या नियमाच्या आधीन होत नाही, व त्याला आधीन होताही येत नाही.
8अउर उ जउन भौतिक मनइ सुभाउ क अनुसार जिअत हीं परमेस्सर क खुस नाहीं कइ सकत हीं।
8कारण जे देहस्वभावाच्या आधीन आहेत त्यांना देवाला प्रसन्र करता येत नाही.
9परन्तु तू पचे भौतिक मनई सुभाउ क अधीन नाहीं अहा, बल्कि आतिमा क अधीन अहा अगर सही मँ तोहसे परमेस्सर क आतिमा क निवास बा। परन्तु अगर कउनो मँ ईसू मसीह क आतिमा नाहीं बा त उ मसीह क नाहीं बा।
9देवाचा आत्मा तुम्हांमध्ये राहतो, तर तुम्ही देहाचे नसून आत्म्याचे आहात. परंतु जर कोणाला ख्रिस्ताचा आत्मा नसेल तर तो ख्रिस्ताचा नाही.
10दुसरे कइँती अगर तोहमाँ मसीह अहइ तउ चाहे तोहरे देह पाप क बरे मरि चुकी होइ बा पवित्तर आतिमा परमेस्सर क साथे तोहे धार्मिक ठहराइ क खुद तोहरे बरे जीवन बन जात ह।
10उलट जर ख्रिस्त तुम्हांमध्ये आहे व तुमचा देह पापामुळे मेला आहे तरी नीतिमत्वामुळे तुमच्या आत्म्याच जीवन आहे.
11अउर अगर उ आतिमा जे ईसू क मरे हुवन मँ स जियाए रही, तोहरे भित्तर बास करत ह, तउ उ परमेस्सर जे ईसू क मरे हुवन मँ स जियाए रहा, तोहरे नासमान सरीरन क आपन आतिमा स जउन तोहरे ही भित्तर बसत ह, जीवन देई।
11आणि ज्या आत्म्याने येशूला मरणातून उठविले तो त्याचा आत्मा तुम्हांमध्ये राहतो त्या तुमच्या मर्त्य शरीराला जीवन देईल.
12इही बरे भाइयो तथा बहिनियो, हम पे एह भौतिक मनइ सुभाउ तउ अहइ परन्तु अइसेन नाहीं कि हम एकरे अनुसार जिई।
12तर मग बंधूनो, आम्ही कर्जदार आहोत, देहाप्रमाणे जगण्यास देहाचे नव्हे.
13काहेकि अगर तू भौतिक मनइ सुभाव क अनुसार जीब्या तब मरब्या। अगर तू आतिमा क जरिये सरीर क व्यवहारन क अन्त कइ देब्या तउ तू जी जाब्या।
13कारण जर तुम्ही तुमच्या पापी देहस्वभावाप्रमाणे जीवन जगाल तर तुम्ही मरणार आहात, परंतु आत्म्याच्या करवी जर तुम्ही देहाची कर्मे ठार माराल तर तुम्ही जगाल.
14जउन परमेस्सर क आतिमा क अनुसार चलत हीं, उ सबइ परमेस्सर क संतान अहइँ।
14कारण जितक्यांना देवाचा आत्मा चालवितो, तितके देवाची मुले आहेत.
15काहेकि उ आतिमा जउन तोहे मिली बा, तोहे फिन स दास बनिके डेराइ बरे नाहीं बा, बल्कि उ आतिमा जउन तू पाए अहा तोहे परमेस्सर क संपालित सन्तान बनावत ह। जेसे हम पुकार उठित ह, “हे अब्बा, हे परमपिता।”
15पुन्हा भीति वाटू नये म्हणून तुम्हांला गुलामगिरीचा आत्मा मिळाला नाही, तर तुम्हांला दतकपणाचा आत्मा मिळाला आहे. त्याच्यायोगे आम्ही “अब्बा, बापा” अशी हाक मारतो.
16उ पवित्तर आतिमा खुद हमरे आतिमा क साथे मिलिके साच्छी देत ह कि हम परमेस्सर क सन्तान अही।
16तो आत्मा स्वत: आपल्याबरोबर दुजोरा देतो की, आपण देवाची मुले आहोत.
17अउ काहेकि हम ओकर सन्तान अही, हमहूँ उत्तराधिकारी अही, परमेस्सर क उत्तराधिकारी अउर मसीह क साथे हम उत्तराधिकारी अगर सही मँ ओकरे साथे दुःख उठावत अहीं तउ हमका ओकरे साथे महिमा मिली ही।
17आपण जर देवाची मुले आहोत तर आम्ही वारसही आहोत आणि ख्रिस्ताबरोबर वारस आहोत. खरोखर आपण त्याच्याबरोबर दु:ख भोगतो यासाठी की, त्याच्याबरोबर आपणांस गौरवही मिळावे.
18काहेकि मोरे बिचार मँ एह समइ क हमार सबइ यातना क परगट होइवाली भावी महिमा क आगे कछूउ नाहीं बा।
18कारण भविष्यकाळात आपल्याला प्रगट करण्यात येणाऱ्या गौरवाच्या तुलनेने सध्याच्या काळातील दु:खे काहीच नाहीत असे मी मानतो.
19काहेकि इ सृस्टि बड़ी आसा स ओह समइ क इन्तजार करत बाटइ जब परमेस्सर क संतान क परगट कीन्ह जाई।
19कारण निर्माण केलेले जग पुत्राच्या प्रगट होण्याच्या काळाची वाट पाहत आहे.
20इ सृस्टि निःसार रही अपने इच्छा स नाहीं, बल्कि ओकरी इच्छा स जे एका एह परिवर्तन क अधीन किहेस
20निर्माण केलेले जग सर्व स्वाधीन होते ते इच्छेने नव्हे तर देवाने ते अधीन ठेवले होते म्हणून,
21कि इहउ कभउँ आपन बिनासमान होइ स छुटकारा पाइ क परमेस्सर क सन्तान क सानदार स्वतन्त्रता क आनन्द लेई।
21या आशेने की, निर्माण केलेले जग त्याच्या अशुद्धतेच्या गुलामगिरीतून मुक्त व्हावे, व देवाच्या मुलांचे वैभवी गौरव त्याने उपभोगावे.
22काहेकि हम जानित ह कि आजु तलक समूची सृस्टि प्रसव पीड़ा मँ कराहत अउ तड़पत रही बाटइ।
22कारण आपल्याला माहीत आहे की, आजपर्यंत, निर्माण केलेले संपूर्ण जग कण्हत, वेदना भोगीत आहे.
23न केवल इ सृस्टि बल्कि हमहूँ जेका आतिमा क पहिला फल मिला बा, अपने भितर कराहत रहे बाटेन। काहेकि हमका ओकरे जरिये पूरी तरह अपनावा जाइ क इन्तजार अहइ कि हमार देह मुक्त होइ जाइ।
23परंतु निर्माण केलेले जगच नव्हे तर आपणांस ज्यांना आत्म्याचे प्रथम फळही मिळाले आहे ते, आपणही संपूर्ण दत्तकपणासाठी आपल्या शरीराच्या नाशवंत, मर्त्य स्वभावापासून मुक्ती व्हावी म्हणून आतल्याआत कण्हत आहोत.
24हमार उदूधार भवा बा। इही स हमरे मने मँ आसा बा परन्तु जब हम जेकर आसा करित ह ओका देखि लेइत ह तउ उ आसा नाहीं रहत। जउन देखात बाटइ ओकर आसा कउन कई सकत ह।
24आपण आपल्या मनातील या आशेने तारले गेलो आहोत. परंतु आपण ज्याची आशा धरली ते पाहू शकलो तर ही आशा नसेल. कारण जे पाहतो त्याची आशा कोण धरील?
25परन्तु अगर जेका हम देखत नाहीं अही ओकर आसा करित ह तउ धीरज अउर सहनसीलता क साथे ओकर रस्ता जोहित ह।
25परंतु जर आपण जे पाहत नाही त्याची आशा धरतो तर आपण धीराने त्याची वाट पाहतो.
26अइसन ही जइसेन हम कराहत अही, आतिमा हमरे दुर्बलता मँ हमार सहायता करइ आवत ह काहेकि हम नाहीं जानित ह कि हम केकरे बरे पराथना करी! परन्तु आतिमा खुद अइसेन आह भरिके जेकर सबदन मँ जाहिर नाहीं कीन्ह जाइ सकत हमरे बरे बिनती करत ह।
26जेव्हा आपण कण्हतो तेव्हा आत्माही आपल्या अशक्तपणात आपणांस मदत करतो. कारण कशासाठी आपण प्रार्थना करावी, हे आपणांस माहीतसुद्धा नसते. परंतु आत्मा स्वत: आपणांसाठी शब्दांनी जे व्यक्त करता येत नाही, अशा कण्हण्याने मध्यस्थी करतो.
27परन्तु उ जउन लोगन क दिल क देख सकत ह वह जानत ह कि आतिमा क मन्सा का अहइ। काहेकि परमेस्सर क इच्छा स ही उ परमेस्सर क पवित्तर लोग क बरे बीच बिचाऊ करत ह।
27परंतु जो देव आपली अंत:करणे शोधतो त्याला आत्म्याचा हेतू काय आहे हे माहीत आहे. कारण देवाच्या इच्छेने आत्मा संताच्या वतीने मध्यस्थी करतो.
28अउर हम जानित ह कि हर परिस्थिति मँ उ आतिमा परमेस्सर क भक्तन क साथे मिलिके उ काम करत ह जउन भलाइ ही लियावत हीं ओन्हन सबके बरे जेका ओकरे प्रयोजन क अनुसार इ बोलावा गवा बा।
28आणि आपणास माहीत आहे की, प्रत्येक गोष्टीत हेतूप्रमाणे आत्मा जे देवावर प्रेम करतात व त्याच्या संकल्पाप्रमाणे बोलाविलेले असतात त्यांच्यासह जे चांगले आहे ते करण्याचे काम करतो.
29जेका उ पहिले ही चुनेस ओनका पहिलौटी क पूत क रूप मँ ठहराएस ताकि बहुत स भाइयो तथा बहिनियो! मँ उ पहलौठी बनि सकइ।
29ज्यांना देवाने अगोदरच निवडले होते त्यांना त्याच्या पुत्राच्या सारखे व्हावे म्हणून नेमले होते. यासाठी की देवाचा पुत्र पुष्कळ बंधूंमध्ये ज्येष्ठ व्हावा.
30जेनका उ पहिले स निस्चित किहेस उहूँ क उ बोलाएस अउर जेनका उ बोलाएस, ओनका उ धर्मी ठहराएस। अउर जेका उ धर्मी ठहराएस, ओनका महिमा प्रदान किहेस।
30देवाने ज्यांना अगोदरच नेमले होते, ज्यांना बोलाविले होते त्यांना नीतिमान केले आणि ज्यांना नीतिमान केले त्यांना गौरवसुद्धा दिले.
31तउ एका देखत हम का कही? अगर परमेस्सर हमरे पच्छ मँ बा हमरे विरोध मँ कउन होइ सकत ह?
31यावरुन आपण काय म्हणावे? देव जर आपल्या बाजूचा आहे तर आपल्या विरुद्ध कोण?
32उ जे अपने पूत तलक क नाहीं छोड़ेस बल्कि ओका हम सबके बरे मरइ क सउँप दिहेस। उ भला हमका ओकरे साथ अउर सब कछू काहे न देई?
32ज्याने आपल्या पुत्राला राखून ठेवले नाही, परंतु आपणा सर्वांसाठी मरण्यासाठी दिले तो आपणांला पुत्रासह सर्व काही देणार नाही काय?
33परमेस्सर क चुना भवा लोगन पे अइसेन कउन बा जउन दोस लगावइ? उ परमेस्सर ही अहइ जउन ओनका धर्मी ठहराता ह?
33देवाच्या निवडलेल्या लोकांवर आरोप कोण ठेवील? देव हाच एक त्यांना निरपराध ठरवितो.
34अइसेन कउन अहइ जउन ओका दोसी ठहरावइ? मसीह ईसू उ अहइ जउन मरि गवा अउर (इहींउँ स जियादा जरूरी इ बा कि) ओका फिन जियावा गवा। जउन परमेस्सर क दहिनी कइँती बइठा अहइ अउर हमरे कइँती स बिनती भी करत ह
34दोषी ठरवितो तो कोण? जो मेला आणि याहीपेक्षा अधिक महत्तवाचे म्हणजे जो उठविला गेला व देवाच्या उजवीकडे बसला आहे, जो आपल्या वतीने मध्यस्थी करतो तो ख्रिस्त येशू आहे.
35कउन अहइ जउन हमका मसीह क पियार स अलग करी? यातना या कठिनाइ या अत्याचार या अकाल या नंगापन या जोखिम या तलवार?
35ख्रिस्ताच्या प्रेमापासून आपणांस कोण वेगळे करील? त्रास, कष्ट, छळ, भूक, नग्नता, संकटे किंवा तलवारीने वध हे वेगळे करतील काय?
36जइसेन कि सास्तर कहत ह: “तोहरे (मसीह) बरे सारा दिन हमका मउत क सौंपा जात ह। हम काटी जाइवाली भेड़ जइसेन समझा जात हीं।” भजन संहिता 44:22
36असे लिहिले आहे की, “दिवसभर आम्ही तुझ्यामुळे वधले जात आहोत. आम्हांला कापायला नेत असलेल्या मेंढराप्रमाणे समजतात.” स्तोत्र. 44:22
37तबउ ओकरे जरिये जउन हमसे पिरेम करत ह, ऐन सब बातन मँ हम एक सानदार विजय पावत अही।
37तरी या सर्व गोष्टींमध्ये आम्ही ज्याने आम्हांवर प्रीति केली त्याच्याद्वारे अत्यंत वैभवी जय मिळवीत आहोत.
38काहेकि मइँ मान चुका हउँ कि न मउत, न जीवन, न सरगदूतन अउर न सासन करइवाली आतिमन, न वर्तमान क कउनउ चीज अउर न भविस्स क कउनउ चीज, न आत्मिक सक्ति,
38कारण माझी खात्री आहे की, मरण किंवा जीवन, देवदूत, अधिकारी आत्मे हल्लीच्या किंवा भविष्यकाळात,
39न कउनउ हमरे ऊपर क, अउर न हमसे नीचे क, न सृस्टि क कउनउ अउर चीज हमका पर्भू क ओह पिरेम स, जउन हमरे भीतर पर्भू मसीह ईसू बरे बाटइ, हमका अलग कइ सकइ।
39येशूचे सामर्थ्य, उंच किंवा खाली, जगात निर्माण केलेली कुठलीही गोष्ट आपणांस देवाचे प्रेम जे ख्रिस्तामध्ये आढळते त्यापासून वेगळे करु शकणार नाही.