Awadhi: NT

Marathi

Romans

9

1मसीह मँ मइँ सही कहत हउँ। मइँ झूठ नाही कहित अउर मोर चेतना जउन पवित्तर आतिमा क जरिये प्रकासित बा, मोरे साथ मोरे साच्छी देत ह
1मी ख्रिस्तामध्ये खरे बोलतो, खोटे बोलत नाही. पवित्र आत्म्याने बोध केलेला माझा विवेक मजविषयी साक्ष देतो
2कि मोका गहिर दुःख बा अउर मोरे मने मँ मइँ पीड़ा बा।
2की, मला मोठे दु:ख आहे आणि माझ्या अंत:करणात सतत वेदना आहेत.
3कास मइँ चाहि सक्ति कि आपन भाइ-बन्धुवन अउर दुनियाबी सम्बन्धन क बरे मइँ मसीह क साप अपने ऊप्पर लइ लेइत अउर ओसे अलग होइ जाइत।
3कारण माझे भाऊ, वंशाने माझे नातेवाईक यांच्याकरिता शापित व्हावे आणि ख्रिस्तापासून मी वेगळा केलेला असावा अशी मी इच्छा करतो.
4जउन इस्राएली बाटेन अउर जेनका परमेस्सर संपालित संतान होइ क अधिकार बा, जउन परमेस्सर क महिमा क दरसन कइ चुका बाटेन, जउन परमेस्सर क करार क भागीदारे अहइँ। जेनका मूसा क व्यवस्था, सच्ची आराधना अउर बचन प्रदान कीन्ह गवा बा।
4इस्राएली कोण आहेत? ते देवाचे निवडलेले लोक आहेत. या लोकांकडे देवाचे गौरव आणि देवाने त्यांच्याशी केलेला करार आहे. देवाने त्यांना नियमशास्त्र दिले. आणि उपासना करण्याचा योग्य मार्ग दिला. आणि देवाने त्यांना त्याचे अभिवचन दिले आहे.
5पूर्वजन उहीं स सम्बन्ध रखत ह अउर मनई सरीर क दिस्टी स मसीह उहीं मँ पइदा भवा जउन सबक परमेस्सर अहइ अउर हमेसा धन्य बा। आमीन!
5त्यांचे पूर्वज थोर आहेत. मानवी दृष्टीने सांगताना ख्रिस्त त्यांच्यापासून आला, जो सदासर्वकाळ सर्व लोकांवर धन्यवादित देव आहे. आमेन.
6अइसेन नाहीं बा कि परमेस्सर आपन बचन पूरा नाहीं किहे बा काहेकि जउन इस्राएल क बंसज बाटेन उ सभन इस्राएली नाहीं अहइँ।
6परंतु देवाचे वचन व्यर्थ झाले असे नाही. कारण सर्व जण जे इस्त्रएलापासून आले आहेत ते खरोखरच इस्राएली आहेत असे नाही.
7अउर न तउ इब्राहीम क बंसज होइ क कारण उ सब सच्चाइ-मुच्चइ इब्राहीम क संतान अहइँ। बल्कि (जइसेन परमेस्सर कहेस) “तोहार बंसज इसहाक क द्वारा आपन परम्परा बढ़ावइँ।”
7याचा अर्थ असाही नाही की, ते अब्राहामापासून आलेले आहेत, म्हणून खरोखरच ती अब्राहामाची मुले आहेत, तर देवाने म्हटल्याप्रमाणे, “इसहाकाच्या वंशातील लोकांना तुझे संतान म्हटले जाईल.”
8मतलब इ नाहीं अहइ कि प्राकृतिक तउर पे सरीर स पैदा होइवाला बच्चा परमेस्सर क बंसज अहइ, बल्कि परमेस्सर क बचन स प्रेरित होइवाले ओनकर बंसज माना जात हीं।
8म्हणजे देहदृष्ट्या जन्मली ती देवाची मुले आहेत असे नाही तर वचनाच्या मुलांना संतान म्हटले आहे.
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10ऍतनइ नाहीं जब रिबका भी एक मनई, हमार पहिले क पिता इसहाक स गर्भवती भइ
10इतकेच नव्हे तर रिबेकासुद्धा एकाकडून म्हणजे आपला पूर्वच इसहाक याच्याकडून गरोदर झाली.
11[This verse may not be a part of this translation]
11मुले जन्माला येण्यापूर्वी आणि त्यांनी काही बरे किंवा वाईट केले नव्हते, तेव्हा निवडीवरुन असणारा देवाचा पूर्वसंकल्प कायम राहावा, म्हणजे कर्मावरुन नाही तर बोलावणाऱ्याच्या इच्छेवरुन घडावे.
12[This verse may not be a part of this translation]
12म्हणून तिला सांगितले होते की, “वडील धाकट्याची सेवा करील.”
13पवित्तर सास्तर कहत ह, “मइँ याकूब क चुनउँ अउर एसाव क नकार दिहेउँ।”
13पवित्र शास्त्रात लिहिले आहे की, “मी याकोबावर प्रेम केले आणि एसावाचा द्वेष केला.”
14तउ फिन हम का कही? का परमेस्सर अन्यायी बा?
14तर मग आपण काय म्हणावे? देवाच्या ठायी अन्याय नाही. आहे काय? खात्रीने नाही.
15निस्चय ही नाहीं। काहेकि परमेस्सर मूसा स कहे रहा, “मइँ जउन कउनो पे उ दया करइ क सोचब, दया देखाउब। अउ जउन कउनो पे उ अनुग्रह करइ चाहब, अनुग्रह करब।”
15कारण तो मोशेला म्हणाला, “ज्याच्यावर मला दया करायची त्यावर मी दया करीन, आणि ज्याच्यावर करुणा करायची त्याच्यावर करुणा करीन.”
16इही बरे न तउ कउनउ क इच्छा अउर प्रयास बल्कि दयालु परमेस्सर पे निर्भर करत ह।
16म्हणून ते इच्छा करणाराऱ्या वर किंवा पाळणाऱ्यावर नव्हे तर दयाळू देवावर अवलंबून आहे.
17काहेकि सास्तर मँ परमेस्सर तउ फिरौन स कहे रहा: “मइँ तोहका इही बरे खड़ा किहे रहेउँ कि मइँ आपन सक्ति तोहमाँ देखाइ सकी। अउर मोर नाउँ समूची धरती पे घोसित कीन्ह जाइ।”
17कारण पवित्र शास्त्रात देव फारोला म्हणाला, “याच हेतूसाठी मी तुला उच्च केले यासाठी की मी तुझ्यामध्ये आपले सामर्थ्य दाखवावे आणि माझे नाव सर्व पृथ्वीवर गाजविले जावे.”
18तउ परमेस्सर जेहका चाहत ह दया करत ह अउ जेका चाहत ह कठोर बनाइ देत ह।
18म्हणून देव ज्याच्यावर दया करायची त्यास दया करतो आणि ज्यास कठीण करायचे त्यास कठीण करतो.
19तउ फिन तू सायद मोसे कह्या, “अगर हमरे करमन क नियन्त्रण करइवाला परमेस्सर बा त फिन उ ओहमाँ हमार दोस काहे समझत ह?” आखिरकार ओकरी इच्छा क विरोध कउन कइ सकत ह?
19तुमच्यापैकी एखादा मला म्हणेल, “देव जर आमच्या कृति नियंत्रित करतो तर तो अजूनही आमचे दोष का काढतो? शेवटी त्याच्या इच्छेला कोण विरोध करील?”
20अरे मनई तू कउन होत अहा जे परमेस्सर क उलटि के उत्तर देइ? का कउनउ रचना अपने रचइवालन स पूछ सकत ह कि “तू मोका अइसेन काहे बनाया?”
20होय, हे मानवा, देवाला उलट उत्तर देणारा तू कोण आहेस? जे घडले आहे ते घडणाऱ्याला, “तू मला असे का केलेस” असे विचारील काय?
21का कीहीउ कोहार क मिट्टी पे इ अधिकार नाहीं बा कि उ कीहीऊँ एक लँऊदा स एक भाँड़ बिसेस प्रयोजन बरे अउ दूसर हीन प्रयोजन बरे बनावइ?
21एका ठराविक गोळ्यापासून एक भांडे गौरवासाठी आणि एक भांडे अपमानासाठी करावे असा कुंभाराला मातीवर अधिकार नाही काय?
22परन्तु एहमाँ का बा अगर परमेस्सर त आपन किरोध देखॉवइ अउर आपन सक्ति जतावइ क बरे ओन्हन भाँडन क जउन किरोध क पात्र रहेन अउर जेकरे बिनास होइ क रहा, बड़ा धीरज क साथे सही,
22परंतु देवाला जरी त्याचा राग आणि सामर्थ्य व्यक्त करावेसे वाटत होते, तरी त्याने जी माणसे नाशासाठी नेमलेली होती, त्यांचे मोठ्या धीराने सहन केले नाही काय?
23उ ओनकइ सहेस ताकि उ भाँडन क लाभ बरे जउन दया क पात्र रहेन अउर जे उ आपन महिमा पावइ बरे बनाए रहा, ओह पे आपन महिमा परगट कइ सकइ।
23जी त्याच्या दयेची पात्रे होणार होती, त्यांना त्याने गौरव मिळण्यासाठी तयार केले, त्यांचे त्याने सहन केले यासाठी की त्यांना त्याच्या दयेची विपुलता कळावी.
24मतलब हम जेका उ न केवल यहूदियन मँ स बोलाएस बल्कि गैर यहूदीयन मँ स भी
24ज्या आपणांला त्याने फक्त यहूद्यांतूनच नव्हे तर विदेशातूनही बोलाविले होते.
25जइसेन कि होसे क किताबे मँ लिखा बा: “जउन लोग मोर लोग नाहीं रहे ओन्हे मइँ आपन कहबइ। अउर उ स्त्री जउन पिआरी नाहीं कही गइ मइँ ओका प्रिया कहबइ।” होसे: 2:23
25होशेयाच्या ग्रंथात पवित्र शास्त्र सांगते, “जे माझे लोक नव्हते, त्यांना मी माझे लोक म्हणेन. आणि ज्या स्त्रीवर प्रीति केली नव्हती तिला प्रिय म्हणेन.” होशेय 2:23
26“अउर इ उहइ घटी जउने स्थान पे ओनसे कहा गवा रहा, ‘तू पचे मोर परजा नाहीं अहा।’ उहइ उ जिन्दा परमेस्सर क सन्तान कहवइहीं।” होसे: 1:10
26“आणि असे होईल की, जेथे ‘तुम्ही माझे लोक नाहीत’ असे म्हटले, होते तेथे त्यांना जिवंत देवाची मुले म्हणण्यात येईल.” होशेय 1:10
27अउर यसायाह इस्राएल क बारे मँ पुकार क कहत ह। “यद्यपि इस्राएल क सन्तान समुद्र क बालू क कणन क समान असंख्या अहइँ तऊँ ओहमाँ स केवल थोड़ क ही बच पइहीं।
27आणि यशया इस्राएलाविषयी असे ओरडून सांगतो की, “जरी इस्त्राएलाविषयी मुलांची संख्या समुद्राच्या वाळूसारखी असली तरी त्यांच्यातील फक्त थोडेच तारण पावतील.
28काहेकि पर्भू पृथ्वी पो आपन निआव क पूरी तरह स अउ जल्दी ही पूरा करी।”
28कारण पूर्ण करुन व आटोपते घेऊन प्रभु पृथ्वीवर आपला शब्द अंमलात आणील.”
29अउ जइसेन कि यसायाह त भविस्सबाणी किहे रहा: “अगर सर्वसक्तिमान पर्भू हमरे बरे बंसज न छोड़तेन त हम सदोम जइसे अउर अमोरा जइसे ही होइ जाइत।”
29आणि जसे यशयाने पूर्वी सांगितले होते, “जर सेनाधीश परमेश्वराने आम्हांसाठी बीज राहू दिले नसते तर आम्ही सदोम आणि गमोरासारखे झालो असतो.”
30त फिन हम का कही? हम इ नतीजा पे पहुँच अही कि गौर यहूदियन क लोग जउन धार्मिकता क खोज मँ नाहीं रहेन, उ धार्मिकता क पाइ गएन। उ पचे जउन बिसवास क कारण ही धार्मिक ठहरावा गएन।
30तर मग आपण काय म्हणावे? आम्ही असे अनुमान काढतो की, जे यहूदीतर देवाला अपेक्षित असलेल्या नीतिमत्वाच्या मागे लागले नव्हते त्यांना त्यांचे न्यायीपण विश्वासाचा परिणाम म्हणून मिळाले.
31परन्तु इस्राएल क लोग तउ जउन जइसेन व्यवस्था पे चलइ चाहत रहेन जउन ओनका धार्मिक ठहरावत ओकरे अनुसार नाहीं जी सकेन।
31परंतु इस्राएल लोक जे नियमशास्त्राच्या पालनातून मिळणाऱ्या नीतिमत्वाच्या मागे लागले होते त्यांना नियमशास्त्र मिळाले नाही.
32काहे नाहीं? काहेकि उ पचे एकर पालन बिसवास स नाहीं, बल्कि अपने करमन स धर्मी बना चाहत रहेन, उ सबइ ओह चट्टान पे ठोकर खाइ गएन, जउन ठोकर दियावत रही।
32का नाही? कारण ते हे नीतिमत्व विश्वासाने नाही तर त्यांनी केलेल्या कर्मांनी मिळेल असे समजून त्याच्या मागे लागले होते व ते अडखळण्याच्या दगडावर ठेचाळले.
33जइसेन कि पवित्तर सास्तर कहत ह: “देखा, मइँ सिय्योन मँ एक पत्थर रखत हउँ जउन ठोकर दियावत ह अउर एक चट्टान जउन पाप करावत ह। परन्तु उ जउन ओहमाँ बिसवास करत ह, ओका कभउँ निरास न होइ क होई।” यसायाह 8:14; 28:16
33पवित्र शास्त्रात असे लिहिले आहे. “पाहा मी सीयोनात अडखळण्याचा दगड आणि अपाय करणारा खडक ठेवतो. परंतु जो त्याच्यावर विश्वास ठेवतो तो लज्जित होणार नाही.” यशया 8:14; 28:16