1अब अइसा भवा कि ईसू कहूँ पराथना करत रहा। जब उ पराथना खतम कइ चुका तउ ओकर एक चेला ओसे कहेस, “पर्भू हमका सिखावा कि हम पराथना कइसे करी। जइसा कि यूहन्ना आपन चेलन क सिखाए रहा।”
1मग असे झाले की, तो एका ठिकाणी प्रार्थना करीत होता. प्रार्थना संपल्यावर शिष्यांपैकी एक जण त्याला म्हणाला, “प्रभु, योहानाने जशी त्याच्या शिष्यांना प्रार्थना शिकवली:” त्याचप्रमाणे आम्ही प्रार्थना कशी करावी ते आम्हास शिकवा.”
2ऍह पइ उ ओसे कहेस, “तू पराथना करा, तउ कहा: ‘परमपता, तोहार नाउँ पवित्तर होइ, आवइ तोहार राज्य
2मग तो त्यांना म्हणाला, “जेव्हा तुम्ही प्रार्थना करता तेव्हा असे म्हणा: ‘पित्या, तुझे नाव पवित्र राखले जावो. तुझे राज्य येवो,
3हर दिन क बरे जरूरी रोटी हमका द्या:
3आम्हाला रोज लागणारी भाकर आज आम्हांला दे,
4हमार अपराध छमा करा, काहेकि हमहूँ छमा कीन्ह ह आपन अपराधी क, कठिन परीच्छा मँ हमें जिन डावा।”‘
4आणि आमच्या पापांची आम्हांला क्षमा कर, कारण आम्ही सुद्धा जे आमचे वाईट करतात त्यांची क्षमा करतो. आणि आम्हांला परीक्षेत आणू नकोस तर आम्हास वाइटापासून सोडीव.”‘
5[This verse may not be a part of this translation]
5मग येशू त्यास म्हणाला, “समजा तुमच्यापैकी कोणाला तरी एक मित्र होता. आणि तो त्याच्याकडे मध्यरात्री गेला व त्याला म्हणाला, “मित्रा, मला तीन भाकरी उसन्या दे,
6[This verse may not be a part of this translation]
6कारण माझा मित्र नुकताच प्रवास करुन माझ्याकडे आला आहे. आणि त्याला वाढायला माझ्याजवळ काहीही नाही.’
7अउर मान ल्या उ मनई भितरे स जवाब दिहस, ‘मोका तंग जिन करा, दुआर बंद होइ चुका अहइ बिछउना प मोरे साथ गदेलन अहइँ, एह बरे तोहका कछू देइ मँ खड़ा नाहीं होइ सकित।’
7आणि समजा तो मनुष्य आतून म्हणाला, “मला त्रास देऊ नको! अगोदरच दार लावलेले आहे. आणि माझी मुले माझ्याजवळ झोपलेली आहेत. मी तुला देण्यासाठी उठू शकत नाही.’
8मइँ तोहका बतावत हउँ उ अगर न उठी अउर तोहका कछू न देई, मुला फिन भी काहेकि उ तोहार मीत बा, तउ तोहरे लगातार बे सरमाये क माँगत रहइ स उ खड़ा होई अउर तोहार जरूरत भर तोहका देई।
8मी तुम्हाला सांगतो जरी तो उठून त्याला कांही देण्याची टाळटाळ करील तरी त्याच्या मित्राच्या आग्रही वृत्तीमुळे तो खात्रीने उठून त्याला पाहिजे ते देईल.
9अउर एह बरे मइँ तोहसे कहत हउँ माँगा, तोहका दीन्ह जाई ढूँढ़ा तू पउब्या खटखटावा, तोहरे बरे दुआर खोलि दीन्ह जाई।
9आणि म्हणून मी तुम्हांला सांगतो, मागा म्हणजे तुम्हांला दिले जाईल. शोधा म्हणजे तुम्हांस सापडेल आणि ठोठवा म्हणजे तुम्हांसाठी उघडले जाईल.
10काहके हर कउनो जउन माँगत ह, पावत ह। जउन ढूँढ़त ह, ओका मिलत ह। अउर जउन खटखटावत ह, ओकरे खातिर दुआर खोलि दीन्ह जात ह।
10कारण जो कोणी मागतो त्याला मिळेल. जो शोधतो त्याला सापडेल आणि जो कोणी ठोठावतो त्याच्यासाठी दार उघडले जाईल.
11तोहरे मँ अइसा बाप कउन होई जउन जदि ओकर बेटवा मछरी माँगइ, तउ मछरी क जगह प ओका कीरा थमाइ दीन्ह जाइ।
11तुम्हांमध्ये असा कोण पिता आहे की, त्याच्या मुलाने त्याला मासा मागितला असता त्यास माशाऐवजी साप देईल?
12अउर जदि उ अण्डा माँगइ तउ ओका बीछी दइ देइ।
12किंवा जर मुलाने अंडे मागितले तर कोणता पिता त्याला विंचू देईल?
13तउ बुरा होत भवा जब तू जानत ह कि आपन गदेलन क उत्तिम भेंट कइसे दीन्ह जात हीं, तउ स्वर्गीय पिता जउन ओसे माँगत हीं, ओनका पवित्तर आतिमा केतना ढेरि क देई।”
13जर तुम्ही इतके वाईट असताना तुम्हांला तुमच्या मुलांना चांगल्या देण्याचे समजते, तर जे त्याच्याकडे मागतात त्यांना स्वर्गातील पिता किती तरी अधिक पवित्र आत्मा देईल?”
14फिन ईसू जब एक गूँगा बनइ डावइवाली दुस्ट आतिमा क निकारत रहा तउ अइसा भवा कि जइसा ही दुस्ट आतिमा बाहेर निकरी, तउ उ गूँगा बोलइ लाग। भीड़ क मनई ऍसे बहोतइ अचरजे मँ पड़ि गएन।
14येशू एक भूत काढीत होता. ते मुके होते. मग असे झाले की, जो मनुष्य बोलू शकत नव्हता तो, भूत बाहेर आल्यावर, बोलू लागला व लोकांचा जमाव चकित झाला.
15मुला ओहमाँ स कछू कहेन, “इ सइतान क सासक बाल्ज़ाबुल क मदद स दुस्ट आतिमन क खदेरत ह।”
15परंतु त्यांच्यातील काही लोक म्हणाले की, “भुतांचा प्रमुख जो बालजबूल याच्या साहाय्याने तो भुते काढतो.”
16मुला अउर मनइयन ओका परखइ बरे कउनो सरग क चीन्ह क माँग किहेन।
16काहींनी त्याची परीक्षा पाहण्यासाठी स्वर्गातून चिन्ह मागितले.
17लेकिन ईसू जानत रहा कि ओनके मनवा मँ का बाटइ? उ ओनसे कहेस, “उ राज्य जेहमाँ आपन भीतर ही फूट परि जाइ, ओकर नास होइ जात ह अउर अइसे ही कउनो घरे क फूट परे प नास होइ जात ह।
17पण त्यांच्या मनात काय होत हे त्याला माहीत होते आणि तो त्यांना म्हणाला, “आपसात फूट पडलेले प्रत्येक राज्य ओसाड पडते आणि एखाद्या घरात एकमेकांविरुद्ध भांडतात तेव्हा त्या घराचे तुकडे होतात.
18जदि सइतान आपन खिलाफ होइ जाइ तउ ओकर राज्य कइसे टिक सकित ह इ मइँ तोहसे यह बरे पूछत हउँ काहेकि तू कहत ह कि मइँ बाल्ज़ाबुल क मदद स दुस्ट आतिमन क निकारत हउँ।
18आणि तुम्ही म्हणता तशी जर भुतांमध्येही फूट पडली तर त्याचे राज्य कसे टिकेल? मी तुम्हांला हे विचारतो, कारण तुम्ही म्हणता मी बालजबूलच्या साहाय्याने भुते काढतो..
19मुला जदि मइँ बाल्ज़ाबुल क मदद स दुस्ट आतिमन क निकारत हउँ तउ तोहार मनवइयन ओनका केकरी मदद स निकारत ही? तउ तोहार आपन मनई ही तोहका गलत बतइहीं
19पण जर मी बालजबूलच्या साहाय्याने भुते काढतो, तर तुमचे अनुयायी (तुमची मुले) कोणाच्या साहाय्याने भुते काढतात? म्हणून तेच तुमचा न्याय करतील.
20मुला जदि मइँ परमेस्सर क सक्ती स बुरी आतिमा को निकारत हउँ तउ इ साफ बा कि परमेस्सर क राज्य तू ताई आइ गवा अहइ।
20परंतु जर मी देवाच्या साहाय्याने भुते काढतो, तर मग हे स्पष्ट आहे की, देवाचे राज्य तुमच्याकडे आले आहे.
21“जब एक सक्तीसाली मनई पूरी तरह हथियार टेइके आपन घरे क रच्छा करत ह तउ ओकरे धन दौलत क रच्छा होत ह।
21जेव्हा एखादा बलवान मनुष्य आपल्या सुरक्षिततेसाठी पूर्ण शस्त्रसामग्री बाळगतो आणि स्वत:चे रक्षण करतो तेव्हा त्याची मालमता सुरक्षित राहते.
22मुला जब कबहूँ कउनो ओसे जिआदा बरिआर ओह प हमला कइके ओका हराइ देत ह तउ उ ओकरे सबहीं हथियारन क, जउने प ओका भरोसा रहा, ओसे छीन लेत ह अउर लूट क माल क उ पचे अपने दोस्तन मँ बाट लेत हीं।
22परंतु कोणी त्याच्याहीपेक्षा अधिक बलवान त्याच्यावर हल्ला करुन त्याचा पराभव करतो, तेव्हा ज्या शस्त्रसामग्रीवर त्यांने भरंवसा ठेवला होता, ती तो घेऊन जातो व त्याला मिळालेली लूट आपल्या मित्रांना वाटतो.
23“जउन मोर संग नाहीं अहइँ, मोर खिलाफत मँ बाटेन। उ जउन मोरे संग बटोरत नाहीं अहइ, छितरइहीं।
23जो माझ्या पक्षाचा नाही, तो माझ्याविरुद्ध आहे आणि जो माझ्याबरोबरीने गोळा करीत नाही, तर तो उधळून टाकतो.
24“जब कउनो दुस्ट आतिमा कउनो मनई स बाहेर निकरत ह तउ अराम क ढूँढ़त सूखे ठउरन मँ स होत जात ह अउर जब ओका अराम नाहीं मिलत तउ उ कहत ह, ‘मइँ आपन उहइ जगह लौटब जहाँ स गइ हउँ।’
24जेव्हा भूत माणसाबाहेर येते व ते विसावा घेण्यासाठी निर्जल प्रदेशात जागा शोधते. पण त्याला ती विश्रांति मिळत नाही. तेव्हा तो म्हणतो, “मी ज्या घरातून बाहेर आलो त्या घरात परत जाईन.’
25अउर वापस जाइके उ ओका साफ सूथर अउर तरकीबे मँ बसी पावत ह।
25तो जातो आणि त्याला ते घर झाडून नीटनेटके केलेले आढळते.
26फिन उ जाइके आपन स भी जिआदा दुस्ट दूसर सात जिआदा दुस्ट आतिमन क हुवाँ लइ आवत ह। फिन उ सबइ ओहमाँ जाइके रहइ लागत हीं। इ तरह उ मनई क पाछे क दसा पहिले स जिआदा खराब होइ जात ह।”
26नंतर तो जातो आणि आपणापेक्षा अधिक बळकट व दुष्ट असे सात आत्मे मिळवितो, आणि ते आत जातात आणि तेथेच राहतात. तेव्हा त्या मनुष्याची शेवटची अवस्था पहिल्यापेक्षा वाईट होते.”
27फिन अइसा भवा कि जइसे ही ईसू इ बातन कहेस, भिरिया मँ स एक स्त्री उठी चिल्लाइके बोली, “उ गरभ धन्य अहइ, जउन तोहका धारण किहेस ह। अउर उ चूची धन्य अहइ, जेका तू चुस्या ह।”
27असे घडले की, तो या गोष्टी बोलला तेव्हा गर्दीतील एक स्त्री मोठ्याने ओरडून त्याला म्हणाली, “धन्य ते गर्भाशय, ज्याने तुझा भार वाहिला व धन्य ती स्तने जी तू चोखलीस!”
28ऍह प उ कहेस, “धन्य तउ मुला उ पचे बाटेन जउन परमेस्सर क बचन सुनत हीं अउन ओह प चलत हीं!”
28परंतु तो म्हणाला, “जे देवाचे वचन ऐकतात व पाळतात ते धन्य!”
29जइसे जइसे भिरिया बढ़त रही, उ कहइ लाग, “इ एक दुस्ट पीढ़ी अहइ। इ कउनो अद्भुत चीन्हा लखइ चाहत ह। मुला ऍका योना क चीन्ह क अलावा अउर कउनो चीन्हा नाहीं दीन्ह जाइ।
29जसजसा लोकसमुदाय वाढू लागला, तेव्हा तो बोलू लागला, “ही पिढी दुष्ट पिढी आहे. ती चिन्ह मागत आहे, आणि योनाच्या चिन्हाशिवाय कोणतेही चिन्ह तिला दिले जाणार नाही.
30काहेकि जइसे निनवे क मनइयन बरे योना चीन्हा बन गवा, वइसे ही इ पीढ़ी बरे मनई क पूत भी चीन्हा बनी।
30कारण जसा योना निनवेच्या लोकांकरिता चिन्ह होता तसा मनुष्याचा पुत्रही या पिढीसाठी चिन्ह होईल.
31दक्खिन क रानी निआव क दिन परगट होइके इ पीढ़ी क मनइयन क दोखी ठहराई, काहेकि उ धरती दूसर कोने स सुलैमान क गियान सुनइ बरे आइ अउर अब लखा हिआँ तउ कउनो सुलैमान स भी बड़कवा अहइ।
31दक्षिणेकडची राणी न्यायाच्या दिवशी या पिढीविरुद्ध उठेल आणि ती त्यांचा धिक्कार करील. कारण ती पृथ्वीच्या दक्षिण टोकाकडून शलमोनाचे शहाणपण ऐकण्यासाठी आली, आणि आता तर शलमोनापेक्षाही थोर असा कोणी एक थेथे आहे.
32नीनावे क मनइयन निआव क दिना इ पीढ़ी क मनइयन क खिलाफ खड़ा होइके ओन पइ दोख लगइहीं काहेकि उ पचे योना क उपदेस क सुनिके मनफिराव करि लिहन ह। अउर देखा अब तउ योना स भी महान कउनो हिआँ नाहीं बा!
32न्यायाच्या दिवशी निनवेचे लोक या पिढीबरोबर उभे राहतील व त्यांचा धिक्कार करतील. कारण योनाचा उपदेश ऐकून त्यांनी पश्यात्ताप केला पण आता योनापेक्षाही थोर असा कोणी येथे आहे.
33“दिया बारिके कउनो भी ओका कउनो छुपा ठउर या कउनो भाँड़ी क भीतर नाहीं राखत, मुला ओका डीबट प धरत ह जेहसे जउन भितरे आवइँ, ज्योति लखि सकइँ।
33ʇकोणी दिवा लावून तळघरात किंवा भांड्याखाली ठेवत नाहीत, उलट तो दिवठणीवर ठेवतात. यासाठी की जे कोणी आत येतात त्यांना प्रकाश दिसणे शक्य व्हावे.
34तोहरे देह क दिया तोहार आँखिन अहइँ, तउ जदि आँखी नीक अहइँ तउ समूची देह ज्योति स भरि गइ बाटइ मुला, जदि इ सबइ खराब अहइँ तउ तोहार देह अँधियार होइ जात ह।
34डोळा हा तुमच्या शरीराचा दिवा आहे. जर तुमचे डोळे चांगले आहेत, तर तुमचे शरीरही प्रकाशाने भरलेले आहे.
35तउ धियान राखा! कि तोहरे भीतर ज्योति अहइ, अँधियारा नाहीं।
35पण ते जर वाईट आहेत तर तुमचे शरीर अंधकारमय आहेत तुमच्यातला प्रकाश हा अंधार तर नाही ना, याची काळजी घ्या.
36एह बरे जदि तोहार समूची देह ज्योति स भरपूर अहइ अउर ऍकर कउनो भी अंग अँधियारा नाहीं तउ उ पूरी तरह अइसे चमकी मान ल्या कउनो दिया तोह पइ आपन किरण स प्रकासित होत ह।”
36जर तुमचे सर्व शरीर प्रकाश आहे आणि जर त्याचा एकही भाग अंधार नाही तर, जशी दिव्याची प्रकाशकिरणे तुझ्यावर प्रकाशतात, तसे ते पूर्णपणे प्रकाशतील.”
37ईसू जब आपन बात पूरी किहस तउ एक फरीसी ओसे अपने साथ खाइ बरे हठ किहेस। तउ उ भितरे जाइके खइया क खाइ बैठि गवा।
37जेव्हा येशूने आपले बोलणे संपविले तेव्हा एका परुश्याने त्याला आपलल्याबरोबर जेवायला बोलाविले. तो आत गेला आणि आपल्या जागी रेलून बसला.
38मुला उ फरीसी जब इ देखेस कि खइया स पहिले उ आपन हाथ नाहीं धोएस तउ ओका बड़ा अचरज भवा।
38परंतु त्याने जेवणापूर्वी हात धुतले नाहीत हे पाहून परुश्याला फार आश्चर्य वाटले.
39ऍह पइ पर्भू ओनसे कहेस, “अब लखा तू फरीसियन टाठी अउर खोरा क बस बाहेर स तउ माँजत ह मुला तोहरे भीरत लालच अउर दुस्टता भरी अहइ।
39तेव्हा प्रभु त्याला म्हणाला, “तुम्ही परुशी प्याला व ताट बाहेरुन स्वच्छ करता पण तुम्ही आतून अधाशीपणाने व फसवणुकीच्या दुष्टतेने भरले आहात.
40अरे मूढ़ मनइयो! का जउन बाहरी अंग क बनाएस ह, उ भीतरी अंग क नाहीं बनाएस।
40तुम्ही मूर्ख लोक! ज्याने बाहेरील बाजू बनवली तो आतली बाजू बनवणार नाही का?
41ऍह बरे जउन कछू भितरे अहइ, ओका दीनन क दइ द्या। फिन तोहरे बरे सब कछू पवित्तर होइ जाइ।
41पण जे आतमध्ये आहे, ते गरीबांना द्या. आणि नंतर सर्व काही तुमच्यासाठी स्वच्छ होईल.
42अरे फरीसियन! तोहका धिक्कार अहइ काहेकि तू आपन पुदीना अउर सुदाब बूटी अउर हर कउनो जरी बूटि क दसवाँ हींसा तउ चढ़ाइ देत ह मुला परमेस्सर बरे पिरेम अउर निआव क टारि देत ह। मुला इ बातन क तोहका उ बातन क बगैर टारि देइ क करइ चाही।
42परुश्यांनो तुम्हाला धिश्चार असो कारण तुम्ही पश्चात्ताप करता व पुदिन्याचा व प्रत्येक वनस्पतीचा दशांश देता. परंतु तुम्ही न्याय आणि देवाविषयीचे प्रेम याकडे दुर्लक्ष करता. तुम्ही या गोष्टी प्रथम काराव्यात व मुख्य गोष्टींकडे दुर्लक्ष करु नये.
43अरे फरीसियन! तोहका धिक्कार अहइ। काहेकि तू सबइ आराधनालय मँ बहोत ही प्रमुख आसन चाहत बाट्या अउर बजारन मँ मान मर्जादा क संग पैलगी तोहका सोहात ह।
43परुश्यांनो तुमचा धिक्कार असो, कारण तुम्हांला सभास्थानातील महत्त्वाच्या जागी बसणे आणि बाजारात नमस्कार घेणे आवडते.
44तोहका धिक्कार अहइ काहेकि तू पचे बिना कउनो चीन्हा क कब्र क नाई अहा जेह प मनई चलत हीं मुला उ सबइ नाहीं जानत हीं।”
44तुमचा धिश्चार असो कारण तुम्ही खुणा न केलेल्या कबरांसारखे आहात, अशा कबरांवर लोक नकळत पाय देऊन चालतात.”
45तब एक धरम सास्तिरि ईसू स कहेस, “गुरु, जब तू अइसी बातन कहत ह तउ हम भी बेज्जत होइत ह।”
45नियमशास्त्राचा एक शिक्षक येशूला म्हणाला, “गुरुजी, तुम्ही असे बोलता तेव्हा तुम्ही आमचासुद्धा अपमान करता.”
46ऍह प ईसू कहेस, “अरे धरम सास्तिरियो! तोहका धिक्कार अहइ। काहेकि तू सबइ मनइयन प अइसा बोझा लादे बाट्या जेका उठाउब मुस्किल अहइ। अउर तू खुद ओन बोझन क एक ठु अँगुरी भर स छुअइ नाहीं चाहत ह।
46तेव्हा येशू म्हणाला, “नियमशास्त्राच्या शिक्षकांनो तुमचाही धिक्कार असो, कारण तुम्ही लोकांना वाहण्यास कठीण असे ओझे लादता व ते उचलण्यास तुमच्या एका बोटानेसुद्धा मदत करीत नाही.
47तोहका धिक्कार अहइ काहेकि तू नबियन बरे मकबरा क बनवत ह, जेनकइ कतल कीन्ह गवा अउर ओनकर कतल करइया तोहार पूर्वजन रहेन।
47तुमचा धिक्कार असो, कारण तुमच्या पूर्वजांनी ठार केलेल्या भविष्यवाद्यांसाठी तुम्ही कबरा बांधता.
48ऍसे तू सबइ इ देखावत ह कि तू आपन पूर्वजन क उ कामे क अँगीकार करत ह। काहेकि उ पचे तउ ओनका मारेन ह अउर तू पचे ओनकइ मकबरा क बनाया ह।
48अशा प्रकारे तुमच्या पूर्वजांनी केलेल्या कृत्यांचे समर्थन करता.
49एह बरे परमेस्सर क गियान भी कहेस, ‘मइँ नबियन अउर प्रेरितन क भी ओनके लगे पठउब। फिन कछू क तो उ पचे मारि डइहीं अउर कछू क सजा देइहीं।’
49यामुळे देवाचे ज्ञानसुद्धा असे म्हणाले, “मी प्रेषित व संदेष्ट त्यांच्याकडे पाठवील. त्यांपैकी काही जणांना ते ठार मारतील व काही जणांचा ते छळ करतील!’
50एह बरे संसार क सुरुआत स जेतॅना भी नबियन क लहू बहाइ दीन्ह ग अहइ, ओनकइ हिसाब इ पीढ़ी क मनइयन स चुकाइ जाइ।
50तेव्हा या पिढीस भविष्यवाद्यांचे जे रक्त जगाच्या प्रारंभापासून सांडले गेले त्याबद्दल दंड भरुन द्यावा लागेल.
51यानी हाबिल क कतल स लइके जकरयाह क कतल क हिसाब जउन परमेस्सर क मन्दिर अउर वेदी क बीच कीन्ह गवा रहा। हाँ, मइँ तोहसे कहत हउँ इ पीढ़ी क मनइयन क ऍकरे बरे लेखा जोखा देइ क होइ।
51म्हणजे हाबेलाच्या रक्तापासून ते जखऱ्या जो देवाचे मंदिर व वेदी यांच्यामध्ये मराला गेला. खरोखर मी तुम्हांस सांगतो या पिढिला ते भरुन द्यावे लागेल.
52“ओ धरम सास्तिरियो! तोहका धिक्कार अहइ, काहेकि तू सबइ गियान क कुंजी तउ लइ लिहा ह। मुला ओहमाँ न तउ खुद घुसि पाया अउर न घुसइ क कउनो जतन करत रह्या। ओनका भी तू अड़ंगा डाया जे अइसा करइ चाहेन।”
52“नियमशास्त्राच्या शिक्षकांनो तुमचा धिक्कार असो. कारण तुम्ही ज्ञानाची किल्ली काढून घेतली आहे. तुम्ही स्वत:ही आत गेला नाहीत आणि जे आत जाण्याचा प्रयत्न करत होते, त्यांनाही जाऊ दिले नाही.”
53अउर फिन जब ईसू हुवाँ स चला गवा तउ उ सबइ धरम सास्तिरियन अउर फरीसियन ओसे घोर दुस्मनी राखइ लागेन। बहोत स बातन क बारे मँ ओसे सोझ सवाल करइ लागेन।
53येशू तेथून निघून जात असता नियमशास्त्राचे शिक्षक व परुशी फार विरोध करु लागले व त्याला अनेक गोष्टीविषयी प्रश्न विचारु लागले.
54काहेकि उ सबइ ओका ओकर कही कउनो बात स घात करइ बरे टोहत रहेन।
54तो जे बोलेल त्यामध्ये त्याला एखाद्या सावजाप्रमाणे पकडण्यासाठी टपून बसले.