1इ सबइ घटि जाइके पाछे पर्भू बहत्तर अउर मनइयन क तैनात किहस अउर फिन जउन जउन सहरन अउर ठिकानन प ओका खुद जाइके रहा, दुइ दुइ कइके उ ओनका उ आपन स अगवा पठएस।
1या घटनांनंतर प्रभुने इतर बहात्तर जणांची नेमणूक केली. आणि येशूने त्यांना जोडीजोडीने पाठविले. त्याला ज्या ठिकाणी जायचे होते त्या प्रत्येक गावात व ठिकाणी त्याने त्यांना पाठविले.
2उ ओनसे बोला, “फसल खूब जिआदा बा, मुला काम क करइया मजूर कम अहइँ। एह बरे फसल क पर्भू स बिनती करा कि उ आपन फसल मँ मजूर पठवइ।
2तो त्यांना म्हणाला, “पीक फार आहे पण कामकरी थोडे आहेत. यास्तव पिकाच्या धन्याने त्याच्या पिकासाठी कामकरी पाठवावेत यासाठी प्रार्थना करा.
3जा अउर सुमिरत रहा, मइँ तोहका बिगवन क बीच भेड़ क मेमनन क नाईं पठवत अहउँ।
3जा! आणि लक्षात ठेवा, लांडग्यात जशी कोंकरे तसे मी तुम्हास या जगात पाठवीत आहे.
4कउनो बटुआ आपन संग जिन ल्या, न थैला अउर न ही पनही। राहे मँ कउनो स पैलगी तलक जिन करा।
4थैली, पिशवी किंवा वहाणा बरोबर घेऊ नका, व रस्त्याने जाताना कोणाला सलाम करु नका.
5जउनो घरवा मँ जा, सब ते पहिले कहा, ‘इ घरवा क सान्ति मिलइ।’
5कोणत्याही घरात तुम्ही प्रवेश कराल तेव्हा पहिल्यांदा असे म्हणा, “या घरास शांति असो!’
6जदि हुवाँ कउनो सान्ति क मनई होई तउ तोहार सान्ति ओका मिली। मुला जदि उ मनई सान्ति क न होई तउ तोहार सान्ति लौटि आई।
6जर तेथे शांतिप्रिय मनुष्य असेल तर तुमची शांति त्याच्यावर राहील, परंतु तो मनुष्य शांतिप्रिय नसेल तर तुमची शांति तुमच्याकडे परत येईल.
7जउन कछू उ पचे तोहका देइँ। ओका खात पिअत उहइ घरवा मँ ठहरा। काहेकि मजूरी प मजूर क हक अहइ। घर घर जिन फिरा।
7त्या घरात तुम्हांला जे देतील ते खातपीत राहा. कारण कामकरी हा त्याच्या मजुरीस पात्र आहे. या घरातून त्या घरात असे घर बदलू नका.
8अउर जब कबहूँ तू कउनो सहर मँ जा अउर उ सहर क मनई तोहार सुआगत करइँ तउ जउन कछू तोहका परसई, बस उहइ खा।
8कोणत्याही नगरात तुम्ही प्रवेश कराल तेव्हा आणि जेव्हा ते तुमचे स्वागत करतील तेव्हा, तुमच्यासमोर जे वाढलेले असेल ते खा.
9उ सहर क बेरमियन क बीमार स जरटुट करा अउर ओनसे कहा, “परमेस्सर क राज्य तोहरे नगिचे आइ पहुँचा बा!’
9तेथील रोग्यांना बरे करा आणि नंतर त्यांना सांगा की, “देवाचे राज्य लवकरच तुमच्याकडे येत आहे!’
10अउर जब कबहूँ तू कउनो अइसे सहर मँ जा जहाँ क मनई तोहार मानसम्मान न करइँ, तउ हुवाँ क गलियन मँ जाइके कहा,
10परंतु तुम्ही एखाद्या गावात प्रवेश कराल आणि त्यांनी जर तुमचे स्वागत केले नाही तर रस्त्यात जा आणि म्हणा.
11‘इ सहर क उ धूरि तलक जउन हमरे गोड़े मँ चिपकी रही, हम तोहरे खिलाफ हिआँ झार देत अही। फिन भी इ धियान रहइ कि परमेस्सर क राज्य नगिचे आइ गवा बा।’
11“आमच्या पायाला लागलेली तुमच्या गावाची धूळदेखील आम्ही तुम्हांविरुद्ध झटकून टाकीत आहोत! तरीही हे लक्षात असू द्या की, देवाचे राज्य लवकरच तुमच्येकडे येत आहे.!’
12मइँ तोहसे कहत हउँ कि उ दिन उ सहर क लोगन स सदोम क लोगन क दसा कहूँ नीक होइ।
12मी तुम्हांला सांगतो, त्या दिवशी त्या गावापेक्षा सदोमातील लोकांना सोपे जाईल.”
13“अरे खुराजीन, अरे बैतसैदा, तोहका धिक्कार अहइ काहेकि जउन अद्भुत कारजन तोहमाँ कीन्ह गएन, जदि ओनका सूर अउर सैदा मँ कीन्ह जात तउ न जानी कबहूँ उ टाट क कपरा पहिरि के राखि प बइठिके मनफिराव कइ लेतेन।
13“खोराजिना तुझ्यासाठी हे वाईट होईल! बेथसैदा तुझ्यासाठी हे वाईट होइल! कारण जे चमत्कार तुम्हांमध्ये घडले ते जर सोर व सिदोनमध्ये घडले असते तर त्यांनी फार पूर्वीच गोणपाट नेसून राखेत बसून पश्चात्ताप केला असता.
14कछू भी होइ निआव क दिन सूर अउर सैदा क हालत तोहसे कहूँ नीक होई।
14“तरीसुद्धा सोर व सिदोन यांना न्यायाच्या वेळी तुमच्यापेक्षा सोपे जाईल.
15अरे कफरनहूम का तू सर्ग क ऊँचाई क तरह ऊँचा उठब्या? तू तउ तरखाले नरक मँ जाब्या।
15आणि कफर्णहूमा, तुला स्वर्गापर्यंत चढवले जाईल काय? तू तर अधोलोकातच जाशील.
16“चेलो! जउन कउनो तोहका सुनत ह, मोका सुनत ह, अउर जउन कउनो तोहका दुरियावत ह, उ मोका दुरियावत ह जउन मोका पठएस ह। अउर जउन मोका नकारत ह उ उसे नकारत ह जउन मोका पठएस ह।”
16जो शिष्यांचे ऐकतो तो माझे ऐकतो आणि जो शिष्यांना नाकारतो तो मला नाकारतो. आणि जो मला नाकारतो तो ज्याने मला पाठविले त्याला नाकारतो.”
17फिन उ सबइ बहत्तर आनन्दित होइके वापस लउटेन अउर बोलेन, “हे पर्भू, दुस्ट आतिमन तलक तोहरे नाउँ मँ हमार हुकुम मानत हीं!”
17ते बहात्तर लोक आनंदाने परतले आणि म्हणाले, “प्रभु, तुझ्या नावाने भुतेसुद्धा आम्हांला वश होतात!”
18ऍह पइ ईसू ओनसे कहेस, “मइँ सइतान क अकास स बिजरी क नाईं गिरत लखेउँ ह।
18तेव्हा तो त्यांना म्हणाला, “मी सैतानाला आकाशातून विजेसारखे पडताना पाहिले!
19सुना, कीरा अउर बीछी क गोड़े तरे रौंदब अउर सइतान क समूची सक्ती प हावी होइ क सामर्थ मइँ तोहका दिहे अही। तोहका कउनो नसकान नाहीं पहुँचाइ पाई।
19ऐका मी तुम्हांला साप आणि विंचू यांना तुडविण्याचा अधिकार दिला आहे. व मी तुम्हांला शत्रूच्या सर्व सामर्थ्यावर अधिकार दिला आहे. आणि कशानेच तुम्हांला अपाय होणार नाही.
20मुला इ बात प खुस जिन ह्वा कि आतिमन तोहरे बसे मँ अहइँ बल्कि एह पइ खुस होइ जा कि तोहार नाउँ सरगे मँ लिखा बाटइ।”
20तथापि तुम्हांला भुते वश होतात याचा आनंद मानू नका तर तुमची नावे स्वार्गात लिहिली आहेत याचा आनंद माना.”
21उहइ छिन उ पवित्तर आतिमा मँ रहिके आनंद मँ रहा अउर बोला, “हे परमपिता हे सरग अउर धरती क पर्भू! मइँ तोहार स्तुति करत हउँ कि तू इ बातन क चतुर अउर बुद्धिमान मनइयन स छुपाइ के राखत भवा भी गदेलन बरे ओनका परगट कइ दिहा ह। हे परमपिता! सचमुच ही तू अइसा ही करब चाहत रह्या।
21त्या क्षणी तो पवित्र आत्म्यात उल्हासित झाला, आणि म्हणाला, “हे पित्या, स्वार्गाच्या आणि पृथ्वीच्या प्रभु मी तुझी स्तुति करतो, कारण तू या गोष्टी ज्ञानी आणि बुद्धिमान लोकांपासून लपवून ठेवून त्या लहान बाळकांस प्रकट केल्या आहेस. होय, पित्या कारण तुला जे बरे वाटले ते तू केलेस.
22“मोका मोरे परमपिता क जरिये सब कछू दीन्ह ग अहइ अउर परमपिता क अलावा कउनो नाहीं जानत कि पूत कउन अहइ अउर पूत क अलावा कउनो नाहीं जानत कि परमपिता कउन अहइ या ओकरे अलावा जेका पूत ऍका परगट करइ चाहत ह।”
22“माइया पित्याने सर्व गोष्टी माझ्यासाठी दिल्या होत्या. आणि पुत्र कोण आहे हे पित्याशिवाय कोणालाच ठाऊक नाही. आणि पुत्राशिवाय कोणालाही पिता कोण आहे हे माहीत नाही व ज्या कोणाला ते प्रगट करण्याची पुत्राची इच्छा असेल त्यालाच फक्त माहीत आहे.”
23फिन चेलन कइँती मुड़िके ईसू चुप्पे स कहेस, “धन्य अहइँ उ आँखिन जउन तू देखत अहा, ओका देखत हीं।
23आणि शिष्यांकडे वळून तो एकांतात बोलला, “तुम्ही जे पाहता ते पाहणारे डोळे धन्य.
24काहेकि मइँ तोहका बतावत हउँ कि उन बातन क बहोत स नबी अउर राजा देखइ चाहत रहिन, जेनका तू देखत रह्या, मुला देखि नाहीं सक्या। जउन बातन क तू सुनत रहत ह, उ सबइ ओनका सुनइ चाहत रहेन, मुला उ पचे सुन नाहीं पाएन।”
24मी तुम्हांस सांगतो, अनेक राजांनी व संदेष्ट्यांनी तुम्ही जे पाहता ते पाहण्याची इच्छ बाळगली, परंतु त्यांनी ते पाहिले नाही आणि तुम्ही जे ऐकता ते ऐकण्याची इच्छा बाळगली, परंतु त्यांनी ते ऐकले नाही.”
25तब एक धरम सास्तरी खड़ा भवा अउर ईसू क परीच्छा लेइ बरे ओसे पूछेस, “गुरु, अनन्त जीवन पावइ बरे मइँ का करउँ?”
25नंतर एक नियमशास्त्राचा शिक्षक उभा राहिला आणि त्याने येशूची परीक्षा पाहण्याचा प्रथम केला, तो म्हणाला, “गुरुजी, अनंतकाळचे जीवन मिळण्यासाठी मी काय करावे?”
26ऍह पइ ईसू ओनसे कहेस, “व्यवस्था मँ का लिखा बाटइ? तू हुवाँ का पढ़त ह”
26तेव्हा येशू त्याला म्हणाला, “नियमशास्त्रात काय लिहिले आहे? तू त्यांत काय वाचतोस?”
27धरम सास्तरी उत्तर दिहस, “तू आपन समूचा मन, सारी आतिमा, सारी सक्ती अउर सारी बुद्धि क संग आपन पर्भू स पिरेम करा। अउर ‘आपन पड़ोसी स भी वइसे ही पिआर करा, जइसे तू आपन खुद स करत ह।”‘
27तो म्हणाला, “तू तुझा देव प्रभु याच्यावर पूर्ण अंत:करणाने, पूर्ण आत्म्याने, पूर्ण शक्तिने प्रीति कर.” व “स्वत:वर जशी प्रीति करतोस तशी तू आपल्या शेजाऱ्यावरही प्रीति कर.’ “
28तब ईसू ओसे कहेस, “तू ठीक जवाब दिहा ह। तउ तू अइसा ही करा अउर ऍहसे तू जीवित रहब्या।”
28तेव्हा येशू त्याला म्हणाला, “तू बरोबर उत्तर दिलेस, हेच कर म्हणजे तू चिरकाल राहशील.”
29मुला उ आपन ताई निआव स जुरा भवा ठहरावइ क इच्छा करत भवा ईसू स कहेस, “अउर मोर परोसी कउन अहइ?”
29पण आपण योग्य प्रश्न विचारला आहे हे इतरांना दाखवून देण्यासाठी त्याने येशूला विचारले, “मग माझा शेजारी कोण?”
30ईसू जवाबे मँ कहेस, “देखा, एक मनई यरूसलेम स यरीहो जात रहा कि उ डाकुअन स घिरि गवा। उ पचे सब कछू मुच्छ कइ ओका नंगा कइ दिहन अउर मार पीटिके ओका अधमरा छोड़ि के उ पचे चल दिहन।
30येशूने उत्तर दिले, “एक मनुष्य यरुशलेमाहून यरीहोस निघाला होता. आणि तो लुटारुंच्या हाती सापडला. त्यांनी त्याचे कपडे काढून घेतले. त्यांनी त्याला मारले, आणि त्याला अर्धमेला टाकून ते निघून गेले.
31अब संजोग स उहइ रस्ता स एक यहूदी याजक जात रहा। जब उ एका निहारेस तउ दूसर कइँती चला गवा।
31तेव्हा त्याचवेळी एक याजक त्या रस्त्याने जात होता. याजकाने त्याला पाहिले, पण तो रस्त्याच्या दुसऱ्या बाजूने निघून गेला.
32उहइ रस्ता स गुजरत भवा, एक लेवी भी हुवाँ आवा। उ ओका देखेस अउर उ भी दूसरी कइँती चला गवा।
32त्याच मार्गाने एक लेवी त्या ठिकाणी आला. लेव्याने त्याला पाहिले. व तो सुध्दा रस्त्याच्या दुसऱ्या बाजूने निघून गेला.
33मुला एक सामरी भी जात भवा हुवँई आइ गवा जहाँ उ ओलार दीन्ह ग रहा। उ जब उ मनई क देखेस तउ ओकरे बरे ओकरे मन मँ करुना आइ।
33नंतर एक शोमरोनी त्याच रस्त्याने प्रवास करीत तेथे आला. जेव्हा त्याने त्या मनुष्याला पाहिले, तेव्हा त्याला त्याच्याविषयी कळवळा आला
34तउ उ ओकरे नगिचे आवा ओकरे घाउन प तेल अउर दाखरस डाइके पट्टी बाँधेस। फिन उ ओका आपन पसु प लदिके एक ठु सराय मँ लइ गवा अउर ओका देखइ भालइ लाग।
34तो त्याच्याजवळ आला त्याच्या जखमांवर तेल व द्राक्षारस ओतून त्या बांधल्या. नंतर त्या शोमरोन्याने त्याला आपल्या गाढवावर बसविले व त्याला उतारशाळेत आणले, व त्याची देखभाल केली.
35दूसरे दिन उ दुइ दीनार निकारेस अउर ओनका भटियारा क देत भवा कहेस, ‘ऍकर धियान रख्या अउर ऍसे जिआदा जउन कछू खरच होइ, जब मइँ लौटिहउँ, तोहका चुकाइ देबूँ।’
35दुसऱ्या दिवशी त्याने दोन दीनार। (सुमारे वीस रुपये) काढले आणि उतारशाळेच्या मालकाला दिले व म्हणाला, “याची चांगली देखभाल कर म्हणजे यापेक्षा जे तू अधिक खर्च करशील ते मी परत आल्यावर तुला देईन.”‘
36“बतावा तोहरे बिचार स डाकुअन क बीच घिरे भए मनई क पड़ोसी इ तीनउँ मँ स कउन भवा?”
36लुटारुंच्या तावडीत जो मनुष्य सापडला होता, त्याचा त्या तिघांपैकी कोण खरा शेजारी होता असे तुला वाटते?”
37धरम सास्तरी कहेस, “उहइ जउन ओहॅ प दाया किहेस।” ऍह पइ ईसू ओनसे कहेस, “जा अउर वइसा ही करा जइसा उ किहेस ह।” मरियम अउर मार्था
37तो नियमशास्त्राचा शिक्षक म्हणाला, “ज्याने त्या गरजू जखमी प्रवाशावर दया मनापासून केली तो.” तेव्हा येशू त्याला म्हणाला, “जा आणि तूही तसेच कर.”
38जब ईसू अउर ओकर चेलन आपन राहे प जात रहेन तउ ईसू एक गाउँ मँ पहुँचा। एक स्त्री, जेकर नाउँ मार्था रहा, दिल खोलिके ईसू क अगवानी अउर सम्मान किहेस।
38मग येशू आणि त्याचे शिष्य त्याच्या मार्गाने जात असता, तो एका खेड्यात आला. तेथे मार्था नावाच्या स्त्रीने त्याचे स्वागत करुन आदरातिथ्य केले.
39मार्था क बहिन मरियम नाउँ क रही जउन ईसू क गोड़वा मँ बैठि गई अउर जउन कछू उ कहत रहा, ओका सुनत रही।
39तिला मरीया नावाची एक बहीण होती, ती प्रभूच्या पायाजवळ बसली व तो काय बोलतो हे ऐकत राहिली.
40ओहॅर तरह तरह क तइयारी मँ लाग मार्था बियाकुल होइके आइ अउर बोली, “पर्भू, का तोहका चिंता नाहीं कि मोर बहिन सारा काम बस मोहे प डाइ दिहे अहइ? एह बरे ओसे मोर मदद करइ क कहा?”
40पण मार्थेची अति कामामुळे तारांबळ झाली. ती येशूकडे आली आणि म्हणाली, “प्रभु, माझ्या बहिणीने सर्व काम माइयावर टाकले याची तुला काळजी नाही काय? तेव्हा मला मदत करायला तिला सांग.”
41पर्भू ओका जवाब दिहेस, “मार्था अरी मार्था! तू बहोत स बातन क बरे चिंता मँ बूड़ी अउर बियाकुल रहत ह।
41प्रभूने उत्तर दिले, “मार्था, मार्था, तू पुष्कळ गोष्टीविषयी दगदग करतेस.
42मुला बस एक ही बात जरूरी अहइ। मरियम आपन बरे उहइ उत्तिम हींसा क चुने बाटइ, तउ उ ओसे छीना नाहीं जाई।”
42पण एक गोष्ट आवश्यक आहे. हे मी सांगतो कारण मरीयेने तिच्यासाठी चांगला कार्यभाग निवडला आहे. तो तिच्यापासून काढून घेतला जाणार नाही.”